Saturday, 18 May 2024

NATIONAL STORY: सम्राट मिहिर भोज और राजा भोज दोनों ही थे महान गुर्जर शासक

NATIONAL STORY: आज गुर्जर वंश के प्रबल प्रतापी राजा भोज की जयंती है। देश के लोग अपने स्वर्णिम इतिहास के इस…

NATIONAL STORY: सम्राट मिहिर भोज और राजा भोज दोनों ही थे महान गुर्जर शासक

NATIONAL STORY: आज गुर्जर वंश के प्रबल प्रतापी राजा भोज की जयंती है। देश के लोग अपने स्वर्णिम इतिहास के इस वीर सपूत को पूरे गौरव के साथ याद कर रहे हैं।

NATIONAL STORY

लोग जब गुर्जर शासकों की बात करते हैं तो सम्राट मिहिर भोज और राजा भोज के नामों में समरूपता होने के कारण दोनों को भूल से एक ही व्यक्ति मान लिया जाता है ,लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि सम्राट मिहिर भोज और राजा भोज दो अलग अलग राजा थे और दोनों ने अलग-अलग समय पर शासन किया था, लेकिन दोनों में एक बड़ी समानता थी कि वे दोनों ही पराक्रमी राजा गुर्जर वंश के थे।

राजा मिहिर भोज गुर्जर प्रतिहार राजवंश के राजा थे जिन्होंने भारतीय महाद्वीप के उत्तरी हिस्से में लगभग 49 वर्षों तक शासन किया और उनकी राजधानी कन्नौज वर्तमान (उत्तर प्रदेश) में थी। इनके राज्य का विस्तार नर्मदा के उत्तर में और हिमालय की तराई तक पूर्व में वर्तमान बंगाल की सीमा तक माना जाता है । सम्राट मिहिर भोज को प्रतिहार वंश का सबसे महान शासक माना गया है। सम्राट मिहिर भोज का जन्म विक्रम संवत 873 को हुआ था और उन्होंने 836 से 885 तक शासन किया।

अब राजा भोज की बात करें तो उनका जन्म 980 ई में महाराजा विक्रमादित्य की नगरी उज्जयिनी में हुआ था। इतिहासकारों का मानना है कि राजा भोज का शासन काल 1010 से 1053 ईसवी तक रहा था और इन्हें भोज देव भी कहा जाता है। बाद में भोज देव ने धार को अपनी राजधानी बनाया था । राजा भोज का नाम वर्तमान भोपाल से भी जुड़ा है क्योंकि वहां इनका शासन था और भोपाल का प्राचीन नाम भोजपाल था जो बाद में बदलकर भोपाल हो गया। राजा भोज चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य के वंशज थे 15 साल की अल्पायु में ही उनका मालवा की गद्दी पर राज्याभिषेक कर दिया गया था।

प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान डॉक्टर रीवा प्रसाद द्विवेदी ने प्राचीन संस्कृत साहित्य पर शोध किया है उन्होंने मलयालम भाषा में भोज की रचनाओं की खोज की ,उसमें बताया गया है कि राजा भोज का शासन केरल तक फैला हुआ था।

सम्राट मिहिर भोज और राजा भोज दोनों में बड़ी समानता यह थी कि दोनों ही गुर्जर वंश से थे और दोनों ने ही तुर्कों को मात देने के लिए विशाल सेना गठित की थी और तुर्कों को पराजित किया था।

राजा भोज का राज चारों ओर शत्रुओं से घिरा था ,उत्तर में तुर्कों से, उत्तर पश्चिम में राजपूत सामंतों से ,दक्षिण में विक्रम चालुक्य ,पूर्व में युवराज कलचुरी और पश्चिम में भी चालुक्यो से उन्हें लोहा लेना पड़ा था ।उन्होंने सबको युद्ध में हरा दिया था।

तेलंगाना के तेलप और तिरहुत के गांगेह (गंगू) को हराने के कारण एक मशहूर कहावत का जन्म हुआ जिसे हम सब जानते हैं … वह मशहूर कहावत है, “कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली”

ग्वालियर के महान राजा भोज के बारे में कई स्तुति पत्र मिले हैं जिनके अनुसार उन्होंने केदारनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण भी कराया था । उन्होंने अपने काल में कई मंदिर बनवाए थे। धार की भोजशाला का निर्माण भी उन्होंने ही करवाया था और मध्य प्रदेश के वर्तमान राजधानी भोपाल को बनाया था जिसे पहले भोजपाल कहा जाता था ।

राजा भोज नदियों को जोड़ने के लिए भी पहचाने जाते हैं ।उनके द्वारा खुदवाई गई नहरों का लाभ आज भी मध्य प्रदेश के लोगों को मिल रहा है। भोपाल का बड़ा तालाब इसका जीता जागता उदाहरण है। इतिहासकार ई लेन पूल के मुताबिक जब महमूद गजनवी ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर को नष्ट किया था तो यह दुखद समाचार राजा भोज तक पहुंचने में कुछ समय लगा । तुर्की के लेखक दरगीजी के अनुसार उन्होंने इस घटना से क्षुब्ध होकर 1026 मे गजनबी पर हमला किया जिससे घबराकर गजनबी सिंध के रेगिस्तान में भाग गया तब राजा भोज ने गजनबी के पुत्र सलार मसूद को बहराइच के पास मारकर सोमनाथ का बदला लिया था।

राजा भोज की तरह ही सम्राट मिहिर भोज भी अरब आक्रमण को रोकने में सफल रहे थे ,अरब इतिहासकार के मुताबिक इनकी अश्व सेना उस समय की सर्वाधिक प्रबल सेना थी। दूसरी तरफ राजा भोज के साम्राज्य के अंतर्गत मालवा, कुंभकरण ,खानदेश डूंगरपुर, बांसवाड़ा ,चित्तौड़ और गोदावरी घाटी का भाग शामिल था।

राजा भोज ने उज्जैन की जगह धार को अपनी नई राजधानी बनाया था। वे काव्य शास्त्र और व्याकरण के भी बड़े जानकार थे ।उन्होंने 84 ग्रंथों की रचना भी की थी ।भुज प्रबंधन नाम से उनकी आत्मकथा भी है ।आईने अकबरी के अनुसार भोज की राजसभा में 500 विद्वान थे।

तो ऐसा था गुर्जर राजाओं का गौरवशाली इतिहास आपको बताते चलें गुर्जर प्रतिहार राजवंश के अधीन आने वाले प्रमुख वंश थे

परमार गुर्जर वंश
चौहान गुर्जर वंश
गोहिल गुर्जर वंश
मोरी गुर्जर वंश
चंदेल गुर्जर वंश
गुर्जर चालुक्य वंश
तोमर गुर्जर वंश
खटाना गुर्जर
भाटी गुर्जर वंश
मैत्रक गुर्जर वंश
चप गुर्जर वंश
भडाना गुर्जर वंश
और धामा गुर्जर वंश।

REPUBLIC DAY PARADE: खराब दृश्यता बनी फ्लाई पास्ट के आनंद में बाधक

News uploaded from Noida

Related Post