Monday, 6 May 2024

Big exercise on crime: क्राइम पर बड़ी कवायद, महज सिस्टम में तब्दीली कर देने से क्राइम खत्म नहीं हो सकता

जितेन्द्र बच्चन Big exercise on crime:: बधाई हो, उत्तर प्रदेश के तीन और जिले पुलिस कमिश्नरेट हो गए। आगरा, गाजियाबाद…

Big exercise on crime: क्राइम पर बड़ी कवायद, महज सिस्टम में तब्दीली कर देने से क्राइम खत्म नहीं हो सकता

जितेन्द्र बच्चन

Big exercise on crime:: बधाई हो, उत्तर प्रदेश के तीन और जिले पुलिस कमिश्नरेट हो गए। आगरा, गाजियाबाद और प्रयागराज में अब एसएसपी की जगह कमिश्नर ऑफ पुलिस नियुक्त हैं। ओहदा बढ़ने के साथ ताकत भी दोगुनी कर दी गई है। एसपी, डीएसपी और थानेदार की जगह अब एसीपी, डीसीपी और एसएचओ तैनात किए जाएंगे। थानों की संख्या पहले ही बढ़ा दी थी और कई नई पुलिस चौकियां भी इजाद की जा रही हैं। कोर्ट-कचहरी में न्याय जल्दी मिले, इसलिए वहां भी कई तरह की कवायद जारी है। साइबर क्राइम पर पैनी नजर है। सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया गया है। चाहे जितना खर्च हो जाए पर सरकारी सहूलियत आम आदमी तक पहुंचनी चाहिए। उम्मीद करिए, अब जुर्म कम होगा और भ्रष्टाचार पनपने नहीं दिया जाएगा।

जितेन्द्र बच्चन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ डंके की चोट पर कह रहे हैं, “माफिया हर हाल में सलाखों के पीछे होंगे। संगठित अपराध करने वालों की कमर तोड़ दी जाएगी। गुंडे-बदमाशों की खैर नहीं, अपराधी सुधर जाएं वरना कानून किसी कीमत पर उन्हें नहीं छोड़ेगा। हर जुर्म की सजा मिलेगी।” इसमें दो राय नहीं कि प्रदेश में बुल्डोजर चला है। पुलिस मुठभेड़ बढ़ी है। गिरफ्तारियों में भी इजाफा हुआ है। कल तक जो दारोगा मुंह से ठाय-ठाय की आवाज निकालकर काम चलाते थे, आज बदमाशों से दो-दो हाथ करने लगे हैं। ज्यादातर इनामी बदमाश मुठभेड़ में गोली मारकर पकड़े जा रहे हैं। अचूक निशाना है, पैर के अलावा शरीर के किसी अन्य हिस्से में गोली नहीं लगती।

सीएम योगी आदित्यनाथ कहते हैं, “हमारी सरकार पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रही है। हम भयमुक्त समाज देने के लिए कटिबद्ध हैं।” अच्छा है। एक मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश का गार्जियन होता है। उसे इसी तरह का प्रण लेना चाहिए और जनता भी उनसे यही उम्मीद रखती है। हम भी यही चाहते हैं, अपराध पर अंकुश लगे। सब का विकास हो और सभी खुशहाल रहें, लेकिन क्या वाकई अपराध पर अंकुश लगा है? समाज भय और भ्रष्टाचार मुक्त हो रहा है? क्या महिलाएं सुरक्षित हैं? उन्हें अब किसी प्रकार का डर नहीं लगता? चोरी, डकैती, छिनैती खत्म हो गई? स्कूल-कालेज जाने वाली लड़कियों से छेड़छाड़ नहीं की जा रही है? बिना रिश्वत के सरकारी काम-काज हो रहे हैं? गरीब, बेसहारा, अपाहिज और विधवा महिलाओं की जमीन पर दबंगों का कब्जा नहीं है? सभी पात्र परिवारों का राशन कार्ड बना है? गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को सरकारी सुविधाएं मुहैया हो रही हैं? वरिष्ठ नागरिकों को पेंशन मिल रही है? अन्य सुविधाओं से वह वंचित नहीं हैं?

पूर्व सांसद-विधायक जो वरिष्ठ बुजुर्ग हैं, उनको रेलवे में छूट आज भी मिलती है लेकिन आम वरिष्ठ नागरिकों की मिल रही छूट की सुविधा खत्म कर दी गई। आखिर क्यों? पीएम और सीएम योजना के तहत जिन पात्र व्यक्तियों को मकान मिलने चाहिए, उनको उपलब्ध हो रहे हैं? सभी गांवों में घर-घर शौचालय बनवा दिए गए? प्रति यूनिट के हिसाब से जितना राशन सरकार गरीबों को दे रही है, क्या उन तक वाकई पहुंच रहा है? थाने, पुलिस चौकियां बढ़ा देने से अपराध पर अंकुश लगा है? जिन जिलों में पुलिस कमिश्नरी लागू की गई है, वहां क्राइम कम हो गया? पुलिस महकमों में सुधार आ गया? घूसखोरी बंद हो गई? बेगुनाहों का शोषण-उत्पीड़न अब नहीं होता? एक एफआईआर दर्ज कराने के लिए कई-कई रोज चक्कर नहीं काटने पड़ते? ऑन लाइन जो मामले बमुश्किल दर्ज हो पाते हैं, उनमें त्वरित कार्रवाई होती है? खुलेआम मुल्जिम अब नहीं घूमते?

गौतम बुद्धनगर को ही लीजिए, यहां तो पुलिस कमिश्नरेट है। अगर इस नई प्रणाली से यहां अपराध कम हुआ होता तो सीपी (पुलिस आयुक्त) आलोक सिंह की विदाई क्यों होती? उनकी जगह ज्यादा तेज-तर्रार मानी जाने वाली पुलिस अफसर लक्ष्मी सिंह को यहां क्यों लाया जाता? जाहिर सी बात है कि सरकार ने और बेहतरी के लिए यह कार्य किया है। इस तरह के अभिनव प्रयोग नहीं किए जाएंगे तो समस्या का समाधान कैसे होगा। लेकिन बड़ा सवाल अब भी सीना तानकर खड़ा है- अपराध का ग्राफ कैसे कम होगा? पुलिस आम लोगों की दोस्त कब बनेगी? भ्रष्ट पुलिसवालों की शिनाख्त कैसे होगी? अंग्रेजों के जमाने के बनाए गए कानून में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम बन जाने से बदलाव आ सकता है क्या? कभी नहीं। जरूरत है बड़ी इच्छाशक्ति की। व्यवस्था ऐसी हो कि आम लोग पुलिस को अपना हमदर्द समझें, तभी सरकार भी लोकप्रिय होगी और अपराध भी कम होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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