Jaipur: जयपुर। उदयपुर के बहुचर्चित कन्हैया लाल हत्याकांड के सात आरोपियों में से तीन को 16 जुलाई तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया। जबकि चार अन्य आरोपियों को एक अगस्त तक न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया। सभी सात आरोपियों को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत में पेश किया गया। विशेष लोक अभियोजक टीपी शर्मा ने बताया कि अदालत ने मामले में मुख्य आरोपी रियाज अख्तरी और गौस मोहम्मद तथा फरहाद मोहम्मद शेख को 16 जुलाई तक पुलिस अभिरक्षा में भेजा। वहीं, बाकी चार आरोपियों मोहसिन, आसिफ, मोहम्मद मोहसिन, वसीम अली को एक अगस्त तक न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने का आदेश दिया। उल्लेखनीय है कि दर्जी कन्हैयालाल की 28 जून को उनकी दुकान के अंदर धारदार हथियार से वार कर हत्या कर दी गई थी।
रियाज अख्तरी द्वारा दर्जी पर किए गए भीषण हमले को गौस मोहम्मद ने एक फोन के जरिये रिकॉर्ड किया और वीडियो को ऑनलाइन पोस्ट किया था। दोनों ने बाद में एक वीडियो में कहा था कि उन्होंने इस्लाम के कथित अपमान का बदला लेने के लिए कन्हैया लाल की हत्या कर दी। इन दोनों को उसी दिन पकड़ लिया गया। रियाज अख्तरी और गौस मोहम्मद के अलावा सुरक्षा एजेंसियों ने मोहसिन और आसिफ को पकड़ लिया, जिन पर जनता के बीच आतंक फैलाने की कथित साजिश का हिस्सा होने का आरोप है। दो अन्य आरोपी मोहम्मद मोहसिन और वसीम को बाद में कथित आपराधिक साजिश में शामिल होने और दर्जी की दुकान की रेकी करने में दो मुख्य आरोपियों की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सूत्रों ने बताया कि मोहसिन की जगह का इस्तेमाल हत्या में प्रयुक्त हथियार की धार तेज करने के लिए किया गया और आसिफ ने दर्जी की दुकान की रेकी करने में मदद की थी। मामले में सबसे बाद में फरहाद मोहम्मद शेख को गिरफ्तार किया गया।
एनआईए के प्रवक्ता ने बताया कि फरहाद मोहम्मद शेख उर्फ बबला को शनिवार शाम गिरफ्तार किया गया। प्रवक्ता ने कहा कि शेख दो मुख्य आरोपियों में से एक रियाज अख्तरी का करीबी आपराधिक सहयोगी है और उसने दर्जी को मारने की साजिश में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। एनआईए ने 29 जून को राजस्थान पुलिस से जांच की जिम्मेदारी अपने हाथ में लेने के बाद गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला फिर से दर्ज किया था। मामला शुरू में उदयपुर के धान मंडी थाने में दर्ज किया गया था। एजेंसी के प्रवक्ता ने कहा था कि एनआईए ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 452, 302, 153 (ए), 153 (बी), 295 (ए) और 34 और यूएपीए, 1967 की धारा 16, 18 और 20 के तहत साजिश रचने, बर्बर हत्या को अंजाम देने के आरोप में मामला फिर से दर्ज किया। प्रवक्ता ने कहा था कि आरोपियों ने देशभर में लोगों के बीच दहशत और आतंक फैलाने के लिए हत्या की जिम्मेदारी लेने का दावा करते हुए आपराधिक कृत्य का एक वीडियो भी सोशल मीडिया में प्रसारित किया था।