Bangalore: इस्लामिक रेजिस्टेंस काउंसिल ने मंगलुरु धमाके की जिम्मेदारी ली

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calendar27 Nov 2025 03:44 PM
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Bangalore: एक अनजान संगठन इस्लामिक रेजिस्टेंस काउंसिल (आईआरसी) ने कर्नाटक के मंगलुरु में 19 नवम्बर को हुए धमाके को कथित तौर पर अंजाम देने का दावा किया है। आईआरसी ने कहा है कि उसके ‘मुजाहिद भाई मोहम्मद शारिक’ ने ‘कादरी में एक हिंदू मंदिर’ पर हमले की कोशिश की थी।

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अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) आलोक कुमार ने कहा कि पुलिस संगठन की प्रामाणिकता का सत्यापन कर रही है।

सोशल मीडिया पर प्रसारित संदेश में कहा गया है कि हम इस्लामिक रेजिस्टेंस काउंसिल (आईआरसी) यह संदेश देना चाहेंगे- मंगलुरु में भगवा आतंकियों के गढ़ (दक्षिण कन्नड़ जिले में) कादरी स्थित हिंदू मंदिर पर हमारे एक मुजाहिद भाई मोहम्मद शारिक ने हमला करने की कोशिश की। यह संदेश सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

इसमें आगे कहा गया है कि हालांकि यह अभियान सफल नहीं हुआ, फिर भी हम इसे रणनीतिक नजरिये से सफल मानते हैं, क्योंकि राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों द्वारा वांछित होने के बावजूद, भाई (शारिक) उनसे बचने में सफल रहा और हमले की तैयारी की तथा उसे अंजाम भी दिया।

'समय से पहले विस्फोट' के बारे में संगठन ने कहा कि ऐसी आशंकाएं 'सभी सैन्य और विध्वंसक अभियानों' में मौजूद होती हैं। समय से पहले विस्फोट के कारण ही शारिक की गिरफ्तारी हो सकी है।

संगठन ने एडीजीपी आलोक कुमार को भी चेतावनी दी है। संगठन ने कहा है, "भाई की गिरफ्तारी पर खुशी मनाने वालों, विशेष रूप से एडीजीपी आलोक कुमार की तरह के लोगों, से हम कहते हैं 'आपकी खुशियां अल्पकालिक होंगी और आपको अपने उत्पीड़न का फल जल्द ही मिलेगा। आप हमारी नजरों में हैं।"

हमले के बारे में, आईआरसी ने कहा कि उन्हें फासीवादियों द्वारा इस युद्ध और प्रतिरोध के रास्ते पर मजबूर किया गया है और "हम केवल सरकार-प्रायोजित आतंकवाद के सबसे खराब रूपों का जवाब दे रहे हैं।"

संगठन ने कहा, "हम केवल इसलिए प्रतिशोध ले रहे हैं क्योंकि हमारे खिलाफ एक खुला युद्ध घोषित किया गया है, क्योंकि मॉब लिंचिंग एक आदर्श बन गया है, क्योंकि दमनकारी कायदे-कानून हमें दबाने और हमारे धर्म में हस्तक्षेप करने के लिए पारित किए जाते हैं, क्योंकि हमारे निर्दोष जेलों में सड़ रहे हैं, क्योंकि सार्वजनिक स्थान आज हमारे नरसंहार के आह्वान के साथ गूंजता है।”

वायरल पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए आलोक कुमार ने कहा, "हम इस संगठन की सत्यता और पोस्ट की विषय-वस्तु की सत्यता की पुष्टि कर रहे हैं।"

कर्नाटक के शिवमोगा जिले के तीर्थहल्ली का रहने वाला 24 वर्षीय शारिक 19 नवंबर को एक प्रेशर कुकर बम लेकर ऑटोरिक्शा में यात्रा कर रहा था, जिसमें डेटोनेटर, तार और बैटरी लगी हुई थी और इसमें विस्फोट हो गया था।

इस धमाके में वह झुलस गया और सिटी अस्पताल में उसका उपचार चल रहा है। विस्फोट में ऑटो चालक भी घायल हो गया। पुलिस ने इस धमाके को आतंकी घटना करार दिया है।

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Whatsapp: आमतौर पर लोग व्हाट्सएप का इस्तेमाल एक-दूसरे से मैसेज के जरिए बात करने, वॉइस या वीडियो कॉल करने के अलावा फोटो और वीडियो भेजने के लिए करते हैं। ऐसे में एक तरीका है जिससे आप बिना इंटरनेट के भी एक-दूसरे को फोटो और वीडियो भेज सकते हैं।

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National News : कोविड, संघर्ष और जलवायु महत्वपूर्ण चुनौती, हमें खाद्य सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत : जयशंकर

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National News : कोविड, संघर्ष और जलवायु महत्वपूर्ण चुनौती, हमें खाद्य सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत : जयशंकर

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S. Jaishankar
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calendar01 Dec 2025 07:26 PM
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National News : नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ‘खाद्य सुरक्षा’ को अंतरराष्ट्रीय संबंधों एवं कूटनीति का प्रारंभिक बिन्दु करार दिया। बृहस्पतिवार को उन्होंने कहा कि देशों को खाद्यान्न के अधिक विविधतापूर्ण स्रोत तलाशने, अधिक उत्पादन करने तथा भरोसेमंद एवं टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला तैयार करने पर ध्यान देने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 के दौरान भारत में वर्षभर चलने वाले कार्यक्रमों के अग्रिम उद्घाटन के अवसर पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों एवं कूटनीति का महत्वपूर्ण आयाम एवं प्रारंभिक बिन्दु ‘खाद्य सुरक्षा’ का विषय है। उन्होंने कहा कि जब क्षेत्रीय स्तर पर एक दूसरे देशों के बीच संबंध की बात आती है, तब भी हम यह देखते हैं कि एक दूसरे के साथ कैसे इसका (खाद्यान्न) आदान प्रदान कर सकते हैं। ऐसे में खाद्य सुरक्षा महत्वपूर्ण हो जाती है।

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विदेश मंत्री ने कहा कि अगर हम आज की दुनिया पर विचार करें, तब तीन बड़ी चुनौतियां ‘3सी’ ही सामने आती हैं। यह कोविड, कंफ्लिक्ट (संघर्ष) और क्लाइमेट (जलवायु) हैं। इन तीनों का ही खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव पड़ता है। कोविड महामारी के दौरान भी खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव पड़ा और इसके कारण आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था को खतरे की स्थिति का सामना करना पड़ा। भारत में भी कोविड के कारण लॉकडाउन लगा तो पड़ोसी देशों सहित कुछ खाड़ी के देश चिंतित हुए, क्योंकि वे हमसे खाद्य पदार्थो का नियमित आयात करते थे। उन्होंने कहा कि हमने उन देशों को आश्वस्त किया कि हम खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को बनाये रखेंगे।

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यूक्रेन संघर्ष का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि यह संघर्ष इस बात का उदाहरण है कि किसी संघर्ष का खाद्य सुरक्षा पर किस प्रकार प्रभाव पड़ सकता है। यूक्रेन गेहूं का प्रमुख निर्यातक देश रहा है, ऐसे में इस क्षेत्र में संघर्ष का प्रभाव देखा गया। इसीलिए जब संघर्ष होगा, तब खाद्यान्न की कीमतें बढ़ेंगी, आपूर्ति प्रभावित होगी। विदेश मंत्री ने जलवायु प्रभावों का उल्लेख करते हुए कहा कि हम सभी इस बात से सहमत होंगे कि आज कठिन जलवायु स्थितियां हैं, जिसका प्रभाव उत्पादन में कमी और कारोबार में बाधा के रूप में सामने आ सकता है। उन्होंने कहा कि कोविड, संघर्ष और जलवायु महत्वपूर्ण चुनौती है और हमें खाद्य सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। जयशंकर ने कहा कि हमें खाद्यान्न के अधिक विविधतापूर्ण स्रोत तलाशने, अधिक उत्पादन करने तथा भरोसेमंद एवं टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला तैयार करने पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दुनिया के 130 देश किसी न किसी रूप में मोटे अनाज का उत्पादन करते हैं, ऐसे में इस विषय पर ध्यान देने से खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता आएगी, खाद्य आपूर्ति भी बेहतर होगी तथा किसानों की आय भी बढ़ेगी।

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जयशंकर ने कहा कि यह वर्ष अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है, जिसका प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में भारत ने किया था और 72 देशों ने इसका समर्थन किया था।उन्होंने कहा कि भारत मोटा अनाज का इतिहास काफी पुराना है और सिंधु घाटी सभ्याता में भी इसका उल्लेख मिलता है। भारत मोटे अनाज का सबसे अधिक उत्पादन करने वाला देश है और कुल वैश्विक उत्पादन का 20 प्रतिशत हमारे यहां होता है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत में नौ प्रकार के मोटे अनाजों का उत्पादन किया जाता है और दुनिया के 130 देश मोटे अनाज का उत्पादन करते हैं।