Noida : उत्तर प्रदेश के चर्चित इंजीनियर (eminent engineer) नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) में चीफ इंजीनियर (Chief Engineer) रहे यादव सिंह (Yadav Singh) के प्रमोशन समेत भ्रष्टाचार के मामले की प्रशासनिक जांच लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के प्रमुख सचिव नरेन्द्र भूषण करेंगे। इससे पहले बतौर ग्रेनो प्राधिकरण के सीईओ नरेन्द्र भूषण ही इस मामले की जांच कर रहे थे। लेकिन, उनके तबादले के बाद यह जांच अधूरी रह गई थी। पहली बार यह जांच औद्योगिक विकास विभाग से बाहर गई है।
सूत्रों का कहना है कि नरेन्द्र भूषण के तबादले के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने यादव सिंह की फाइल लौटा दी थी। क्योंकि इसे लेकर कोई निर्देश नहीं मिले थे। ऐसे में जांच का काम थम गया था। अब इस जांच को और आगे बढ़ने का फैसला शासन ने किया है। जांच के दौरान यादव सिंह की प्रमोशन समेत कई अनियमितताओं की परतें खोली जाएंगी। हालांकि यादव सिंह का कार्यकाल खत्म हो चुका है। सीबीआई की गिरफ्तारी के समय ही यादव सिंह को निलंबित कर दिया गया था। बाद में लंबे समय तक यादव सिंह को जेल भी जाना पड़ा। अब एक बार फिर शुरू होने वाली जांच से यादव सिंह की मुश्किलें बढ़ेंगी।
यादव सिंह पर टेंडर आदि घोटालों के आरोप लगे थे। इसमें नकली कंपनियां बनाकर अपने चहेतों, दलालों तथा राजनेताओं को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा था। यादव सिंह ने 1980 में जूनियर इंजीनियर के पद पर ज्वाइन किया था। उसके बाद 9 वर्ष में उन्हें असिस्टेंट इंजीनियर बना दिया गया। उन्हें असिस्टेंट इंजीनियर से प्रोजेक्ट इंजीनियर बनाने में भी इसी तरह की जल्दबाजी की गई। वे 1995 में प्रोजेक्ट इंजीनियर बन गए। एई और पीई की तरह ही सीनियर प्रोजेक्ट इंजीनियर दो साल (1997) में उन्हें बना दिया गया। जबकि इसके लिए 8 साल का अनुभव होना चाहिए। इसके बाद चीफ इंजीनियर बनाने में भी जल्दबाजी की गई। 8 साल की जगह 5 साल मंे ही इंजीनियर इन चीफ का पद सृजित किया गया।