नहीं रहे साल्सा संगीत के पर्याय रहे एडी पाल्मिएरी, 88 वर्ष की उम्र में निधन

नहीं रहे साल्सा संगीत के पर्याय रहे एडी पाल्मिएरी, 88 वर्ष की उम्र में निधन
locationभारत
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calendar01 Dec 2025 03:31 PM
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अमेरिका में साल्सा संगीत की धड़कन माने जाने वाले महान पियानोवादक और बैंड लीडर एडी पाल्मिएरी का बुधवार को न्यू जर्सी स्थित अपने आवास पर 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे पाल्मिएरी के निधन की पुष्टि उनकी सबसे छोटी बेटी गैब्रिएला ने की। वह न केवल एक बेहतरीन संगीतकार थे, बल्कि साल्सा के स्वर्ण युग के सूत्रधार भी थे, जिनके बिना न्यूयॉर्क की लैटिन संगीत परंपरा अधूरी मानी जाती है।  Eddie Palmieri

साल्सा को दी नई पहचान

एडी पाल्मिएरी का संगीत सफर 1961 में 'ला परफेक्टा' नामक आठ सदस्यीय बैंड के गठन से शुरू हुआ। इस बैंड ने लैटिन संगीत में लयात्मकता और ऊर्जा का नया दौर शुरू किया। पाल्मिएरी ने साल्सा में जैज, रॉक, फंक और यहां तक कि आधुनिक शास्त्रीय संगीत के तत्वों को शामिल कर इसे वैश्विक मंच पर स्थापित किया। 1970 के दशक में उनके एलबम "वामोनोस पा'ल मोंटे" और "द सन ऑफ लैटिन म्यूज़िक" को अद्वितीय प्रयोगात्मक धारा का प्रतिनिधि माना गया।पाल्मिएरी ने फ्यूजन बैंड हार्लेम रिवर ड्राइव के साथ भी काम किया और जैज की दुनिया में कैल त्जादर, ब्रायन लिंच और डोनाल्ड हैरिसन जैसे दिग्गजों के साथ मिलकर ख्याति अर्जित की। वह खुद को हमेशा मैकॉय टाइनर और थेलोनियस मोंक जैसे जैज उस्तादों से प्रेरित बताते थे।

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एक आंदोलनकारी कलाकार

प्यूर्टो रिकान विरासत से जुड़े पाल्मिएरी खुद को न्यूयॉर्क के मजदूर तबके और प्रवासी पृष्ठभूमि वाले लोगों का प्रतिनिधि मानते थे। पिता के आइसक्रीम पार्लर में एग क्रीम परोसते हुए बड़े हुए पाल्मिएरी ने कभी हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी नहीं की, लेकिन संगीत में उन्होंने जो ऊंचाइयां छुईं, वे दुर्लभ हैं। एक समय उन्होंने अमेरिकी आयकर प्रणाली का विरोध करते हुए वर्षों तक इनकम टैक्स नहीं दिया और हेनरी जॉर्ज के उस आर्थिक सिद्धांत का समर्थन किया, जिसमें आयकर को ‘वैध डकैती’ बताया गया है।

एडी पाल्मिएरी को 2013 में अमेरिका की प्रतिष्ठित संस्था नेशनल एंडोमेंट फॉर द आर्ट्स द्वारा 'जैज मास्टर' की उपाधि दी गई। इसके अलावा उन्हें लैटिन ग्रैमी लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से भी नवाज़ा गया। उन्होंने रिकॉर्डिंग अकादमी के न्यूयॉर्क बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में वर्षों तक कार्य किया और 1995 में ‘बेस्ट लैटिन जैज एल्बम’ श्रेणी की स्थापना में अहम भूमिका निभाई।

सांस्कृतिक आंदोलन के स्तंभ

साल्सा की संस्कृति और उसकी सामाजिक जड़ों को लेकर पाल्मिएरी हमेशा मुखर रहे। प्यूर्टो रिकान संस्कृति के विद्वान जुआन फ्लोरेस ने अपनी चर्चित पुस्तक ‘साल्सा राइजिंग’ में पाल्मिएरी को 60 के दशक के सांस्कृतिक आंदोलन का प्रमुख प्रवर्तक बताया है।  Eddie Palmieri

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मंदी में फंसे अमेरिका ने चला टैरिफ का दांव, भारत समेत 60 देश प्रभावित

मंदी में फंसे अमेरिका ने चला टैरिफ का दांव, भारत समेत 60 देश प्रभावित
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calendar02 Dec 2025 04:06 AM
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित वैश्विक टैरिफ नीति अब लागू हो गई है और इसके प्रभाव विश्व व्यापार पर तेजी से नजर आने लगे हैं। भारत समेत 60 से अधिक देशों और यूरोपीय संघ से आयातित वस्तुओं पर अब अमेरिका ने औपचारिक रूप से भारी शुल्क लगाना शुरू कर दिया है। भारत से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ की पहली किस्त लागू हो चुकी है, जबकि दूसरा चरण 27 अगस्त से लागू होगा। व्हाइट हाउस के मुताबिक, सोमवार रात ठीक मध्यरात्रि (ईस्टर्न टाइम) से ये नई दरें प्रभावी हो गईं। यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया से आने वाले उत्पादों पर 15 प्रतिशत, जबकि ताइवान, वियतनाम और बांग्लादेश से आयात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगा दिया गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस घोषणा के बाद ट्रुथ सोशल पर लिखा - आधी रात हो चुकी है! अरबों डॉलर के टैरिफ अब अमेरिका की ओर बढ़ रहे हैं।  Donald Trump

भारत पर डबल टैरिफ का दबाव

पिछले सप्ताह व्हाइट हाउस ने भारत पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की बात कही थी, जिसे लेकर ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इसके कुछ ही दिन बाद, भारत पर रूस से तेल खरीदने के चलते अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क और थोप दिया गया। नतीजतन भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लागू किया गया है—जो कि किसी भी देश पर अब तक लगाए गए सबसे ऊंचे शुल्कों में गिना जा रहा है।  Donald Trump

निवेश के वादे और हकीकत की टकराहट

ट्रंप प्रशासन का दावा है कि यह टैरिफ नीति अमेरिका में अरबों डॉलर के निवेश का रास्ता खोलेगी। लेकिन दूसरी ओर, अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर इसके नकारात्मक असर अब सामने आने लगे हैं। अप्रैल में जब टैरिफ की शुरुआती झलक देखने को मिली थी, तभी बाजार में हलचल तेज हो गई थी। आर्थिक आंकड़ों में गिरावट और बेरोजगारी के संकेत दिखाई दिए। डायनेमिक इकोनॉमिक स्ट्रैटेजी के प्रमुख जॉन सिल्विया के अनुसार -  कम उत्पादक अर्थव्यवस्था को कम श्रमिकों की जरूरत होती है। ऊंचे टैरिफ से वास्तविक मजदूरी पर दबाव पड़ता है। कंपनियां पहले जैसी सैलरी नहीं दे पा रहीं।

उन्होंने आगाह किया कि इन नीतियों का असल असर कुछ वर्षों बाद ही पूरी तरह स्पष्ट हो सकेगा। उच्च टैरिफ से बचने के लिए आयातकों ने पहले ही बड़ी मात्रा में माल मंगवा लिया, जिससे व्यापार असंतुलन और बढ़ गया। 2025 की पहली छमाही में अमेरिका का व्यापार घाटा 582.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2024 की तुलना में 38% ज्यादा है। निर्माण व्यय में भी लगभग 3% की गिरावट दर्ज की गई है और फैक्ट्री श्रमिकों को लेकर बेरोजगारी की स्थिति गहरा गई है।

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चिप्स पर 100% टैरिफ और कानूनी विवाद

ट्रंप प्रशासन ने कंप्यूटर चिप्स पर भी 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने का एलान किया है। इसके लिए 1977 के एक कानून के तहत ‘आर्थिक आपातकाल’ घोषित किया गया है, जो अब कानूनी चुनौती के घेरे में है। हाल ही में अमेरिकी अपीलीय अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई, जहां न्यायाधीशों ने राष्ट्रपति के अधिकारों के अतिक्रमण पर सवाल उठाए हैं।

ट्रंप के अपने भी हो रहे विरोधी

राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों को लेकर अब उनके पूर्व सहयोगी भी सवाल खड़े कर रहे हैं। पूर्व हाउस स्पीकर और रिपब्लिकन नेता पॉल रयान ने कहा - राष्ट्रपति अपनी सनक के आधार पर टैरिफ बढ़ा रहे हैं। उन्हें कानूनी चुनौतियों और राजनीतिक उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा। वहीं, ‘द सेंचुरी फाउंडेशन’ की वरिष्ठ फेलो और बाइडेन प्रशासन की पूर्व आर्थिक सलाहकार रेचल वेस्ट ने कहा - डोनाल्ड ट्रंप वह शख्स हैं जो खुद ही अनिश्चितता पैदा कर रहे हैं और उसे लेकर बेपरवाह भी हैं। मगर अमेरिकी जनता को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है।  Donald Trump

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इराकी संसद बनी अखाड़ा, शिया-सुन्नी सांसदों में चले लात-घूंसे, जूते

इराकी संसद बनी अखाड़ा, शिया-सुन्नी सांसदों में चले लात-घूंसे, जूते
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calendar07 Aug 2025 01:43 PM
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इराक की संसद एक बार फिर अराजकता और सांप्रदायिक टकराव का अखाड़ा बन गई है। संसद सत्र के दौरान शिया और सुन्नी सांसदों के बीच जबरदस्त झड़प हो गई जो देखते ही देखते हाथापाई में बदल गई। झगड़े में सुन्नी सांसद राद अल-दहलाकी गंभीर रूप से घायल हो गए उनकी आंख में चोट आई है। International News 

क्या हुआ संसद में?

विवाद की शुरुआत संघीय सेवा और राज्य परिषद के उम्मीदवारों को लेकर हुई। दरअसल, इन अहम पदों को शिया और सुन्नी गुटों के बीच सहमति से बांटा जाना था। लेकिन सत्र के दौरान शिया दलों ने तकद्दुम गठबंधन के कुछ सांसदों के साथ मिलकर दोनों पदों के लिए शिया उम्मीदवारों के पक्ष में वोटिंग कर दी। इस पर सुन्नी सांसदों ने जोरदार विरोध किया। हंगामा इतना बढ़ गया कि संसद भवन के कैफेटेरिया तक मामला पहुंच गया। इसी दौरान शिया सांसद अला अल-हैदरी द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद स्थिति और बिगड़ गई। इस झड़प का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें सांसदों को एक-दूसरे पर चिल्लाते, धक्का-मुक्की करते और जूते फेंकते हुए देखा जा सकता है। यहां देखें वीडियो... [video width="478" height="270" mp4="https://chetnamanch.com/wp-content/uploads/2025/08/YCeb_lx-xuQ9kBvF.mp4"][/video]

50 सांसदों ने कर दिया हमला!

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, करीब 50 सांसदों ने मिलकर सुन्नी सांसद राद अल-दहलाकी पर हमला कर दिया। उन्हें घेरकर बेरहमी से पीटा गया। इस हिंसक झड़प के बीच सिर्फ एक सुन्नी सांसद महमूद अल-कैसी सामने आए और उन्होंने घायल अल-दहलाकी को भीड़ से निकालने की कोशिश की। बताया जा रहा है कि सदन में पर्याप्त सांसदों की गैरमौजूदगी के कारण संसद अध्यक्ष महमूद अल-मशहदानी पहले ही सदन से बाहर चले गए थे। उनके जाने के बाद डिप्टी स्पीकर मोहसिन अल-मंडलावी के नेतृत्व में सत्र जारी रहा जिसके दौरान यह घटना हुई।

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इराक में बार-बार उबाल

इराक की राजनीति में यह पहला मामला नहीं है जब संसद में हिंसा हुई हो। मई 2024 में भी संसद अध्यक्ष के चुनाव को लेकर कई सांसदों के बीच जमकर मारपीट हो चुकी है। इराक में शिया आबादी बहुसंख्यक है (करीब 55-65%) जबकि सुन्नी मुसलमान करीब 35-40% हैं। लेकिन सत्ता और संसदीय पदों पर प्रतिनिधित्व को लेकर दोनों समुदायों में अक्सर टकराव होता रहा है। International News