Tuesday, 5 December 2023

RBI Repo Rate: महंगाई से झटके को लेकर रहे तैयार, आरबीआई ने रेपो रेट में की बढ़ोतरी

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक (RBI) की बात करें बुधवार को अचानक से ही रेपो रेट (RBI Repo Rate) बढ़ाने का…

RBI Repo Rate: महंगाई से झटके को लेकर रहे तैयार, आरबीआई ने रेपो रेट में की बढ़ोतरी

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक (RBI) की बात करें बुधवार को अचानक से ही रेपो रेट (RBI Repo Rate) बढ़ाने का ऐलान किया जा चुका है। अब रेपो रेट एक झटके में देखा जाए तो 0.40 फीसदी बढ़ने के बाद 4.40 फीसदी तक पहुंच गया है। इसके अलावा आज के दौर में सस्ते लोन भी मिलना मुश्किल हो गया है। रिजर्व बैंक में देखा जाए तो इस ऐलान से लोगों के ऊपर ईएमआई (EMI) का बोझ बढ़ना काफी हद तक तय समझा जा रहा है।

अचानक हुई आरबीआई एमपीसी को लेकर बैठक

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को लेकर अचानक प्रेस कांफ्रेस कर जानकारी साझा किया है। गवर्नर दास ने कांफ्रेंस में जानकारी दिया है कि रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाने का फैसला लिया जा चुका है। उन्होंने कहा है कि सेंट्रल बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने इकोनॉमी वाले हालात को लेकर चर्चा हुई है। इस बैठक में एमपीसी को लेकर सदस्यों ने एकमत से रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाने का फैसला किया है। एमपीसी ने यह फैसला बेकाबू होती महंगाई की वजह बताई गई है।

इन फैक्टर्स से बेकाबू हो चुकी है महंगाई

आरबीआई गवर्नर को लेकर एमपीसी की बैठक के साथ मीडिया को संबोधित करते के दौरान जानकारी दिया है कि मार्च 2022 में खुदरा महंगाई तेजी से बढ़ना शुरु हो गई और 7 फीसदी पर पहुंच चुकी है।

सबसे अधिक खाने-पीने की चीजों की महंगाई की वजह से हेडलाइन सीपीआई इंफ्लेशन जिसका मतलब है कि खुदरा महंगाई तेजी से बढ़ना शुरु हो गई है। इसके अलावा जिओपॉलिटिकल टेंशन ने भी महंगाई को बढ़ाना शुरु कर दिया है।

जानकारी के मुताबिक रूस और यूक्रेन में महीनों से जारी जंग की वजह से गेहूं समेत कई अनाजों के दाम में बढ़ोतरी होना शुरु हो गई है। इस तनाव से ग्लोबल सप्लाई चेन पर भी बुरा असर पड़ना शुरु हो गया है।

महंगाई से नहीं मिलेगी राहत

चालू वित्त वर्ष में महंगाई को लेकर प्रेशर बने रहने की आशंका होना शुरु हो चुकी है। RBI के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में महंगाई दर 5.7 फीसदी के साथ रहने का अनुमान लगाया जा चुका है। शक्तिकांत दास ने इस महीने जानकारी दिया है कि महंगाई की दर पहली तिमाही में 6.3%, दूसरी तिमाही में 5%, तीसरी तिमाही में 5.4% और चौथी तिमाही में 5.1% तक पहुंच सकती है।

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