भूपेंद्र भटनागर, 16 July 2023, चेतना मंच
Anmol Ratna Ep#3: हम आज तक मानते थे कि दुनिया में सिर्फ दो ही तरह के लोग होते हैं। पहले वो खुशकिस्मत लोग जिनको जरूरी सहूलियते समय पर मिलती रहती हैं और नतीजतन वह अपने सपनों को एक दिन पूरा कर लेते हैं और दूसरे वो बदकिस्मत लोग जो अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करते हुए जरूरी सहूलियतों के अभाव में एक दिन थक जाते है और हार मान लेते हैं। लेकिन ये कहानी सुनकर आपको भी यकीन हो जाएगा कि दुनिया में ऐसे तीसरे किस्म के लोग भी जन्म लेते हैं जो अपनी मेहनत, लगन और दृढ निश्चय से फर्श से अर्श का सफर पूरा करते हैं और अभाव में रहते हुए भी अपने रास्ते पे अडिग रहते हैं और एक दिन अपने सपनों को पूरा करते हैं। ये कहानी एक एसे ही इंसान की है जो आपको सही मायने में सिखाएगी कि कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं है। अगर आप ये यकीन कर ले कि आपके पैरों में भी उतना ही दम है जितना आपके हौंसलों में। आपकी किस्मत भी वैसे ही चमक सकती है जैसे शुक्ल पक्ष का चंद्रमा और मुश्किल समय वैसे ही समाप्त हो सकता है। जैसे घनघोर अंधेरे के बाद सूर्यग्रहण। ये प्रेरणादायक और मन झकझोर देने वाली कहानी है भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे युवा खिलाड़ियों में से एक यशस्वी जैसवाल की।
एक सितारे का जन्म
28 दिसम्बर 2001 एक ऐसी तारीख थी जब धरती पे एक ऐसी कहानी लिखनी शुरू हुई जो जितनी प्रेरणादायक है उतना ही मन को झकझोर देने वाली है। इस दिन भारत के उभरते सितारे यशस्वी भूपेन्द्र कुमार जैसवाल का जन्म सुरियावन भदोही, उत्तर प्रदेश के एक बेहद ही निर्धन परिवार में हुआ। उनके पिता भूपेंद्र जैसवाल एक छोटी सी हार्डवेयर की दुकान चलाते थे। जिससे उनके पूरे परिवार का भरण पोषण भी पूरी तरह नहीं हो पता था। उनकी माता श्रीमती कंचन जैसवाल एक साधारण सी घरेलू महिला थी जो कड़ी मेहनत करके अपने घर, पति और 4 बच्चों की पूरे मन से देखभाल करती थी। प्रारम्भिक शिक्षा सुरियावान के एक सरकारी स्कूल में शुरू करने के बाद अगले कुछ सालों में यशस्वी की रुचि क्रिकेट की तरफ बढ़ने लगी। वो कहते हैं ना, जो भाग्य में लिखा होता है वो या तो जीवन में धीरे-धीरे आने लगता है या इंसान उसकी तरफ खुद ही जाने लगता है।
क्रिकेट के मैदान में सबसे पहला कदम उन्होंने सिर्फ 7 साल की उम्र में ही रख दिया था। जब वो उत्तर प्रदेश के एक जाने माने क्रिकेटर आरिफ हुसैन की एन.एन.एस. क्रिकेट अकादमी में क्रिकेट की ट्रेनिंग लेने लगे जिसमें उनके माता पिता ने उनका पूरा सहयोग किया। एक साल के अंदर ही यशस्वी के अंदर का खिलाड़ी पहचाने जाने लगा और वो अकादमी की सीनियर टीम के लिए खेलने लगे। टूर्नामेंट में जब लोग और ऑर्गनाईजिंग कमेटी एक 8 साल के बच्चे का क्रिकेट के मैदान में हुनर देखते थे तो दंग रह जाते थे और इनाम के तौर पे पैसे देते थे जिससे उनकी अकादमी की काफी मदद होती थी। पूरे उत्तर प्रदेश में वो अपनी टीम के साथ या तो ट्रकों में या बिना टिकिट लिए बसों में सफर किया करते थे। 5 साल तक आरिफ हुसैन के कड़े प्रशिक्षण के बाद भी जब सन 2012 के अंडर-14 के UPCA’s ट्राइल्स में यशस्वी का चयन नहीं हुआ तो उनके कोच आरिफ हुसैन का दिल टूट गया और उन्होने निर्णय लिया के वो यशस्वी को क्रिकेट की बारीकियां सीखने के लिए मुंबई भेजेंगे।
यशस्वी जैसवाल आरिफ हुसैन की एन.एन.एस. क्रिकेट अकादमी में क्रिकेट की ट्रेनिंग लेते हुये
Anmol Ratna Ep#3: इम्तेहान तो अभी शुरू हुआ था।
मुंबई आते ही वो कुछ दिन अपने अंकल के घर नालासोपारा में रहे। लेकिन अंकल का घर बहुत छोटा था तो उन्होंने यशस्वी के रहने का इंतजाम एक डेयरी में कर दिया। जहां वो सो सकते थे और बदले में उनको डेयरी का काम करना होता था। लेकिन यशस्वी का दिल तो केवल क्रिकेट मे लगा हुआ था जिसकी वजह से वो ज्यादा से ज्यादा समय अपने खेल को सुधारने में लगाते थे और डेरी पर काम नहीं कर पाते थे। नतीजतन उन्हें डेयरी से निकाल दिया गया।
कभी-कभी जिंदगी हमें ऐसे भी मंज़र दिखाती है कि मजबूत से मजबूत इंसान भी दम तोड़ दे, लेकिन जिनके इरादों में जान होती है उनके हौंसलों की एक अलग ही उड़ान होती है। इसे किस्मत की एक साजिश कहें या शायद क्रिकेट का मैदान उनको बुला रहा था। यशस्वी के अंकल ने उनका रहने का बंदोबस्त आज़ाद मैदान में वहां के ग्राउंडमैन के साथ एक टेंट में कर दिया जहां वो दिन में खेलते और रात को सोते थे। लेकिन समस्या अभी खत्म नहीं हुई थी। सोने की जगह तो मिल गई थी लेकिन खाना खाने के लिए कुछ कमाना भी जरूरी था तो यशस्वी ने शाम के वक़्त जब उनकी क्रिकेट का अभ्यास खत्म हो जाता था तो पानी पूरी बेचना शुरू किया। जिससे बस वो इतना ही कमा पाते थे कि कुछ खाना खा सके। कई रातें तो ऐसी भी गई जब भूखे पेट सोना पड़ा। फिर अगले दिन सुबह से शाम तक प्रैक्टिस करनी पड़ी होती। जीवन की कुछ सच्चाईया केवल वही व्यक्ति जनता है जो उसे जीवन में भोगता है। हम और आप बस अंदाज़ा ही लगा सकते है उस पीड़ा का।
3 सालों तक टेंट मे रहने के और पानी पूरी बेचने के बाद वो हुआ जो शायद एकदिन होना ही था। दिसम्बर 2013 की दोपहरी जब यशस्वी आज़ाद मैदान मे प्रैक्टिस कर रहे थे तब ज्वाला सिंह जो सांताक्रूज में एक क्रिकेट अकादेमी चलाते थे उन्होंने यशस्वी का हुनर पहचाना। वो कहा जाता है न कि वक़्त कुछ समय तक आपकी परीक्षा लेता है और ये देखने की कोशिश करता है कि आपके अंदर कितना समर्पण है ? हालातों से लड़ने की कितनी काबिलियत है ? कहीं आप वक़्त के साथ अपने रास्ते से भटक तो नहीं जाएंगे ? लेकिन अगर आप पूरे समर्पण के साथ, अपनी काबिलियत को लगातार बढ़ाते हुए अपने रास्ते पे चलते रहते हैं तो एक दिन वक़्त भी आपके आगे घुटने टेक देता है। और वही हुआ, ज्वाला सिंह ने यशस्वी को रहने के लिए जगह दी और उनके गार्डियन बनकर क्रिकेट में आगे बढ़ने के लिए उनकी मदद की।
Anmol Ratna Ep#3: सफलता की पहली सीडी
कितनी भी ऊंचाई पर जाना हो, शुरुआत पहली सीढ़ी से ही होती है। यशस्वी जैसवाल को पहली शौहरत तब मिली जब उन्होंने 2015 मे रिज़्वी स्प्रिंगफील्ड की तरफ से खेलते हुए ना केवल बल्ले से अपना हुनर दिखाया और नाबाद 319 रन बनाए बल्कि अपनी बोलिंग का जलवा दिखाते हुए मात्र 99 रन देकर 13 विकेट लिए और गाइल्स शील्ड इलाइट डिविजन टाइटल अपने नाम किया। इतने बेहतरीन खेल की वजह से लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड मे भी उनका नाम दर्ज हुआ। बस फिर क्या था, अब इस तूफान को रोक पाना नामुमकिन था।
इसके बाद जैसवाल मुंबई की अंडर-16 टीम के लिए सलेक्ट हुए और फिर भारतीय अंडर-19 टीम में चुने गए। 2018 के एशिया कप में भारत की अंडर-19 टीम की तरफ से खेलते हुए सर्वाधिक 318 रन बनाकर प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने। सन 2019 मे अंडर-19 से यूथ टेस्ट मैच खेलते हुए साउथ अफ्रीका के खिलाफ 173 रन और उसी साल इंग्लैंड मे त्रिकोणीय श्रृंखला खेलते हुए 4 हाल्फ सेंचुरी जड़ी। इस असमान्य प्रदर्शन की वजह से उनका नाम 2020 के अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए चुना गया जहां वो टूर्नामेंट के सर्वाधिक रन स्कोरर बने जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए सेमी-फ़ाइनल की एक सेंचुरी भी शामिल है।
अब बारी थी नदी के समुद्र बनने की
यशस्वी अब तक अपने प्रदर्शन से लाखों लोगों का दिल जीतते आए थे। लेकिन अभी भी भारतीय सीनियर नेशनल टीम के लिए खेलने का सपना पूरा नहीं हुआ था। अब बारी थी अगली बड़ी सीढ़ी चढ़ने की, जो थी फ़र्स्ट-क्लास क्रिकेट में खेलना। ये छलांग लगी जब उन्होंने 2019 में मुंबई के लिए डेब्यू करते हुए 2018-19 की रणजी ट्रॉफी और सितंबर में लिस्ट-ए में डेब्यू करते हुए विजय हज़ारे ट्रॉफी खेली। दोनों ही ट्राफियों में यशस्वी का प्रदर्शन काबिल-ए-तारीफ रहा। विजय हज़ारे ट्रॉफी में झारखंड के खिलाफ खेलते हुए उन्होंने मात्र 154 गेंदों पर 17 चौक्कों और 12 छक्कों की मदद से 203 रन जड़े और लिस्ट-ए क्रिकेट के इतिहास में दोहरा शतक लगाने वाले सबसे युवा क्रिकेटर बन गए। तब उनकी उम्र महज़ 17 साल थी। इस प्रदर्शन के बाद उनका नाम 2019-20 की देओधर ट्रॉफी के लिए India-B स्क्वाड मे चुना गया।
Anmol Ratna Ep#3: छोटे फ़ारमैट मे बड़ा बैट
Twenty20 क्रिकेट में उनका परिचय IPL 2020 के साथ हुआ, जब राजस्थान रॉयल्स ने उनको 2.4 करोड़ रुपये में खरीदा। कभी टैंट में रहने वाला, पानी पूरी बेचने वाला, भूखे पेट सोने वाला बच्चा आज करोड़ों का हकदार बन गया था। लेकिन इतना नाम, शौहरत और पैसा कमाने के बाद भी यशस्वी ने ढील नहीं बरती और अपने खेल को निखारते ही चले गए। आईपीएल में भी उन्होंने निराश नहीं किया। अक्टूबर 2021 में सबसे ताकतवर टीमों में से एक धोनी की कप्तानी में उतरी चेन्नई सुपर किंग के खिलाफ यशस्वी ने अपनी पहली और राजस्थान रॉयल्स की दूसरी सबसे तेज़ हाल्फ सेंचुरी मारी।
इसके बाद एक और ताकतवर टीम रोहित शर्मा की अगुवाई में उतरी मुंबई इंडियंस के खिलाफ 30 अप्रैल 2023 को मात्र 62 गेंदों में 124 रन बनाकर आईपीएल में अपनी सेंचुरी का भी खाता खोला। पर इस युवा की दहाड़ यहां नहीं चुप होने वाली थी। इसी टूर्नामेंट में कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ उन्होंने आईपीएल के इतिहास की सबसे तेज़ हाल्फ-सेंचुरी जड़ी वो भी मात्र 13 गेंदों पर। अंततः इस टूर्नामेंट में वो राजस्थान रॉयल्स की तरफ से 625 रन बनाकर सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बने। जिस वक़्त ये लेख प्रकाशित हो रहा है, उस वक़्त यशस्वी जैसवाल वेस्टइंडीज के दौर पर भारत की तरफ से अपना जलवा कायम रखे हुए है और शानदार प्रदर्शन दिखाकर अपने पहले ही टेस्ट मैच में सेंचुरी ठोक चुके हैं।
Anmol Ratna Ep#3: ये तो बस शुरुआत है।
अत्यंत दवाब ही कोयले को हीरा बनाता है। यशस्वी जैसवाल को जो बात सबसे अलग बनाती है वो ये है कि उन्होंने अपनी विपरित परिस्थितियों की वजह से अपने सपने को कभी नहीं तोड़ा बल्कि घर-बार, पिता का प्यार, माँ का दुलार, भाई बहनों का साथ, सुख, आराम और चैन सब छोड़ दिया और अपने सपनों को पूरा करने एक 10 साल का बच्चा अंजाने शहर में सर्दी, गर्मी, बरसात या चाहे कैसा भी मौसम हो टैंट में सोया और अपने सपने पूरा करने के लिए रोज एक कदम आगे बढ़ता गया और आज वो एक कोयले से हीरा बन गया है जिसकी चमक हर रोज़ बढ़ती जा रही है। ऐसे बेश कीमती अनमोल रत्न को हमारा सलाम है।
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