चंद्र ग्रहण आज, गर्भवती महिलाएं बरते ये सावधानी

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calendar19 Nov 2021 06:59 AM
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आज 19 नवंबर 2021 को चंद्रग्रहण (Chandra Grahan)  है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण (Grahan) अवधि के दौरान गर्भवती महिलाओं के लिए कुछ नियत बताए गए हैं। कहा जाता है कि इन नियमों और सावधानी का ध्यान रखने से गर्भ में पल रही संतान पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।

चंद्र ग्रहण दोपहर 12.48 बजे शुरू होगा और 4.47 बजे समाप्त होगा। चंद्र ग्रहण का चरम दोपहर बाद 2.34 बजे होगा जो कि अरुणाचल प्रदेश व असम के कुछ हिस्सों में थोड़ी देर के लिए देखने को मिलेगा। इसके साथ ही इस बार का चंद्रग्रहण ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया, उत्तर अफ्रीका व दक्षिण अफ्रीका और यूएसए/दक्षिण अमेरिका में देखा जा सकेगा। ग्रहण काल में गर्भवती महिलाएं रखें ये सावधानियां -

- ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। इसलिए कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किया जाता है।

- ग्रहणकाल में गर्भवती महिला को अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।

- ग्रहणकाल में सहवास नहीं करना चाहिए।

- ग्रहणकाल में गर्भवती महिला कैंची, सूई, चाकू या धारदार चीजों का इस्तेमाल न करें। - ग्रहणकाल में गर्भवती महिला स्नान न करें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें।

- ग्रहण को गर्भवती महिला बिल्कुल भी न देखें। चंद्र ग्रहण देखने से आंखों पर कोई बुरा असर नहीं होता लेकिन गर्भवती इसे देखने से बचें तो ही सही है।

- ग्रहणकाल के दौरान गुरु मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।

- ग्रहणकाल के दौरान मन में नकारात्मक भाव न आने दें इसका असर गर्भस्थ शिशु पर पड़ सकता है। - ग्रहणकाल के दौरान अच्छी भक्ति पुस्तकों का अध्य्यन करें।

- ग्रहणकाल में अनावश्यक रूप से ज्यादा एक स्थान से दूसरे स्थान पर ना जाएं।

- गर्भवती महिला अपने पास तुलसी और गंगाजल रखें और इन्हीं का सेवन भी कर सकती हैं।

- गर्भवती महिला अपने पास सूखा नारियल का गोला रखें, सिरहाने सुपारी रखें।

यशराज कनिया कुमार, वैदिक एवं अंक ज्योतिषी

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बदलेगी देश व मौसम की दिशा और दशा, 20 नवंबर को गुरु का कुंभ राशि में प्रवेश

Brihspati
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calendar19 Nov 2021 05:40 AM
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जब भी बड़े ग्रह राशि परिवर्तन करते हैं, मेदनीय ज्योतिष के अनुसार लोक भविष्य में एक अद्वितीय बदलाव आता है। गुरु मकर से कुंभ राशि में चले जाएंगे। कुछ राशि वालों के लिए यह सुखद परिवर्तन होगा। गुरु बृहस्पति (Jupiter) का शनि की राशि में आना, सबसे अधिक मौसम को प्रभावित करेगा। इस वर्ष सर्दी की बरसात, कड़ाके की ठंड, घना कोहरा, स्मॉग, शीत लहर, अधिक बर्फबारी, समुद्री तूफानों, चक्रवातों प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सरकारों और आमजन को सचेत रहना चाहिए। कोरोना प्रभाव कम होता जाएगा। कई राज्यों में राजनीतिक परिवर्तन होंगे।

साल 2022 में गुरु ग्रह (Jupiter) की स्थिति

साल के शुरुआती महीने में बृहस्पति (Jupiter) कुंभ राशि में मौजूद रहेंगे। ये 12 अप्रैल 2022 को स्वराशि मीन राशि में गोचर करेंगे। फिर इसके बाद 23 फरवरी 2022 को बृहस्पति अस्त होंगे। जहां से ये 27 मार्च 2022 को वापस से उदय होंगे। 13 अप्रैल 2022 को बृहस्पति अपनी खुद की राशि मीन में गोचर करेंगे। इसके बाद पूरे वर्ष ये मीन राशि में ही मौजूद रहेंगे। इसके बाद बृहस्पति 29 जुलाई 2022 को मीन राशि में वक्री हो जाएंगे। इसके बाद 24 नवंबर 2022 को बृहस्पति दोबारा से मार्गी होंगे।

ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति एक शुभ ग्रह है और इसे गुरु की संज्ञा भी दी गई है। यह धनु और मीन राशि का स्वामी होता है। कुंडली में स्थित भिन्न-भिन्न भावों पर गुरु के भिन्न-भिन्न परिणाम देखने को मिलते हैं। कुंडली में बृहस्पति के बलवान होने पर जातक को आर्थिक और वैवाहिक जीवन में अच्छे परिणाम मिलते हैं। बृहस्पति ग्रह को ‘गुरु’ कहा जाता है। यह धनु और मीन राशि का स्वामी होता है और कर्क इसकी उच्च राशि है जबकि मकर इसकी नीच राशि मानी जाती है। गुरु ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक होता है। ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र का स्वामी होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति पर बृहस्पति ग्रह की कृपा बरसती है उस व्यक्ति के अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति सत्य के मार्ग पर चलता है। बृहस्पति ग्रह का गोचर जन्मकालीन राशि से दूसरे, पाँचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में शुभ फल देता है। जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत स्थिति में होता है तो जातक के जीवन में प्रगति होती है।

खगोल विज्ञान में गुरु ग्रह

बृहस्पति ग्रह सौर मंडल में सबसे विशाल ग्रह है। इसका द्रव्यमान सूर्य के हज़ारवें भाग के बराबर है। हालाँकि इसका तापमान -145 डिग्री सेल्सियस है इसलिए यह बहुत ही ठण्डा ग्रह है। बृहस्पति को अंग्रेजी में जुपिटर नाम से जाना जाता है। इसमें हीलियम और हाइड्रोजन गैस है। इस ग्रह को सौर मंडल का “वैक्यूम क्लीनर“ भी कहा जाता है। यह पृथ्वी को विनाशकारी हमलों से बचाता है। खगोल विज्ञान के मुताबिक बृहस्पति के 64 प्राकृतिक उपग्रह हैं और इसका चुंबकीय क्षेत्र सभी ग्रहों में से सबसे शक्तिशाली है।

गुरु के राशि परिवर्तन का फल

मेष - 2022 के शुरुआती महीनों में गुरु ग्यारहवें भाव में मौजूद रहेंगे। साल 2022 मिला-जुला रहेगा। शुभ साबित होगा। जीवन में चली आ रही कई परेशानियों का अंत हो सकता है। आर्थिक स्थिति में जबरदस्त सुधार होने के संकेत मिल रहे हैं।

वृषभ - गुरु का गोचर दसवें भाव में हो रहा है। कैरियर में बदलाव का समय रहेगा। अच्छे परिणाम की प्राप्ति होगी।

मिथुन - गुरु का गोचर नौवें भाव में हो रहा है जो भाग्य का भाव है। अच्छे परिणामों की प्राप्ति होगी।

कर्क - साल 2022 मिलाजुला रहने वाला रहेगा। संभलकर रहें और कोई निर्णय जल्दी में न करें। यात्राओं से लाभ प्राप्त होगा। हर काम में भाग्य का साथ मिलेगा। परिवार वालों के साथ अच्छा समय बिताएंगे। नई नौकरी मिलने के आसार हैं। फंसा हुआ पैसा वापस मिल सकता है।

सिंह - देवगुरु बृहस्पति सातवें भाव में स्थित रहेंगे। व्यापार में स्थितियां पहले के मुकाबले में बेहतर रहेगी। पारिवारिक जीवन में कुछ परेशानियां रहेगी, लेकिन ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।

कन्या - गुरु शुरुआती महीनों में छठे भाव में मौजूद रहेंगे। आपके लिए साल बहुत ही बेहतरीन बीतेगा। बिजनेस करने वाले जातक व्यापार में नई ऊंचाई को प्राप्त करेंगे। रूके हुए कार्य फिर से बनने लगेंगे। कार्यस्थल पर हर चुनौतियों का सामना अच्छे से कर पायेंगे।

तुला - बृहस्पति का गोचर पांचवें भाव में रहेगा। इस वर्ष आपके लिए धन के नए-नए और अच्छे मौके प्राप्त होंगे।

वृश्चिक - गुरु का गोचर चौथे भाव में होगा। साल मिला जुला रहेगा। घर या कोई संपत्ति की खरीदारी के लिए साल बहुत ही शुभ रहेगा।

धनु - गुरु का राशि परिवर्तन धनु राशि के जातकों के लिए तीसरे भाव में होगा। इस वर्ष आपको चुनौतियों का सामना करने और लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए समय प्रतिकूल रहेगा।

मकर - गुरु दूसरे भाव में होगा। खर्चे इस साल आपके जरूरत से ज्यादा रहेंगे। बीमारियां आपको परेशान कर सकती हैं। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। शानदार उपलब्धियां मिलने के आसार हैं। नौकरी की तलाश में हैं तो अच्छा ऑफर मिल सकता है।

कुंभ - गुरु साल 2022 के शुरुआती दिनों में लग्न राशि में रहेगा। आर्थिक गतिविधियों की दृष्टि से शानदार गुजरेगा। नए-नए कार्यों में आप अपना भाग्य आजमा सकते हैं।

मीन - विदेश की यात्रा कर सकते हैं। धन-संपदा में इस साल इजाफा होने के संकेत हैं।

यदि आपकी राशि में गुरु के इस गोचर के कारण कोई परेशानी होती है तो यह उपाय किए जा सकते हैं

गुरुवार को घी का दान करें अपने घर में कपूर का दीपक जलाएं। गुरुवार के दिन हल्दी व चना दाल का दान करें और गाय को रोटी खिलाएं। गुरुवार के दिन पुखराज रत्न को सोने की अंगूठी में जड़वाकर तर्जनी अंगुली में धारण करें। पीपल के पेड़ को जल दें। केसर का तिलक अपने माथे पर लगाएं तथा पीला रुमाल अपने पास रखें। केले के वृक्ष की पूजा गुरूवार के दिन करे तथा पीले पदार्थ गरीबों में बांटे। पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करे तथा गाय का घी दान करें। शिव भगवान की आराधना करें तथा शिव भगवान का रुद्राभिषेक करें। पीले वस्त्र धारण करें और गरीबों को यथासंभव दान करें। शिव सहस्त्र नाम का शिवलिंग पर रोज जल चढ़ाएं, जरूरतमंद को गेहूं व हल्दी का दान करें और गरीबों को भोजन करवाएं।पाठ करें। बड़ों का सम्मान करें। अधार्मिक कृत्यों से दूर रहें। गायत्री चालीसा का पाठ करें

- मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़

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580 साल बाद, आज लगेगा सबसे लंबा व अंतिम लाल चंद्रग्रहण

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lunar eclipse
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calendar01 Dec 2025 09:16 AM
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आज से 580 साल पहले,18 फरवरी, 1440 के दिन, एक लंबा चंद्र ग्रहण (lunar eclipse) लगा था और अब 19 नवंबर 2021 को 3 घंटे, 28 मिनट और 24 सेकेंड की अवधि का यह चंद्र ग्रहण (lunar eclipse) लग रहा है। यह भी नोट कर लें कि इसके बाद हमारी आने वाली संतति ऐसा लंबा ग्रहण 8 फरवरी,2669 को ही देख पाएगी हालांकि छोटे मोटे ग्रहण तो लगते रहेंगे।

हालांकि यह ग्रहण भारत के उत्तरी पूर्व क्षेत्रों में ही अल्प समय के लिए दिखेगा परंतु यदि और देशों में जहां यह दृश्य होगा, वहां चांद का 97 प्रतिशत भाग पृथ्वी की छाया से ढंक जाएगा और यह नजारा भारतीय समय के अनुसार 2 बजकर 33 मिनट पर होगा ।

साल 2021 में कुल 4 ग्रहण हैं, जिनमें से 2 सूर्य ग्रहण हैं और 2 चंद्र ग्रहण हैं। इनमें से 1 सूर्य ग्रहण और 1 चंद्र ग्रहण लग चुका है। साल का आखिरी ग्रहण जो कि सूर्य ग्रहण है, वो 4 दिसंबर 2021 को लगेगा।

इस ग्रहण को भारत समेत अमेरिका, उत्तरी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और पूर्वी एशिया के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व होता है।

ग्रहण का समय

भारत में यह ग्रहण केवल पूर्वी क्षेत्र- असम व अरुणाचल में ही बहुत कम समय दिखाई देगा।शेष भारत में जब यह ग्रहण दिखाई ही नहीं देगा तो सूतक भी नहीं होगा,अतः इस दिन सामान्य दिनचर्या में ही रहें। यह सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण- 3 घंटे 28 मिनट व 23 सेकेंड रहेगा और चांद सुर्ख लाल दिखाई देगा।

ग्रहण आरंभ- 12ः48

ग्रहण मध्य- 14ः33

ग्रहण समाप्त- 16ः17

चंद्र ग्रहण का भारत तथा दुनिया पर क्या असर हो सकता है?

लोक भविष्य की बात करें तो जहां भी यह ग्रहण दिखाई देगा, वहां के समुद्र में ज्वार भाटा, सुनामी, अधिक वर्षा, बर्फबारी से नुक्सान हो सकता है। ज्योतिष के अनुसार इन भागों में भूकंप आने, ज्वालामुखी फटने, अन्य कई प्राकृतिक आपदाएं आने की आशंका रहेगी। भारत के पूर्वी सीमावर्ती राज्यों में, शत्रु देशों के आक्रमण या घुसपैठ होने से शांति भंग हो सकती है। हिमालय के साथ लगते राज्यों में भूकंप जैसी आपदा से इंकार नहीं किया जा सकता, अतः पहले ही सावधान रहना होगा।

यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। ये ग्रहण भारत समेत अमेरिका, उत्तरी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत महासागर के कुछ क्षेत्रों में दिखाई देगा। पंचांग के अनुसार ये चंद्र ग्रहण कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है। धार्मिक दृष्टि से चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व माना जाता है।

चंद्र ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र में एक प्रमुख घटना के तौर पर देखा जाता है। मान्यता है कि जब भी ग्रहण की स्थिति का निर्माण होता है तो इसका देश-दुनिया पर तो प्रभाव पड़ता है ही साथ ही साथ सभी राशियों पर भी इसका असर देखा जाता है। चंद्र ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ घटना के रूप में नहीं देखा जाता है। मान्यताओं अनुसार ग्रहण के दौरान किसी भी तरह के शुभ काम नहीं किये जाते।ग्रहण के समय चंद्रमा पीड़ित हो जाता है. ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन और माता का कारक माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार पाप ग्रह राहु और केतु जब चंद्रमा पर हमला करते हैं तब चंद्र ग्रहण की स्थिति का निर्माण होता है।

विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण कैसा लगता है ?

विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण की स्थिति तब बनती है जब पूर्णिमा की तिथि को सूर्य और चंद्रमा की मध्य पृथ्वी आ जाती है। इसके चलते उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ने लगती है, जिससे चंद्रमा का छाया वाले भाग पर अंधेरा छा जाता है। इस स्थिति में जब चांद को देखते हैं तो वह भाग काला दिखाई पड़ता है। इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं।

मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषाचार्य, चंडीगढ़