भारत में कैसे और कहां से आया चटकारे लेकर खाने वाला समोसा? दिलचस्प है इतिहास

भारत में कैसे और कहां से आया चटकारे लेकर खाने वाला समोसा? दिलचस्प है इतिहास
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 01:42 AM
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Samosa : अक्सर हमारे घर मेहमान आए या बारिश का मौसम हो या कुछ चटपटा खाने का मन करने लगे, तो पहली पंसद समोसा ही होता है। हरी तीखी चटनी के साथ समोसे का स्वाद दोगुना बढ़ जाता है। धनिया और मसालों के बेजोड़ स्वाद वाला समोसा खाकर आत्मा तृप्त सी हो जाती है। ज्यादतर लोगों को समोसा बेहद ही पंसद होता है। ये समोसा गली के नुक्कड़ों से लेकर फाइव स्टार्स रेस्टोरेंट्स तक, हर जगह अलग अंदाज में आपको मिलेगा। समोसे का स्वाद भी बहुत ही लजीज होता है, इसे भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में पसंद किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते जिस समोसे को आप इतने चटकारे लेकर खाते है ये भारतीय डिश में नहीं आता। आइए जानते आखिर भारत में सबसे ज्यादा पंसद किया जाने वाला समोसा यहां आया कैसे?

भारत में कैसे आया समोसा Samosa

समोसा शब्द फारसी शब्द 'सम्मोकसा' से लेकर बनाया गया है। माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति 10वीं शताब्दी से पहले मध्य पूर्व में हुई थी। ईरानी व्यंजन 'संबुश्क' (sanbusak) से प्रेरित होकर, भारत में इसका रूपांतरण 'समोसा' के रूप में किया गया है। कई जगहों पर इसे Sambusa या samusa के नाम से भी जाना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि भारत के कई राज्यों में ही इस चटपटे समोसे के अनोखे नाम से जानते है। आपको जानकर हैरानी होगी की बिहार और पश्चिम बंगाल समोसे को सिंघाड़ा कहा जाता है।

मध्य पूर्व से भारत का सफर Samosa

इसके तिकोने आकार के पीछे कोई खास वजह तो नहीं है, लेकिन मुमकिन है कि यह मध्य पूर्वी खासतौर से ईरान की संस्कृति से प्रभावित हो। 11वीं सदी के इतिहासकार अबुल-फजल बेहाकी ने अपनी रचनाओं में पहली बार इस तरह के नमकीन व्यंजन के बारे में जिक्र किया था, जिसमें कीमा और मावे की फिलिंग हुआ करती थी। यह इस बात का संकेत है कि समोसे जैसे व्यंजन मध्य पूर्व में काफी समय से लोकप्रिय थे। वहीं कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मध्य पूर्व से काम की तलाश में आने वाले शेफ्स ने भारत में इसकी शुरुआत की, वहीं कुछ इसे वहां से आने वाले व्यापारियों की देन मानते हैं। भारत में समोसा जिसने भी खाया, वह इसका दीवाना होता चला गया। खासतौर पर राजाओं को यह डिश बेहद पसंद हुआ करती थी। 9वीं सदी में ईशाक इब्न इब्राहिम-अल-मौसिली भी अपनी एक कविता में 'संबुसाज' यानी समोसे का जिक्र किया है।

समोसे में लगा भारतीय मसालों का तड़का

आपको बता दें कि भारत में आने के बाद समोसा ने एक अलग ही अंदाज ले लिया इसके अंदर आलू की स्टफिंग का इस्तेमाल किया जाने लगा। इतनी ही नहीं अब तो लोग कई तरह के समोसे बनाने लगे है। जिनमें मेवे से भरा मीठा समोसा भी भारतीयों की पंसद है। लेकिन जो बात आलू समोसे में वह कहीं नहीं। शाम की स्नैक हो या घर पर आए मेहमानों की मेहमान नवाजी बिना समोसे के पूरी होती ही नहीं। चाहे आप सड़क किनारे के ठेले पर खड़े हों या फिर किसी फैंसी रेस्तरां में। आपको हर गली नुक्कड़ पर इसका स्वाद चखने को मिल जाएगा। samosa tasty snacks

अकबर के दरबार की शान बना समोसा

मुगलों ने भारत पर लंबे वक्त तक राज किया। खासतौर पर अकबर (सन् 1556 से 1605 ई. ) का शासन उत्तर भारत से लेकर दक्षिण के कई राज्यों तक रहा। अकबर के दरबार के नवरत्नों में शामिल थे अबुल फजल। अबुल फजल ने अपनी किताब 'आइन-ए-अकबरी' में इस बात का जिक्र किया है कि मुगल दरबार में समोसा काफी ज्यादा पसंद किया जाता था। भारत में अंग्रेजों का शासन लगभग 200 साल तक रहा और उन्हें भी समोसे के स्वाद ने अपना दीवाना बना लिया। Samosa samosa spicy snacks main

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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बुलडोजर एक्शन पर लगाई रोक

Supreme Court
Supreme Court
locationभारत
userचेतना मंच
calendar17 Sep 2024 08:45 PM
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Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर एक बड़ा फैसला सुनाया है। दरअसल बुलडोजर एक्शन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इसपर रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह रोक अगले आदेश तक लगाई है। अदालत ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना बुलडोजर एक्शन नहीं किया जाएगा। कोर्ट का ये आदेश निजी सपंत्ति पर होने वाले एक्शन को लेकर है।

बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक Supreme Court

फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि 1 अक्टूबर तक बिना उसकी अनुमति के कहीं भी बुलडोजर से किसी प्रॉपर्टी को नहीं गिराया जाएगा।। हालांकि अदालत ने साफ किया कि अगर सार्वजनिक सड़क, फुटपाथ, रेलवे लाइन पर किसी भी तरह का अतिक्रमण दिखाई दे, उसे हटाया जा सकता है। इसपर रोक नहीं है।

अल्पसंख्यकों को बनाया जा रहा है निशाना

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहुत सारी याचिकाएं डाली गई थीं।याचिकाकर्ताओं में जमीयत उलेमा ए हिंद भी शामिल है। उसका कहना है कि बीजेपी शासित राज्यों में बुलडोजर से आरोपियों का घर दुकान आदि को गिराया जा रहा है। इस कार्रवाई में ज्यादातर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। आरोपियों का दोष साबित होने के पहले ऐसी कार्रवाई किसी भी तरीके से उचित नहीं है। Supreme Court

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कुल्हाड़ी पर पैर मार दिया है कांग्रेस के बड़े नेताओं ने

कुल्हाड़ी पर पैर मार दिया है कांग्रेस के बड़े नेताओं ने
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 06:07 PM
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Haryana : एक पुरानी कहावत है-"अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना।" इस कहावत से आगे बढक़र हरियाणा के चुनाव में कांग्रेस ने तो कुल्हाड़ी पर पैर मार दिया है। हरियाणा की तिगांव विधानसभा सीट पर रोहित नागर  को टिकट देकर कांग्रेस ने कुल्हाड़ी पर पैर मारने का काम किया है। यह बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि राजनीतिक विश्लेषक बता रहे हैं। विश्लेषकों का दावा है कि हरियाणा की तिगांव विधानसभा सीट पर पुराने कांग्रेसी नेता ललित नागर की जीत पक्की है। ललित नागर की पक्की जीत होने का समीकरण बनने के बावजूद एक अनजान युवक रोहित नागर को टिकट देकर कांग्रेस नेतृत्व ने कुल्हाड़ी पर पैर मारा है।

कोई नहीं जानता रोहित नागर को Haryana

विश्लेषकों का कहना है कि जिस रोहित नागर को कांग्रेस ने तिगांव सीट पर उतारा है। उस रोहित नागर को पूरे क्षेत्र में कोई नहीं जानता है। ललित नागर जैसे स्थापित नेता का टिकट काटकर रोहित नागर को टिकट देने का फैसला किसी के भी गले से नीचे नहीं उतर रहा है। क्षेत्र की जनता को समझ में नहीं आ रहा है कि इतनी बड़ी गलती कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी के नेता कैसे कर सकते हैं ? टिकट कटने के बाद ललित नागर ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरा है। पूरे तिगांव विधानसभा क्षेत्र में हर किसी की जबान पर ललित नागर का नाम मौजूद है। तिगांव क्षेत्र की राजनीति की समझ रखने वाले विश्लेषकों का दावा है कि इस क्षेत्र में ललित नागर की जीत अभी भी पक्की है। विश्लेषक यह भी बता रहे हैं कि कांग्रेस प्रत्याशी बने रोहित नागर चुनाव लडऩे की बजाय अपने पुराने विवादों से पीछा छुड़ाने में ही व्यस्त हैं। रोहित नागर के सोशल मीडिया एकाउंट पर अनेक आपत्तिजनक तस्वीरें तथा वीडियो मौजूद थे। कांग्रेस का प्रत्याशी बनने के बाद रोहित नागर ने सारे विवादित तथा आपत्तिजनक फोटो तथा वीडियो अपने सोशल मीडिया एकाउंट से हटा दिए हैं। क्षेत्र के नागरिकों का साफ कहना है कि फोटो हटाने से किसी का चरित्र नहीं बदल जाता है। सब जानते हैं कि रोहित नागर के क्रिया कलाप क्या-क्या रहे हैं।

रोहित नागर के मामा उतरे विरोध में

इस बीच हरियाणा की तिगांव विधानसभा सीट पर एक मुद्दा और चर्चा का विषय बन गया है। तिगांव क्षेत्र के गांव-गांव में एक व्यक्ति अर्द्धनग्न होकर कांग्रेस प्रत्याशी रोहित नागर के विरोध में प्रचार कर रहा है। जानकारी करने पर पता चला है कि अर्द्धनग्न होकर रोहित नागर का विरोध करने वाले व्यक्ति का नाम मनीराम भड़ाना है। मनीराम भड़ाना कांग्रेस प्रत्याशी रोहित नागर के सगे मामा हैं। रोहित नागर के मामा मनीराम भरना। - Dainik Bhaskar

क्यों उतरे हैं मामा विरोध में

तिगांव विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रोहित नागर के मामा मनीराम भड़ाना अर्द्धनग्न होकर अपने भांजे के खिलाफ चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इस अनोखे प्रचार अभियान के बीच मनीराम भड़ाना ने चेतना मंच को बताया कि रोहित नागर के पिता का नाम यशपाल नागर है। उन्होंने बताय कि रोहित नागर के पिता यशपाल नागर उनके सगे बहनोई हैं। लेकिन बावजूद उसके उन्होंने उनके साथ 60 लाख रुपए की बेईमानी की और प्रॉपर्टी में भी उनके साथ धोखाधड़ी की। जिसकी शिकायत मैं 2009 से करता आ रहा हूं। मनीराम भड़ाना ने बताया कि यशपाल नागर ने उन्हें कई बार कभी घर तो कभी ऑफिस बुलाया। लेकिन उनके रुपए नहीं दिए। पुलिस से साथ गांठ कर उनके केस को दबा दिया। जिसके चलते पिछले लगभग 1 साल से फरीदाबाद के लघु सचिवालय के बाहर ही अर्धनग्न अवस्था में धरने पर बैठा हुआ हूं। लेकिन बावजूद उसके उन्हें अभी तक कहीं से न्याय मिलता नजर नहीं आ रहा इसलिए वह चाहते हैं कि ऐसे बेईमानों को वोट न दी जाए, जो लोगों के साथ धोखाधड़ी करते हैं। एक बार फिर बता दें कि रोहित नागर ने कभी पार्षद का भी चुनाव तक नहीं लड़ा है। लेकिन पार्टी ने अनजान चेहरे रोहित नागर पर विश्वास जताया और पूर्व में कांग्रेस की सरकार में विधायक रहे ललित नागर का टिकट काट दिया। Haryana

उत्तर प्रदेश में जल्दी ही बनेगा नया जिला, सरकार ने शुरू कर दी तैयारी

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