धड़ाम से गिरी सोने-चांदी की कीमत, खरीदारी करना रहेगा ठीक?

जापान के केंद्रीय बैंक के बड़े फैसले से ग्लोबल सर्राफा बाजार में हलचल मच गई है। बैंक ऑफ जापान द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने और अमेरिका में महंगाई घटने के चलते भारत के वायदा बाजार MCX पर सोने और चांदी की कीमतों में तेज गिरावट देखने को मिली।

गोल्ड रेट टूडे
आज भारत में सोना कितना सस्ता हुआ?
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userअसमीना
calendar19 Dec 2025 10:54 AM
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दुनियाभर के सर्राफा बाजार में उस वक्त हलचल मच गई जब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान ने ब्याज दरों को लेकर बड़ा फैसला लिया। इस फैसले का असर सीधे अंतरराष्ट्रीय बाजारों से होते हुए भारत के सोने और चांदी के दामों पर दिखाई दिया। न्यूयॉर्क से लेकर नई दिल्ली तक कीमती धातुओं में दबाव देखने को मिला जिसकी वजह से भारतीय वायदा बाजार में सोना और चांदी दोनों सस्ते हो गए। निवेशकों और आम ग्राहकों के लिए यह जानना बेहद जरूरी हो गया है कि आखिर कीमतों में यह गिरावट क्यों आई और आगे क्या रुख रह सकता है।

अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर पड़ा असर

जापान के केंद्रीय बैंक बैंक ऑफ जापान ने अपनी पॉलिसी रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है जिससे ब्याज दरें करीब 30 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। यह फैसला भले ही बाजार की उम्मीदों के मुताबिक था लेकिन इसके बाद वैश्विक निवेशकों ने सुरक्षित निवेश माने जाने वाले सोने और चांदी से दूरी बनानी शुरू कर दी। इसका सीधा असर अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर पड़ा और यही दबाव भारतीय बाजार तक पहुंच गया।

सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट

भारतीय वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी MCX पर सोने और चांदी की कीमतों में साफ गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार सुबह करीब 9 बजकर 45 मिनट पर सोना 747 रुपये टूटकर 1,33,774 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार करता दिखा। कारोबारी सत्र के दौरान सोने में और कमजोरी आई और यह 846 रुपये गिरकर दिन के निचले स्तर 1,33,675 रुपये तक पहुंच गया। गौर करने वाली बात यह है कि एक दिन पहले ही सोना 1,34,082 रुपये पर बंद हुआ था। वहीं चांदी की बात करें तो इसमें भी गिरावट कम नहीं रही। सुबह 9 बजकर 50 मिनट पर MCX पर चांदी 420 रुपये टूटकर 2,03,145 रुपये प्रति किलो पर कारोबार कर रही थी। सत्र के दौरान चांदी में 909 रुपये तक की गिरावट दर्ज की गई और भाव 2,02,656 रुपये प्रति किलो तक फिसल गए। इससे साफ है कि निवेशकों की बिकवाली ने दोनों कीमती धातुओं को कमजोर कर दिया।

सोने-चांदी की कीमतों की गिरावट की बड़ी वजह

सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट की एक बड़ी वजह अमेरिका से आए महंगाई के आंकड़े भी हैं। हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में उपभोक्ता महंगाई दर उम्मीद से कम रही है। सालाना आधार पर महंगाई 2.7 फीसदी दर्ज की गई जबकि बाजार को 3.1 फीसदी तक की उम्मीद थी। महंगाई कम होने से डॉलर इंडेक्स मजबूत हुआ और जब डॉलर मजबूत होता है तो सोने की कीमतों पर दबाव बढ़ जाता है। डॉलर इंडेक्स में करीब 0.10 फीसदी की तेजी देखी गई, जिसने सोने की अंतरराष्ट्रीय मांग को कमजोर किया।

ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद

हालांकि इससे पहले सोना अपने रिकॉर्ड हाई के करीब कारोबार कर रहा था और लगातार दूसरे हफ्ते बढ़त की ओर बढ़ रहा था। रिलायंस सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट जिगर त्रिवेदी के मुताबिक, अमेरिकी महंगाई में गिरावट से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें जरूर बनी हैं लेकिन जापान के फैसले और डॉलर की मजबूती ने फिलहाल सोने पर दबाव बना दिया है। इसके बावजूद भू-राजनीतिक तनाव जैसे यूक्रेन संकट और तेल आपूर्ति से जुड़े मुद्दे सोने को लंबे समय में सपोर्ट दे सकते हैं।

बना रह सकता है उतार-चढ़ाव

आगे की बात करें तो जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में सोने और चांदी दोनों में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। जिगर त्रिवेदी के अनुसार MCX पर फरवरी गोल्ड वायदा 1,34,000 रुपये से 1,35,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के दायरे में रह सकता है। वहीं मेहता इक्विटीज के कमोडिटी एक्सपर्ट राहुल कलंत्री का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने को 4,275 और 4,245 डॉलर पर सपोर्ट मिल रहा है, जबकि ऊपर की ओर 4,355 और 4,385 डॉलर पर रुकावट आ सकती है।

भारतीय बाजार की बात करें तो रुपये में सोने को 1,33,850 और 1,33,110 रुपये पर मजबूत सपोर्ट मिल रहा है जबकि 1,35,350 और 1,35,970 रुपये के स्तर पर रेजिस्टेंस देखा जा सकता है। चांदी के लिए सपोर्ट लेवल 2,02,450 और 2,00,280 रुपये हैं, जबकि ऊपर की ओर 2,05,810 और 2,07,270 रुपये पर बिकवाली आ सकती है।

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Meesho ने लगाई लंबी छलांग, बाजार में उड़ाया गर्दा

मीशो IPO 2025 ने शेयर बाजार में इतिहास रच दिया है। मीशो के शेयरों में लिस्टिंग के बाद करीब 95 फीसदी की जबरदस्त तेजी दर्ज की गई जिससे कंपनी की वैल्यूएशन में लगभग 47,000 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। यूबीएस की बाय रेटिंग के बाद मीशो 2025 का सबसे सफल बड़ा आईपीओ बनकर उभरा है।

Meesho IPO
लिस्टिंग के बाद उड़ान पर मीशो के शेयर
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userअसमीना
calendar18 Dec 2025 02:31 PM
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भारत के शेयर बाजार में साल 2025 कई बड़े आईपीओ लेकर आया लेकिन इन सभी के बीच मीशो (Meesho) ने ऐसा धमाकेदार प्रदर्शन किया कि दिग्गज कंपनियां भी पीछे छूट गईं। लिस्टिंग के बाद से ही Meesho के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली और कंपनी ने निवेशकों की वैल्यू में लगभग 47,000 करोड़ रुपये का इजाफा कर दिया। यही वजह है कि मीशो को अब 2025 का सबसे सफल बड़ा आईपीओ माना जा रहा है।

Meesho बना टॉप IPO

मीशो का आईपीओ 10 दिसंबर को शेयर बाजार में लिस्ट हुआ था, जिसमें कंपनी ने करीब 5,421 करोड़ रुपये जुटाए थे। आईपीओ के समय प्राइस बैंड के ऊपरी स्तर पर कंपनी का वैल्यूएशन लगभग 50,100 करोड़ रुपये था। लेकिन लिस्टिंग के कुछ ही समय बाद मीशो का मार्केट कैप बढ़कर करीब 97,600 करोड़ रुपये या लगभग 11 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इसका सीधा मतलब है कि लिस्टिंग के बाद निवेशकों की कुल वैल्यू में लगभग 47,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है जो किसी भी आईपीओ के लिए बेहद बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।

मजबूत लिस्टिंग के साथ शुरू हुआ मीशो

मीशो के शेयरों में यह जबरदस्त उछाल मजबूत लिस्टिंग के साथ शुरू हुआ। कंपनी का शेयर 162 रुपये के भाव पर लिस्ट हुआ जो इश्यू प्राइस से करीब 46 फीसदी प्रीमियम पर था। पहले ही दिन शेयर का क्लोजिंग प्राइस लगभग 170 रुपये रहा और इसके बाद तेजी का सिलसिला लगातार जारी रहा। हाल ही में यूबीएस (UBS) की ‘बाय’ कॉल के बाद शेयर में एक ही सत्र में करीब 20 फीसदी की तेजी देखने को मिला जिससे कुल रिटर्न इश्यू प्राइस से लगभग 95 फीसदी तक पहुंच गया।

मीशो का टारगेट प्राइस

ब्रोकरेज हाउस यूबीएस ने मीशो को लेकर बेहद सकारात्मक रुख अपनाया है। यूबीएस ने कंपनी को ‘बाय’ रेटिंग देते हुए 220 रुपये का टारगेट प्राइस तय किया है। ब्रोकरेज का मानना है कि मीशो का एसेट-लाइट बिजनेस मॉडल और नेगेटिव वर्किंग कैपिटल स्ट्रक्चर इसे दूसरी इंटरनेट-आधारित कंपनियों से अलग बनाता है। यही मॉडल कंपनी को लगातार पॉजिटिव कैश फ्लो जनरेट करने में मदद कर रहा है जो लॉन्ग टर्म में ग्रोथ के लिए बेहद जरूरी होता है।

बढ़ सकता है ग्रोथ रेट

यूबीएस के अनुमान के मुताबिक, मीशो का नेट मर्चेंडाइज वैल्यू वित्त वर्ष 2025 से वित्त वर्ष 2030 के बीच करीब 30 फीसदी की कंपाउंड ग्रोथ रेट से बढ़ सकता है। इसके पीछे ट्रांजैक्शन करने वाले यूजर्स की तेज़ी से बढ़ती संख्या और ऑर्डर फ्रीक्वेंसी में हो रही वृद्धि को मुख्य कारण माना जा रहा है। जैसे-जैसे कंपनी का स्केल बढ़ रहा है वैसे-वैसे इसके कंट्रीब्यूशन मार्जिन और एडजस्टेड EBITDA मार्जिन में भी सुधार देखने को मिल रहा है।

बड़े नामों का प्रदर्शन रहा कमजोर

अगर 2025 के अन्य बड़े आईपीओ से मीशो की तुलना की जाए तो इसका प्रदर्शन साफ तौर पर सबसे आगे नजर आता है। इस साल 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाने वाली कंपनियों में ग्रोव अपने इश्यू प्राइस से करीब 43 फीसदी ऊपर है जबकि एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने लगभग 36 फीसदी की बढ़त दिखाई है। वहीं हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज अपने इश्यू प्राइस से सिर्फ 8 फीसदी से थोड़ा अधिक ऊपर है। एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज, लेंसकार्ट और टाटा कैपिटल जैसे बड़े नामों का प्रदर्शन भी मीशो के मुकाबले काफी कमजोर रहा है।

निवेशकों की नजर किस पर?

विश्लेषकों के मुताबिक मीशो के शेयरों में उतार-चढ़ाव का एक कारण इसका सीमित फ्री-फ्लोट भी है। बड़े निवेशकों की मजबूत हिस्सेदारी के चलते बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध शेयर कम हैं। ऐसे में मांग में हल्की बढ़ोतरी या सप्लाई में कमी भी कीमतों में बड़ा असर डाल सकती है। कंपनी के लॉक-इन शेयरों का पहला सेट अगले साल 6 जनवरी को खुलेगा जिस पर निवेशकों की खास नजर बनी हुई है।

Meesho की सफलता का सबसे बड़ा कारण

मीशो की इस सफलता के पीछे इसकी बिजनेस स्ट्रैटेजी सबसे बड़ा कारण मानी जा रही है। कंपनी कम औसत ऑर्डर वैल्यू, ज्यादा यूजर पार्टिसिपेशन और खर्चों पर सख्त कंट्रोल पर फोकस करती है। इसके अलावा, मीशो की बेहतर लॉजिस्टिक्स एफिशिएंसी का फायदा सीधे सेलर्स और ग्राहकों को मिलता है। इससे भले ही औसत ऑर्डर वैल्यू कम रहे लेकिन ओवरऑल इकोसिस्टम का विस्तार होता है और कुल सेल्स वॉल्यूम में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिलती है।

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बाजार में आई ‘सफेद आंधी’, चांदी ने तोड़ दिए सारे रिकॉर्ड

चांदी की कीमतों में ऐतिहासिक तेजी देखने को मिल रही है और वायदा बाजार में इसके दाम 2.07 लाख रुपये के पार पहुंच चुके हैं। इंडस्ट्रियल और निवेश मांग में बढ़ोतरी, सप्लाई की कमी, रुपये की कमजोरी और फेड की संभावित रेट कट जैसे बड़े कारणों से चांदी में जबरदस्त उछाल आया है।

चांदी ने बनाया नया रिकॉर्ड
सातवें आसमान पर चांदी
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userअसमीना
calendar18 Dec 2025 02:06 PM
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बीते कुछ समय से कमोडिटी बाजार में चांदी ने ऐसा तूफान मचाया है जिसे विशेषज्ञ ‘सफेद आंधी’ कह रहे हैं। देश के वायदा बाजार में चांदी की कीमतें 2.07 लाख रुपये के पार निकलकर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। यह तेजी अचानक नहीं आई है बल्कि इसके पीछे ग्लोबल और घरेलू स्तर पर कई मजबूत कारण काम कर रहे हैं। इंडस्ट्री से लेकर निवेशकों तक हर कोई चांदी की ओर आकर्षित हो रहा है।

चांदी ने सोने को पछाड़ा

सबसे पहले अगर चांदी के प्रदर्शन की बात करें तो हाल के महीनों में इसने सोने को भी पीछे छोड़ दिया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉमेक्स पर चांदी पहली बार 66 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंच गई है। मार्च 2026 के वायदा कांट्रैक्ट में यह अपने लाइफटाइम हाई पर कारोबार करती दिखी। मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐतिहासिक रूप से जब भी कीमती धातुओं में बड़ी तेजी आती है तो चांदी का प्रदर्शन सोने से बेहतर रहता है। लंबे समय तक कमजोर रहने के बाद अब चांदी की जबरदस्त वापसी देखने को मिल रही है।

चांदी की कीमतों में तेजी का कारण

चांदी की कीमतों में तेजी का दूसरा बड़ा कारण इसकी इंडस्ट्रियल और इंवेस्टमेंट डिमांड में जबरदस्त उछाल है। सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में चांदी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। इसके साथ ही निवेशकों ने भी चांदी को सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में अपनाया है। सिल्वर ETF में लगातार मजबूत निवेश देखने को मिल रहा है जिससे बाजार में मांग और ज्यादा मजबूत हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यही वजह है कि इस साल चांदी की कीमतों में 100 फीसदी से ज्यादा की तेजी का मजबूत आधार तैयार हुआ है।

आखिर चांदी में इतनी तेजी क्यों?

तीसरा अहम कारण है सप्लाई और प्रोडक्शन में लगातार आ रही कमी। वैश्विक स्तर पर चांदी की सप्लाई लगातार पांचवें साल घाटे में बनी हुई है। खनन लागत बढ़ना, नए प्रोजेक्ट्स की कमी और सीमित उत्पादन ने सप्लाई को कमजोर कर दिया है। जब मांग बढ़ती है और सप्लाई घटती है तो कीमतों में तेजी आना स्वाभाविक है। यही स्थिति इस समय चांदी के बाजार में साफ दिखाई दे रही है।

चांदी की कीमतों को और मिल सकता है सपोर्ट

चांदी की कीमतों पर करेंसी का असर भी साफ नजर आ रहा है। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर हुआ है और इस साल करीब 6 फीसदी तक गिर चुका है। चूंकि चांदी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर में तय होती हैं इसलिए रुपये की कमजोरी का सीधा असर घरेलू कीमतों पर पड़ता है। जानकारों का मानना है कि 2026 की पहली छमाही तक रुपये पर दबाव बना रह सकता है जिससे चांदी की कीमतों को और सपोर्ट मिल सकता है। इसके अलावा अमेरिका की इकोनॉमिक स्थिति और फेडरल रिजर्व की नीतियां भी चांदी को मजबूती दे रही हैं। हालिया जॉब डेटा और बढ़ती बेरोजगारी दर के संकेत बताते हैं कि फेड आने वाले समय में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। ब्याज दरें घटने का मतलब है कि कीमती धातुओं में निवेश और ज्यादा आकर्षक हो जाता है। यही वजह है कि निवेशक पहले से ही चांदी में पोजिशन बना रहे हैं।

चांदी ने कच्चे तेल को भी छोड़ा पीछे

एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि चांदी ने कच्चे तेल को भी पीछे छोड़ दिया है। 40 साल बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब चांदी की कीमत कच्चे तेल से ऊपर निकल गई है। यह संकेत देता है कि भविष्य में चांदी सिर्फ ज्वेलरी या निवेश तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि यह ऊर्जा और इंडस्ट्रियल मेटल की तरह रणनीतिक महत्व रखेगी। अगर भारतीय बाजार की बात करें तो मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर चांदी ने 2,07,833 रुपये प्रति किलो का लाइफटाइम हाई बनाया है। हालांकि हल्की मुनाफावसूली के कारण इसमें मामूली गिरावट देखने को मिल रही है लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह गिरावट अस्थायी है। मजबूत फंडामेंटल्स के चलते चांदी आने वाले महीनों में फिर नई ऊंचाइयों को छू सकती है।

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