RBI का असर कम होते ही हांफने लगा रुपया, निवेशकों की बढ़ी टेंशन

RBI का असर कमजोर होने, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और डॉलर की मजबूत मांग के चलते रुपया एक बार फिर 90 के स्तर के करीब पहुंच गया है। जानिए डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट की असली वजहें, एक्सपर्ट्स की राय और आगे रुपया किस लेवल पर कारोबार कर सकता है।

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डॉलर के सामने लड़खड़ाया रुपया
locationभारत
userअसमीना
calendar26 Dec 2025 11:42 AM
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क्रिस्मस के बाद भारतीय करेंसी मार्केट में बड़ी हलचल देखने को मिली है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पकड़ कमजोर पड़ने, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और डॉलर की बढ़ती मांग के बीच रुपया एक बार फिर दबाव में आ गया है। हालात ऐसे बन चुके हैं कि डॉलर के मुकाबले रुपया 90 के बेहद करीब पहुंच गया है। जानकारों का मानना है कि अगर यही दबाव बना रहा तो आने वाले कारोबारी सत्रों में रुपया 90 का स्तर भी पार कर सकता है।

क्रिस्मस के बाद क्यों टूटा रुपया?

क्रिस्मस की छुट्टियों के बाद जैसे ही बाजार खुले, रुपए पर कई नकारात्मक फैक्टर्स एक साथ हावी हो गए। आरबीआई की तरफ से डॉलर सपोर्ट कम देखने को मिला वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने लगीं। इसके अलावा विदेशी निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालना जारी रखा जिससे डॉलर की मांग बढ़ गई और रुपया कमजोर होता चला गया।

शुक्रवार को कितने लेवल पर पहुंचा रुपया?

शुक्रवार के शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 23 पैसे गिरकर 89.94 पर पहुंच गया। इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज में रुपया 89.84 पर खुला था, लेकिन दिन चढ़ने के साथ इसमें और गिरावट देखने को मिली। इससे पहले बुधवार को भी रुपया 8 पैसे गिरकर 89.71 पर बंद हुआ था। यानी लगातार दूसरे कारोबारी दिन रुपये में कमजोरी दर्ज की गई।

लगातार गिरावट के पीछे मुख्य वजहें

रुपये की कमजोरी के पीछे कई अहम कारण सामने आए हैं। घरेलू शेयर बाजार में नकारात्मक माहौल, इंपोर्टर्स द्वारा डॉलर की बढ़ती खरीद, अमेरिका के साथ ट्रेड डील में देरी और वैश्विक अनिश्चितताओं ने निवेशकों का भरोसा कमजोर किया है। इसके चलते डॉलर मजबूत हो रहा है और रुपये पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

आंकड़ों से समझिए रुपये की कमजोरी

डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर की मजबूती दिखाता है, हल्की गिरावट के बावजूद 97.89 के स्तर पर बना हुआ है। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 62.34 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है जो भारत जैसे तेल आयातक देश के लिए नकारात्मक संकेत है। घरेलू शेयर बाजार में भी कमजोरी दिखी जहां सेंसेक्स 183 अंक और निफ्टी 46 अंक टूट गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सिर्फ दिसंबर महीने में 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी की है जिससे रुपये पर दबाव और बढ़ गया।

जानकार क्या कह रहे हैं?

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी हेड अनिल कुमार भंसाली के अनुसार, पिछले हफ्ते 89 के आसपास मजबूत होने के बाद कम ट्रेडिंग वॉल्यूम और छुट्टियों के दौरान डॉलर की खरीद ने रुपये को फिर कमजोर कर दिया है। उन्होंने बताया कि महीने के अंत में आमतौर पर डॉलर की मांग बढ़ जाती है और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल भी रुपये को कमजोर बना रहा है।

क्या 90 का लेवल पार करेगा रुपया?

बाजार विशेषज्ञों की मानें तो अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रही और डॉलर की मांग इसी तरह बनी रही, तो कारोबारी सत्र के दौरान रुपया 90 के स्तर को भी पार कर सकता है। हालांकि, आगे चलकर आरबीआई का हस्तक्षेप और वैश्विक संकेत रुपये की दिशा तय करेंगे।

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चांदी की तेजी ने बाजार में मचाया भूचाल, एक्सपर्ट्स भी रह गए दंग

चांदी ने बाजार में बड़ा धमाका कर दिया है। MCX पर चांदी की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है और 31 दिसंबर तक 2.5 लाख रुपये प्रति किलो पहुंचने की पूरी संभावना है। जानिए चांदी की तेजी के पीछे की वजह, एक्सपर्ट की राय, निवेशकों को मिला रिटर्न और सोने-चांदी के ताजा भाव की पूरी जानकारी।

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चांदी में जबरदस्त उछाल
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar26 Dec 2025 10:49 AM
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साल 2025 खत्म होने से ठीक पहले चांदी ने ऐसा धमाका किया है जिसकी उम्मीद शायद सबसे बड़े एक्सपर्ट्स को भी नहीं थी। अब तक माना जा रहा था कि चांदी मार्च 2026 तक 2.5 लाख रुपये प्रति किलो पहुंचेगी लेकिन मौजूदा हालात देखकर ये सारे अनुमान फेल होते नजर आ रहे हैं। जिस रफ्तार से चांदी के दाम बढ़ रहे हैं उससे साफ है कि 31 दिसंबर 2025 से पहले ही चांदी 2.5 लाख रुपये का आंकड़ा छू सकती है। चलिए जानते हैं आखिर चांदी में इतनी तूफानी तेजी क्यों आ रही है और आगे क्या हो सकता है।

एमसीएक्स पर चांदी ने बनाया नया रिकॉर्ड

क्रिसमस की छुट्टी के बाद शुक्रवार को जब देश का वायदा बाजार खुला तो चांदी ने तहलका मचा दिया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर चांदी के दाम में करीब 9,000 रुपये प्रति किलो की जबरदस्त तेजी देखने को मिली। सुबह चांदी 2,24,374 रुपये पर खुली थी, लेकिन कुछ ही घंटों में दाम बढ़कर 2,32,741 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए। यह अब तक का नया रिकॉर्ड लेवल है।

सिर्फ 18 हजार की दूरी पर 2.5 लाख का आंकड़ा

फिलहाल चांदी को 2.5 लाख रुपये के ऐतिहासिक स्तर तक पहुंचने के लिए 18,000 रुपये से भी कम की जरूरत है। खास बात यह है कि साल खत्म होने में अभी 5 दिन बाकी हैं जिनमें से 29, 30 और 31 दिसंबर को बाजार खुले रहेंगे। अगर इन तीन कारोबारी दिनों में तेजी जारी रहती है तो 2.5 लाख का आंकड़ा कोई बड़ी बात नहीं होगी।

2025 में निवेशकों की चांदी

मौजूदा साल चांदी निवेशकों के लिए किसी जैकपॉट से कम नहीं रहा है। पिछले साल के आखिरी कारोबारी दिन चांदी की कीमत 87,233 रुपये प्रति किलो थी जबकि अब यह 2.32 लाख रुपये के पार पहुंच चुकी है। इसका मतलब है कि 2025 में चांदी ने करीब 166% का शानदार रिटर्न दिया है और अगर 2.5 लाख तक पहुंचती है तो रिटर्न 200% के करीब भी जा सकता है।

क्यों फेल हो रहे हैं पुराने अनुमान?

अब तक ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना था कि चांदी मार्च 2026 तक 2.5 लाख रुपये पहुंचेगी, लेकिन मौजूदा हालात ने सारी गणनाएं बदल दी हैं। इसकी बड़ी वजह बढ़ता जियो-पॉलिटिकल टेंशन, इंस्ट्रियल डिमांड में जबरदस्त उछाल, ETF में निवेश बढ़ना, अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना, इंटरनेशनल मार्केट में चांदी का भाव 75 डॉलर के करीब पहुंचना है। इन सभी फैक्टर्स ने चांदी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है।

एक्सपर्ट की राय क्या कहती है?

वेल्थ मैनेजमेंट डायरेक्टर अनुज गुप्ता का कहना है कि मौजूदा समय में चांदी को मजबूत सपोर्ट मिल रहा है। इंडस्ट्रियल डिमांड और ETF निवेश तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही फेड की ओर से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और वैश्विक तनाव ने चांदी को सुरक्षित निवेश बना दिया है। उनके मुताबिक, 31 दिसंबर तक चांदी 2.5 लाख रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकती है।

सोने की कीमतों में भी जबरदस्त उछाल

चांदी के साथ-साथ सोने की कीमतों में भी तेजी देखने को मिल रही है। MCX पर सुबह 9:35 बजे सोना 743 रुपये की तेजी के साथ 1,38,840 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार करता नजर आया। कारोबार के दौरान सोने ने 1,38,994 रुपये प्रति 10 ग्राम का लाइफटाइम हाई भी बना लिया।

सोने ने भी दिया शानदार रिटर्न

पिछले साल के आखिरी कारोबारी दिन सोने का भाव 76,748 रुपये प्रति 10 ग्राम था। अब यह करीब 1.39 लाख रुपये के स्तर पर पहुंच चुका है। इस हिसाब से सोने ने निवेशकों को 81% से ज्यादा का रिटर्न दिया है जो अपने आप में बेहद शानदार माना जा रहा है।

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Gold Price Today in India
महंगे सोने ने बदला बाजार का मूड
locationभारत
userअसमीना
calendar25 Dec 2025 11:50 AM
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पिछले एक साल में सोने की कीमतों ने निवेशकों को चौंका दिया है। सोना 70% से ज्यादा की जबरदस्त तेजी दिखा चुका है और लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है। आमतौर पर माना जाता है कि जब सोना महंगा होता है तो ज्वैलरी कंपनियों को भी फायदा होता है लेकिन इस बार तस्वीर बिल्कुल उलटी नजर आ रही है। जहां एक तरफ सोना चमक रहा है वहीं दूसरी तरफ ज्यादातर ज्वैलरी कंपनियों के शेयर लगातार फिसलते जा रहे हैं। सवाल ये है कि जब सोना इतना महंगा हो रहा है, तो ज्वैलरी कंपनियों के शेयर क्यों गिर रहे हैं?

सोने की कीमत vs ज्वैलरी कंपनियों के शेयर

पिछले 12 महीनों में सोने की कीमतों में 70% से ज्यादा की तेजी आई है लेकिन मार्केट कैप के हिसाब से टॉप 10 ज्वैलरी कंपनियों में से 8 कंपनियों के शेयर नुकसान में हैं। इस दौरान सिर्फ Titan और Thangamayil Jewellery ही ऐसी कंपनियां रहीं जिन्होंने पॉजिटिव रिटर्न दिया। Titan के शेयर करीब 17% और Thangamayil Jewellery के शेयर लगभग 72% चढ़े हैं। इसके उलट, PC Jeweller के शेयर 44%, Senco Gold के 43.5%, Kalyan Jewellers के 35% और Sky Gold & Diamonds के शेयर 38% तक टूट चुके हैं। हाल ही में लिस्ट हुई PN Gadgil, Bluestone Jewellery और Motisons Jewellers के शेयर भी निवेशकों को निराश कर चुके हैं।

आखिर ज्वैलरी शेयर क्यों गिर रहे हैं?

1. कच्चे माल की लागत में भारी बढ़ोतरी

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सोना ज्वैलरी कंपनियों के लिए मुनाफे का जरिया नहीं बल्कि लागत है। जब सोने के दाम तेजी से बढ़ते हैं, तो ज्वेलर्स को ज्यादा पूंजी लगानी पड़ती है। इससे वर्किंग कैपिटल की जरूरत बढ़ जाती है और मुनाफे पर सीधा दबाव पड़ता है।

2. महंगे सोने से बिक्री पर असर

सोने की ऊंची कीमतों के कारण ग्राहक या तो खरीदारी टाल देते हैं या फिर हल्के और कम वजन के गहने खरीदते हैं। शादी और त्योहारों के सीजन में भी लोग अब सोच-समझकर खर्च कर रहे हैं जिससे वॉल्यूम ग्रोथ प्रभावित हो रही है।

3. नकदी और कर्ज की समस्या

ब्याज दरों में बढ़ोतरी और नकदी की कमी से ज्यादा कर्ज वाली ज्वैलरी कंपनियां दबाव में हैं। जिन कंपनियों की बैलेंस शीट कमजोर है वे ऊंची लागत और कम बिक्री के बीच फंस गई हैं। इसी वजह से उनके शेयरों में तेज गिरावट देखने को मिल रही है।

Titan क्यों बाकी कंपनियों से आगे है?

Titan का प्रदर्शन इसलिए बेहतर रहा क्योंकि उसका ब्रांड मजबूत, प्राइसिंग पावर ज्यादा और इन्वेंट्री मैनेजमेंट बेहतर है। कंपनी ने महंगे सोने के बावजूद अपने मार्जिन को संभालने में सफलता पाई जिससे निवेशकों का भरोसा बना रहा।

ग्राहकों के व्यवहार में बड़ा बदलाव

Sohnaa की फाउंडर सोनाली शाह शेट्टी के अनुसार, ऊंची कीमतों की वजह से कुछ ग्राहक खरीदारी टाल रहे हैं जबकि कुछ आगे और तेजी की उम्मीद में अभी निवेश कर रहे हैं। भारत में शादियों की वजह से मांग बनी हुई है, लेकिन अब लोग भारी गहनों की जगह छोटे, हल्के और सोच-समझकर चुने गए डिजाइन पसंद कर रहे हैं। इसके साथ ही 22 कैरेट से 18 और 14 कैरेट सोने की ओर भी धीरे-धीरे रुझान बढ़ रहा है।

आगे ज्वैलरी सेक्टर का आउटलुक कैसा रहेगा?

चॉइस इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज़ का मानना है कि मौजूदा चुनौतियों के बावजूद ज्वैलरी सेक्टर का भविष्य मजबूत है। संगठित ज्वैलरी बाजार तेजी से बढ़ रहा है और अनुमान है कि 2029 तक इसका साइज करीब ₹5 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है। हालांकि, स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के सीनियर एनालिस्ट प्रवेश गौर के मुताबिक, निवेशकों को अभी सतर्क रहने की जरूरत है।

किन ज्वैलरी शेयरों पर नजर रख सकते हैं निवेशक?

विशेषज्ञों के अनुसार, फिलहाल निवेश के लिए वही कंपनियां बेहतर हैं जिनकी ब्रांड वैल्यू मजबूत, कर्ज कम और बैलेंस शीट मजबूत है। इस लिस्ट में Titan सेक्टर की सबसे मजबूत पसंद बना हुआ है। इसके अलावा कुछ ब्रोकरेज हाउस Shanti Gold International और Shringar House of Mangalsutra जैसे B2B प्लेयर्स को लेकर भी पॉजिटिव नजरिया रख रहे हैं।