ANMOL RATNA : नोएडा। आप जानते ही हैं कि दुनिया में अनेक प्रकार के रत्न पाए जाते हैं। इतिहास में भी रत्नों की खूब चर्चा हुई है। अकबर के नवरत्नों के किस्से भी सबने ही सुने हैं। आज हम इन सब रत्नों की बात नहीं कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर में रहने वाले एक ऐसे रत्न की जो वास्तव में एक ‘‘अनमोल रत्न’’ की भांति ही हैं।
समाजसेवा में समर्पित
दरअसल नोएडा में नोएडा लोकमंच नामक एक प्रमुख सामाजिक संगठन है। इस संगठन की स्थापना वर्ष-1997 में नोएडा शहर के कुछ जागरूक नागरिकों ने मिलकर की थी। नोएडा लोक मंच के संस्थापक महासचिव का नाम है महेश सक्सेना। आज अपनी अनमोल रत्न सीरीज में हम इन्हीं महेश सक्सेना जी से आपका परिचय कराने वाले हैं। महेश सक्सेना ने अपना पूरा जीवन समाज की सेवा के कार्यों के लिए समर्पित कर रखा है।
कैमिकल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट
एक साधारण से परिवार में जन्म लेने वाले लोकमंच के संस्थापक महासचिव महेश सक्सेना ने कानपुर के एचबीटीआई से कैमिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की। वे बचपन से ही एक होनहार छात्र थे। इसी कारण छठी कक्षा से लेकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई तक उन्हें छात्रवृत्ति मिलती रही। वह कैमिकल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट हैं। उन्होंने जून,1973 में दिल्ली के पटपड़ गंज में अपने उद्योग की स्थापना की। उन्होंने बताया कि उस समय श्रीमती इंदिरा गांधी की सरकार इंजीनियर्स को अपना बिजनेस शुरू करने के लिए प्रेरित करती थी। तभी लोन लेकर दोस्त के साथ मिलकर फैक्टरी शुरू की।
भाई की मौत ने बदल दिया जीवन
आर्थिक समस्याओं से जूझते हुए जिन्दगी चल रही थी कि अचानक सन् 1994 में उनके एक मात्र छोटे भाई का देहावसान हो गया। भाई की जिंदगी को बचा न पाने का दर्द वह आज तक नहीं भूले हैं। उस समय यह एहसास हुआ था कि अगर पैसा होते हुए भी भाई की जिंदगी न बचा पाए तो ऐसे पैसे का क्या फायदा। उस समय मन को काफी विरक्ति हुई, भाई के चले जाने पर विधि के विधान पर काफी कुछ सोचा तथा तब से अपने-आपको अर्थ उपार्जन से अलग कर लिया। अब सामाजिक जिम्मेदारियों तथा अन्य विषमताओं के लिए स्वयं को पूर्णकालिक रूप से लगाने का निश्चय किया है।
इस निश्चय पर दृढ़तापूर्वक चलने में उन्हें अपने परिवार व अन्य लोगों का काफी सहयोग मिला। उनकी धर्मपत्नी लीका सक्सेना, पिता संतशरण सक्सेना और माता शान्ति देवी का इन्हें भरपूर सहयोग मिला। उनके तीनों बच्चों ने उच्च शिक्षा ग्रहण की है। दो बेटी व एक बेटा तीनों ही आज अलग-अलग प्रोफेशन में परिवार का नाम रोशन कर रहे हैं।
उन्हें पूरा विश्वास है कि यदि व्यक्ति पूरी ईमानदारी से कर्म करता चले, उसकी सोच साफ एवं सकारात्मक हो तथा नजरिया किसी की भलाई करने का हो तो परमात्मा और अन्य शक्तियां सदैव उसकी राह आसान करती जाती है। लगभग 26 वर्षों के सामाजिक प्रयासों में उन्होंने लोगों का बहुत प्यार, विश्वास और सहयोग पाया है। बिना किसी स्वार्थ के स्वयं को संस्था के उद्देश्यों के लिए सतत् रूप से समर्पित करके उन्होंने पाया कि लोगों की दुआएं, प्यार और विश्वास ने उन्हें हर पल आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया।
टी.एन. शेषन से हुए प्रभावित
देश में एक समय ऐसा था जब देश के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे टी.एन. शेषन पूरे देश में ईमानदारी का प्रतीक बन गए थे। सारा देश उन्हें ईमानदारी की प्रतिमूर्ति समझ रहा था। हमारे अनमोल रत्न महेश सक्सेना भी उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। प्रारंभ में महेश सक्सेना ने 1994 से 1997 तक टी.एन. शेषन के नेतृत्व में नोएडा में देश भक्त समाज नाम से संस्था शुरू की और मुट्ठी भर साथियों के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इसी कड़ी में बिजली विभाग में एक भ्रष्ट अधीक्षण अभियंता की नियुक्ति पर एक जबरदस्त लड़ाई लड़ी और नोएडावासियों को उस भ्रष्ट अधिकारी की नियुक्ति से मुक्ति मिली।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका डाली जिसमें नोएडा के सेक्टर-14ए के नाले में मयूर विहार से बिना शोधित किए डाले जा रहे मल-मूत्र को बंद करने की मांग करके जीत हासिल की। उन्हीं दिनों नोएडा के सेक्टर-19 में कचहरी खोली जा रही थी। तब देश भक्त समाज के विरोध द्वारा इस न्यायालय को यहां से स्थानांतरित करके नोएडा में फेस-2 में स्थापित किया गया। नोएडा शहर के सेक्टर-40 में हुआ माथुर हत्याकांड हो या सेक्टर-9 के व्यापारी ग्रोवर दंपत्ति का सेक्टर-20 में हुआ हत्याकांड हो इसके खिलाफ देश भक्त समाज संस्था ने मजबूत ढंग से आवाज उठाई।
अंतिम निवास की सूरत बदली
जीवित व्यक्ति की सेवा करने वाले तो अनेक मिल जाएंगे। मरने के बाद पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार की व्यवस्था कराना और वह भी रमणीक स्थल पर यह काम केवल महेश सक्सेना जैसे जुनूनी लोग ही कर सकते हैं। नोएडा में बेहद खूबसूरत ढंग से सजाए गए अंतिम निवास (श्मशान घाट) का प्रबंधन भी पिछले 22 वर्षों से महेश सक्सेना ही संभाल रहे हैं। शहीद कर्नल विजयंत थापर की ऐतिहासिक अंतिम यात्रा (जिसमें लाखों लोग एकत्रित हुए शहीद के सम्मान में) यह कार्य भी देश भक्त समाज संस्था के सौजन्य से कराया गया था। शहीद कर्नल विजयंत थापर के अंतिम संस्कार के बाद उन्होंने अंतिम निवास की सूरत बदलने का संकल्प लिया। पहले वहां अव्यवस्थाओं का अम्बार था। चारों तरफ गंदगी व झाडिय़ां फैली थीं। तब से लेकर आज तक उनके प्रयासों से अंतिम निवास में काफी बदलाव किए गए हैं। अंतिम निवास पर सीएनजी से शवदाह की व्यवस्था भी महेश सक्सेना द्वारा करवाई गई।
वहीं कारगिल युद्ध के दौरान प्रधानमंत्री कोष में देश भक्त समाज द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई को 48 लाख रूपये की धनराशि सौंपी गई। इस प्रकार देश भक्त समाज के दर्जनों युवाओं ने भ्रष्टाचार व अन्याय के विरूद्घ लड़ाई लड़ी। आज यह दर्जनों का कारवां हजारों में तब्दील हो गया है।
नोएडा की एकमात्र पब्लिक लाईब्रेरी व स्कूल खोले
1997 में नोएडा लोक मंच का गठन हुआ। नोएडा लोक मंच आज नोएडा शहर की एक मात्र पब्लिक लाइब्रेरी की व्यवस्था एवं प्रबंधन कर रहा है। यह पब्लिक लाईब्रेरी नोएडा के सेक्टर-15 में चल रही है। इसके साथ ही नोएडा लोक मंच द्वारा नोएडा के तीन गांव गढ़ी चौखंडी, सर्फाबाद एवं होशियारपुर में संस्कार स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। इन स्कूलों में लगभग 1300 बच्चों को उच्चतम एवं सर्वश्रेष्ठ शिक्षा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए निरंतर दी जा रही है। इन स्कूलों ने अनेक विलक्षण प्रतिभाएं देश और समाज को दी हैं। इन स्कूलों से पढक़र निकले कई बच्चे आज अधिकारी हैं। पिछले बीस सालों से नोएडा लोक मंच विभिन्न स्थानों में मेडिकल कैंप लगा रहा है। वर्ष-2002 से 2018 तक ‘मे आई हेल्प यू काउंटर’ जिला अस्पताल में मरीजों की सेवा के लिए चलाया गया था, अब उसी कड़ी में पिछले डेढ़ वर्षों से नोएडा लोक मंच द्वारा नोएडा के सेक्टर-12 के पुराने सामुदायिक भवन में प्राधिकरण द्वारा दिए गए स्थान में निशुल्क नोएडा दवा बैंक भी चलाया रहा है।
राष्ट्रीय आपदाओं व कोरोना काल में बने मददगार
देश भर में अब तक आई हुई राष्ट्रीय आपदाओं भुज, नागा पटनम, बिहार, नेपाल, उत्तराखंड, कश्मीर आदि में नोएडा लोक मंच के कार्यकर्ता स्वयं गए एवम भरपूर करोड़ों रुपयों की सहायता देकर देश भर में नोएडा लोक मंच ने नोएडा का नाम बढ़ाया। कोरोना काल में नोएडा लोक मंच द्वारा पुलिस प्रशासन को जरूरत मंदों को बांटने के लिए 80 टन चावल एवम 15 टन दाल दी गई। लगभग 80 हजार खाने के पैकेट लोगों को दिए। साथ ही 10 हजार बैग सूखा राशन भी वितरित किया गया।
पिछले 26 वर्षों में सतत् कार्य करने की क्षमता के कारण नोएडा लोकमंच ने इस क्षेत्र के औद्योगिक समूहों व चेरीटेबल ट्रस्ट तथा आम आदमी का विश्वास पाया है। लोगों के प्यार व विश्वास और कार्यकर्ताओं की बढ़ती सक्रिय टोलियों के उचित समन्वय से आज नोएडा लोकमंच सामाजिक जिम्मेदारियों में बढ़ चढकऱ भाग लेता है। महेश सक्सेना ने चेतना मंच को बताया कि जब भी उन्होंने नोएडा में किसी समस्या के लिए आवाज उठाई इस क्षेत्र के जागरूक नागरिकों तथा यहां के चिन्तनशील प्रेस का उन्हें जबरदस्त सहयोग मिला। वे मानते हैं कि सभी सामाजिक उपलब्धियां सहयोगियों की वजह से ही सम्भव हो सकी हैं। नोएडा की अपनी एक अलग छवि हो, पहचान हो।
यहां की प्रशासनिक व प्राधिकरण की कार्यशैली पारदर्शी व सबके प्रति समभाव रखने वाली हो। इस दिशा में प्रयास चल रहे हैं। जिनमें कुछ हद तक सफलता भी मिली है। इन प्रयासों को सफल बनाने की श्रृंखला में मुख्य स्तम्भ है-जागरुक नागरिक और जवाबदेह प्रेस के वे संवाददाता जो यहां के नागरिकों के दु:ख दर्द व पीड़ा से सीधा संबंध रखते हैं। इसमें कुछ गिने-चुने अधिकारी भी शामिल हैं जो अपनी अच्छी सोच और कार्य कुशलता के लिए मशहूर हैं साथ ही क्षेत्रीय भावना का भी पूरा ध्यान रखते हैं। वे मानते हैं कि पिछले 5-6 वर्षों में नोएडा में सामाजिक जिम्मेदारियों को लोगों ने आगे बढकऱ साथ देने में काफी रूचि दिखाई हैं।
अभी बाकी है सपनों की उड़ान
महेश सक्सेना का मानना है,कि सही मायने में जितना वे करना चाहते थे उतना अभी तक नहीं कर पाये। लोकमंच की स्थापना के समय से ही वे चाहते रहे हैं कि क्षेत्र का प्रत्येक नागरिक उनका साथ दे। यदि प्रत्येक नागरिक सालाना मात्र 30 रुपये दे तो वे इस सामाजिक कार्य को अंजाम देकर लोकमंच का सपना पूरा कर पायेंगे। वे मुफ्त पैथोलाजी लैब की सुविधा, डिस्पैन्सरी तथा प्राइमरी स्कूल आदि का सार्वजनिक स्थानों का पूरा सदुपयोग चाहते हैं। स्कूल की प्रथम पारी में 8 से 12.00 बजे तक बच्चों का स्कूल हो, 2.00 से 6.00 बजे तक जूनियर स्कूल और तीसरी पारी में महिलाओं के लिए वोकेशनल इंस्टीट्यूट का प्रबन्ध करना चाहते हैं। साथ ही स्कूल के किसी छोटे-से हिस्से में आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और ऐलोपैथिक की चिकित्सा सेवा पूरे दिन उपलब्ध करवाने की भी उनकी मंशा हैं। इसी प्रकार अन्य सार्वजनिक स्थानों का भी 12 से 14 घंटे तक सदुपयोग चाहते हैं।
ANMOL RATNA
इसके लिए शासन और प्रशासन दोनों के सहयोग की आवश्यकता है। उनके अनुसार लोकमंच ने कभी भी धन एकत्र करने का प्रयास नहीं किया। जब कभी किसी आर्थिक सहयोग की जरूरत पड़ती है वे अपने कार्य का जिक्र करते हुए उद्योपतियों को पत्र भेजते हैं और उन्हें आशा से अधिक सहयोग मिल जाता है। उनका मानना है कि समाजसेवा की भावना तो है बस जरूरत है लोगों में यह विश्वास पैदा करने की कि उनके पैसे का दुरूपयोग नहीं होगा। वे कभी घर-घर जाकर चंदा इक्कट्ठा नहीं करते और न ही कोई ऐसा कार्यक्रम करवाते हैं जिसमें टिकट लगता हो।
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सक्सेना जी को समाजसेवा के लिए 24 घंटे का समय भी कम लगता है। जहां आम आदमी, पत्रकार, उद्योगपति उन्हें सहयोग करते हैं। वहीं राजनीतिक सहयोग का उनके पास अभाव है। जिस दिन जन-जन का विश्वास उनके साथ होगा उस दिन उनका सपना व लक्ष्य चरमसीमा पर होगा। उन पर अपने दादाजी बद्रीप्रसाद सक्सेना का भी गहरा प्रभाव है। उन्होंने अपने दादाजी से सादा जीवन व अनुशासन सीखा।
सादे विचारों ने जीवन को दी ऊर्जा
समाजसेवी महेश सक्सेना को ताश, बैडमिंटन, टेबल टेनिस और क्रिकेट खेलना बहुत प्रिय लगता है परंतु अब उनके पास इन सब के लिए समय नहीं है। लिखना और लोगों से जुडऩा आजकल उनके नए शौक हैं। वे सादा शुद्ध शाकाहारी भोजन पसंद करते हैं,वैसे रसमलाई उन्हें अधिक पसंद है। मौका मिले तो वे सब्जियां बनाते हैं और दोस्तों को दावत देते हैं। जब से उनके जीवन की दिशा बदली है उन्हें लोगों के चमचमाते चेहरों के सिवाय कोई चीज आकर्षित नहीं करती। दुख का भी अहसास नहीं होता। उनके अनुसार सभी को निश्चय कर लेना चाहिए कि अच्छा बोलें, आलोचना में समय नष्ट न करें। ऐसा करने से मन में विकार नहीं आते।
ANMOL RATNA :
अब महेश सक्सेना लोकमंच में कार्यकत्ताओं की संख्या में बढ़ोत्तरी चाहते हैं ताकि उपयुक्त शिक्षा और सस्ती चिकित्सा उपलब्ध करा सकें ताकि कोई निर्धन भी इलाज के अभाव से मरे नही। देश के प्रत्येक नागरिक में इतनी जागरूकता पैदा करना चाहते हैं कि वे अपने अधिकारों के प्रति किसी गलत कार्य को न स्वीकार करें। अपराधी तत्व समाज की निष्क्रियता के कारण ही चुने जाते हैं। उनका कहना है कि सरकार को प्रभावशाली धनाढ्य लोगों को अधिक महत्व न देकर विभिन्न विधाओं में पारंगत लोगों की ओर ध्यान देना चाहिए। वे कहते हैं, आज जरूरत है इन मौजूद होनहार किसान, चित्रकार, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक कलाकार आदि ढूंढने की जो कोयले की खान में हीरे की भांति छिपे हुए है।
ANMOL RATNA: Dr. Purshotam Lal, जो भगवान का रूप ही नहीं बल्कि इंसानियत का स्वरूप भी है।
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