Sunday, 6 October 2024

PM Modi Brothers Sombhai खुद को PM का भाई नहीं कहते, उनके ही बड़े भाई

PM Modi Brothers Sarabhai: मेहसाणा। गुजरात राज्य का एक शानदार जनपद मेहसाणा। इस जनपद में बसा है एक गांव जिसे…

PM Modi Brothers Sombhai खुद को PM का भाई नहीं कहते, उनके ही बड़े भाई

PM Modi Brothers Sarabhai: मेहसाणा। गुजरात राज्य का एक शानदार जनपद मेहसाणा। इस जनपद में बसा है एक गांव जिसे वडनगर के नाम से जाना जाता हैं। इस गांव की ढाई हजार साल पुरानी अपनी संस्कृति है, लेकिन इस सबसे बढ़कर यदि यहां कुछ है तो PM Modi का बचपन की यादें। यह गांव पीएम मोदी की तमाम तरह की यादों को संजोएं हुए हैं। इस गांव में एक शख्स ऐसा भी है, जो कहता है कि मैं PM का भाई नहीं, मैं नरेंद्र मोदी का भाई हूं। PM के लिए पूरे देश की जनता भाई बहन है।

PM Modi Brothers Sombhai

पिछले दिनों चेतना मंच की टीम ने इस गांव का भ्रमण किया और PM नरेंद्र मोदी के जीवन से जुड़ी तमाम तरह की यादों को संग्रहित किया। पीएम मोदी के बचपन के अल्हडपन से उनके बड़े भाई, सोम भाई से चेतना मंच की टीम ने विस्तार से बातचीत की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े भाई सोम दादा गांव में एक वृद्धाश्रम चलाते हैं। वह खेल विभाग में डिस्ट्रिक्ट सैनेटरी इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे, लेकिन उन्होंने 1993 में नौकरी छोड़ दी और सीनियर सिटीजन की सेवा में लग गए। खास बात यह है कि देश की इतनी बड़ी शख्सियत पीएम के बड़े भाई होने के बावजूद उन्हें इस बात का जरा भी गुमान नहीं है कि वह प्रधानमंत्री के बड़े भाई है। वह स्पष्ट शब्दों में कहते हैं कि मैं नरेंद्र मोदी का बड़ा भाई हूं, प्रधानमंत्री का नहीं।

यादें ताजा करते हुए भावुक हो जाते है सोमाभाई

सोम भाई ने चेतना मंच से बातचीत करते हुए सोमा भाई भावुक हो जाते हैं, उनकी आंखों से आंसू छलक आते हैं। पीएम मोदी की स्कूल लाइफ की कुछ यादें शेयर करते हुए बताया कि उत्तरायण का दिन था। गांव के सभी बच्चे पतंग उड़ा रहे थे। इसी दौरान एक कबूतर पतंग की डोर में फंस गया और पेड़ पर जाकर बैठ गया। नरेंद्र मोदी यह सब देख रहे थे तो उनसे रहा नहीं गया। चूंकि कबूतर के पंखों में पतंग की डोर फंस गई थी, और वह उड़ नहीं सकता था, एक बेजुबान जीव का यह दर्द नरेंद्र मोदी से नहीं देखा गया और वह तुरंत पेड़ पर चढ़ गया, अन्य बच्चों ने सोचा कि नरेंद्र पतंग की डोर के लिए पेड़ पर चढ़ा है तो बच्चों इसकी शिकायत स्कूल के प्रिंसिपल से कर दी। प्रिंसिपल ने नरेंद्र मोदी को बुलाया और डांट लगाई तो नरेंद्र ने सफाई देते हुए कहा कि वह पतंग की डोर के लिए नहीं, बल्कि कबूतर की जान बचाने के लिए पेड़ पर चढ़े थे। जिसके बाद प्रिंसिपल को भी बड़ा दुख हुआ।

परिवार से कोई मॉनिटर तक नहीं बना
सोम दादा बताते हैं, कि उनके परिवार से कोई सरपंच तक नहीं बना। सरपंच तो दूर परिवार का कोई बच्चा स्कूल में मॉनिटर तक नहीं बना। परिवार के किसी भी सदस्य ने यह नहीं सोचा था कि नरेंद्र मोदी एक दिन इतना बड़ा आदमी बनेगा कि पूरा देश ही नहीं विश्व में भी पहचान बनाएगा। सोम दादा बताते हैं कि वो संघ के साथ जुड़े हुए थे, संघ प्रचारक के तौर पर उनका प्रवास भी ज्यादा रहता था।

किताबें पढ़ना और डिसप्लीन
सोम भाई बताते हैं कि नरेंद्र मोदी को किताबें पढ़ने को बहुत शौक है। किताब पढ़ने के लिए वह पब्लिक लाइब्रेरी भी जाते थे। पढ़ाई में वह एवरेज थे। हिस्ट्री, साइंस, मैथमेटिक्स, इन सब विषयों पर उनकी ज्यादा पकड़ है। बचपन में उनकी किताबों के साथ मित्रता थी। स्कूल कभी दो मिनट लेट नहीं गए, स्कूल टीचर की ओर से कभी कोई कप्लेन नहीं आई। अपना काम स्वयं करते थे, स्वावलंबी थे। कभी दूसरों पर डिपेंट नहीं रहे। स्कूल में कभी भी पांच मिनट लेट नहीं गए।

बच्चों के साथ खेलना था शौक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बच्चों के साथ खेलने का बहुत शौक था। वह बड़ा होने के बाद भी बच्चों के साथ खेलना नहीं भूले। सोमा भाई बताते हैं कि गांव में आरएसएस की शाखा चलती थी, तो वहां पर चले जाते थे। तालाब में तैरने का बहुत शौक था पीएम को। वह रोजाना गांव के तालाब में तैरने के लिए जाते थे।

परिवार ने कभी कोई प्रश्न नहीं किया
प्रधानमंत्री अपने सभी भाईयों में तीसरे नंबर हैं। उनके परिवार ने उन पर कभी किसी तरह को काई दबाव नहीं बनाया। अपनी खुशी के लिए जो मन में आए, वो सब करते रहते थे। परिवार में कभी कोई ऐसा सवाल नहीं उठता था कि ऐसा क्यों नहीं किया।

​आज भी चिट्ठी लिखकर देते हैं सूचना
सोमा भाई बताते हैं कि जब से नरेंद्र पीएम बने हैं, तब से बहुत व्यस्त हो गए हैं। लेकिन परिजनों ने या उन्होंने स्वयं कभी कोई फोन नहीं किया। उनको कभी परेशान नहीं किया। कोई आवश्कता होती है तो खत लिख देते हैं, जब फुर्सत होगी तो पढ़ लेंगे। सोमा भाई बताते हैं कि वह नरेंद्र से मिलने के लिए दिल्ली जाने की जरुरत क्या है। कोई बात होती है तो खत लिख देता हूं।

पीएम को सैनिकों से बड़ा लगाव
सोमाभाई के अनुसार, पीएम मोदी को देश के सैनिकों से बड़ा लगाव है। जब भारत और चायना का युद्ध हुआ न, तो उस टाइम पर मेहसाणा होके मिलट्री के जो सोल्जर थे, सैनिक ट्रेन से जाते थे। तो नरेंद्र मेहसाणा पहुंच गया था, सब सोल्जरों को चाय पिलाने के लिए। आज भी वह सैनिकों के कैंप में जाकर सैनिकों के साथ मिलकर दीवाली मनाते हैं। कारगिल को युद्ध हुआ। युद्ध समाप्त हुआ, उसी दिन वो हैलीकाप्टर से कारगिल गए थे। सैनिकों को मिलने के लिए यह उनकी जिंदादिली है।

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