Friday, 29 March 2024

Drishyam 2 Review- सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर फिल्म दृश्यम 2 के क्लाइमेक्स भी मजेदार, टर्न और ट्विस्ट से भरी है फिल्म

Drishyam 2 Review- 2 अक्टूबर की तारीख जितनी महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिन के लिए जानी जाती…

Drishyam 2 Review- सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर फिल्म दृश्यम 2 के क्लाइमेक्स भी मजेदार, टर्न और ट्विस्ट से भरी है फिल्म

Drishyam 2 Review- 2 अक्टूबर की तारीख जितनी महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिन के लिए जानी जाती है, उतनी ही पॉपुलर यह तारीख पिछले 7 सालों से फिल्म दृश्यम के लिए भी हो चुकी है। 7 साल पहले जब साल 2015 में अजय देवगन और तब्बू की फिल्म दृश्यम का पहला पार्ट रिलीज हुआ, उसके बाद से ही हर साल 2 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री और गांधी जी के साथ साथ ही फिल्म दृश्यम की यादें भी लोगों के दिल में ताजा हो जाती थी। फिल्म के पहले पार्ट में विजय सालगांवकर यानी अजय देवगन ने अपने परिवार को पुलिस से बचाने के लिए 2 अक्टूबर के दिन की कहानी बनाकर ही एक जाल बिछाया था। फिल्म में इस दिन का जिक्र इतनी बार हुआ कि ये दिन दर्शकों की जहन में फिल्म दृश्यम के नाम से भी बस गया।

फिल्म दृश्यम का पहला पार्ट दर्शकों को बेहद पसंद आया था। ऐसे में जब इसके दूसरे पार्ट का अनाउंसमेंट हुआ उसके बाद से ही दर्शकों को इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार था। आखिरकार दर्शकों का इंतजार अब खत्म हो गया है आज ये फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। आइए जानते हैं यह फिल्म दर्शकों की उम्मीदों पर कितनी खरी उतरी है?

क्या है दृश्यम 2 की कहानी –

विजय सालगांवकर का यह डायलॉग कि- “मैं अपनी फैमिली के बिना जी नहीं सकता उनके लिए कुछ भी कर सकता हूं फिर दुनिया मुझे मतलबी कहे या खुदगर्ज”, दृश्यम 1 से लेकर दृश्यम 2 तक फिल्म की कहानी का मूल आधार है। फिल्म के पहले पार्ट में आप सब ने देखा था कि अपने परिवार को बचाने के लिए किस तरह से विजय सालगांवकर (Ajay Devgan) ने एक जाल बिछाया था। और उसने अपने परिवार को बचा भी लिया था। अब अगले पार्ट में यह दिखाया गया है कि “सच पेड़ के बीच की तरह होता है जितना भी दफना लो एक ना एक दिन बाहर आ ही जाता है।” 7 साल बाद दृश्यम टू (Drishyam 2) में अतीत का काला सच एक बार फिर उभर कर सामने आ जाता है। ऐसे में अब यह देखने वाली बात होगी कि परिवार को बचाने के लिए किसी भी हद तक गुजर जाने वाला विजय सालगांवकर इस बार अपने परिवार को बचाने के लिए क्या करेगा।

फिल्म के दूसरे पार्ट में अभिनेता अक्षय खन्ना की एंट्री फिल्म को और भी मजेदार बना दिया है। फिल्म सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर है। जिस में जगह-जगह पर मजेदार टर्न और ट्विस्ट देखने को मिलेगा।

कहानी की शुरुआत वहां से होती है जहां से 7 साल पहले विजय एक फावड़ा लेकर पुलिस स्टेशन से बाहर निकलता है। उसे लगता है कि उसके अपराध का कोई भी गवाह नहीं हो सकता। इसके बाद कहानी की शुरुआत होती है आज के समय में जब विजय अपने सपनों को पूरा करके 1 सिनेमा हॉल का मालिक बन चुका है। और खुद की लिखी कहानी पर फिल्म बनाने की तैयारी कर रहा है उसकी बेटी अंजू अभी भी अतीत की घटनाओं से सदमे में है जिसकी वजह से उसे मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। छोटी बेटी अनु टीनएज में आ चुकी है, और पत्नी नंदिनी पड़ोस में आई जेनी से अपना सुख दुख बांटती रहती है। आर्थिक रूप से मजबूत हो चुके विजय सालगांवकर के लिए समाज में तरह-तरह की भ्रांतिया फैली हुई है। उसके बारे में लोगों में यही बातचीत होती है कि क्या विजय ने सच में वह अपराध किया था या नहीं? कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब गोवा में नए आईजी तरुण अहलावत यानी अक्षय खन्ना की एंट्री होती है। तरुण यानी अक्षय खन्ना मीरा देशमुख यानी तब्बू के दोस्त हैं। पहले पार्ट में पति के साथ लंदन में जा बसी मीरा देशमुख अपने बेटे की पुण्यतिथि पर गोवा आई हुई है। अपने दोस्त के साथ मिलकर एक बार फिर मेरा विजय से सच उगलवा कर उसे और उसके परिवार को जेल के सलाखों के पीछे डालना चाहती है। इसी बीच तरुण अहलावत के साथ एक मजबूत सुराग लगता है। और फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है।

साल 2015 में फिल्म की कहानी जहां से छोटी थी उसी के आगे की कहानी दृश्यम 2 (Drishyam 2) देखने को मिलेगी।

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