खामोश कब्रों का सच, क्या कोई मर कर भी लौटता है?

वैम्पायर शब्द की शुरुआत
"Vampire" शब्द पहली बार 1734 में इंग्लिश भाषा में रिकॉर्ड किया गया था। माना जाता है कि यह शब्द स्लाविक भाषाओं से आया था। विशेष रूप से ‘upir’ से, जिसका अर्थ होता है खून पीने वाला प्राणी। मध्य यूरोप की कई लोककथाओं में ऐसे जीवों का उल्लेख मिलता है जो मृत्यु के बाद लौट आते हैं। 18वीं सदी के यूरोप में कई जगहों पर लोगों को यह विश्वास था कि कुछ मृत व्यक्ति वैम्पायर बनकर लौट आते हैं। डर के कारण लोग शवों का सिर काटते थे, दिल में कील ठोकते थे या कब्र में पत्थर रख देते थे ताकि वह ‘जिंदा’ न हो पाए। यह डर इतना गहरा था कि कई गांवों में बाकायदा वैम्पायर हंटर होते थे।
ड्रैकुला और असली प्रेरणा
जब हम वैम्पायर की बात करते हैं, तो Count Dracula का नाम ज़रूर आता है। हालांकि ड्रैकुला एक काल्पनिक पात्र था लेकिन इसका प्रेरणास्रोत था एक असली और क्रूर राजा—व्लाद द इम्पेलर। 15वीं सदी के रोमानिया के इस शासक को दुश्मनों को भाले पर चढ़ाने के लिए जाना जाता था। उसकी निर्दयता ही बाद में ड्रैकुला की कहानी का आधार बनी।
विज्ञान की नजर में क्या है असली सच
कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि वैम्पायर की कहानियां कुछ दुर्लभ बीमारियों पर आधारित हो सकती हैं।
Porphyria : एक दुर्लभ बीमारी है जिसमें रोगी की त्वचा सूरज की रोशनी से जलने लगती है। कुछ मामलों में मसूड़ों से खून भी निकलता है, जिससे व्यक्ति डरावना दिखने लगता है।
Catalepsy : इसमें व्यक्ति कुछ समय के लिए ऐसा हो जाता है जैसे वह मर गया हो। पुराने ज़माने में लोग समझते थे कि व्यक्ति मर गया पर वह बाद में 'जिंदा' हो उठता था।
क्या आज भी वैम्पायर होते हैं?
आज के समय में कुछ लोग खुद को “सांग्युअरियन वैम्पायर” कहते हैं। ये लोग दूसरों के खून की कुछ बूंदें सहमति से पीते हैं—मात्र एक लाइफस्टाइल या फीलिंग के रूप में। हालांकि इनमें किसी तरह की अलौकिक शक्ति नहीं होती।
वैम्पायर शायद असली न हों लेकिन उनके पीछे का इतिहास, सामाजिक डर और विज्ञान एकदम वास्तविक हैं। इन कहानियों ने सदियों से इंसानों की कल्पना को पकड़ा है। कभी डर के रूप में तो कभी रोमांच और रहस्य के रूप में। वैम्पायर असली हैं या नहीं, यह बहस का विषय है लेकिन उनका असर आज भी हमारी कहानियों और कल्पनाओं में जिंदा है। Vampire :
- रितिक मिश्रादिल्ली- NCR में भूकंप के तेज झटके, 10 सेकंड तक हिली धरती
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"Vampire" शब्द पहली बार 1734 में इंग्लिश भाषा में रिकॉर्ड किया गया था। माना जाता है कि यह शब्द स्लाविक भाषाओं से आया था। विशेष रूप से ‘upir’ से, जिसका अर्थ होता है खून पीने वाला प्राणी। मध्य यूरोप की कई लोककथाओं में ऐसे जीवों का उल्लेख मिलता है जो मृत्यु के बाद लौट आते हैं। 18वीं सदी के यूरोप में कई जगहों पर लोगों को यह विश्वास था कि कुछ मृत व्यक्ति वैम्पायर बनकर लौट आते हैं। डर के कारण लोग शवों का सिर काटते थे, दिल में कील ठोकते थे या कब्र में पत्थर रख देते थे ताकि वह ‘जिंदा’ न हो पाए। यह डर इतना गहरा था कि कई गांवों में बाकायदा वैम्पायर हंटर होते थे।
ड्रैकुला और असली प्रेरणा
जब हम वैम्पायर की बात करते हैं, तो Count Dracula का नाम ज़रूर आता है। हालांकि ड्रैकुला एक काल्पनिक पात्र था लेकिन इसका प्रेरणास्रोत था एक असली और क्रूर राजा—व्लाद द इम्पेलर। 15वीं सदी के रोमानिया के इस शासक को दुश्मनों को भाले पर चढ़ाने के लिए जाना जाता था। उसकी निर्दयता ही बाद में ड्रैकुला की कहानी का आधार बनी।
विज्ञान की नजर में क्या है असली सच
कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि वैम्पायर की कहानियां कुछ दुर्लभ बीमारियों पर आधारित हो सकती हैं।
Porphyria : एक दुर्लभ बीमारी है जिसमें रोगी की त्वचा सूरज की रोशनी से जलने लगती है। कुछ मामलों में मसूड़ों से खून भी निकलता है, जिससे व्यक्ति डरावना दिखने लगता है।
Catalepsy : इसमें व्यक्ति कुछ समय के लिए ऐसा हो जाता है जैसे वह मर गया हो। पुराने ज़माने में लोग समझते थे कि व्यक्ति मर गया पर वह बाद में 'जिंदा' हो उठता था।
क्या आज भी वैम्पायर होते हैं?
आज के समय में कुछ लोग खुद को “सांग्युअरियन वैम्पायर” कहते हैं। ये लोग दूसरों के खून की कुछ बूंदें सहमति से पीते हैं—मात्र एक लाइफस्टाइल या फीलिंग के रूप में। हालांकि इनमें किसी तरह की अलौकिक शक्ति नहीं होती।
वैम्पायर शायद असली न हों लेकिन उनके पीछे का इतिहास, सामाजिक डर और विज्ञान एकदम वास्तविक हैं। इन कहानियों ने सदियों से इंसानों की कल्पना को पकड़ा है। कभी डर के रूप में तो कभी रोमांच और रहस्य के रूप में। वैम्पायर असली हैं या नहीं, यह बहस का विषय है लेकिन उनका असर आज भी हमारी कहानियों और कल्पनाओं में जिंदा है। Vampire :
- रितिक मिश्रा






