Meesho ने लगाई लंबी छलांग, बाजार में उड़ाया गर्दा

मीशो IPO 2025 ने शेयर बाजार में इतिहास रच दिया है। मीशो के शेयरों में लिस्टिंग के बाद करीब 95 फीसदी की जबरदस्त तेजी दर्ज की गई जिससे कंपनी की वैल्यूएशन में लगभग 47,000 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। यूबीएस की बाय रेटिंग के बाद मीशो 2025 का सबसे सफल बड़ा आईपीओ बनकर उभरा है।

Meesho IPO
लिस्टिंग के बाद उड़ान पर मीशो के शेयर
locationभारत
userअसमीना
calendar18 Dec 2025 02:31 PM
bookmark

भारत के शेयर बाजार में साल 2025 कई बड़े आईपीओ लेकर आया लेकिन इन सभी के बीच मीशो (Meesho) ने ऐसा धमाकेदार प्रदर्शन किया कि दिग्गज कंपनियां भी पीछे छूट गईं। लिस्टिंग के बाद से ही Meesho के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली और कंपनी ने निवेशकों की वैल्यू में लगभग 47,000 करोड़ रुपये का इजाफा कर दिया। यही वजह है कि मीशो को अब 2025 का सबसे सफल बड़ा आईपीओ माना जा रहा है।

Meesho बना टॉप IPO

मीशो का आईपीओ 10 दिसंबर को शेयर बाजार में लिस्ट हुआ था, जिसमें कंपनी ने करीब 5,421 करोड़ रुपये जुटाए थे। आईपीओ के समय प्राइस बैंड के ऊपरी स्तर पर कंपनी का वैल्यूएशन लगभग 50,100 करोड़ रुपये था। लेकिन लिस्टिंग के कुछ ही समय बाद मीशो का मार्केट कैप बढ़कर करीब 97,600 करोड़ रुपये या लगभग 11 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इसका सीधा मतलब है कि लिस्टिंग के बाद निवेशकों की कुल वैल्यू में लगभग 47,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है जो किसी भी आईपीओ के लिए बेहद बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।

मजबूत लिस्टिंग के साथ शुरू हुआ मीशो

मीशो के शेयरों में यह जबरदस्त उछाल मजबूत लिस्टिंग के साथ शुरू हुआ। कंपनी का शेयर 162 रुपये के भाव पर लिस्ट हुआ जो इश्यू प्राइस से करीब 46 फीसदी प्रीमियम पर था। पहले ही दिन शेयर का क्लोजिंग प्राइस लगभग 170 रुपये रहा और इसके बाद तेजी का सिलसिला लगातार जारी रहा। हाल ही में यूबीएस (UBS) की ‘बाय’ कॉल के बाद शेयर में एक ही सत्र में करीब 20 फीसदी की तेजी देखने को मिला जिससे कुल रिटर्न इश्यू प्राइस से लगभग 95 फीसदी तक पहुंच गया।

मीशो का टारगेट प्राइस

ब्रोकरेज हाउस यूबीएस ने मीशो को लेकर बेहद सकारात्मक रुख अपनाया है। यूबीएस ने कंपनी को ‘बाय’ रेटिंग देते हुए 220 रुपये का टारगेट प्राइस तय किया है। ब्रोकरेज का मानना है कि मीशो का एसेट-लाइट बिजनेस मॉडल और नेगेटिव वर्किंग कैपिटल स्ट्रक्चर इसे दूसरी इंटरनेट-आधारित कंपनियों से अलग बनाता है। यही मॉडल कंपनी को लगातार पॉजिटिव कैश फ्लो जनरेट करने में मदद कर रहा है जो लॉन्ग टर्म में ग्रोथ के लिए बेहद जरूरी होता है।

बढ़ सकता है ग्रोथ रेट

यूबीएस के अनुमान के मुताबिक, मीशो का नेट मर्चेंडाइज वैल्यू वित्त वर्ष 2025 से वित्त वर्ष 2030 के बीच करीब 30 फीसदी की कंपाउंड ग्रोथ रेट से बढ़ सकता है। इसके पीछे ट्रांजैक्शन करने वाले यूजर्स की तेज़ी से बढ़ती संख्या और ऑर्डर फ्रीक्वेंसी में हो रही वृद्धि को मुख्य कारण माना जा रहा है। जैसे-जैसे कंपनी का स्केल बढ़ रहा है वैसे-वैसे इसके कंट्रीब्यूशन मार्जिन और एडजस्टेड EBITDA मार्जिन में भी सुधार देखने को मिल रहा है।

बड़े नामों का प्रदर्शन रहा कमजोर

अगर 2025 के अन्य बड़े आईपीओ से मीशो की तुलना की जाए तो इसका प्रदर्शन साफ तौर पर सबसे आगे नजर आता है। इस साल 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाने वाली कंपनियों में ग्रोव अपने इश्यू प्राइस से करीब 43 फीसदी ऊपर है जबकि एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने लगभग 36 फीसदी की बढ़त दिखाई है। वहीं हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज अपने इश्यू प्राइस से सिर्फ 8 फीसदी से थोड़ा अधिक ऊपर है। एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज, लेंसकार्ट और टाटा कैपिटल जैसे बड़े नामों का प्रदर्शन भी मीशो के मुकाबले काफी कमजोर रहा है।

निवेशकों की नजर किस पर?

विश्लेषकों के मुताबिक मीशो के शेयरों में उतार-चढ़ाव का एक कारण इसका सीमित फ्री-फ्लोट भी है। बड़े निवेशकों की मजबूत हिस्सेदारी के चलते बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध शेयर कम हैं। ऐसे में मांग में हल्की बढ़ोतरी या सप्लाई में कमी भी कीमतों में बड़ा असर डाल सकती है। कंपनी के लॉक-इन शेयरों का पहला सेट अगले साल 6 जनवरी को खुलेगा जिस पर निवेशकों की खास नजर बनी हुई है।

Meesho की सफलता का सबसे बड़ा कारण

मीशो की इस सफलता के पीछे इसकी बिजनेस स्ट्रैटेजी सबसे बड़ा कारण मानी जा रही है। कंपनी कम औसत ऑर्डर वैल्यू, ज्यादा यूजर पार्टिसिपेशन और खर्चों पर सख्त कंट्रोल पर फोकस करती है। इसके अलावा, मीशो की बेहतर लॉजिस्टिक्स एफिशिएंसी का फायदा सीधे सेलर्स और ग्राहकों को मिलता है। इससे भले ही औसत ऑर्डर वैल्यू कम रहे लेकिन ओवरऑल इकोसिस्टम का विस्तार होता है और कुल सेल्स वॉल्यूम में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिलती है।

संबंधित खबरें

अगली खबर पढ़ें

बाजार में आई ‘सफेद आंधी’, चांदी ने तोड़ दिए सारे रिकॉर्ड

चांदी की कीमतों में ऐतिहासिक तेजी देखने को मिल रही है और वायदा बाजार में इसके दाम 2.07 लाख रुपये के पार पहुंच चुके हैं। इंडस्ट्रियल और निवेश मांग में बढ़ोतरी, सप्लाई की कमी, रुपये की कमजोरी और फेड की संभावित रेट कट जैसे बड़े कारणों से चांदी में जबरदस्त उछाल आया है।

चांदी ने बनाया नया रिकॉर्ड
सातवें आसमान पर चांदी
locationभारत
userअसमीना
calendar18 Dec 2025 02:06 PM
bookmark

बीते कुछ समय से कमोडिटी बाजार में चांदी ने ऐसा तूफान मचाया है जिसे विशेषज्ञ ‘सफेद आंधी’ कह रहे हैं। देश के वायदा बाजार में चांदी की कीमतें 2.07 लाख रुपये के पार निकलकर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। यह तेजी अचानक नहीं आई है बल्कि इसके पीछे ग्लोबल और घरेलू स्तर पर कई मजबूत कारण काम कर रहे हैं। इंडस्ट्री से लेकर निवेशकों तक हर कोई चांदी की ओर आकर्षित हो रहा है।

चांदी ने सोने को पछाड़ा

सबसे पहले अगर चांदी के प्रदर्शन की बात करें तो हाल के महीनों में इसने सोने को भी पीछे छोड़ दिया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉमेक्स पर चांदी पहली बार 66 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंच गई है। मार्च 2026 के वायदा कांट्रैक्ट में यह अपने लाइफटाइम हाई पर कारोबार करती दिखी। मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐतिहासिक रूप से जब भी कीमती धातुओं में बड़ी तेजी आती है तो चांदी का प्रदर्शन सोने से बेहतर रहता है। लंबे समय तक कमजोर रहने के बाद अब चांदी की जबरदस्त वापसी देखने को मिल रही है।

चांदी की कीमतों में तेजी का कारण

चांदी की कीमतों में तेजी का दूसरा बड़ा कारण इसकी इंडस्ट्रियल और इंवेस्टमेंट डिमांड में जबरदस्त उछाल है। सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में चांदी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। इसके साथ ही निवेशकों ने भी चांदी को सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में अपनाया है। सिल्वर ETF में लगातार मजबूत निवेश देखने को मिल रहा है जिससे बाजार में मांग और ज्यादा मजबूत हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यही वजह है कि इस साल चांदी की कीमतों में 100 फीसदी से ज्यादा की तेजी का मजबूत आधार तैयार हुआ है।

आखिर चांदी में इतनी तेजी क्यों?

तीसरा अहम कारण है सप्लाई और प्रोडक्शन में लगातार आ रही कमी। वैश्विक स्तर पर चांदी की सप्लाई लगातार पांचवें साल घाटे में बनी हुई है। खनन लागत बढ़ना, नए प्रोजेक्ट्स की कमी और सीमित उत्पादन ने सप्लाई को कमजोर कर दिया है। जब मांग बढ़ती है और सप्लाई घटती है तो कीमतों में तेजी आना स्वाभाविक है। यही स्थिति इस समय चांदी के बाजार में साफ दिखाई दे रही है।

चांदी की कीमतों को और मिल सकता है सपोर्ट

चांदी की कीमतों पर करेंसी का असर भी साफ नजर आ रहा है। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर हुआ है और इस साल करीब 6 फीसदी तक गिर चुका है। चूंकि चांदी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर में तय होती हैं इसलिए रुपये की कमजोरी का सीधा असर घरेलू कीमतों पर पड़ता है। जानकारों का मानना है कि 2026 की पहली छमाही तक रुपये पर दबाव बना रह सकता है जिससे चांदी की कीमतों को और सपोर्ट मिल सकता है। इसके अलावा अमेरिका की इकोनॉमिक स्थिति और फेडरल रिजर्व की नीतियां भी चांदी को मजबूती दे रही हैं। हालिया जॉब डेटा और बढ़ती बेरोजगारी दर के संकेत बताते हैं कि फेड आने वाले समय में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। ब्याज दरें घटने का मतलब है कि कीमती धातुओं में निवेश और ज्यादा आकर्षक हो जाता है। यही वजह है कि निवेशक पहले से ही चांदी में पोजिशन बना रहे हैं।

चांदी ने कच्चे तेल को भी छोड़ा पीछे

एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि चांदी ने कच्चे तेल को भी पीछे छोड़ दिया है। 40 साल बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब चांदी की कीमत कच्चे तेल से ऊपर निकल गई है। यह संकेत देता है कि भविष्य में चांदी सिर्फ ज्वेलरी या निवेश तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि यह ऊर्जा और इंडस्ट्रियल मेटल की तरह रणनीतिक महत्व रखेगी। अगर भारतीय बाजार की बात करें तो मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर चांदी ने 2,07,833 रुपये प्रति किलो का लाइफटाइम हाई बनाया है। हालांकि हल्की मुनाफावसूली के कारण इसमें मामूली गिरावट देखने को मिल रही है लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह गिरावट अस्थायी है। मजबूत फंडामेंटल्स के चलते चांदी आने वाले महीनों में फिर नई ऊंचाइयों को छू सकती है।

संबंधित खबरें

अगली खबर पढ़ें

अरे ये क्या हो गया! लिस्टिंग डे पर ही निवेशकों को तगड़ा झटका

शिपवेव्स ऑनलाइन के ₹12 वाले शेयर BSE SME पर लिस्ट होते ही लोअर सर्किट में पहुंच गए। जानिए Shipwaves IPO में निवेशकों को कितना नुकसान हुआ, सब्सक्रिप्शन स्टेटस, शेयर प्राइस, कंपनी का बिजनेस मॉडल, वित्तीय सेहत और IPO से जुटाए गए पैसों का पूरा इस्तेमाल।

Shipwaves IPO Listing
लिस्टिंग डे पर Shipwaves शेयर धड़ाम
locationभारत
userअसमीना
calendar17 Dec 2025 12:03 PM
bookmark

शेयर बाजार में आईपीओ निवेशकों के लिए लिस्टिंग डे सबसे अहम होता है क्योंकि यहीं से यह तय होता है कि निवेश फायदे में जाएगा या नुकसान में। लेकिन Shipwaves Online Digital Freight Forwarding IPO में पैसा लगाने वाले खुदरा निवेशकों को लिस्टिंग के पहले ही दिन बड़ा झटका लगा। ₹12 के इश्यू प्राइस पर आए इस आईपीओ के शेयर न तो कोई लिस्टिंग गेन दे पाए और न ही बाजार में टिक पाए। लिस्ट होते ही शेयर लोअर सर्किट में पहुंच गया जिससे निवेशकों में निराशा साफ नजर आई। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर Shipwaves IPO की लिस्टिंग इतनी कमजोर क्यों रही और कंपनी की असली कारोबारी सेहत कैसी है।

Shipwaves IPO Listing में क्या हुआ?

Shipwaves Online के शेयर आज BSE SME प्लेटफॉर्म पर लिस्ट हुए। कंपनी ने आईपीओ में ₹12 प्रति शेयर का भाव तय किया था और उसी कीमत पर इसकी लिस्टिंग भी हुई लेकिन असली झटका इसके बाद लगा, जब शेयर टूटकर सीधे ₹11.40 के लोअर सर्किट पर आ गया। इसका मतलब यह हुआ कि लिस्टिंग के पहले ही दिन निवेशक करीब 5% के नुकसान में चले गए। SME सेगमेंट में यह गिरावट निवेशकों के भरोसे को कमजोर करने वाली मानी जा रही है।

IPO को निवेशकों का रिस्पॉन्स कैसा मिला था?

Shipwaves Online का ₹56.35 करोड़ का आईपीओ 10 दिसंबर से 12 दिसंबर तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था। हालांकि इसे निवेशकों से बहुत मजबूत प्रतिक्रिया नहीं मिली। कुल मिलाकर यह आईपीओ सिर्फ 1.64 गुना सब्सक्राइब हुआ। सबसे कमजोर हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII) का रहा, जो केवल 0.36 गुना ही भर पाया। वहीं खुदरा निवेशकों की दिलचस्पी अपेक्षाकृत ज्यादा रही और उनका कोटा 2.92 गुना सब्सक्राइब हुआ। विशेषज्ञों के मुताबिक, संस्थागत निवेशकों की कम भागीदारी का असर लिस्टिंग पर साफ दिखाई दिया।

Shipwaves IPO से जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल कहां होगा?

इस आईपीओ के तहत कंपनी ने ₹1 फेस वैल्यू वाले कुल 4.69 करोड़ से ज्यादा नए शेयर जारी किए हैं। IPO से जुटाई गई रकम का बड़ा हिस्सा कंपनी अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म को मजबूत करने में लगाएगी। लगभग ₹7.35 करोड़ LMS (लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट सिस्टम) में नए फीचर्स जोड़ने, नए प्रोडक्ट्स और कोर्स डेवलप करने और लैपटॉप जैसी तकनीकी जरूरतों की खरीद पर खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा ₹5 करोड़ वर्किंग कैपिटल की जरूरतों के लिए रखे गए हैं जबकि बाकी रकम सामान्य कॉरपोरेट उद्देश्यों में उपयोग होगी।

Shipwaves Online का बिजनेस मॉडल क्या है?

Shipwaves Online की शुरुआत साल 2015 में हुई थी। यह कंपनी डिजिटल फ्रेट फारवर्डिंग और एंटरप्राइज SaaS सॉल्यूशंस के क्षेत्र में काम करती है। शिपिंग और लॉजिस्टिक्स सेक्टर के लिए कंपनी एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है जहां सड़क, हवा और समुद्र तीनों माध्यमों से ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज मिलती हैं। कंपनी का फोकस मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्टेशन को आसान और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन बनाना है जिससे लॉजिस्टिक्स कंपनियों और एंटरप्राइज क्लाइंट्स को ऑपरेशन्स में सुविधा मिले।

कंपनी की वित्तीय सेहत कितनी मजबूत है?

अगर Shipwaves Online की वित्तीय स्थिति पर नजर डालें तो आंकड़े ग्रोथ की कहानी जरूर बताते हैं। वित्त वर्ष 2023 में कंपनी ने ₹2.24 करोड़ का शुद्ध मुनाफा कमाया था। यह मुनाफा वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर ₹6.29 करोड़ और वित्त वर्ष 2025 में ₹12.20 करोड़ तक पहुंच गया। इसी दौरान कंपनी की कुल आय भी तेजी से बढ़ी और सालाना 25% से अधिक की CAGR के साथ ₹108.65 करोड़ तक पहुंच गई। चालू वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही यानी अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच कंपनी ने ₹4.68 करोड़ का शुद्ध मुनाफा और ₹41.71 करोड़ की कुल आय दर्ज की है। हालांकि सितंबर 2025 के अंत तक कंपनी पर कुल ₹40.04 करोड़ का कर्ज भी था जबकि रिजर्व और सरप्लस ₹21.32 करोड़ रहा। यही कर्ज का स्तर निवेशकों के लिए चिंता का एक कारण माना जा रहा है।

निवेशकों के लिए आगे क्या संकेत हैं?

Shipwaves IPO की कमजोर लिस्टिंग ने यह साफ कर दिया है कि सिर्फ ग्रोथ नंबर ही बाजार को खुश नहीं कर पाते। SME सेगमेंट में निवेश करते समय लिक्विडिटी, निवेशकों की भागीदारी और वैल्यूएशन बेहद अहम हो जाते हैं। कंपनी का बिजनेस मॉडल और लॉन्ग-टर्म ग्रोथ पोटेंशियल भले ही मजबूत दिखता हो लेकिन शॉर्ट-टर्म में शेयर में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। ऐसे में निवेशकों को जल्दबाजी में फैसला लेने के बजाय कंपनी के आगामी नतीजों और कर्ज की स्थिति पर नजर बनाए रखना जरूरी है।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। चेतना मंच की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।)

संबंधित खबरें