Health : गुलाब का फूल दिखने में खूबसूरत ही नहीं, सेहत के लिए भी है फायदेमंद.......
भारत
चेतना मंच
01 Apr 2022 04:45 PM
विनय संकोची(Rose) गुलाब अपनी खुशबू और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है और फूलों का राजा कहा जाता है। कम ही लोग जानते होंगे कि लाल गुलाब के फूल एड्रीनल ग्रंथि (adrenal gland) को प्रभावित कर मनुष्य की ऊर्जा में वृद्धि करते हैं। शायरों और कवियों ने तो गुलाब के फूल और पंखुड़ियों को अपनी रचनाओं में खूब शामिल किया ही है, आयुर्वेद ने भी गुलाब के औषधीय गुणों को पहचान कर इसे अनेक रोगों के उपचार में औषधि के रूप में प्रयोग किया है। कहा जा सकता है कि गुलाब खुशबू, खूबसूरती और स्वास्थ्य का अनोखा खजाना है। इसे संस्कृत में तरुणी, शतपत्री, कर्णिका, चारुकेशरा, हिंदी, गुजराती, पंजाबी और नेपाली में गुलाब, बांग्ला में गोलाम, तमिल में रोजा और गोलप्पू, मलयाली में गुलाबपुष्पम कहा जाता है। गुलाब का वानस्पतिक नाम रोजा है सेन्टीफोलिया है।
गुलाब थोड़ा मधुर, कड़वा, तीखा, शीतल होता है। गुलाब की छोटी सी पत्तियों में विटामिन-ए(Vitamin A), विटामिन-सी(Vitamin C), विटामिन-ई(Vitamn-E), आयरन (Iron)और कैल्शियम (Calcium)जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। गुलाब अपने आयुर्वेदिक औषधीय गुणों की वजह से तमाम तरह के रोगों के उपचार में उपयोग में लाया जाता है। आइए जानते हैं खूबसूरत गुलाब के औषधीय गुणों के बारे में।
• गुलाब के फूल खुद तो सुंदर होते ही हैं साथ ही हमारी त्वचा को सुंदर बनाने में भी सहायक होते हैं। गुलाब में मौजूद विटामिन त्वचा की नई कोशिकाओं का निर्माण करते हैं। त्वचा को दाग धब्बों से मुक्त करने, मौसमी संक्रमण और एलर्जी से भी त्वचा की रक्षा करता है गुलाब।
• गुलाब के फूलों की पत्तियां चबाने में दिक्कत हो तो गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों से तैयार की गई चाय का सेवन कर अपनी त्वचा को बेदाग और चमकदार बनाया जा सकता है। 'रोज टी' बनाने के लिए एक कप पानी गर्म करें और उसमें गुलाब के फूल की कुछ पंखुड़ियां डालकर 3 से 5 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं। थोड़ी देर ढककर रख दें। फिर छानकर उसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर सेवन करें। यदि मधुमेह से पीड़ित हों तो शहद का इस्तेमाल ना करें।
• त्वचा को सुंदर और स्वस्थ बनाए रखने के लिए गुलाब जल लगाने के साथ गुलाब की पत्तियों का उपयोग खाने में भी किया जा सकता है। गुलकंद का सेवन तो एक अच्छा विकल्प है ही।
• गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर उसमें थोड़ी सी मलाई मिलाकर 10-15 मिनट होठों पर लगाकर रखने और फिर धो देने से होठों का कालापन दूर होता है और होंठ मुलायम हो जाते हैं। मलाई के स्थान पर ग्लिसरीन का प्रयोग भी किया जा सकता है।
• गुलाब के फूलों का काढ़ा बनाकर गरारे व कुल्ला करने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं। यदि पेट की गर्मी के कारण मुंह में छाले हुए हों तो गुलाब के सूखे फूलों को एक गिलास पानी में रात को भिगोकर रख दें। सुबह पत्तियों को मसलकर छान लें और दो चम्मच चीनी मिलाकर पीएं। इससे पेट की गर्मी दूर होती है, जिससे छाले अपने आप ठीक हो जाते हैं
• गुलाब के फूलों का ताजा रस कानों में डालने से कान दर्द में राहत मिलती है।
• गुलाब के फूलों का रस और नींबू का ताजा रस बराबर मात्रा में मिलाकर दाद पर लगाने से वांछित लाभ होता है। यह 'रस मिश्रण' मुहांसों से भी छुटकारा दिलाने में सहायक हो सकता है।
• गुलाब जल आंखों में डालने से सामान्य नेत्र रोग में विशेष लाभ मिलता है।
• गुलाब-रस, सौंफ-रस और पुदीना-रस की चार-चार बूंदों को पानी में मिलाकर नियमित पीने से पेट के कई रोग ठीक हो जाते हैं। 5 ग्राम मुलहठी और 5 ग्राम गुलाब की पंखुड़ियों को 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर बनाए गए काढ़े के सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
• शीत पित्त उछलने पर गुलाब रस में थोड़ा-सा चंदन का तेल मिलाकर लगाने से राहत मिलती है।
• माइग्रेन आधासीसी में राहत पाने के लिए दो दाने इलायची, एक चम्मच मिश्री और एक तोला (10 ग्राम) गुलाब की पत्तियों को पीसकर सुबह सवेरे खाली पेट सेवन करें, आराम मिलेगा।
• एक बाल्टी जल में 10 ग्राम गुलाब जल तथा एक नींबू का रस निचोड़ कर नहाने से शरीर की बदबू खत्म हो जाती है।
• आधा कप गुलाब जल में एक नींबू निचोड़ कर थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर 3-3 घंटे में सेवन करने से हैजे में लाभ होता है।
• गुलाब का इत्र माथे पर लगाने से सिर दर्द में आराम आता है।
( विशेष : गुलाब का उपयोग दिल दिमाग और आमाशय की शक्ति को बढ़ाता है और मन को प्रसन्न रखता है। तमाम रोगों से मुक्ति में भी गुलाब सहायक है। लेकिन यहां गुलाब के औषधीय गुणों में उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है। रोग विशेष में उपचार से पूर्व किसी योग्य आयुर्वेदाचार्य से परामर्श अवश्य कर लें, क्योंकि गुलाब के उपयोग की सही विधि और उचित मात्रा की जानकारी का अभाव लाभ के स्थान पर हानि पहुंचा सकता है। सामान्य जानकारी किसी भी योग्य चिकित्सक की बराबरी नहीं कर सकती।)
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01 Apr 2022 04:45 PM
विनय संकोची(Rose) गुलाब अपनी खुशबू और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है और फूलों का राजा कहा जाता है। कम ही लोग जानते होंगे कि लाल गुलाब के फूल एड्रीनल ग्रंथि (adrenal gland) को प्रभावित कर मनुष्य की ऊर्जा में वृद्धि करते हैं। शायरों और कवियों ने तो गुलाब के फूल और पंखुड़ियों को अपनी रचनाओं में खूब शामिल किया ही है, आयुर्वेद ने भी गुलाब के औषधीय गुणों को पहचान कर इसे अनेक रोगों के उपचार में औषधि के रूप में प्रयोग किया है। कहा जा सकता है कि गुलाब खुशबू, खूबसूरती और स्वास्थ्य का अनोखा खजाना है। इसे संस्कृत में तरुणी, शतपत्री, कर्णिका, चारुकेशरा, हिंदी, गुजराती, पंजाबी और नेपाली में गुलाब, बांग्ला में गोलाम, तमिल में रोजा और गोलप्पू, मलयाली में गुलाबपुष्पम कहा जाता है। गुलाब का वानस्पतिक नाम रोजा है सेन्टीफोलिया है।
गुलाब थोड़ा मधुर, कड़वा, तीखा, शीतल होता है। गुलाब की छोटी सी पत्तियों में विटामिन-ए(Vitamin A), विटामिन-सी(Vitamin C), विटामिन-ई(Vitamn-E), आयरन (Iron)और कैल्शियम (Calcium)जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। गुलाब अपने आयुर्वेदिक औषधीय गुणों की वजह से तमाम तरह के रोगों के उपचार में उपयोग में लाया जाता है। आइए जानते हैं खूबसूरत गुलाब के औषधीय गुणों के बारे में।
• गुलाब के फूल खुद तो सुंदर होते ही हैं साथ ही हमारी त्वचा को सुंदर बनाने में भी सहायक होते हैं। गुलाब में मौजूद विटामिन त्वचा की नई कोशिकाओं का निर्माण करते हैं। त्वचा को दाग धब्बों से मुक्त करने, मौसमी संक्रमण और एलर्जी से भी त्वचा की रक्षा करता है गुलाब।
• गुलाब के फूलों की पत्तियां चबाने में दिक्कत हो तो गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों से तैयार की गई चाय का सेवन कर अपनी त्वचा को बेदाग और चमकदार बनाया जा सकता है। 'रोज टी' बनाने के लिए एक कप पानी गर्म करें और उसमें गुलाब के फूल की कुछ पंखुड़ियां डालकर 3 से 5 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं। थोड़ी देर ढककर रख दें। फिर छानकर उसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर सेवन करें। यदि मधुमेह से पीड़ित हों तो शहद का इस्तेमाल ना करें।
• त्वचा को सुंदर और स्वस्थ बनाए रखने के लिए गुलाब जल लगाने के साथ गुलाब की पत्तियों का उपयोग खाने में भी किया जा सकता है। गुलकंद का सेवन तो एक अच्छा विकल्प है ही।
• गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर उसमें थोड़ी सी मलाई मिलाकर 10-15 मिनट होठों पर लगाकर रखने और फिर धो देने से होठों का कालापन दूर होता है और होंठ मुलायम हो जाते हैं। मलाई के स्थान पर ग्लिसरीन का प्रयोग भी किया जा सकता है।
• गुलाब के फूलों का काढ़ा बनाकर गरारे व कुल्ला करने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं। यदि पेट की गर्मी के कारण मुंह में छाले हुए हों तो गुलाब के सूखे फूलों को एक गिलास पानी में रात को भिगोकर रख दें। सुबह पत्तियों को मसलकर छान लें और दो चम्मच चीनी मिलाकर पीएं। इससे पेट की गर्मी दूर होती है, जिससे छाले अपने आप ठीक हो जाते हैं
• गुलाब के फूलों का ताजा रस कानों में डालने से कान दर्द में राहत मिलती है।
• गुलाब के फूलों का रस और नींबू का ताजा रस बराबर मात्रा में मिलाकर दाद पर लगाने से वांछित लाभ होता है। यह 'रस मिश्रण' मुहांसों से भी छुटकारा दिलाने में सहायक हो सकता है।
• गुलाब जल आंखों में डालने से सामान्य नेत्र रोग में विशेष लाभ मिलता है।
• गुलाब-रस, सौंफ-रस और पुदीना-रस की चार-चार बूंदों को पानी में मिलाकर नियमित पीने से पेट के कई रोग ठीक हो जाते हैं। 5 ग्राम मुलहठी और 5 ग्राम गुलाब की पंखुड़ियों को 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर बनाए गए काढ़े के सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
• शीत पित्त उछलने पर गुलाब रस में थोड़ा-सा चंदन का तेल मिलाकर लगाने से राहत मिलती है।
• माइग्रेन आधासीसी में राहत पाने के लिए दो दाने इलायची, एक चम्मच मिश्री और एक तोला (10 ग्राम) गुलाब की पत्तियों को पीसकर सुबह सवेरे खाली पेट सेवन करें, आराम मिलेगा।
• एक बाल्टी जल में 10 ग्राम गुलाब जल तथा एक नींबू का रस निचोड़ कर नहाने से शरीर की बदबू खत्म हो जाती है।
• आधा कप गुलाब जल में एक नींबू निचोड़ कर थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर 3-3 घंटे में सेवन करने से हैजे में लाभ होता है।
• गुलाब का इत्र माथे पर लगाने से सिर दर्द में आराम आता है।
( विशेष : गुलाब का उपयोग दिल दिमाग और आमाशय की शक्ति को बढ़ाता है और मन को प्रसन्न रखता है। तमाम रोगों से मुक्ति में भी गुलाब सहायक है। लेकिन यहां गुलाब के औषधीय गुणों में उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है। रोग विशेष में उपचार से पूर्व किसी योग्य आयुर्वेदाचार्य से परामर्श अवश्य कर लें, क्योंकि गुलाब के उपयोग की सही विधि और उचित मात्रा की जानकारी का अभाव लाभ के स्थान पर हानि पहुंचा सकता है। सामान्य जानकारी किसी भी योग्य चिकित्सक की बराबरी नहीं कर सकती।)
Health : गुलाब का फूल दिखने में खूबसूरत ही नहीं, सेहत के लिए भी है फायदेमंद.......
भारत
चेतना मंच
01 Apr 2022 04:45 PM
विनय संकोची(Rose) गुलाब अपनी खुशबू और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है और फूलों का राजा कहा जाता है। कम ही लोग जानते होंगे कि लाल गुलाब के फूल एड्रीनल ग्रंथि (adrenal gland) को प्रभावित कर मनुष्य की ऊर्जा में वृद्धि करते हैं। शायरों और कवियों ने तो गुलाब के फूल और पंखुड़ियों को अपनी रचनाओं में खूब शामिल किया ही है, आयुर्वेद ने भी गुलाब के औषधीय गुणों को पहचान कर इसे अनेक रोगों के उपचार में औषधि के रूप में प्रयोग किया है। कहा जा सकता है कि गुलाब खुशबू, खूबसूरती और स्वास्थ्य का अनोखा खजाना है। इसे संस्कृत में तरुणी, शतपत्री, कर्णिका, चारुकेशरा, हिंदी, गुजराती, पंजाबी और नेपाली में गुलाब, बांग्ला में गोलाम, तमिल में रोजा और गोलप्पू, मलयाली में गुलाबपुष्पम कहा जाता है। गुलाब का वानस्पतिक नाम रोजा है सेन्टीफोलिया है।
गुलाब थोड़ा मधुर, कड़वा, तीखा, शीतल होता है। गुलाब की छोटी सी पत्तियों में विटामिन-ए(Vitamin A), विटामिन-सी(Vitamin C), विटामिन-ई(Vitamn-E), आयरन (Iron)और कैल्शियम (Calcium)जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। गुलाब अपने आयुर्वेदिक औषधीय गुणों की वजह से तमाम तरह के रोगों के उपचार में उपयोग में लाया जाता है। आइए जानते हैं खूबसूरत गुलाब के औषधीय गुणों के बारे में।
• गुलाब के फूल खुद तो सुंदर होते ही हैं साथ ही हमारी त्वचा को सुंदर बनाने में भी सहायक होते हैं। गुलाब में मौजूद विटामिन त्वचा की नई कोशिकाओं का निर्माण करते हैं। त्वचा को दाग धब्बों से मुक्त करने, मौसमी संक्रमण और एलर्जी से भी त्वचा की रक्षा करता है गुलाब।
• गुलाब के फूलों की पत्तियां चबाने में दिक्कत हो तो गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों से तैयार की गई चाय का सेवन कर अपनी त्वचा को बेदाग और चमकदार बनाया जा सकता है। 'रोज टी' बनाने के लिए एक कप पानी गर्म करें और उसमें गुलाब के फूल की कुछ पंखुड़ियां डालकर 3 से 5 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं। थोड़ी देर ढककर रख दें। फिर छानकर उसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर सेवन करें। यदि मधुमेह से पीड़ित हों तो शहद का इस्तेमाल ना करें।
• त्वचा को सुंदर और स्वस्थ बनाए रखने के लिए गुलाब जल लगाने के साथ गुलाब की पत्तियों का उपयोग खाने में भी किया जा सकता है। गुलकंद का सेवन तो एक अच्छा विकल्प है ही।
• गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर उसमें थोड़ी सी मलाई मिलाकर 10-15 मिनट होठों पर लगाकर रखने और फिर धो देने से होठों का कालापन दूर होता है और होंठ मुलायम हो जाते हैं। मलाई के स्थान पर ग्लिसरीन का प्रयोग भी किया जा सकता है।
• गुलाब के फूलों का काढ़ा बनाकर गरारे व कुल्ला करने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं। यदि पेट की गर्मी के कारण मुंह में छाले हुए हों तो गुलाब के सूखे फूलों को एक गिलास पानी में रात को भिगोकर रख दें। सुबह पत्तियों को मसलकर छान लें और दो चम्मच चीनी मिलाकर पीएं। इससे पेट की गर्मी दूर होती है, जिससे छाले अपने आप ठीक हो जाते हैं
• गुलाब के फूलों का ताजा रस कानों में डालने से कान दर्द में राहत मिलती है।
• गुलाब के फूलों का रस और नींबू का ताजा रस बराबर मात्रा में मिलाकर दाद पर लगाने से वांछित लाभ होता है। यह 'रस मिश्रण' मुहांसों से भी छुटकारा दिलाने में सहायक हो सकता है।
• गुलाब जल आंखों में डालने से सामान्य नेत्र रोग में विशेष लाभ मिलता है।
• गुलाब-रस, सौंफ-रस और पुदीना-रस की चार-चार बूंदों को पानी में मिलाकर नियमित पीने से पेट के कई रोग ठीक हो जाते हैं। 5 ग्राम मुलहठी और 5 ग्राम गुलाब की पंखुड़ियों को 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर बनाए गए काढ़े के सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
• शीत पित्त उछलने पर गुलाब रस में थोड़ा-सा चंदन का तेल मिलाकर लगाने से राहत मिलती है।
• माइग्रेन आधासीसी में राहत पाने के लिए दो दाने इलायची, एक चम्मच मिश्री और एक तोला (10 ग्राम) गुलाब की पत्तियों को पीसकर सुबह सवेरे खाली पेट सेवन करें, आराम मिलेगा।
• एक बाल्टी जल में 10 ग्राम गुलाब जल तथा एक नींबू का रस निचोड़ कर नहाने से शरीर की बदबू खत्म हो जाती है।
• आधा कप गुलाब जल में एक नींबू निचोड़ कर थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर 3-3 घंटे में सेवन करने से हैजे में लाभ होता है।
• गुलाब का इत्र माथे पर लगाने से सिर दर्द में आराम आता है।
( विशेष : गुलाब का उपयोग दिल दिमाग और आमाशय की शक्ति को बढ़ाता है और मन को प्रसन्न रखता है। तमाम रोगों से मुक्ति में भी गुलाब सहायक है। लेकिन यहां गुलाब के औषधीय गुणों में उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है। रोग विशेष में उपचार से पूर्व किसी योग्य आयुर्वेदाचार्य से परामर्श अवश्य कर लें, क्योंकि गुलाब के उपयोग की सही विधि और उचित मात्रा की जानकारी का अभाव लाभ के स्थान पर हानि पहुंचा सकता है। सामान्य जानकारी किसी भी योग्य चिकित्सक की बराबरी नहीं कर सकती।)
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चेतना मंच
01 Apr 2022 04:45 PM
विनय संकोची(Rose) गुलाब अपनी खुशबू और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है और फूलों का राजा कहा जाता है। कम ही लोग जानते होंगे कि लाल गुलाब के फूल एड्रीनल ग्रंथि (adrenal gland) को प्रभावित कर मनुष्य की ऊर्जा में वृद्धि करते हैं। शायरों और कवियों ने तो गुलाब के फूल और पंखुड़ियों को अपनी रचनाओं में खूब शामिल किया ही है, आयुर्वेद ने भी गुलाब के औषधीय गुणों को पहचान कर इसे अनेक रोगों के उपचार में औषधि के रूप में प्रयोग किया है। कहा जा सकता है कि गुलाब खुशबू, खूबसूरती और स्वास्थ्य का अनोखा खजाना है। इसे संस्कृत में तरुणी, शतपत्री, कर्णिका, चारुकेशरा, हिंदी, गुजराती, पंजाबी और नेपाली में गुलाब, बांग्ला में गोलाम, तमिल में रोजा और गोलप्पू, मलयाली में गुलाबपुष्पम कहा जाता है। गुलाब का वानस्पतिक नाम रोजा है सेन्टीफोलिया है।
गुलाब थोड़ा मधुर, कड़वा, तीखा, शीतल होता है। गुलाब की छोटी सी पत्तियों में विटामिन-ए(Vitamin A), विटामिन-सी(Vitamin C), विटामिन-ई(Vitamn-E), आयरन (Iron)और कैल्शियम (Calcium)जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। गुलाब अपने आयुर्वेदिक औषधीय गुणों की वजह से तमाम तरह के रोगों के उपचार में उपयोग में लाया जाता है। आइए जानते हैं खूबसूरत गुलाब के औषधीय गुणों के बारे में।
• गुलाब के फूल खुद तो सुंदर होते ही हैं साथ ही हमारी त्वचा को सुंदर बनाने में भी सहायक होते हैं। गुलाब में मौजूद विटामिन त्वचा की नई कोशिकाओं का निर्माण करते हैं। त्वचा को दाग धब्बों से मुक्त करने, मौसमी संक्रमण और एलर्जी से भी त्वचा की रक्षा करता है गुलाब।
• गुलाब के फूलों की पत्तियां चबाने में दिक्कत हो तो गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों से तैयार की गई चाय का सेवन कर अपनी त्वचा को बेदाग और चमकदार बनाया जा सकता है। 'रोज टी' बनाने के लिए एक कप पानी गर्म करें और उसमें गुलाब के फूल की कुछ पंखुड़ियां डालकर 3 से 5 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं। थोड़ी देर ढककर रख दें। फिर छानकर उसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर सेवन करें। यदि मधुमेह से पीड़ित हों तो शहद का इस्तेमाल ना करें।
• त्वचा को सुंदर और स्वस्थ बनाए रखने के लिए गुलाब जल लगाने के साथ गुलाब की पत्तियों का उपयोग खाने में भी किया जा सकता है। गुलकंद का सेवन तो एक अच्छा विकल्प है ही।
• गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर उसमें थोड़ी सी मलाई मिलाकर 10-15 मिनट होठों पर लगाकर रखने और फिर धो देने से होठों का कालापन दूर होता है और होंठ मुलायम हो जाते हैं। मलाई के स्थान पर ग्लिसरीन का प्रयोग भी किया जा सकता है।
• गुलाब के फूलों का काढ़ा बनाकर गरारे व कुल्ला करने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं। यदि पेट की गर्मी के कारण मुंह में छाले हुए हों तो गुलाब के सूखे फूलों को एक गिलास पानी में रात को भिगोकर रख दें। सुबह पत्तियों को मसलकर छान लें और दो चम्मच चीनी मिलाकर पीएं। इससे पेट की गर्मी दूर होती है, जिससे छाले अपने आप ठीक हो जाते हैं
• गुलाब के फूलों का ताजा रस कानों में डालने से कान दर्द में राहत मिलती है।
• गुलाब के फूलों का रस और नींबू का ताजा रस बराबर मात्रा में मिलाकर दाद पर लगाने से वांछित लाभ होता है। यह 'रस मिश्रण' मुहांसों से भी छुटकारा दिलाने में सहायक हो सकता है।
• गुलाब जल आंखों में डालने से सामान्य नेत्र रोग में विशेष लाभ मिलता है।
• गुलाब-रस, सौंफ-रस और पुदीना-रस की चार-चार बूंदों को पानी में मिलाकर नियमित पीने से पेट के कई रोग ठीक हो जाते हैं। 5 ग्राम मुलहठी और 5 ग्राम गुलाब की पंखुड़ियों को 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर बनाए गए काढ़े के सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
• शीत पित्त उछलने पर गुलाब रस में थोड़ा-सा चंदन का तेल मिलाकर लगाने से राहत मिलती है।
• माइग्रेन आधासीसी में राहत पाने के लिए दो दाने इलायची, एक चम्मच मिश्री और एक तोला (10 ग्राम) गुलाब की पत्तियों को पीसकर सुबह सवेरे खाली पेट सेवन करें, आराम मिलेगा।
• एक बाल्टी जल में 10 ग्राम गुलाब जल तथा एक नींबू का रस निचोड़ कर नहाने से शरीर की बदबू खत्म हो जाती है।
• आधा कप गुलाब जल में एक नींबू निचोड़ कर थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर 3-3 घंटे में सेवन करने से हैजे में लाभ होता है।
• गुलाब का इत्र माथे पर लगाने से सिर दर्द में आराम आता है।
( विशेष : गुलाब का उपयोग दिल दिमाग और आमाशय की शक्ति को बढ़ाता है और मन को प्रसन्न रखता है। तमाम रोगों से मुक्ति में भी गुलाब सहायक है। लेकिन यहां गुलाब के औषधीय गुणों में उपयोग के बारे में विशुद्ध सामान्य जानकारी दी गई है। रोग विशेष में उपचार से पूर्व किसी योग्य आयुर्वेदाचार्य से परामर्श अवश्य कर लें, क्योंकि गुलाब के उपयोग की सही विधि और उचित मात्रा की जानकारी का अभाव लाभ के स्थान पर हानि पहुंचा सकता है। सामान्य जानकारी किसी भी योग्य चिकित्सक की बराबरी नहीं कर सकती।)
विनय संकोचीHealth : 'आम '(Mango) भारत का राष्ट्रीय फल है। देश के लगभग सभी स्थानों में इसकी उत्पत्ति होती है। छोटे से छोटे और बड़े से बड़े बगीचे में आम के वृक्ष लगाए जाते हैं। सड़कों के दोनों ओर आम के वृक्ष की शोभा देते हैं। 'महाकवि कालिदास' ने आम का गुणगान किया है और 'शतपथ ब्राह्मण' में इसका उल्लेख मिलता है। 'वेदों' में आम का नाम आया है और 'अमरकोश' में आम की प्रशंसा इसकी 'बुद्ध कालीन' लोकप्रियता का प्रमाण है। वेदों में आम को विलास का प्रतीक कहा गया है।
आयुर्वेद के अनुसार आम के पंचांग यानी पांचों अंग काम में आते हैं। पका फल मधुर, स्निग्ध, वातनाशक, शीतल, प्रमेय नाशक तथा रुधिर के रोगों को दूर करने वाला होता है। यह श्वास, अम्ल, पित्त, यकृत वृद्धि तथा क्षय में भी लाभदायक है। अनेक वैद्यों ने केवल आम के रस और दूध पर रोगी को रखकर क्षय, संग्रहणी, श्वास, रक्त-विकार, दुर्बलता इत्यादि रोगों के उपचार में सफलता प्राप्त की है। पका आम बहुत स्वास्थ्यवर्धक, पोषक, शक्तिवर्धक होता है। यह विटामिन-सी के महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक है और इसमें विटामिन-ए प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
आम सभी फलों का राजा तो है ही, इसमें कई चमत्कारिक गुण भी हैं। यह ग्लूकोज और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करता है। भारत में बहुत पहले से आम पौष्टिक फल के रूप में माना जाता रहा है, लेकिन हाल के शोध के दौरान पाया गया है कि आम तो गुणों का अनुपम भंडार है। आम शरीर में वसा को कम करने में सहायक होता है। आम की गुठली के में बहुत से पोषक तत्व है। आयुर्वेद शास्त्र में इसका खूब उपयोग किया गया है।आम के पत्तों से निकला अर्क इंसुलिन उत्पादन कर ब्लड शुगर का स्तर घटाता है। आम शरीर में ग्लूकोज और कोलस्ट्रोल के लेवल को नियंत्रित रखने में मददगार होता है।
एक अध्ययन से पता चला है कि आम में शरीर को फायदा पहुंचाने वाले तत्व अधिक है जबकि नुकसान पहुंचाने वाले मुश्किल से एक दो ही हैं। आम में पाए जाने वाला खास तत्व ब्लड शुगर लेवल को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। डायबिटीज शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करता है और हृदय उनमें से एक होता है। कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर हृदय को व्यापक तौर पर नुकसान पहुंचा सकता है। आम के पत्तों में फाइबर पेक्टिन और विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में होता है, जो कोलस्ट्रोल खासतौर पर एलडीएल या हानिकारक कोलस्ट्रोल के लेवल को घटाता है। इसके अलावा फल में मौजूद फ्लेवोनॉयड फ्लेवोनॉयड्स लिपिड लेवल को कम करने में मदद करता है। इससे धमनियां मजबूत और स्वस्थ बनती हैं। आम के पत्ते भी ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने में मदद करते हैं। मधुमेह के रोगियों को आम के रस में बराबर मात्रा में जामुन का रस मिलाकर सेवन करना लाभकारी बताया गया है।
प्राचीन चीनी दवाइयों में आम के पत्तों का अर्क डायबिटीज और अस्थमा के इलाज में उपयोग किया जाता है। आम के पत्तों में कैफिक एसिड जैसे फिनॉलिक, मैगीफेरिन जैसे पॉलिफिनॉल्स, गैलिक एसिड, फ्लेवोनॉयड्स और कई अस्थाई योगिकों जैसे घटक पाए जाते हैं। यह सभी आम को अच्छा एंटीबायोटिक, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी एलर्जिक प्राकृतिक उत्पाद बनाते हैं।
आम की पत्तियों से किडनी में पथरी की समस्या को हल करने और किडनी को सेहतमंद रखने में मदद मिलती है। यह लीवर को सेहतमंद रखने में भी मदद करता है। इसमें लौह तत्व की प्रधानता होती है। रेशे प्रधान होने के कारण यह कब्ज़ में भी लाभकारी है।
विटामिन-ए (Vitamin-A) से भरपूर होने के कारण आम का सेवन आंखों के लिए लाभदायक है। इसके सेवन से नेत्र ज्योति बढ़ती है तथा रतौंधी की शिकायत नहीं रहती है।
पीलिया रोग में भी आम लाभदायक है यह यकृत को ठीक करता है। कच्चे आम का पन्ना बहुत ही स्वादिष्ट होता है। पन्ना लू लगने में रामबाण औषधि है। कच्ची कैरिओं को पानी में उबालकर, मसलकर निकाले गए गूदे को छलनी में छानकर पानी शक्कर और नमक मिलाकर सेवन करने पर लू लगने की स्थिति में आराम मिलता है।
आम का कच्चा फल स्वाद में खट्टा और फल मीठा होता है। यह रुधिर विकार दूर करने वाला तथा फोड़े फुंसियों का नाश करने वाला है। दूध के साथ आम का सेवन अत्यंत लाभदायक है। स्वादिष्ट और रुचिवर्धक होने के साथ-साथ वात, पित्त, कफनाशक, बलवर्धक, पौष्टिक और रंग को निखारने वाला है।
'आम' बेहद गुणकारी है, जिसके बारे में यहां सामान्य जानकारी दी गई है। यदि आम को रोगों के उपचार में औषधि के रूप में प्रयोग करना है तो योग्य आयुर्वेदाचार्य से परामर्श आवश्यक है।
ध्यान रहे, सामान्य जानकारी किसी चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं हो सकती है।
भारत
चेतना मंच
01 Dec 2025 11:11 AM
विनय संकोचीHealth : 'आम '(Mango) भारत का राष्ट्रीय फल है। देश के लगभग सभी स्थानों में इसकी उत्पत्ति होती है। छोटे से छोटे और बड़े से बड़े बगीचे में आम के वृक्ष लगाए जाते हैं। सड़कों के दोनों ओर आम के वृक्ष की शोभा देते हैं। 'महाकवि कालिदास' ने आम का गुणगान किया है और 'शतपथ ब्राह्मण' में इसका उल्लेख मिलता है। 'वेदों' में आम का नाम आया है और 'अमरकोश' में आम की प्रशंसा इसकी 'बुद्ध कालीन' लोकप्रियता का प्रमाण है। वेदों में आम को विलास का प्रतीक कहा गया है।
आयुर्वेद के अनुसार आम के पंचांग यानी पांचों अंग काम में आते हैं। पका फल मधुर, स्निग्ध, वातनाशक, शीतल, प्रमेय नाशक तथा रुधिर के रोगों को दूर करने वाला होता है। यह श्वास, अम्ल, पित्त, यकृत वृद्धि तथा क्षय में भी लाभदायक है। अनेक वैद्यों ने केवल आम के रस और दूध पर रोगी को रखकर क्षय, संग्रहणी, श्वास, रक्त-विकार, दुर्बलता इत्यादि रोगों के उपचार में सफलता प्राप्त की है। पका आम बहुत स्वास्थ्यवर्धक, पोषक, शक्तिवर्धक होता है। यह विटामिन-सी के महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक है और इसमें विटामिन-ए प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
आम सभी फलों का राजा तो है ही, इसमें कई चमत्कारिक गुण भी हैं। यह ग्लूकोज और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करता है। भारत में बहुत पहले से आम पौष्टिक फल के रूप में माना जाता रहा है, लेकिन हाल के शोध के दौरान पाया गया है कि आम तो गुणों का अनुपम भंडार है। आम शरीर में वसा को कम करने में सहायक होता है। आम की गुठली के में बहुत से पोषक तत्व है। आयुर्वेद शास्त्र में इसका खूब उपयोग किया गया है।आम के पत्तों से निकला अर्क इंसुलिन उत्पादन कर ब्लड शुगर का स्तर घटाता है। आम शरीर में ग्लूकोज और कोलस्ट्रोल के लेवल को नियंत्रित रखने में मददगार होता है।
एक अध्ययन से पता चला है कि आम में शरीर को फायदा पहुंचाने वाले तत्व अधिक है जबकि नुकसान पहुंचाने वाले मुश्किल से एक दो ही हैं। आम में पाए जाने वाला खास तत्व ब्लड शुगर लेवल को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। डायबिटीज शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करता है और हृदय उनमें से एक होता है। कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर हृदय को व्यापक तौर पर नुकसान पहुंचा सकता है। आम के पत्तों में फाइबर पेक्टिन और विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में होता है, जो कोलस्ट्रोल खासतौर पर एलडीएल या हानिकारक कोलस्ट्रोल के लेवल को घटाता है। इसके अलावा फल में मौजूद फ्लेवोनॉयड फ्लेवोनॉयड्स लिपिड लेवल को कम करने में मदद करता है। इससे धमनियां मजबूत और स्वस्थ बनती हैं। आम के पत्ते भी ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने में मदद करते हैं। मधुमेह के रोगियों को आम के रस में बराबर मात्रा में जामुन का रस मिलाकर सेवन करना लाभकारी बताया गया है।
प्राचीन चीनी दवाइयों में आम के पत्तों का अर्क डायबिटीज और अस्थमा के इलाज में उपयोग किया जाता है। आम के पत्तों में कैफिक एसिड जैसे फिनॉलिक, मैगीफेरिन जैसे पॉलिफिनॉल्स, गैलिक एसिड, फ्लेवोनॉयड्स और कई अस्थाई योगिकों जैसे घटक पाए जाते हैं। यह सभी आम को अच्छा एंटीबायोटिक, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी एलर्जिक प्राकृतिक उत्पाद बनाते हैं।
आम की पत्तियों से किडनी में पथरी की समस्या को हल करने और किडनी को सेहतमंद रखने में मदद मिलती है। यह लीवर को सेहतमंद रखने में भी मदद करता है। इसमें लौह तत्व की प्रधानता होती है। रेशे प्रधान होने के कारण यह कब्ज़ में भी लाभकारी है।
विटामिन-ए (Vitamin-A) से भरपूर होने के कारण आम का सेवन आंखों के लिए लाभदायक है। इसके सेवन से नेत्र ज्योति बढ़ती है तथा रतौंधी की शिकायत नहीं रहती है।
पीलिया रोग में भी आम लाभदायक है यह यकृत को ठीक करता है। कच्चे आम का पन्ना बहुत ही स्वादिष्ट होता है। पन्ना लू लगने में रामबाण औषधि है। कच्ची कैरिओं को पानी में उबालकर, मसलकर निकाले गए गूदे को छलनी में छानकर पानी शक्कर और नमक मिलाकर सेवन करने पर लू लगने की स्थिति में आराम मिलता है।
आम का कच्चा फल स्वाद में खट्टा और फल मीठा होता है। यह रुधिर विकार दूर करने वाला तथा फोड़े फुंसियों का नाश करने वाला है। दूध के साथ आम का सेवन अत्यंत लाभदायक है। स्वादिष्ट और रुचिवर्धक होने के साथ-साथ वात, पित्त, कफनाशक, बलवर्धक, पौष्टिक और रंग को निखारने वाला है।
'आम' बेहद गुणकारी है, जिसके बारे में यहां सामान्य जानकारी दी गई है। यदि आम को रोगों के उपचार में औषधि के रूप में प्रयोग करना है तो योग्य आयुर्वेदाचार्य से परामर्श आवश्यक है।
ध्यान रहे, सामान्य जानकारी किसी चिकित्सकीय परामर्श का विकल्प नहीं हो सकती है।