Sex Education : Sex एजुकेशन जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है

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Sex Education: Why sex education is necessary at every age, read Kamasutra
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:31 PM
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  Sex Education :  SEX और इससे जुड़ा हुआ सही ज्ञान हर स्त्री पुरुष के जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है । हमारे देश में मेडिकल कॉलेज तक में सेक्स एजुकेशन(Sex Education ) नहीं दी जाती जिसके परिणामस्वरूप सेक्स संबंधी अंधविश्वास, भ्रांतियां और इससे जुड़ी कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यदि सही उम्र में यौन शिक्षा दी जाए तो किशोर मातृत्व, अनचाहे गर्भ, यौन अपराध, गुप्त रोग तथा एड्‍स जैसी गंभीर और लाइलाज बीमारियों से बचा जा सकता है। साथ ही सेक्स संबंधी समस्याएं जैसे- हस्तमैथुन से उत्पन्न अपराधबोध, नपुंसकता, स्वप्नदोष, धातु रोग और लिंग के आकार को लेकर विभिन्न भ्रांतियों से भी आसानी से मुक्त हुआ जा सकता है। सबसे बड़ी ज़रूरत यौन शिक्षा के विषय पर देशव्यापी बहस की जरूरत है, बदलते परिवेश और युवाओं की जिज्ञासाओं को देखते हुए 9वीं-10वीं कक्षा से सेक्स एजुकेशन (Sex Education )दी जानी चाहिए । सब जानते हैं कि 13-14 वर्ष की उम्र में लड़के-लड़कियों में शारीरिक परिवर्तन होते हैं। समय पर सही यौन शिक्षा मिलने से लड़के-लड़कियां अपने शारीरिक परिवर्तनों से घबराएंगे नहीं, नकारात्मक रूप से नहीं सोचेंगे और शार‍ीरिक परिवर्तनों को सहज रूप से लेकर जिम्मेदार नागरिक बनेंगे। दुर्भाग्य से हमारे देश में सेक्स संबंधी वैज्ञानिक व तार्किक पहुलओं पर खुलेआम चर्चा नहीं होती। इस विषय पर बात करना भी वर्जित माना गया, जबकि गुप्तांग भी शरीर के वैसे ही अंग हैं, जैसे ‍कि अन्य अंग। लाभ ही लाभ हैं SEX education के क्या सेक्स एजुकेशन (Sex Education ) से लड़के-लड़कियों में प्रयोग करने यानि Sex का practical करने की प्रवृत्ति नहीं बढ़ेंगी ? इस सवाल का जवाब हमें स्वीडन, नार्वे तथा अन्य कईं देशों के अनुभवों से मिलता है ।आंकडे बताते हैं कि सही यौन शिक्षा मिलने के बाद सेक्स संबंधी प्रयोग करने की रुच‍ि कम होती है ।Sex की शिक्षा पा चुका युवक व युवती इस बात को समझ जाते हैं कि यह सही समय सही स्थान व उचित पात्र के साथ की जानेवाली जीवन की सबसे अमूल्य क्रिया है ।सही जानकारी से उनकी वे सभी जिज्ञासाएं शांत हो जाती हैं, जिनकी पूर्ति के लिए वे गलत सलत प्रयोग करते हैं अथवा करना चाहते हैं। इतना ही नहीं जिन देशों में यौन शिक्षा दी जाती है वहां सेक्स से जुड़े अपराध या तो होते ही नहीं है और यदि होते भी तो बेहद नगणय होते हैं । खुद करते हैं अपना नाश Sex education यानि यौन शिक्षा के अभाव में युवक , युवतियाँ, महिला अथवा पुरूष अपना खुद का नाश तो करते ही हैं समाज का भी सत्यानाश कर डालते हैं . सेक्स में असंतुष्ट व्यक्ति गलत तरीके से संतुष्टि हासिल करने के लिए ग़लत क्रियाएं करता है। इसके लिए नैतिकता का पतन, नशाखोरी की प्रवृत्ति, अश्लील साहित्य, पोर्न मूवी देखकर भी व्यक्ति यौन अपराध करता है। हस्तमैथुन के प्रति अपराधबोध भी इसका एक कारण है।एक और मज़ेदार आँकड़ा यह भी है कि जिन देशों में वेश्यालयों को लाइसेंस दिए गए वहां यौन अपराधों में कमी आई है।वहाँ के नागरिकों को वैश्याओं से Sex की शिक्षा मिलती है । मन से बड़ा सम्बन्ध सेक्स का संबंध शरीर से ज्यादा मन से होता है। ब्रेन में भी सेक्स का एक सेंटर होता है, जो विभिन्न संवेदनाओं के जरिए उत्तेजित होता है।यौन समस्याओं का कारण भले ही मानसिक हो अथवा शारीरिक, लेकिन एक बात की कमी सभी व्यक्तियों में समान रूप से पाई गई है, वह है यौन शिक्षा का अभाव। सेक्स एजुकेशन न होने से व्यक्ति सेक्स संबंधी अनेक मानसिक परेशानियों से घिर जाता है, जो कि वास्तव में होती ही नहीं हैं। आधी-अधूरी जानकारी के कारण व्यक्ति ऐसी समस्या को स्वयं विकराल बनाकर आत्मग्लानि का शिकार हो जाता है। तुरन्त क्या करें ? हमारे देश में जब तक सेक्स एजुकेशन की ठीक से व्यवस्था नहीं होती है तब तक हम अपनी युवा पीढ़ी को सेक्स का सही सही ज्ञान देने के लिए महर्षि वात्स्यायन द्वारा रचित सेक्स एजुकेशन की सबसे सटीक पुस्तक कामसूत्र पढवा सकते हैं या Sex गुरू सीमा आनंद द्वारा लिखी गई पुस्तकें लेख तथा वीडियो आदि दिखा पढ़ा कर युवा पीढ़ी को सेक्स की शिक्षा दे सकते हैं ।

Sex Education : हर उम्र में जरूरी है Sex की शिक्षा, यही है सृष्टि का आधार: सीमा आनंद

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MP News : 4 लाख नसबंदी करने वाले डाक्टर का दावा, बूढ़ों का देश बन सकता है भारत

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MP News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 07:04 AM
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MP News / इंदौर (मध्य प्रदेश)। परिवार नियोजन के करीब चार लाख ऑपरेशन करने के विश्व कीर्तिमान का दावा करने वाले डॉक्टर डॉ. ललितमोहन पंत ने शनिवार को कहा कि मौजूदा हालात में देश को सख्त प्रावधानों वाले जनसंख्या नियंत्रण कानून की कोई जरूरत नहीं है।

पंत ने सिकुड़ते परिवारों और बुजुर्गों के अकेलेपन के सामाजिक दुष्परिणामों को रेखांकित करते हुए ऐसे वक्त यह बात कही, जब संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार भारत, चीन को पीछे छोड़ दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है।

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डा. पंत ने कहा कि भारत की आबादी स्थिर होने की दिशा में पहले ही बढ़ चुकी है। ऐसे में देश को सख्त प्रावधानों वाले जनसंख्या नियंत्रण कानून की कोई जरूरत नहीं है।

मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के सर्जन और नसबंदी के प्रमुख प्रशिक्षक पद से सेवानिवृत्त पंत के मुताबिक उन्होंने वर्ष 1982 से लेकर अब तक 3,93,177 परिवार नियोजन ऑपरेशन किए हैं। उनका दावा है कि दुनिया भर में किसी भी सर्जन ने इतने नसबंदी ऑपरेशन नहीं किए हैं।

बहरहाल, पंत का कहना है कि वह इन दिनों सिकुड़ते परिवारों और बुजुर्गों के अकेलेपन के सामाजिक दुष्परिणामों को अपनी आंखों से देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि मेरा घर इंदौर की जिस कॉलोनी में है, वहां के अधिकांश घरों में उम्रदराज लोग अकेले रहने को मजबूर हैं क्योंकि उनकी संतानें रोजगार के सिलसिले में भारतीय महानगरों या विदेश में हैं। मैं ऐसे कई जोड़ों को भी जानता हूं जिन्होंने शादी इसी शर्त पर की है कि वे कभी बच्चा पैदा नहीं करेंगे।

बूढ़ों का देश बन सकता है भारत

दो बेटियों के पिता पंत ने चेताया कि हमें अपनी जनसंख्या में युवा और कामकाजी आबादी के बड़े अनुपात को सतत बनाए रखना होगा, वरना आने वाले सालों में जापान की तरह भारत भी बूढ़ों का देश बन सकता है।

उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि रोजगार के चलते शहरों पर आबादी का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, जबकि गांवों से लोगों का पलायन तेज हो रहा है।

मूलतः उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले पंत ने कहा,"मेरा परिवार भी बेहतर भविष्य की तलाश में उत्तराखंड का अपना पहाड़ी गांव छोड़कर मध्यप्रदेश के मैदानी इलाके में आया था, लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर मैं मानता हूं कि शहरी और ग्रामीण आबादी में संतुलन समाज के लिए बेहद जरूरी है।"

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Kolkata : कुछ लोग नफरत की राजनीति करके देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं : ममता

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Kolkata News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar22 Apr 2023 04:56 PM
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Kolkata News। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को दावा किया कि कुछ लोग नफरत की राजनीति करके देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं और कहा कि वह अपनी जान देने के लिए तैयार हैं लेकिन देश को बांटने नहीं देंगी।

बनर्जी ने शहर के रेड रोड पर ईद की नमाज के लिए एकत्रित लोगों से बात करते हुए उनसे एकजुट होने और यह सुनिश्चित करने का अनुरोध भी किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2024 के लोकसभा चुनावों में परास्त हो।

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उन्होंने कहा कि कुछ लोग देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं और नफरत की राजनीति कर रहे हैं...मैं अपनी जान देने के लिए तैयार हूं लेकिन देश को बांटने नहीं दूंगी। भाजपा पर देश के संविधान को बदलने का आरोप लगाते हुए बनर्जी ने कहा कि वह पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय नागरिक पंजी लागू होने नहीं देंगी।

उन्होंने कहा कि मैं (अपने राजनीतिक विरोधियों के) धन बल और केंद्रीय एजेंसियों से लड़ने के लिए तैयार हूं लेकिन मैं अपना सिर नहीं झुकने दूंगी। तृणमूल कांग्रेस केंद्रीय एजेंसियों पर राजनीतिक उद्देश्य के साथ उनकी पार्टी पर कार्रवाई करने का आरोप लगाती है।

ममता ने कहा कि एक साल में यह तय करने के लिए चुनाव होंगे कि हमारे देश में कौन सत्ता में आएगा। हमसे वादा करिए कि हम एकजुट होंगे और विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ लड़ेंगे। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम सभी अगले चुनावों में उन्हें सत्ता से बाहर कर दें। अगर हम लोकतंत्र को बचाने में नाकाम रहे तो सबकुछ खत्म हो जाएगा।

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