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चांदी बन रही है सोना, खरीद लो जल्दी

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Silver : जी हां यदि आपको जल्दी धनपति बनना है तो तुरंत चांदी खरीद लो। चांदी अब केवल चांदी नहीं रही है चांदी तो सोना बन रही है। दुनिया में ऐसाी कोई भी धातु नहीं है जिसके रेट चांदी की तरह से बढ़े हों। चांदी के रेट प्रतिदिन बढ़ रहे हैं, परन्तु चांदी नहीं खरीदी तो फिर कभी मत कहना कि किसी ने बताया नहीं था।

चांदी हो रही है सोना

बीते कुछ महीनों में गर्मी की तरह ही चांदी ने भी सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। यह 92,873 हजार रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई और भारत में ऑलटाइम हाई का रिकॉर्ड बना दिया। माना जा रहा है कि अंगले कुछ महीनों में बुलियन बाजार में चांदी की इसी तरह से चांदी चलती रहेगी। वैसे बीते चार दशकों के दौरान इसके दाम 26 गुना से भी ज्यादा बढ़ चुके हैं।
गौरतलब है कि उद्योगों-खासकर, इलेक्ट्रिक कारों की बैटरियों, सोलर पावर के सोलर पैनल्स और 5-जी टेक्नोलॉजी में चांदी की खपत ज्यादा हो रही है। इससे चांदी की सालाना मांग में सात से आठ फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है। इस तरह मांग बढऩे से इसकी कीमतें भी बढ़ रही हैं। मांग की तुलना में चांदी की खनन गतिविधियां लगभग स्थिर हैं, बल्कि इसमें आंशिक गिरावट भी आई है। 2015 में जहां चांदी का वैश्विक खनन 89.7 करोड़ आउंस (एक आउंस यानी 28.34 ग्राम के बराबर) हुआ था। वहीं, 2023 में यह गिरकर 82.4 करोड़ आउंस रह गया। सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण अब कई लोग, खासकर माध्यम वर्ग आभूषणों के लिए चांदी की तरफ देख रहे हैं। वस्तुत: पिछले दो दशक में उद्योगों और प्रौद्योगिकी में चांदी की उपयोगिता बढ़ी है।

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दुनिया में बढ़ गई है चांदी की मांग

इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की हालिया रिपोर्ट कहती है कि पिछले एक साल में सोलर पावर में इस्तेमाल होने वाले फोटोवोल्टेइक पैनल्स में निवेश एक साल पहले की तुलना में दोगुना होकर 80 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। नोटोवोल्टेइक पैनल्स में चांदी का काफी इस्तेमाल होता है। साल 2024 में ही चांदी की वैश्विक मांग में 1.2 अरब आउंस की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। लिहाजा, चांदी की कीमतों के भी लगातार ऊंचे होते चले जाने की संभावना है। दरअसल, चांदी दुनिया की सबसे बढिय़ा सुचालक धातु है। इसलिए सोलर पैनल्स पर चांदी का पेस्ट किया जार्ता है। जब सूरज का प्रकाश उसके पैनल्स पर गिरता (स्ट्राइक) है, तब सिलिकॉन के इलेक्ट्रॉन मुक्त होते हैं और चांदी विद्युत को तुरंत गतिशील कर देती है। आज भी सिनेमा को सिल्वर स्क्रीन कहकर संबोधित किया जाता है। दरअसल सिनेमा की शुरुआत में फिल्में प्रोजेक्टर के जरिये दिखाई जाती थीं। इसके लिए जिस परदे पर तस्वीर प्रोजेक्ट की जानी होती थी, उसका चमकदार होना जरूरी था, ताकि परावर्तन (रिफ्लेक्शन) बढऩे से तस्वीरों की गुणवत्ता बढ़ सके। परदे को ज्यादा चमकदार बनाने के लिए तब स्क्रीन को । ‘मैटेलिक सिल्वर’ से ‘कोट’ किया जाता था। उसी से यह शब्द उत्पन्न हुआ और आज भी अक्सर इसका इस्तेमाल किया जाता है।

दरअसल, चांदी सबसे ज्यादा सूर्य की किरणों को परावर्तित करने वाली धातु है। भारत में चांदी का 50.7 प्रतिशत इस्तेमाल उद्योगों में, 17.8 प्रतिशत आभूषणों में, 24.5 प्रतिशत कॉइन्स-बार्स निवेश में, 2.8 प्रतिशत फोटोग्राफी में और 4.2 प्रतिशत चांदी के बर्तनों में उपयोग किया जाता है। चार मई, 1989 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने शुक्र ग्रह की सतह की ‘मैपिंग’ के लिए, ‘मैगलेन’ ही स्पेस क्राफ्ट लॉन्च किया था। चूंकि चांदी में प्रकाश की किरणों को परावर्तित करने की क्षमता सबसे ज्यादा होती है। इसके मद्देनजर इसे घातक सौर विकिरण से बचाने के लिए इस पर ‘सिल्वर कोटेड क्वाटर्स टाइल्स’ लगाई गई थीं। इसके बाद से सभी स्पेस क्राफ्ट के ऊपर सिल्वर की कोटिंग की जाने लगी है। इससे स्पेस क्राफ्ट के तापमान को कम करने में मदद मिलती है।

दुनिया में छोटी-बड़ी मिलाकर कुल 757 सक्रिय चांदी की खदानें हैं। इनमें से भारत में केवल छह हैं। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, चांदी के उत्पादन में सबसे ऊपर मेक्सिको है, जो कि 6,400 टन चांदी का उत्पादन करता है, जो कुल वैश्विक चांदी उत्पादन का 21 फीसदी है। इसके बाद क्रमश: चीन, पेरू, चिली और फिर पोलैंड का स्थान आता है। चीन चांदी का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। यह कुल उत्पादित चांदी का 18 प्रतिशत हिस्सा इस्तेमाल करता है। तो वहीं ‘इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस’ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा 43 टन चांदी का उत्पादन राजस्थान करता है। इसके बाद 11 टन आंध्र प्रदेश, छह टन तेलंगाना, पांच टन हरियाणा और चार टन का उत्पादन झारखंड करता है। Silver

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