Sawan Shivratri 2023: कब है सावन की शिवरात्रि, जानें जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त

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Sawan Shivratri 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:52 PM
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Sawan Shivratri 2023 : श्रावण माह में आने वाली शिवरात्रि साल में आने वाली उन प्रमुख शिवरात्रियों में से एक है जब देशभर में इसकी अलग ही धूम दिखाई दे रही है। सावन शिवरात्रि की महत्ता इस दिन भक्तों के द्वारा किए जाने वाले अभिषेक में निहित है, क्योंकि सावन के आरंभ होने के साथ ही भक्त कांवड़ उठाए अपनी यात्रा आरंभ करते हैं।

Sawan Shivratri 2023

भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए लम्बी दूरी की दुर्गम यात्रा तय करते हुए गंगा का पवित्र जल एकत्रित करते हैं और शिवरात्रि के दिन शिवलिंग अभिषेक के साथ इस संकल्प की पूर्ति करते हैं। ऐसे में सावन माह में आने वाली शिवरात्रि का बेहद ही विशेष है।

शिवरात्रि जलाभिषेक शुभ पूजा मुहूर्त

शिवरात्रि का अभिषेक सावन माह की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। सावन की शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन माह में शिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व होता है और इस दिन किया जाने वाला जलाभिषेक सभी प्रकार के कष्टों को समाप्त कर देने वाला होता है। श्रावण शिवरात्रि 2023 को 15 जुलाई के दिन मनाई जाएगी। इस दिन के विषय में शिवपुराण में भी उल्लेख है। इसके अलावा लोक-मान्यताओं में भी शिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं।

श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 15 जुलाई को रात 20:32 बजे शुरू होगा। 16 जुलाई 2023 को रात 22:08 बजे यह समाप्त होगी। शिवरात्रि व्रत पर भगवान शिव की पूजा निशिथ काल में बहुत विशेष मानी गई है ओर इस दिन यह समय 15 जुलाई 2023 दिन रहने वाला है।

सावन शिवरात्रि शनिवार, 15 जुलाई 2023 को होगी

चतुर्दशी तिथि का प्रारम्भ 15 जुलाई 2023 को 20:32 चतुर्दशी तिथि की समाप्ति 16 जुलाई 2023 को 22:08 निशिथ काल पूजा समय - 24:07 से 24:48  (16 जुलाई) 16 जुलाई को, शिवरात्रि पारण समय - 05:33 से 15:54  तक रहेगा

शिवरात्रि चार प्रहर पूजा का समय

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 19:21 से 09:54 (15 जुलाई) रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:54 से 24:27 (16 जुलाई) रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 24:27 से 27:00 (16 जुलाई) रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 27:00 से 29:33 (16 जुलाई)

शिवरात्रि पर करें शिव पंचाक्षर स्त्रोत का पाठ

श्रावण शिवरात्रि के दिन शिव जलाभिषेक करने के साथ साथ शिव पंचाक्षर स्त्रोत करना शुभफलदायक होता है। इस दिन किया जाने वाला यह स्त्रोत भक्तों को अभीष्टफलों की प्राप्ति के लिए सहयोगी बनता है।

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय । नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय ॥1॥

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय, नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय । मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय, तस्मै मकाराय नम: शिवाय ॥2॥

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय । श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय, तस्मै शिकाराय नम: शिवाय ॥3॥

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय । चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय, तस्मै वकाराय नम: शिवाय ॥4॥

यक्षस्वरूपाय जटाधराय, पिनाकहस्ताय सनातनाय । दिव्याय देवाय दिगम्बराय, तस्मै यकाराय नम: शिवाय ॥5॥

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ । शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥6॥ इति श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र सम्पूर्ण॥

एस्ट्रोलॉजर राजरानी

Sawan Kalashtami 2023 : सावन कालाष्टमी कब है ? सावन कालाष्टमी पूजन से दूर होगा अकाल मृत्यु का भय 

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Sawan Shivratri 2023 : श्रावण माह में आने वाली शिवरात्रि साल में आने वाली उन प्रमुख शिवरात्रियों में से एक है जब देशभर में इसकी अलग ही धूम दिखाई दे रही है। सावन शिवरात्रि की महत्ता इस दिन भक्तों के द्वारा किए जाने वाले अभिषेक में निहित है, क्योंकि सावन के आरंभ होने के साथ ही भक्त कांवड़ उठाए अपनी यात्रा आरंभ करते हैं।

Sawan Shivratri 2023

भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए लम्बी दूरी की दुर्गम यात्रा तय करते हुए गंगा का पवित्र जल एकत्रित करते हैं और शिवरात्रि के दिन शिवलिंग अभिषेक के साथ इस संकल्प की पूर्ति करते हैं। ऐसे में सावन माह में आने वाली शिवरात्रि का बेहद ही विशेष है।

शिवरात्रि जलाभिषेक शुभ पूजा मुहूर्त

शिवरात्रि का अभिषेक सावन माह की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। सावन की शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन माह में शिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व होता है और इस दिन किया जाने वाला जलाभिषेक सभी प्रकार के कष्टों को समाप्त कर देने वाला होता है। श्रावण शिवरात्रि 2023 को 15 जुलाई के दिन मनाई जाएगी। इस दिन के विषय में शिवपुराण में भी उल्लेख है। इसके अलावा लोक-मान्यताओं में भी शिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं।

श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 15 जुलाई को रात 20:32 बजे शुरू होगा। 16 जुलाई 2023 को रात 22:08 बजे यह समाप्त होगी। शिवरात्रि व्रत पर भगवान शिव की पूजा निशिथ काल में बहुत विशेष मानी गई है ओर इस दिन यह समय 15 जुलाई 2023 दिन रहने वाला है।

सावन शिवरात्रि शनिवार, 15 जुलाई 2023 को होगी

चतुर्दशी तिथि का प्रारम्भ 15 जुलाई 2023 को 20:32 चतुर्दशी तिथि की समाप्ति 16 जुलाई 2023 को 22:08 निशिथ काल पूजा समय - 24:07 से 24:48  (16 जुलाई) 16 जुलाई को, शिवरात्रि पारण समय - 05:33 से 15:54  तक रहेगा

शिवरात्रि चार प्रहर पूजा का समय

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 19:21 से 09:54 (15 जुलाई) रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:54 से 24:27 (16 जुलाई) रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 24:27 से 27:00 (16 जुलाई) रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 27:00 से 29:33 (16 जुलाई)

शिवरात्रि पर करें शिव पंचाक्षर स्त्रोत का पाठ

श्रावण शिवरात्रि के दिन शिव जलाभिषेक करने के साथ साथ शिव पंचाक्षर स्त्रोत करना शुभफलदायक होता है। इस दिन किया जाने वाला यह स्त्रोत भक्तों को अभीष्टफलों की प्राप्ति के लिए सहयोगी बनता है।

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय । नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय ॥1॥

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय, नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय । मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय, तस्मै मकाराय नम: शिवाय ॥2॥

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय । श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय, तस्मै शिकाराय नम: शिवाय ॥3॥

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय । चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय, तस्मै वकाराय नम: शिवाय ॥4॥

यक्षस्वरूपाय जटाधराय, पिनाकहस्ताय सनातनाय । दिव्याय देवाय दिगम्बराय, तस्मै यकाराय नम: शिवाय ॥5॥

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ । शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥6॥ इति श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र सम्पूर्ण॥

एस्ट्रोलॉजर राजरानी

Sawan Kalashtami 2023 : सावन कालाष्टमी कब है ? सावन कालाष्टमी पूजन से दूर होगा अकाल मृत्यु का भय 

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Sawan Kalashtami 2023 : सावन कालाष्टमी कब है ? सावन कालाष्टमी पूजन से दूर होगा अकाल मृत्यु का भय 

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calendar07 Jul 2023 10:04 PM
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Sawan Kalashtami 2023 : भगवान शिव के काल स्वरुप का पूजन ही कालाष्टमी के दिन होता है। इस दिन को अकाल मृत्यु से मुक्त होने का मार्ग भी माना गया है। प्रत्येक माह आने वाली कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा की जाती है, जिन्हें के बेहद क्रोध से युक्त शक्ति संपन्न शिव का अवतार माना जाता है। सावन की कालाष्टमी इस बार बेहद शुभ एवं खास रहने वाली है क्योंकि यह भगवान शिव के प्रिय माह में होगी। ऐसे में सावन कालाष्टमी पर शिव की पूजा बहुत खास मानी जाती है। आईये जानते हैं जानिए सावन कालाष्टमी की तिथि, मुहूर्त और अन्य कुछ बातें।

Sawan Kalashtami 2023

हिंदू धर्म में हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। सावन की कालाष्टमी को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव के उग्र रूप काल भैरव की पूजा का विधान है। काल भैरव का अर्थ है काल के भय को हरने वाला और सृष्टि की रक्षा करने वाला। भगवान के इस रुप को पूजकर व्यक्ति सभी प्रकार के भय से भी मुक्त हो जाता है। जानें सावन की कालाष्टमी की तिथि कब होगी और इसका शुभ मुहूर्त कब होगा और इस दिन काल भैरव की पूजा का महत्व क्या रहेगा हम सभी के लिए।

सावन कालाष्टमी शुभ मुहूर्त 2023

सावन कालाष्टमी के दिन पूजा का समय विभिन्न योगों के साथ निर्मित होगा। सावन कालाष्टमी 9 जुलाई के दिन मनाई जाएगी और प्रदोष काल पूजा का समय 19:22 से 19:54 तक की जाएगी इसके पश्चात रात्रि समय निशिथ काल की पूजा का समय होगा। सावन कालाष्टमी पंचांग इस प्रकार होगा : -

ब्रह्म मुहूर्त 04:09 से 04:50  तक व्याप्त होगा

प्रातः सन्ध्या समय 04:29 से 05:30 तक रहेगा

अभिजित मुहूर्त का समय 11:58 से 12:54 तक रहेगा

विजय मुहूर्त दोपहर 14:45 से 15:40 तक रहेगा

सायाह्न सन्ध्या के लिए समय 19:22 से 20:23 तक रहेगा

अमृत काल का समय 14:54से 16:26 तक होगा

सर्वार्थ सिद्धि योग का समय 05:30 से 19:29 तक रहेगा

रवि योग का समय 05:30 से 19:29 तक रहेगा

निशिथ मुहूर्त 24:06 से 24:47, (10 जुलाई) तक होगा

सावन कालाष्टमी 2023 में क्या है खास

इस साल सावन माह की कालाष्टमी का पर्व 9 जुलाई 2023 को रविवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन कालाष्टमी के साथ ही सूर्य सप्तमी का पर्व भी होगा तथा मासिक जन्माष्टमी का पूजन भी इसी दिन किया जाएगा। कई सारे शुभ योगों के साथ होने पर कालाष्टमी का पर्व बेहद विशेष होगा। धार्मिक मान्यता है कि काल भैरव का स्वरुप भक्त के सभी कष्ट एवं भय को दूर कर देने वाला होता है।

सावन कालाष्टमी महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तंत्र में काल भैरव की पूजा शत्रु नाश करने वाली, ग्रह दोष शांत करने वाली तथा बुरी शक्तियों को समाप्त कर देने वाली होती है। उपासक को अकाल मृत्यु का भय कभी नहीं सताता. इस दिन किया गया भैरव पूजन व्यक्ति को शक्ति एवं सिद्धि प्रदान करने वाला होता है।

एस्ट्रोलॉजर राजरानी
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