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Delhi High Court : शरजील, तन्हा और जरगर के खिलाफ नए सिरे से तय हों आरोप : कोर्ट

Delhi High Court

Charges should be framed afresh against Sharjeel, Tanha and Zargar: Court

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2019 के जामिया नगर हिंसा मामले में जवाहरलाल नेहरू (जेएनयू) विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम और कार्यकर्ताओं आसिफ इकबाल तन्हा एवं सफूरा जरगर सहित 11 लोगों को बरी करने के निचली अदालत के आदेश को मंगलवार को आंशिक रूप से रद्द कर दिया तथा उनके खिलाफ नए आरोप तय करने का आदेश दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया इमाम, तन्हा और जरगर सहित 11 आरोपियों में से नौ के खिलाफ दंगा करने एवं अवैध रूप से एकत्र होने का आरोप बनता है।

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न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार से इनकार नहीं है, लेकिन यह अदालत अपने कर्तव्य को लेकर जागरूक है। इस मुद्दे में इसी तरह से फैसला करने की कोशिश की गई है। शांतिपूर्ण तरीके से एकत्र होने का अधिकार शर्तों के साथ होता है। संपत्ति और शांति को नुकसान पहुंचाना कोई अधिकार नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा कि हिंसा या हिंसक भाषणों के कृत्य संरक्षित नहीं है। प्रथमदृष्टया, जैसा कि वीडियो में देखा गया है, कुछ प्रतिवादी भीड़ की पहली पंक्ति में थे और अधिकारियों के खिलाफ नारे लगा रहे थे और हिंसक रूप से बैरिकेड को धक्का दे रहे थे। यह मामला दिसंबर 2019 में यहां जामिया नगर इलाके में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध कर रहे लोगों और दिल्ली पुलिस के बीच झड़प के बाद भड़की हिंसा से संबंधित है।

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निचली अदालत ने चार फरवरी के अपने आदेश में सभी 11 आरोपियों को बरी कर दिया था। अदालत ने कहा था कि उन्हें पुलिस द्वारा बलि का बकरा बनाया गया। असहमति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, न कि उसे दबाया जाना चाहिए। निचली अदालत ने 11 आरोपियों को बरी करते हुए एक अन्य आरोपी मोहम्मद इलियास के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। मामले में निचली अदालत ने जिन 11 लोगों को बरी किया है, उनमें इमाम, तन्हा, जरगर, मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा खान, मोहम्मद अबुजर, मोहम्मद शोएब, उमैर अहमद, बिलाल नदीम और चंदा यादव शामिल हैं।

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उच्च न्यायालय ने अबुजर और शोएब पर आईपीसी की धारा 143 (गैर कानूनी रूप से जमा होना) के तहत आरोप लगाया और आरोप पत्र में लगाए गए अन्य सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है। उच्च न्यायालय ने तन्हा को आईपीसी की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 341 (गलत तरीके से रोकना) और 435 (नुकसान पहुंचाने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ से शरारत) के आरोप से मुक्त कर दिया और उसके खिलाफ दंगा भड़काने सहित अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए।

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उच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर बाकी आरोपियों के खिलाफ सुनवाई के दौरान उन आरोपों को लेकर कोई सबूत सामने आता है, जिसके लिए उन्हें आज आरोपमुक्त किया गया है, तो निचली अदालत उसी के अनुसार आगे बढ़ सकती है। पुलिस ने अपनी पुन:निरीक्षण याचिका में कहा था कि कि निचली अदालत का आदेश कानून के सुस्थापित सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है, गंभीर विसंगतियों से युक्त है और कानून की नजर में दोषपूर्ण है।

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