Friday, 19 April 2024

 NOIDA NEWS : स्माइल इंडिया ट्रस्ट ला रहा लोगों के जीवन में मुस्कुराहट

 अंजना भागी स्माइल इंडिया ट्रस्ट जो ला रहा है आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों के जीवन में मुस्कुराहट,…

 NOIDA NEWS : स्माइल इंडिया ट्रस्ट ला रहा लोगों के जीवन में मुस्कुराहट
 अंजना भागी
स्माइल इंडिया ट्रस्ट जो ला रहा है आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों के जीवन में मुस्कुराहट, शिक्षा का उजाला, रोजगार से आत्म सम्मान।
NOIDA NEWS:  असंगठित क्षेत्रों में कार्य करने वाले कामगार जब गाँव देहात में रोजगार नहीं पाते हैं तो उनके पास शहरों में आकर मजदूरी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। ऐसे में जहां काम मिलता है जो भी काम मिलता है ये वे ही काम कर दो जून की रोटी कमाते हैं। रहने का कोई ठिकाना न होने से इनके बच्चे भी निरक्षर रह जाते है। ऐसे में अंशुल भारद्वाज जैसे लोग ही हैं जो इनको सहयोग करते हैं इनके आगे बढऩे के साधन जुटाते हैं और इनके जीवन में स्माइल लाते हैं।

NOIDA NEWS:

सेक्टर-45, मकान नंबर एसडी-75, नोएडा।  दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक सदरपुर गांव के घेरे से आने वाले लेबर क्लास, रिक्शा चालक, मिस्त्री-मजदूरों के बच्चों के शोर से गुंजायमान रहता है। कारण पहले ये बच्चे सारा दिन अपने माता-पिता के कार्यस्थल पर इधर-उधर भटकते रहते थे। अब ये शिक्षा ग्रहण करने स्माइल इंडिया ट्रस्ट पर आते हैं। कोई फीस न शुल्क सब निशुल्क।  अत: पढऩे और पढ़ाने वाले दोनों ही लग्न से लगे होते हैं। इन बच्चों को शिक्षा का उजाला दे समाज तथा देश के उद्धार में लगे अंशुल भारद्वाज को देखकर ही लगता है कि एक अच्छी सोच बहुत से सही तथा अच्छे लोगों को एकत्रित कर दिशा देती है। सच कहें तो ऐसे ही लोगों के दम पर आज मानवता जिंदा है। और फल-फूल भी रही है। अंशुल भारद्वाज एक ऐसे ही उत्तम सोच वाले व्यक्तित्व हैं। इनके पिता श्री पाल पेशे से कवि और मां उषा हिंदी की अध्यापिका रहीं। एक इमोशनल दूसरा साहित्यिक। तीन बच्चों की परवरिश करते, मिलकर प्यार से जीवन की गाड़ी खींच रहे थे। इनमें से अंशुल सोचते थे क्या करें? कैसे करें? जो अपने आसपास के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लोगों के बच्चों को भी शिक्षित तथा स्वावलंबी बना सकें। इनके साथ इनके तीन मित्र गुरदयाल विग, अक्षय और उदय भी इनको बहुत प्रोत्साहित करते।
अभी हाल ही में इन्होने रेड रोज, भवानी इंटर कॉलेज तथा महाराणा प्रताप विद्यालय के बच्चों का फ्री आई चेक भी कॉर्पोरेट उद्यमियों की मदद से करवाया यानि सेहत तथा शिक्षा दोनों की जिम्मेदारी उठाता है स्माइल इंडिया ट्रस्ट ।
आज लगभग 200 बच्चे स्माइल इंडिया ट्रस्ट के सहयोग से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं
किसी को भी पैरों पर खड़ा करने के दो अच्छे उपाय हैं। पहला शिक्षित कर देना। दूसरा कोई कौशल सीखा देना। सोच अच्छी थी तो अच्छा समय भी आ ही गया। इनकी ऐसी वृत्ति देख इनके एक क्लायेंट ने कहा जब इतनी अच्छी सोच है तो देर किस बात की और 2017  में स्माइल इंडिया ट्रस्ट का जन्म हुआ। इनके तीन मित्र निरंतर इनके साथ थे। बच्चे पढने आने लगे। कोई ज्यादा बड़ी आयु नहीं है सिर्फ 39 साल इनके अथक परिश्रम का ही परिणाम कि सहयोग करने वाले लोग भी स्वयं जुटने लगे। आज लगभग 200 बच्चे स्माइल इंडिया ट्रस्ट के सहयोग से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। आज भी नागेंदर और कुलदीप सिंह कचरा इत्यादि बीनने, घरों में काम करने वाली सहायिका जिनके बच्चे पढऩे न जाकर काम करते हैं। उनको बाकायदा ढूंढ के लाते हैं और शिक्षा की और अग्रसर करते है। कुलदीप तो दिव्यांग बच्चे जो सुन या बोल नहीं सकते उन्हें भी डांस सिखा लेते हैं और अंशुल के सपनों को उड़ान देने में पूरी तरह साथ हैं।
करोना के दौरान जब लॉक डाउन लगा तो भूख ने प्रथम स्थान ले लिया। स्माइल इंडिया ट्रस्ट ने भी अपना ध्यान भोजन पर केंद्रित किया। 2012 में बच्चों को शिक्षित करने के उददेश्य से शुरु हुआ ट्रस्ट अपनी कार्य शैली से इतना नाम कमा चुका था कि भोजन वितरण में अपना सहयोग देने के लिये बडी-बडी कम्पनियां भी स्माइल इंडिया ट्रस्ट का सहयोग करने को आगे बढीं। मार्च 2019 से आज तक लगभग 7000 बच्चे  हर रोज सेक्टर-78 के स्लम, दिल्ली मेरठ तक स्माइल इंडिया ट्रस्ट के माध्यम से एक समय का भोजन पा रहे हैं।
ये बात हौंसले की है। आगे बढ़ते चले जा रहे है। ना अपना कोई बड़ा मकान ना ही कोई ऑफिस। सेक्टर-45 एसडी 70 नंबर पर अब महिलाओं को सबल करने को तथा युवाओं को कंप्यूटर का कौशल सिखाने का भी उदेश्य अब ये पूरा करने जा रहे हैं। इनके इरादों को उड़ान दे रहे हैं लक्ष्य स्टूडियो और कीवर्ड स्टूडियो अमेजऩ कंपनी ने भी अब स्माइल इंडिया ट्रस्ट का हाथ थाम लिया है और उनके ही सहयोग से अब महिलाओं के लिए फ्री सिलाई केंद्र तथा युवाओं बल्कि सभी के लिए फ्री कंप्यूटर एजुकेशन का प्रावधान भी शुरू किया है।
ये दोनों ही फ्री हैं 6 महीने तक ट्रेनिंग लेने वालों को बकायदा कंपनी सर्टिफिकेट भी इशू करेगी तथा इन युवाओं या सीखने वालों को यहीं फाउंडेशन से ही रोजगार मिल सके इसके लिए भी अंशुल प्रयासरत हैं।

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