जाने पितृपक्ष के कुछ जरुरी नियम, क्यों होता है तर्पण और पिंडदान




Bhadrapada Purnima 2023 : 29 सितंबर 2023 को शुक्रवार के शुभ दिन पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। भाद्रपद माह की पूर्णिमा बेहद खास होती है इस दिन देवी लक्ष्मी श्री विष्णू पूजन के साथ ही चंद्र पूजन एवं पितरों का पूजन भी किया जाता है। शुक्रवार के योग में आने वाली भाद्रपद पूर्णिमा अत्यंत ही उत्तम फल प्रदान करने वाली मानी जाती है। शास्त्रों में इस दिन भगवान सत्यनारायण (Satyanarayan Katha) का पूजन, व्रत स्नान, दान इत्यादि से जुड़े कार्य कई गुना शुभ फलों की वृद्धि प्रदान करने वाले होते हैं।
भाद्रपद पूर्णिमा का दिन भगवान स्त्यनारायण की पूजा के साथ चंद्र दर्शन एवं पूजन के लिए भी विशेष होता है। इस समय पर चंद्रमा के दर्शन से जीवन में सौंदर्य एवं भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। मानसिक अवसाद दूर होते हैं तथा बल शक्ति में वृद्धि का योग प्राप्त होता है। पूर्णिमा पर संध्या समय के दौरान चंद्र उदय पर चंद्र देव का दर्शन करते हैं तथा चंद्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत पूजा द्वारा व्रत को पूर्ण माना जाता है।
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन कुछ स्थानों पर उमा महेश्वर व्रत करने का भी विधान रहा है, अत: इस शुभ दिन पर भगवान शिव एवं माता पार्वती का पूजन करने से भक्तों को जीवन में सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
भाद्रपद पूर्णिमा का समय भक्तों के लिए एक ऐसा दिन होता है जब ऊर्जाएं अपने विस्तार में होती हैं। इस समय किए जाने वाले कार्य भी व्यक्ति के जीवन में शुभता का विस्तार करने वाले माने जाते हैं। पूर्णिमा हो या अमावस्या यह दोनों ही तिथियां कई कारणों से विशेष मानी जाती हैं। ऐसे में भादो माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि के दौरान आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए, करियर को आगे ले जाने के लिए रोग दोष से मुक्ति पाने हेतु अथवा पितरों का अशीर्वाद पाने के लिए सबसे उत्तम समय माना गया है। इस समय पर किए जाने वाले उपाय भक्तों को शुभता का सुख प्रदान करते हैं। आइये जानें इस दिन पर आप कैसे अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं।
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन शाम के समय शिव मंदिर अथवा विष्णु मंदिर में कच्चे दूध और चीनी का दान अवश्य करना चाहिए। इस उपाय को चंद्रमा की प्रबलता पाने हेतु किया जाता है तथा इसके अलावा किसी भी प्रकार के रोग दोष से मुक्ति के लिए इस दिन किया जाने वाला यह उपाय बेहद कारगर सिद्ध होता है।
पूर्णिमा का यह समय पितरों का समय भी होता है क्योंकि इसके साथ ही श्राद्ध पक्ष का आरंभ हो जाता है, अत: यह दो समय के मिलन का दिन होने के कारण इस दिन प्रात:काल के समय गरीबों को दान देने के अलावा संध्या के समय पितरों को नमस्कार करना चाहिए घर की दहलीज पर एक चौमुखी तेल का दीपक अवश्य जलाना चाहिए। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद सदैव वंश पर बना रहता है।
भाद्रपद माह की पूर्णिमा इस बार शुक्रवार के दिन होगी ऎसे में यह दिन देवी लक्ष्मी पूजन हेतु उत्तम बन रहा है। शुभ योग का निर्माण होने से इस दिन यदि कपूर और घी का दीपक लक्ष्मी जी के सम्मुख प्रज्जवलित किया जाए तथा देवी को केसर का तिलक करें तो जीवन में मौजुद अटकाव एवं आर्थिक विपन्नताओं का दौर समाप्त होने लगता है।
Bhadrapada Purnima 2023 : 29 सितंबर 2023 को शुक्रवार के शुभ दिन पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। भाद्रपद माह की पूर्णिमा बेहद खास होती है इस दिन देवी लक्ष्मी श्री विष्णू पूजन के साथ ही चंद्र पूजन एवं पितरों का पूजन भी किया जाता है। शुक्रवार के योग में आने वाली भाद्रपद पूर्णिमा अत्यंत ही उत्तम फल प्रदान करने वाली मानी जाती है। शास्त्रों में इस दिन भगवान सत्यनारायण (Satyanarayan Katha) का पूजन, व्रत स्नान, दान इत्यादि से जुड़े कार्य कई गुना शुभ फलों की वृद्धि प्रदान करने वाले होते हैं।
भाद्रपद पूर्णिमा का दिन भगवान स्त्यनारायण की पूजा के साथ चंद्र दर्शन एवं पूजन के लिए भी विशेष होता है। इस समय पर चंद्रमा के दर्शन से जीवन में सौंदर्य एवं भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। मानसिक अवसाद दूर होते हैं तथा बल शक्ति में वृद्धि का योग प्राप्त होता है। पूर्णिमा पर संध्या समय के दौरान चंद्र उदय पर चंद्र देव का दर्शन करते हैं तथा चंद्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत पूजा द्वारा व्रत को पूर्ण माना जाता है।
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन कुछ स्थानों पर उमा महेश्वर व्रत करने का भी विधान रहा है, अत: इस शुभ दिन पर भगवान शिव एवं माता पार्वती का पूजन करने से भक्तों को जीवन में सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
भाद्रपद पूर्णिमा का समय भक्तों के लिए एक ऐसा दिन होता है जब ऊर्जाएं अपने विस्तार में होती हैं। इस समय किए जाने वाले कार्य भी व्यक्ति के जीवन में शुभता का विस्तार करने वाले माने जाते हैं। पूर्णिमा हो या अमावस्या यह दोनों ही तिथियां कई कारणों से विशेष मानी जाती हैं। ऐसे में भादो माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि के दौरान आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए, करियर को आगे ले जाने के लिए रोग दोष से मुक्ति पाने हेतु अथवा पितरों का अशीर्वाद पाने के लिए सबसे उत्तम समय माना गया है। इस समय पर किए जाने वाले उपाय भक्तों को शुभता का सुख प्रदान करते हैं। आइये जानें इस दिन पर आप कैसे अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं।
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन शाम के समय शिव मंदिर अथवा विष्णु मंदिर में कच्चे दूध और चीनी का दान अवश्य करना चाहिए। इस उपाय को चंद्रमा की प्रबलता पाने हेतु किया जाता है तथा इसके अलावा किसी भी प्रकार के रोग दोष से मुक्ति के लिए इस दिन किया जाने वाला यह उपाय बेहद कारगर सिद्ध होता है।
पूर्णिमा का यह समय पितरों का समय भी होता है क्योंकि इसके साथ ही श्राद्ध पक्ष का आरंभ हो जाता है, अत: यह दो समय के मिलन का दिन होने के कारण इस दिन प्रात:काल के समय गरीबों को दान देने के अलावा संध्या के समय पितरों को नमस्कार करना चाहिए घर की दहलीज पर एक चौमुखी तेल का दीपक अवश्य जलाना चाहिए। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद सदैव वंश पर बना रहता है।
भाद्रपद माह की पूर्णिमा इस बार शुक्रवार के दिन होगी ऎसे में यह दिन देवी लक्ष्मी पूजन हेतु उत्तम बन रहा है। शुभ योग का निर्माण होने से इस दिन यदि कपूर और घी का दीपक लक्ष्मी जी के सम्मुख प्रज्जवलित किया जाए तथा देवी को केसर का तिलक करें तो जीवन में मौजुद अटकाव एवं आर्थिक विपन्नताओं का दौर समाप्त होने लगता है।
