Bollywood- जन्मदिन के खास मौके पर जाने एक्टर कादर खान की संघर्ष की कहानी, बहुत शानदार रहा उनका फिल्मी कैरियर


पंजाबी सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ इन दिनों विवादों में घिर गए हैं। वजह है, हाल ही में उनका टीवी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में जाना और वहां बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के पैर छूकर आशीर्वाद लेना। इस दृश्य के सामने आते ही खालिस्तानी संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ) भड़क उठा और दिलजीत के आगामी 1 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया में होने वाले कॉन्सर्ट को रद्द कराने की धमकी दी है। Diljit Dosanjh
यह वही दिन है जिसे अकाल तख्त साहिब ने ‘सिख नरसंहार स्मरण दिवस’ घोषित किया हुआ है। SFJ का आरोप है कि अमिताभ बच्चन ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान “खून का बदला खून” जैसे नारे देकर भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया था, जिससे देशभर में हजारों निर्दोष सिखों की जान गई थी। Diljit Dosanjh
SFJ के जनरल काउंसल गुरपतवंत सिंह पन्नू ने बयान जारी करते हुए कहा अमिताभ बच्चन जिनके शब्दों ने 1984 में सिखों के खिलाफ हिंसा को भड़काया, उनके चरण छूकर दिलजीत दोसांझ ने हर उस पीड़ित, विधवा और अनाथ का अपमान किया है जिसने उस भयावह त्रासदी को झेला। यह सिर्फ अज्ञानता नहीं, बल्कि विश्वासघात है। पन्नू ने कहा कि “जिन लोगों को जिंदा जलाया गया, जिन महिलाओं का सम्मान लूटा गया, उनकी राख अभी ठंडी नहीं हुई। ऐसे में कोई भी सिख, जिसकी अंतरात्मा जिंदा है, स्मरण दिवस पर उत्सव नहीं मना सकता।
संगठन का कहना है कि 41 साल बीत जाने के बाद भी 1984 की हिंसा के लिए किसी भी राजनीतिक या फिल्मी शख्सियत को जवाबदेह नहीं ठहराया गया, बल्कि कई लोगों को सम्मान और पुरस्कार तक दिए गए। SFJ के अनुसार, “अब जबकि दुनिया सिख नरसंहार को याद करती है, दिलजीत दोसांझ जैसे वैश्विक आइकन इस महीने को मनोरंजन और व्यापार का जरिया बना रहे हैं। यह पीड़ितों के प्रति असंवेदनशीलता है।”
खालिस्तानी संगठन ने अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गरगज को पत्र भेजकर आग्रह किया है कि दिलजीत दोसांझ को तलब किया जाए और उनसे 2010 के तख्त फरमान के तहत स्पष्टीकरण मांगा जाए।
इस फरमान में नवंबर माह को ‘सिख नरसंहार स्मरण माह’ घोषित किया गया था और 1 नवंबर को प्रतिवर्ष ‘नरसंहार स्मरण दिवस’ के रूप में मनाने का निर्देश दिया गया था। Diljit Dosanjh
सूत्रों के अनुसार, SFJ ने ऑस्ट्रेलिया में दिलजीत दोसांझ के कॉन्सर्ट स्थल के बाहर रैली आयोजित करने का प्लान बनाया है। संगठन ने दुनियाभर के सिख संस्थानों, कलाकारों और प्रशंसकों से अपील की है कि वे 1984 के नरसंहार से जुड़े किसी भी व्यक्ति या संस्था के साथ कोई सहयोग या कार्यक्रम न करें।पन्नू ने कहा - हम कभी भी हत्यारों के प्रतीकों को पीड़ितों की याद के साथ एक मंच साझा नहीं करने देंगे। यह मज़ाक अब खत्म होना चाहिए — क्योंकि स्मृति बिकाऊ नहीं होती और नरसंहार को तालियों के बीच सामान्य नहीं किया जा सकता। Diljit Dosanjh


