डिप्रेशन और ओवरथिंकिंग की वजह हो सकती है इन विटामिन की कमी

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Depression
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 12:51 PM
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Depression : आजकल डिप्रेशन एक आम मानसिक समस्या बन गई है और इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारा खानपान भी डिप्रेशन पर असर डाल सकता है?

डिप्रेशन क्या होता है?

डिप्रेशन एक मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति लगातार उदासी, नीरसता और किसी भी काम में रुचि की कमी महसूस करता है। यह स्थिति मूड में बदलाव, रिश्तों, और सामाजिक जीवन पर भी गहरा असर डाल सकती है। डिप्रेशन का कारण केवल मानसिक तनाव नहीं होता, बल्कि यह पोषण की कमी से भी हो सकता है।

डिप्रेशन की सामान्यता

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया में लगभग 3.8% लोग डिप्रेशन का शिकार हैं। इसमें महिलाओं में डिप्रेशन पुरुषों के मुकाबले लगभग 50% अधिक आम है। इसके अलावा, मानसिक समस्याओं के बावजूद इलाज की कमी भी एक प्रमुख कारण है, खासकर गरीब और मध्यम आय वाले देशों में।

विटामिन की कमी

कुछ खास विटामिनों की कमी से डिप्रेशन और ओवरथिंकिंग जैसी मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। पोषक तत्वों की कमी से हमारे दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर प्रभावित होते हैं, जो हमारे मूड और मानसिक स्वास्थ्य को नियंत्रित करते हैं। विटामिन D की कमी से सेरोटोनिन का उत्पादन कम हो सकता है, जिससे मूड में गिरावट, थकान, और डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसे पूरा करने के लिए धूप, मछली, और अंडे का सेवन फायदेमंद होता है। विटामिन B12 न्यूरोट्रांसमीटर के निर्माण के लिए आवश्यक होता है और इसकी कमी से थकान, बेचैनी, और हाथ-पैरों में झुनझुनी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह विटामिन मांस, मछली, अंडे, और दूध में पाया जाता है। विटामिन B9 (फोलेट) डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर बनाने में मदद करता है, जो मूड को नियंत्रित करते हैं। इसकी कमी से डिप्रेशन और चिंता का खतरा बढ़ सकता है। यह हरी पत्तेदार सब्जियों, बीन्स, और फोर्टिफाइड अनाज से मिलता है। विटामिन B6 सेरोटोनिन और डोपामाइन के उत्पादन में मदद करता है। इसकी कमी से चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग्स, और बेचैनी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह विटामिन चिकन, मछली, आलू, केला, और मेवों से मिलता है। विटामिन E एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो दिमाग को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाता है। इसकी कमी से थकान और मानसिक सुस्ती हो सकती है। इसे बादाम, बीज, पालक, और सूरजमुखी तेल से प्राप्त किया जा सकता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड दिमाग के कार्य और मूड को स्थिर रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनकी कमी से मानसिक समस्याएं बढ़ सकती हैं। मैग्नीशियम की कमी से चिंता और डिप्रेशन बढ़ सकता है। इसे पूरा करने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम, और बीजों का सेवन फायदेमंद होता है।

डिप्रेशन से बचने के उपाय

डिप्रेशन और ओवरथिंकिंग जैसी समस्याओं से बचने के लिए एक संतुलित आहार अपनाना जरूरी है, जिसमें सभी आवश्यक विटामिन और पोषक तत्व शामिल हों। यदि शरीर में किसी विटामिन की कमी हो, तो डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट्स का सेवन करें।

डिप्रेशन का इलाज

डिप्रेशन का इलाज पूरी तरह से संभव है। इसके उपचार के लिए मनोवैज्ञानिक इलाज (साइकोलॉजिकल ट्रीटमेंट) और दवाइयां (एंटीडिप्रेसेंट मेडिटेशन) उपयोगी होती हैं। हल्के डिप्रेशन में मनोवैज्ञानिक उपचार ही पर्याप्त हो सकता है, जबकि गंभीर डिप्रेशन में दवाइयां भी दी जाती हैं। डिप्रेशन केवल मानसिक समस्या नहीं, बल्कि यह पोषण की कमी से भी जुड़ी हो सकती है। एक सही और संतुलित आहार, विटामिन और पोषक तत्वों की सही मात्रा से मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है। अगर डिप्रेशन की समस्या हो, तो डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।

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क्या है फीटल हाइड्रोनेफ्रोसिस? ज्यादातर शिशु होते हैं इस बीमारी का शिकार

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Fetal Hydronephrosis
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 06:47 PM
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Fetal Hydronephrosis : फीटल हाइड्रोनेफ्रोसिस (Fetal Hydronephrosis) एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें नवजात शिशु की किडनी में सूजन आ जाती है। यह बीमारी तब होती है जब जमा हो जाता है जिससे किडनी का आकार बढ़ जाता है। यह समस्या जन्म से पहले (गर्भावस्था में) भी हो सकती है और जन्म के बाद भी इसका निदान किया जा सकता है। इस बीमारी को "एंटी-नेटल रीनल स्वेलिंग" (Ante-Natal Renal Swelling) भी कहा जाता है।

क्या है फीटल हाइड्रोनेफ्रोसिस के कारण?

  • इस समस्या के मुख्य कारण किडनी के अंदर यूरिन का जमा होना है। यह तब हो सकता है जब किडनी या यूरिन निकालने वाली नलिका (यूरेटर) में किसी प्रकार की रुकावट या असामान्यता हो।
  • गर्भावस्था के दौरान यदि किडनी में ब्लॉकेज होता है तो यूरिन का सही तरीके से बाहर निकलना संभव नहीं होता, जिससे सूजन आ सकती है।
  • कभी-कभी यह स्थिति बिना किसी गंभीर कारण के भी हो सकती है और समय के साथ ठीक हो सकती है।

फीटल हाइड्रोनेफ्रोसिस के लक्षण

  • फीटल हाइड्रोनेफ्रोसिस के ज्यादातर मामलों में नवजात में कोई गंभीर लक्षण दिखाई नहीं देते।
  • इसे अक्सर अल्ट्रासाउंड जांच द्वारा गर्भावस्था के दौरान ही पहचाना जा सकता है।
  • जन्म के बाद डॉक्टर किडनी और यूरिनरी सिस्टम की जांच करते हैं ताकि स्थिति की गंभीरता का मूल्यांकन किया जा सके।

फीटल हाइड्रोनेफ्रोसिस का इलाज

  • इस बीमारी के इलाज का निर्णय इस बात पर निर्भर करता है कि सूजन कितनी गंभीर है।
  • कई मामलों में यह स्थिति समय के साथ ठीक हो जाती है, और इलाज की आवश्यकता नहीं होती।
  • यदि सूजन गंभीर हो और यूरिन के प्रवाह में रुकावट आ रही हो, तो सर्जरी या अन्य उपचारों की आवश्यकता हो सकती है।
  • कुछ मामलों में, जन्म के बाद एंटीबायोटिक्स और अन्य जांचों के माध्यम से उपचार किया जा सकता है।

प्रेगनेंसी के दौरान उपचार

अगर फीटल हाइड्रोनेफ्रोसिस की पहचान प्रेगनेंसी के दौरान होती है तो आमतौर पर किसी विशेष उपचार की जरूरत नहीं होती। हालांकि, कभी-कभी गर्भ में शिशु के ब्लैडर में एक ट्यूब लगाई जाती है ताकि ब्लॉकेज को बायपास किया जा सके।

सर्दियों में सेहत का राज, बाजरे की रोटी और सरसों का साग, जानें फायदें

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सर्दियों में सेहत का राज, बाजरे की रोटी और सरसों का साग, जानें फायदें

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Health Tips
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 09:25 AM
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Health Tips : डायबिटीज एक खतरनाक बीमारी है, जो शरीर को धीरे-धीरे प्रभावित करती है। इसे कंट्रोल में रखने के लिए गट हेल्थ का ध्यान रखना जरूरी है। इस संदर्भ में, मोती बाजरा एक बेहतरीन विंटर सुपरफूड साबित हो सकता है। इसके पोषक तत्व शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं और कई बीमारियों से बचाव करते हैं।

बाजरे की रोटी

बाजरे की रोटी में आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और पोटेशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं, जो शारीरिक कार्यों के लिए आवश्यक हैं। यह न केवल स्वादिष्ट होती है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

बाजरे की रोटी के स्वास्थ्य लाभ

बाजरे की रोटी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन क्रिया को सुधारने और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। बाजरे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह रक्त में शर्करा को धीरे-धीरे छोड़ता है और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। बाजरा खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे दिल की सेहत बेहतर रहती है। बाजरे की रोटी आपको भरा हुआ महसूस कराती है, जिससे अधिक खाने की आदत कम होती है और वजन नियंत्रित रहता है।

बाजरा का महत्व

बाजरा एक प्राचीन अनाज है, जो दशकों तक हाशिए पर रहा, लेकिन अब इसके स्वास्थ्य लाभों के कारण यह फिर से लोकप्रिय हो रहा है। इसकी अद्भुत पोषक तत्वों की वजह से यह कई पुरानी बीमारियों से बचाव कर सकता है। बाजरा न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी बेहतर है। यह सूखा प्रतिरोधी है और इसके उत्पादन के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है, जो इसे एक स्थायी और पर्यावरण अनुकूल अनाज बनाता है।

सर्दियों में बाजरा का सेवन

आधुनिक समय में अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों की खपत बढ़ी है, जैसे कि अधिक कार्ब्स, चीनी और वसा। लोग अब अपने आहार में अच्छे प्रोटीन, फाइबर और सूक्ष्म पोषक तत्वों को शामिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बाजरा अब फिर से मुख्य आहार का हिस्सा बन रहा है, क्योंकि यह पौष्टिक, सस्ता और पर्यावरण के लिए फायदेमंद है।

सर्दियों में बाजरा का लाभ

बाजरा, विशेष रूप से सर्दियों में, एक पारंपरिक भारतीय रोटी के रूप में खाया जाता है। यह शरीर में गर्मी बनाए रखने, पाचन में मदद करने, हड्डियों को मजबूत करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए फायदेमंद है। अगर इसे सरसों के साग जैसे व्यंजनों के साथ खाया जाए तो इसके लाभ और बढ़ जाते हैं।बाजरा प्रोटीन, फाइबर, विटामिन, मैग्नीशियम और आयरन जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो हमारे शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। यह एक सस्ता और पौष्टिक विकल्प है, जिसे हमें अपनी डाइट में अवश्य शामिल करना चाहिए। Health Tips

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