सेकंड कैरियर अब बन रहा ट्रेंड, क्या है ये सेकंड कैरियर?

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calendar31 Dec 2022 10:42 PM
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Second Career After Retirement -रिटायरमेंट के बाद घर बैठने के बजाय एक बार फिर नए सिरे से, नए काम की शुरुआत करना आज के समय की जरूरत बन चुका है। यही वजह है कि यह आज के समय का ट्रेंड बनता जा रहा है। सेकंड कैरियर ना सिर्फ व्यक्ति को फाइनेंशियली स्ट्रांग बनाता है, बल्कि उन सभी सपनों को पूरा करने में मदद करता है जो व्यक्ति अपने कार्यकाल के दौरान पूरा नहीं कर पाता। दूसरे नजरिए से देखा जाए तो आज के बदले हुए युग में लोगों की महत्वकांक्षाएं काफी बढ़ गई हैं। अब वह दौर नहीं रह गया, जब उम्र के 60 दशक पूरे करने के बाद व्यक्ति को लगता था कि अब उसके आराम करने की उम्र हो गई है। बढ़ी हुई महत्वकांक्षाओं के साथ लोगों के काम करने का जज्बा भी बढ़ा है। आज के दौर में रिटायर्मेंट तक पहुंचते-पहुंचते भी लोगों के कई सपने पूरे नहीं हुए होते हैं। नतीजन 60, 70 यहां तक की 80 साल के हो जाने के बाद भी लोग उसी जोश के साथ काम में लगे रहते हैं। आज के समय में सेकंड कैरियर (Second Career) इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि, इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में अपने सपनों को पूरा करने की होड़ में लोग इस कदर व्यस्त हो गए हैं कि किसी के पास भी किसी के लिए वक्त नहीं है। ऐसे में 60 साल की उम्र में जब एक व्यक्ति रिटायर होता है, तो उसके लिए खाली बैठ वक्त गुजारना बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसे में खुद को किसी दूसरे काम में लगा लेने समय के सही उपयोग के साथ-साथ व्यक्ति फाइनेंशियली भी मजबूत होता है।

कुछ ऐसे लोग जिन्होंने अपने अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए खुद को दिया दूसरा मौका -

1. बिहार के भागलपुर के रहने वाले 85 साल के राधाकृष्ण चौधरी, आयुर्वेदिक कॉस्मेटिक प्रोडक्ट का बिजनेस कर रहे हैं। रिटायरमेंट के 10 साल बाद इन्होंने अपने सेकंड कैरियर की शुरुआत की। अपनी तीन बेटियों के नाम के पहले अक्षर से इन्होंने Avimee Herbal ब्रांड को शुरू किया। कॉस्मेटिक हर्बल प्रोडक्ट को तैयार करने में इनकी पत्नी शकुंतला देवी चौधरी (79) इनकी मदद करती हैं। बेटियां, नाती, पोते प्रोडक्ट के प्रचार-प्रसार में इनकी सहायता करते हैं। साल भर के अंदर इन्होंने जर्मनी, न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका सहित दुनिया के 50 देशों में अपने कस्टमर बना लिए हैं। इनका करोड़ों का टर्नओवर है। कई लोगों को इन्होंने रोजगार भी दिया है।

बुढ़ापे को काटने के बजाय खुशी से जीना चाहते हैं राधाकृष्ण -

85 साल की अवस्था में बिजनेस की दुनिया में नाम कमाने वाले राधाकृष्ण का मानना है कि उम्र का हर पड़ाव खुशी से भरा होता है। बस इसे देखने का नजरिया अपना होना चाहिए। उनका कहना है कि- "मुझे लगता है बुढ़ापे को काटने के बजाए खुशी से जीना चाहिए। ऐसा कम ही लोगों में देखने को मिलता है। मेरे ज्यादातर साथी रिटायरमेंट के बाद (After Retirement) जिंदगी को बोझ समझकर जीते हैं। वो मान लेते हैं कि जीवन का सारा काम हो गया है और अब बस मौत का इंतजार है। जबकि जिंदगी और मौत दोनों ही हमारे हाथ में नहीं है। बहुत मुश्किल से मिलती है ये जिंदगी, इसे किसी लक्ष्य के साथ जीना चाहिए। ताकि अंत तक हम सब उसका आनंद ले सके। मैं इसी तरह जीता हूं और नतीजा आप सबके सामने है।" 2. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के रहने वाले रत्नेश श्रीवास्तव की आयु 66 वर्ष है। प्राइवेट सेक्टर में नौकरी से रिटायरमेंट के बाद इन्होंने खुद को दूसरा मौका दिया। प्रयागराज में ही इन्होंने एक छोटा सा व्यवसाय शुरू किया है, और रिटायरमेंट के बाद भी अपने काम करने का जज्बा कायम रखा है। रिटायरमेंट के बाद आराम करने के बजाय खुद को काम में व्यस्त रखने को लेकर ये कहते हैं कि इससे समय का सदुपयोग भी हो जाता है, और फाइनेंशियली खुद पर निर्भर रह कर इन्हें एक अलग तरह का सुकून महसूस होता है। रिटायरमेंट के बाद सेकंड कैरियर (Second Career After Retirement) को शुरू करने वाले राधाकृष्ण चौधरी और रत्नेश श्रीवास्तव का नजरिया इसको लेकर भले ही अलग अलग है। लेकिन ये दोनो ही समाज के लिए एक सकारात्मक सोच लेकर आते हैं, और रिटायरमेंट के बाद जिंदगी को एक नए पहलू से जीने का नजरिया देते हैं।

कुछ ऐसे नाम जिन्हें सेकंड कैरियर में मिली खूब पहचान -

1. जाने माने मॉडल दिनेश मोहन (Dinesh Mohan) का नाम किसने नहीं सुना होगा। रोहतक में पैदा हुए दिनेश मोहन चंडीगढ़ में सरकारी अफसर के तौर पर काम करते थे। फैशन इंडस्ट्री और एक्टिंग से उनका दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था। लेकिन 44 साल की उम्र में इनके जीवन में एक ऐसा पड़ाव आया जब इन्हें व्यक्तिगत तौर पर काफी नुकसान हुआ। स्थिति यह हो गई थी कि यह बिना किसी सहारे के चल भी नहीं सकते थे। डिप्रेशन के दौर से गुजर रहे दिनेश का वजन 130 किलो तक पहुंच गया। 8 साल तक इसी तरह की जिंदगी गुजार चुके दिनेश को परिवार की एक बात ने झकझोर कर रख दिया। दिनेश की हालत से त्रस्त परिवार ने कहा कि -"आप एक उद्देश्य खोजने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं। क्या आपको नहीं दिख रहा कि आप बिस्तर पर ही मर रहे हो?" इसके बाद से ही दिनेश ने खुद को बदलना शुरू किया। डाइटिशियन की देखरेख में वर्कआउट कर इन्होंने अपना फिजिक बदला और 50 की उम्र में जीवन की नई शुरुआत है। 100 से ज्यादा शोज और इवेंट में पार्टिसिपेट कर चुके दिनेश के इंस्टा पर 3 लाख से भी अधिक फॉलोओवर है। 60 साल की उम्र में मॉडलिंग के क्षेत्र में इन्होंने जो नाम कमाया है वो काबिले तारीफ है। 2. जाने-माने स्टैंडअप कॉमेडियन मनीष के त्यागी (Manish K Tyagi) ने स्टैंडअप कॉमेडियन के तौर पर अपने सेकंड कैरियर (Second Career)की शुरुआत की। इससे पहले वह आर्मी में कमांडर के पद पर थे। एक आर्मी मैन के रूप में देश सेवा करने वाले मनीष के त्यागी ने रिटायरमेंट के बाद सबको हंसाने का काम शुरू किया। इसके साथ ही ये मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में भी जाने जाते हैं। इंस्टाग्राम पर इनके 15 हजार से भी अधिक फॉलोअर है। दिनेश मोहन और मनीष त्यागी जैसे कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपने सेकंड कैरियर में वह मुकाम हासिल किया जो जीवन के पहले पड़ाव में हासिल नहीं कर पाए। किसी ने अपने अधूरे सपने को पूरा करने के लिए तो किसी ने नए जज्बे के साथ जिंदगी को जीने के लिए सेकंड कैरियर का रास्ता चुना।

कुछ ऐसे आइडियाज जिनका इस्तेमाल सेकंड कैरियर के रूप में किया जा सकता है -

रिटायरमेंट के बाद खाली समय का सही इस्तेमाल करने के लिए सेकंड कैरियर (Second Career) शुरू करना अब आम हो गया है। कई तरीकों से आप समय का सदुपयोग कर, अपने सपनों को पूरा कर, फाइनेंशियली खुद को स्ट्रांग बना सकते हैं। नीचे दिए गए आइडियाज का इस्तेमाल कर शुरु कर सकते हैं आप सेकंड कैरियर -

1. हॉबीज को बनाए अपना करियर -

नौकरी काल में कंधों पर परिवार, बच्चों की जिम्मेदारी होती है। जिम्मेदारियों को पूरा करते-करते व्यक्ति अपने शौक, हॉबीज को भूल जाता है। रिटायरमेंट के बाद जब खुद के लिए समय मिलता है, उस समय आप अपने हॉबीज का इस्तेमाल कैरियर के रूप में कर अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर आपको गार्डनिंग का शौक है तो बिजनेस आइडियाज के रूप में आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि आपको कुकिंग का शौक है तो इसका इस्तेमाल भी आप बिजनेस आइडिया के रूप में कर सकते हैं। लेखन में रुचि होने पर एक ब्लॉगर के रूप में आप अपने कैरियर की शुरूआत कर सकते हैं।

2. शिक्षक के रूप में बनाएं कैरियर -

यदि आपको पढ़ाने में रुचि है तो रिटायरमेंट के बाद आप इसे अपने सेकंड कैरियर के रूप में चुन सकते। इसके लिए आप अपनी कोचिंग क्लास चला सकते हैं या बच्चों को होम ट्यूशन भी दे सकते हैं। आजकल तो ऑनलाइन पढ़ाई का भी दौर चल गया है, ऐसे में आप ऑनलाइन क्लासेज के जरिए भी बच्चों को पढ़ा सकते हैं।

3. पेट सिटिंग भी है एक बेहतर कैरियर ऑप्शन -

यदि किसी व्यक्ति को जानवरों में रुचि है तो उसके लिए पेट सिटिंग भी एक बेहतर कैरियर विकल्प हो सकता है। कई लोगों को पालतू जानवर पालने का शौक होता है, लेकिन ऑफिस के समय या घर से बाहर जाते समय दूसरों के पास छोड़ना मजबूरी होती है। पेट सिटिंग की जॉब पार्ट टाइम जॉब की तरह भी की जा सकती है और इसमें अच्छी कमाई भी होती है।

4. मोटिवेशनल स्पीकर बन कमा सकते हैं लाखों रुपए -

यदि आपको लगता है कि आप किसी को मोटिवेट करने की क्षमता रखते हैं, तो मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में भी अपने कैरियर की शुरूआत कर सकते हैं। आज के समय में जब युवा कई तरह के मानसिक दबाव से जूझ रहे हैं, ऐसे में मोटिवेशनल स्पीकर्स को सुनना उनके लिए काफी फायदेमंद है। यही वजह है कि आज के दौर में मोटिवेशनल स्पीकर बनना, एक बेहतर कैरियर विकल्प के रूप में उभर कर सामने आया है।
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History of 31DEC. : 31 दिसंबर का गहरा नाता है भारत के इतिहास से, जाने क्या है रिश्ता

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History of 31DEC.
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calendar25 Nov 2025 12:27 AM
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History of 31DEC. : नई दिल्ली। भारत के इतिहास से 31 दिसंबर के दिन का गहरा नाता है। यही वह दिन है, जब वर्ष 1600 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने ईस्ट इंडिया कंपनी के पंजीयन के लिए फरमान जारी किया था।

History of 31DEC.

महारानी ने पूर्वी एशिया, दक्षिण पूर्वी एशिया और भारत के साथ व्यापार के लिए इस कंपनी को पंजीकृत करने का आदेश दिया और इसके लिए शाही फरमान जारी किया गया। उन दिनों मसालों के व्यापार को बहुत फायदे का सौदा माना जाता था और इस पर स्पेन और पुर्तगाल का आधिपत्य हुआ करता था। ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना मुख्यत: मसालों के व्यापार के लिए की गई थी, लेकिन समय के साथ कंपनी ने अपने व्यापार का दायरा बढ़ाने के साथ ही भारत में ब्रिटेन के साम्राज्यवादी हितों की पूर्ति का काम किया और भारत की तकदीर में गुलामी का दाग लगा दिया। देश-दुनिया के इतिहास में 31 दिसंबर की तारीख में दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है: 1600: ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने शाही फरमान जारी कर ईस्ट इंडिया कंपनी के पंजीकरण का आदेश दिया। 1802 : पेशवा बाजी राव द्वितीय ब्रिटिश संरक्षण में आए। 1857 : क्वीन विक्टोरिया ने ओटावा को कनाडा की राजधानी घोषित किया। 1929 : लाहौर में आधी रात को महात्मा गांधी ने कांग्रेस जन के साथ ‘पूर्ण स्वराज’ का संकल्प लिया। 1943 : हॉलीवुड अभिनेता बेन किंग्सले का जन्म। उनका असली नाम कृष्ण भानजी था। इंग्लैंड के यॉर्कशायर में पैदा हुए बेन ने 1982 में फिल्म ‘गांधी’ में मुख्य भूमिका निभाई थी और इसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अकेडमी पुरस्कार भी मिला था। 1972 : बेसबॉल के महान खिलाड़ी रॉबर्टो क्लेमेंट की एक विमान दुर्घटना में मौत। वह निकारागुआ के भूकंप पीड़ितों के लिए एकत्र राहत सामग्री लेकर जा रहे थे। 1999 : अमेरिका ने पनामा नहर का नियंत्रण आधिकारिक तौर पर पनामा के हवाले किया। 2004 : ताइपे, ताइवान में 508 मीटर ऊंची इमारत का उद्घाटन किया गया। उस समय इसके दुनिया की सबसे ऊंची इमारत होने का दावा किया गया था। 2014: चीन के शंघाई शहर में नववर्ष की पूर्व संध्या पर भगदड़ में 36 लोगों की मौत, 49 लोग घायल।

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Agricultural Tips : खेती और किसान: स्टिकी ट्रैप कीटनाशकों का बेहतर विकल्प

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Dec 2022 08:17 PM
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Agricultural Tips : खेती और किसान: स्टिकी ट्रैप कीटनाशकों का बेहतर विकल्प यह दरअसल पतली सी चिपचिपी शीट होती है। यह फसलों की रक्षा बिना किसी रसायन के इस्तेमाल से करती है और रसायन के मुकाबले सस्ती भी रहती है।

Agricultural Tips

फसलों को विभिन्न कीटों से बचाने के लिए किसान कई तरह के हानिकारक कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं। भारत में कीटनाशकों का सबसे ज्यादा प्रयोग ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाता है। यदि कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाये, तो किसान की फसल बर्बाद हो जाती है। कीटनाशकों का प्रयोग करते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि ये फसलों के साथ हमारे स्वास्थ्य पर भी काफी बुरा प्रभाव डाल रहे हैं। इसके साथ ही कीटनाशकों के प्रयोग में लागत भी अधिक होती है। एक तरफ जहां हम जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात करते हैं वैसे में यदि समय रहते कीटनाशकों का प्रयोग कम नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में इसके काफी दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं। कीटनाशकों के प्रभाव मानव शरीर पर बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में इनके दुष्प्रभाव को कम करने में स्टिकी ट्रैप का प्रयोग किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है। स्टिकी ट्रैप: यह दरअसल पतली सी चिपचिपी शीट होती है। यह फसलों की रक्षा बिना किसी रसायन के इस्तेमाल से करती है और रसायन के मुकाबले सस्ती भी रहती है। स्टिकी ट्रैप शीट पर कीट आकर चिपक जाते हैं, जिसके बाद वह फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं। स्टिकी ट्रैप कई तरह की रंगीन शीट होती हैं। ये पीले, नीले, काले, सफेद, कई रंगों में आती हैं, जो फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए खेतों में लगाई जाती हैं। इनसे फसलों की आक्रमणकारी कीटों से रक्षा हो जाती है। और खेत में किस प्रकार के कीटों का प्रकोप चल रहा है, इसका सर्वे भी हो जाता है। इससे विभिन्न कीटों पर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है। इससे फसलों के नुकसान में 40 से 50 प्रतिशत तक कमी आती है। कीटनाशकों की तुलना में इसमें काफी कम खर्च होता है। कीटनाशकों से फसलों एवं खेत की मृदा पर होने वाले नुकसान में कमी आती है। इसके साथ ही कीटनाशक के छिड़काव के लिए श्रमिकों पर होने वाली लागत में कमी आती है। घर पर ऐसे बना सकते हैं स्टिकी ट्रैप: यह बाजार में भी बनी बनाई आती है। और इन्हें घर पर भी बनाया जा सकता है। इसे टिन, प्लास्टिक और दफ्ती की शीट से बनाया जा सकता है। अमूमन यह चार रंगों की बनाई जाती है: पीली, नीली, सफेद और काली। इसे बनाने के लिए डेढ़ फीट लंबा और एक फीट चौड़ा कार्ड-बोर्ड, हार्ड-बोर्ड या इतने ही आकार का दिन का टुकड़ा लें। जिस पर सफेद ग्रीस की पतली सतह लगा दें। इसके अलावा एक बांस और एक डोरी की जरूरत होगी जिस पर इस स्टिकी ट्रैप को टांगा जाएगा। इसे बनाने के लिए बोर्ड को लटकाने लायक दो छेद बना लिये जाते हैं और उस पर ग्रीस की पतली परत चढ़ा देते हैं। एक एकड़ में लगाने के लिए करीब 10-15 स्टिकी ट्रैप लगाएं। इन ट्रैपों को पौधे से 50-75 सें.मी. की ऊंचाई पर लगाया जाता यह ऊंचाई कीटों के उड़ने के रास्ते में आती है। टिन, हार्ड बोर्ड और प्लास्टिक की शीट साफ करके बार-बार इस्तेमाल की जा सकती है, जबकि दफ्ती और गत्ते से बने ट्रैप एक-दो इस्तेमाल के बाद खराब हो जाते हैं। ट्रैप को साफ करने के लिए उसे गर्म पानी से साफ करना होता है और वापस फिर से ग्रीस लागकर खेत में टांग सकते हैं। इसमें महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका: वर्तमान में स्टिकी ट्रैप को लेकर किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता है। इसके प्रयोग से कीटनाशकों पर खर्च होने वाली राशि में कमी आएगी। इसके साथ ही कीटनाशकों से हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, उससे भी बचा जा सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से किसानों के 'बीच लगातार स्टिकी ट्रैप के लाभ को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाता रहा है, मगर इसमें और गति लाने की आवश्यकता है। फिलहाल दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका के मिशन के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा इसका व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को स्टिकी ट्रैप के निर्माण के लिए प्रशिक्षित भी किया जा रहा है, ताकि गांव के किसानों को काफी सुलभता से स्टिकी ट्रैप उपलब्ध हो सकें। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं द्वारा किसान उत्पादक समूह संकुल स्तरीय संघ तथा ग्राम संगठन के द्वारा भी किसानों को जागरूक किया जा रहा है।

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