Family relationships पति हैं नाराज या सासु से हो गई खटपट, इन उपायों से होगी दूर

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Noida Live News
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calendar30 Nov 2025 11:54 PM
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Family relationships : पति या पत्नी (Husband or wife) में अक्सर खटपट रहती है। कभी कभी बात लंबी खिंच जाती है। यही नहीं परिवार के अन्य सदस्यों से भी नाराजगी हो जाती है। पारिवारिक रिश्तों (Family relationships) में मधुरता एवं प्रेमभाव बनाये रखने के लिए यहां दिए गए छोटे-छोटे सरल उपाय उपयोगी सिद्ध हो सकते है।

पति परमेश्वर के गुस्से से परेशान पत्नी के लिए भी एक आसान उपाय है। शुक्ल पक्ष के पहले रविवार या सोमवार या गुरूवार अथवा शुक्रवार को एक नए सफ़ेद रंग के वस्त्र या रूमाल में गुड़ की डली, चांदी एवं तांबे के दो सिक्के, एक मुट्ठी नमक तथा एक मुट्ठी साबुत गेहूं बांधकर बिना किसी को बताये चुपचाप अपने बैडरूम में किसी ऐसी जगह पर छुपाकर रख दें जहां पति की नजर उस पर न पड़े। प्रातः भोजन बनाते समय पहली रोटी बनाने के बाद उसके चार बराबर टुकड़े करे। उनमें से एक टुकड़ा गाय को, दूसरा काले रंग के कुत्ते को तथा तीसरा टुकड़ा कौवे को खिला दें जबकि चौथे टुकड़े को चुपचाप किसी चौराहे पर रखकर पीछे मुड़े बिना वापस लौट आएं। पति एवं दूसरे सदस्यों में प्रेमभाव बढ़ने लगेगा। रात्रि में सोने से पहले एक कटोरी में जल, एक लाल गुलाब, कुमकुम तथा थोड़े से साबुत चावल लेकर पास में रख लें और सुबह के समय मंदिर के पुजारी को दान कर दें। परिवार में शांति बनी रहेगी। मंगलवार तथा शनिवार को नियम पूर्वक भगवान् श्रीराम एवं हनुमान जी का स्मरण व ध्यान करते हुए चालीस दिनों तक अखंड दीपक जलाने से सभी प्रकार की गृह बाधाएं, क्लेश और कष्ट दूर होने लगेंगें। शुक्रवार के दिन गुप्त रूप से प्रातः स्नान के बाद भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करते हुए छोटी इलायची के तीन नग अपने शरीर से स्पर्श कराकर सुरक्षित रख लें अथवा शनिवार के दिन प्रातः इलायची के दाने पीसकर किसी व्यंजन में मिलाकर परिवार के सदस्यों को खिला दें तो आपसी प्रेम व्यवहार की वृद्धि होने लगेगी। सास-बहु की लड़ाई तो जगजाहिर है। अगर दोनों में पटरी न बैठ पा रही हो तो बहु को चाहिए कि वह प्रत्येक पूर्णमासी को व्रत रखते हुए खीर बनाकर रात्रि में चंद्रदेव की शीतल धवल रोशनी में रखे और उस खीर को दूसरे दिन अपनी सास को मनुहार करके खिलाये। अपनी पुत्रवधु से श्वसुर नाराज चल रहे हो तो पुत्रवधु शुक्ल पक्ष के रविवार से आरंभ करके प्रतिदिन जल में गुड़ मिलाकर तांबे के पात्र से प्रातः स्नान के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करते हुए परिवार में सुख व शांति बने रहने की प्रार्थना करे। धीरे-धीरे रिश्ते सामान्य होने लगेंगे।

पंडित रामपाल भट्ट, ज्योतिर्विद भीलवाड़ा

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Family relationships : पति या पत्नी (Husband or wife) में अक्सर खटपट रहती है। कभी कभी बात लंबी खिंच जाती है। यही नहीं परिवार के अन्य सदस्यों से भी नाराजगी हो जाती है। पारिवारिक रिश्तों (Family relationships) में मधुरता एवं प्रेमभाव बनाये रखने के लिए यहां दिए गए छोटे-छोटे सरल उपाय उपयोगी सिद्ध हो सकते है।

पति परमेश्वर के गुस्से से परेशान पत्नी के लिए भी एक आसान उपाय है। शुक्ल पक्ष के पहले रविवार या सोमवार या गुरूवार अथवा शुक्रवार को एक नए सफ़ेद रंग के वस्त्र या रूमाल में गुड़ की डली, चांदी एवं तांबे के दो सिक्के, एक मुट्ठी नमक तथा एक मुट्ठी साबुत गेहूं बांधकर बिना किसी को बताये चुपचाप अपने बैडरूम में किसी ऐसी जगह पर छुपाकर रख दें जहां पति की नजर उस पर न पड़े। प्रातः भोजन बनाते समय पहली रोटी बनाने के बाद उसके चार बराबर टुकड़े करे। उनमें से एक टुकड़ा गाय को, दूसरा काले रंग के कुत्ते को तथा तीसरा टुकड़ा कौवे को खिला दें जबकि चौथे टुकड़े को चुपचाप किसी चौराहे पर रखकर पीछे मुड़े बिना वापस लौट आएं। पति एवं दूसरे सदस्यों में प्रेमभाव बढ़ने लगेगा। रात्रि में सोने से पहले एक कटोरी में जल, एक लाल गुलाब, कुमकुम तथा थोड़े से साबुत चावल लेकर पास में रख लें और सुबह के समय मंदिर के पुजारी को दान कर दें। परिवार में शांति बनी रहेगी। मंगलवार तथा शनिवार को नियम पूर्वक भगवान् श्रीराम एवं हनुमान जी का स्मरण व ध्यान करते हुए चालीस दिनों तक अखंड दीपक जलाने से सभी प्रकार की गृह बाधाएं, क्लेश और कष्ट दूर होने लगेंगें। शुक्रवार के दिन गुप्त रूप से प्रातः स्नान के बाद भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करते हुए छोटी इलायची के तीन नग अपने शरीर से स्पर्श कराकर सुरक्षित रख लें अथवा शनिवार के दिन प्रातः इलायची के दाने पीसकर किसी व्यंजन में मिलाकर परिवार के सदस्यों को खिला दें तो आपसी प्रेम व्यवहार की वृद्धि होने लगेगी। सास-बहु की लड़ाई तो जगजाहिर है। अगर दोनों में पटरी न बैठ पा रही हो तो बहु को चाहिए कि वह प्रत्येक पूर्णमासी को व्रत रखते हुए खीर बनाकर रात्रि में चंद्रदेव की शीतल धवल रोशनी में रखे और उस खीर को दूसरे दिन अपनी सास को मनुहार करके खिलाये। अपनी पुत्रवधु से श्वसुर नाराज चल रहे हो तो पुत्रवधु शुक्ल पक्ष के रविवार से आरंभ करके प्रतिदिन जल में गुड़ मिलाकर तांबे के पात्र से प्रातः स्नान के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करते हुए परिवार में सुख व शांति बने रहने की प्रार्थना करे। धीरे-धीरे रिश्ते सामान्य होने लगेंगे।

पंडित रामपाल भट्ट, ज्योतिर्विद भीलवाड़ा

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Bride विदाई के समय दुल्हन क्यों फेंकती है चावल, क्या है इसका राज

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Bride
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calendar01 Dec 2025 04:18 PM
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Bride : हिंदू धर्म में शादियों में हर रस्म और रिवाज का अपना महत्व है। शादी (Marriage) के दौरान होने वाली हर रस्म किसी न किसी वजह से की जाती है। सबकी अपनी-अपनी मान्यता है। जैसा कि आप सबने देखा होगा कि शादी (Marriage) की विदाई के दौरान लड़की (Bride) थाली से चावल (Rice) पीछे की ओर फेंक देती है और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखती।

आप में से कई लोगों को ये रस्म अजीब लग सकती है, लेकिन क्या आपने कभी चावल फेंकने की रस्म के महत्व के बारे में जानने की कोशिश की है, अगर नहीं तो आइए जानें ऐसा क्यों किया जाता है।

दरअसल, शादी में चावल फेंकने की रस्म आखिरी रस्म होती है। उस पल के बाद लड़की दूसरे घर चली जाती है। जब लड़की विदाई के समय चावल को पीछे की ओर फेंकती है तो लड़की के माता-पिता या घर का कोई बड़ा सदस्य उसे अपने पल्लू में इकट्ठा कर लेता है।

शादी में सभी रस्मों के बाद और डोली में बैठने से ठीक पहले, जब दुल्हन अपना घर छोड़ रही होती है, तो उसकी बहन, दोस्त या घर की कोई भी महिला हाथ में चावल की थाली लिए उसके पास खड़ी होती है। इस थाली में से दुल्हन को दोनों हाथों से चावल को 5 बार उठाना होता है। दुल्हन अपने दोनों हाथों से चावल को पांच बार पीछे की ओर फेंक देती है। चावल को इतनी जोर से फेंकना पड़ता है कि वह पीछे खड़े पूरे परिवार पर गिर जाए। दुल्हन के पीछे खड़ा परिवार अपने बैग, पल्लू या हाथ फैलाकर इन चावलों को अपने पास रखता है। रस्म के अनुसार ये चावल जिस किसी के भी पास जाते हैं, उन्हें सुरक्षित रखना होता है। खासकर वह जो बैग में चावल ले रहा है।

क्या है मान्यता है दरअसल ऐसा माना जाता है कि कन्या को घर की लक्ष्मी होती है, अगर वह विदाई के समय ये रस्म करती है, तो उसके घर में कभी भी भोजन और धन की कमी नहीं होती है। ऐसा माना जाता है कि जब दुल्हन चावल को पीछे की ओर फेंकती है, तो वह कामना करती है कि वह धन से भरपूर हो।

वहीं दूसरी ओर ऐसी भी मान्यता है कि ये रस्म अपने माता-पिता और परिवार को धन्यवाद कहने का एक तरीका है। उन्होंने बचपन से लेकर बड़े होने तक उनके लिए जो कुछ किया उसके लिए आभार व्यक्त करती है। दुल्हन मायके वालों को इस रस्म के रूप में दुआएं देकर जाती है।

पंडित रामपाल भट्ट