UP News: उत्तर प्रदेश के बागपत से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। कहते हैं कि बालक ईश्वर का रुप होता है। उसे अच्छे बुरे को कोई ज्ञान नहीं होता है, बच्चे की इसी मासूमियत का फायदा उसके चाचा ने उठाया। ऐसा काम किया, जिसका किसी को अंदाजा तक नहीं था कि एक चाचा ऐसा काम कर सकता है क्या।
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यूपी के बागपत जिले में करीब पांच दिन से लापता सात साल के बच्चे शौर्य का शव पुलिस ने बरामद कर लिया है। घटना के संबंध में पुलिस ने बच्चे के सगे चाचा समेत तीन लोगों को हिरासत में लिया है। पुलिस के अनुसार बच्चे के चाचा और चचेरे भाई ने अपने एक अन्य साथी के साथ मिलकर उसके परिजनों से 30-40 लाख रुपये फिरौती के रूप में वसूलने के लिए घटना को अंजाम दिया।
पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने बुधवार को बताया कि 15 दिसंबर 2022 की शाम फखरपुर निवासी सोहनबीर का सात वर्षीय पुत्र शौर्य उर्फ सूर्यांश ट्यूशन से वापस लौटते समय लापता हो गया था। सूचना पर पुलिस ने तत्काल गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर बच्चे की तलाश शुरू की।
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान कुछ लोगों के नाम प्रकाश में आए थे। इनमें शौर्य का चाचा विनीत, चचेरा भाई अक्षित तथा इनका एक अन्य साथी डैनी शामिल हैं। इन लोंगो को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो इन्होंने शौर्य को अगवा कर उसकी हत्या करने का अपराध कुबूल कर लिया। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने शौर्य के शव को मंगलवार को गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर एक गन्ने के खेत से बरामद कर लिया। परिवार वालों के आग्रह पर रात में बच्चे के शव का पोस्टमाटर्म कराया गया है।
जादौन के अनुसार पूछताछ में अभियुक्तों ने बताया की शौर्य को मोटरसाइकिल पर बैठने का बहुत शौक था। वह 15 दिसंबर की शाम करीब सवा पांच बजे जब ट्यूशन पढ़ कर लौट रहा था, तभी अभियुक्त मोटरसाइकिल पर घुमाने के बहाने शौर्य को अपने साथ ले गये और उसकी गला दबा कर हत्या कर दी। इसके बाद शव को गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर गन्ने के खेत में ठिकाने लगा दिया। किसी को अभियुक्तों पर शक ना हो इसलिए वे बच्चे के परिजनों के साथ बच्चे की तलाशी के लिए चलाए जा रहे पुलिस के अभियान में शामिल हो गए।
हत्या की वजह के बारे में पूछे जाने पर पुलिस अधीक्षक ने अभियुक्तों से हुई पूछताछ के आधार पर बताया कि शौर्य के दादा करीब एक साल पहले ही सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के दौरान उन्हें काफी धन मिला था। इस पैसे से शौर्य के दादा ने कुछ जमीन खरीदी थी। अभियुक्तों की मंशा यह थी कि पुलिस का अभियान समाप्त होने के बाद वे परिजनों से बच्चे को अपने कब्जे में बताकर 30-40 लाख रुपये की मांग करेंगे। अभियुक्तों के मुताबिक शौर्य को मारना इसलिए जरूरी था क्योंकि वह सबको पहचानता था।
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