कुल्हाड़ी पर पैर मार दिया है कांग्रेस के बड़े नेताओं ने

कुल्हाड़ी पर पैर मार दिया है कांग्रेस के बड़े नेताओं ने
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 06:07 PM
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Haryana : एक पुरानी कहावत है-"अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना।" इस कहावत से आगे बढक़र हरियाणा के चुनाव में कांग्रेस ने तो कुल्हाड़ी पर पैर मार दिया है। हरियाणा की तिगांव विधानसभा सीट पर रोहित नागर  को टिकट देकर कांग्रेस ने कुल्हाड़ी पर पैर मारने का काम किया है। यह बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि राजनीतिक विश्लेषक बता रहे हैं। विश्लेषकों का दावा है कि हरियाणा की तिगांव विधानसभा सीट पर पुराने कांग्रेसी नेता ललित नागर की जीत पक्की है। ललित नागर की पक्की जीत होने का समीकरण बनने के बावजूद एक अनजान युवक रोहित नागर को टिकट देकर कांग्रेस नेतृत्व ने कुल्हाड़ी पर पैर मारा है।

कोई नहीं जानता रोहित नागर को Haryana

विश्लेषकों का कहना है कि जिस रोहित नागर को कांग्रेस ने तिगांव सीट पर उतारा है। उस रोहित नागर को पूरे क्षेत्र में कोई नहीं जानता है। ललित नागर जैसे स्थापित नेता का टिकट काटकर रोहित नागर को टिकट देने का फैसला किसी के भी गले से नीचे नहीं उतर रहा है। क्षेत्र की जनता को समझ में नहीं आ रहा है कि इतनी बड़ी गलती कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी के नेता कैसे कर सकते हैं ? टिकट कटने के बाद ललित नागर ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरा है। पूरे तिगांव विधानसभा क्षेत्र में हर किसी की जबान पर ललित नागर का नाम मौजूद है। तिगांव क्षेत्र की राजनीति की समझ रखने वाले विश्लेषकों का दावा है कि इस क्षेत्र में ललित नागर की जीत अभी भी पक्की है। विश्लेषक यह भी बता रहे हैं कि कांग्रेस प्रत्याशी बने रोहित नागर चुनाव लडऩे की बजाय अपने पुराने विवादों से पीछा छुड़ाने में ही व्यस्त हैं। रोहित नागर के सोशल मीडिया एकाउंट पर अनेक आपत्तिजनक तस्वीरें तथा वीडियो मौजूद थे। कांग्रेस का प्रत्याशी बनने के बाद रोहित नागर ने सारे विवादित तथा आपत्तिजनक फोटो तथा वीडियो अपने सोशल मीडिया एकाउंट से हटा दिए हैं। क्षेत्र के नागरिकों का साफ कहना है कि फोटो हटाने से किसी का चरित्र नहीं बदल जाता है। सब जानते हैं कि रोहित नागर के क्रिया कलाप क्या-क्या रहे हैं।

रोहित नागर के मामा उतरे विरोध में

इस बीच हरियाणा की तिगांव विधानसभा सीट पर एक मुद्दा और चर्चा का विषय बन गया है। तिगांव क्षेत्र के गांव-गांव में एक व्यक्ति अर्द्धनग्न होकर कांग्रेस प्रत्याशी रोहित नागर के विरोध में प्रचार कर रहा है। जानकारी करने पर पता चला है कि अर्द्धनग्न होकर रोहित नागर का विरोध करने वाले व्यक्ति का नाम मनीराम भड़ाना है। मनीराम भड़ाना कांग्रेस प्रत्याशी रोहित नागर के सगे मामा हैं। रोहित नागर के मामा मनीराम भरना। - Dainik Bhaskar

क्यों उतरे हैं मामा विरोध में

तिगांव विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रोहित नागर के मामा मनीराम भड़ाना अर्द्धनग्न होकर अपने भांजे के खिलाफ चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इस अनोखे प्रचार अभियान के बीच मनीराम भड़ाना ने चेतना मंच को बताया कि रोहित नागर के पिता का नाम यशपाल नागर है। उन्होंने बताय कि रोहित नागर के पिता यशपाल नागर उनके सगे बहनोई हैं। लेकिन बावजूद उसके उन्होंने उनके साथ 60 लाख रुपए की बेईमानी की और प्रॉपर्टी में भी उनके साथ धोखाधड़ी की। जिसकी शिकायत मैं 2009 से करता आ रहा हूं। मनीराम भड़ाना ने बताया कि यशपाल नागर ने उन्हें कई बार कभी घर तो कभी ऑफिस बुलाया। लेकिन उनके रुपए नहीं दिए। पुलिस से साथ गांठ कर उनके केस को दबा दिया। जिसके चलते पिछले लगभग 1 साल से फरीदाबाद के लघु सचिवालय के बाहर ही अर्धनग्न अवस्था में धरने पर बैठा हुआ हूं। लेकिन बावजूद उसके उन्हें अभी तक कहीं से न्याय मिलता नजर नहीं आ रहा इसलिए वह चाहते हैं कि ऐसे बेईमानों को वोट न दी जाए, जो लोगों के साथ धोखाधड़ी करते हैं। एक बार फिर बता दें कि रोहित नागर ने कभी पार्षद का भी चुनाव तक नहीं लड़ा है। लेकिन पार्टी ने अनजान चेहरे रोहित नागर पर विश्वास जताया और पूर्व में कांग्रेस की सरकार में विधायक रहे ललित नागर का टिकट काट दिया। Haryana

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बिहार की एक गुफा में सदियों से छिपा हुआ है सोने का भंडार

बिहार की एक गुफा में सदियों से छिपा हुआ है सोने का भंडार
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 05:25 PM
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Bihar News : भारत का प्रमुख राज्य बिहार अनेक विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। बिहार ही वह प्रदेश है जहां पर एक जमाने में दुनिया का सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय हुआ करता था। बिहार प्रदेश ही दुनिया के सबसे बुद्धिमान राजनीतिज्ञ चाणक्य की जन्मभूमि रहा है। इसी बिहार राज्य में सदियों से एक गुफा में स्वर्ण भंडार छिपा हुआ है। लाखों बार कोशिश करने के बाद भी बिहार की गुफा से स्वर्ण भंडार को निकाला नहीं जा सका है।

राजगीर की गुफाओं में छुपा है स्वर्ण भंडार

बिहार प्रदेश का एक प्रसिद्ध जिला है नालंदा जिला। बिहार के इस जिले में इतिहास के अनेक दस्तावेज फैले हुए हैं। बिहार के इसी जिले में दुनिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय भी रहा है। बिहार के इस विश्वविद्यालय का नाम नालंदा विश्वविद्यालय था। नालंदा विश्वविद्यालय के नाम पर ही इस जिले का नाम नालंदा पड़ा है। इसी नालंदा जिले में सदियों से छुपा हुआ है बड़ा भारी स्वर्ण भंडार। जहां यह स्वर्ण भंडार छिपा होने का दावा किया जाता है बिहार के उस स्थान का नाम राजगीर की गुफा है। राजगीर की गुफा को लेकर तरह-तरह की कहानिया दुनिया भर में प्रचलित हैं। हाल ही में भूपेन्द्र कुमार नाम के विश्लेषक ने बिहार में मौजूद राजगीर की गुफाओं को लेकर बड़ा आलेख लिखा है।

गुफा में खजाने का रहस्य Bihar News

'देवेन्द्र कुमार ने लिखा है कि बिहार के नालंदा जिले में कदम-कदम पर पुरावशेष बिखरे हैं। इन्हीं में से एक है सोन भंडार यानी स्वर्ण भंडार। जैसा नाम है, वैसा ही इसका मिथक है। हरे-भरे जंगल के बीच स्थित इन गुफाओं का रास्ता बेहद सुरम्य है। इस आख्यान की शुरुआत छठी शताब्दी ईसा पूर्व हर्यक वंश के प्रतापी शासक महाराज बिंबिसार से होती है, जिन्होंने राजगृह (राजगीर) का निर्माण कराया था। बिंबिसार 543 ईसा पूर्व में मगध पर राज करते थे। बताया जाता है कि उन्हीं के काल में सोन भंडार गुफाओं का निर्माण खजाने को रखने के लिए किया गया। इस आयताकार गुफा में दो हिस्से हैं। एक हिस्सा सैनिकों के लिए था, जो खजाने की रक्षा करते थे और दूसरा हिस्सा बताया जाता है। अंग्रेजों ने खजाने की खोज के लिए तोपों का सहारा लिया, लेकिन दीवार को तोड़ नहीं पाए। दरअसल खजाने का तिलिस्म एक ऐसी प्राचीन शंख लिपि से जुड़ा है, जिसे कभी पढ़ा नहीं जा सका। किंवदंती है कि गुफा की दीवार पर शंख लिपि में खजाने के दरवाजे को खोलने का तरीका लिखा है। ये गुफाएं विभागिरी पहाडय़िों की तलहटी में हैं। सम्राट बिंबिसार के पुत्र अजातशत्रु ने जब उन्हें बंदी बनाकर कारागार में डाला, तो उनकी रानी ने खजाना इन गुफाओं में छिपा दिया। बाद में 'बिंबिसार की मौत हो गई थी। इसके बाद खजाने के बारे में कहीं कोई लिखित वृतांत नहीं मिलता। वायु पुराण में लिखा है कि हर्यक वंश से 2500 साल पहले मगध पर सम्राट वृहद्रथ का शासन था। उनका पुत्र जरासंध महाप्रतापी शासक था, जिसने 80 राजाओं को हराकर जो संपत्ति अर्जित की, उसे इसी गुफा में छिपा दिया था। महाभारत से जुड़े प्रसंग के अनुसार, जरासंध को भीम ने मार डाला था और इसी के साथ खजाने का राज भी दफन हो गया। हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संस्थापक सर अलेक्जेंडर कनिंघम और कुछ अन्य इतिहासकार इन गुफाओं को बौद्ध धर्म से जोड़ते हैं। वहीं दर्ज इतिहास में इन गुफाओं को जैन मुनियों द्वारा ईसा पूर्व चौथी सदी में निर्मित माना जाता है। यहां जैन धर्म से जुड़ी छह मूर्तियां मिली हैं। भगवान विष्णु की प्रतिमाएं भी मिली हैं। चौथी शताब्दी के एक शिलालेख पर लिखा है कि मुनि वैरादेव ने दो शुभ गुफाओं का निर्माण कराया, जो तपस्वियों के योग्य हैं और जिनमें अर्हतों (तीर्थंकरों) की मूर्तियां स्थापित हैं। हालांकि विशेषज्ञ कहते हैं, यह गुफाओं का पुनर्निर्माण भी हो सकता है। बहरहाल, इन गुफाओं के अंदर की चमक बेमिसाल है, जो किसी खजाने से कम नहीं है। Bihar News

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रेलवे ने बदला वंदे मेट्रो का नाम, उद्घाटन से पहले हुआ बड़ा बदलाव

रेलवे ने बदला वंदे मेट्रो का नाम, उद्घाटन से पहले हुआ बड़ा बदलाव
locationभारत
userचेतना मंच
calendar27 Nov 2025 07:39 AM
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Vande Metro : देश की पहली वंदे मेट्रो के नाम में बदलाव किया गया है, यह बदलाव उद्घाटन से ठीक पहले हुआ है। अब वंदे मेट्रो का नया नाम नमो भारत रैपिड रेल होगा। जो पहली बार गुजरात के भुज से अहमदाबाद के बीच चलेगी। दरअसल इस वंदे मेट्रो का उद्घाटन 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करने वालें है। इससे पहले इसी प्रकार आरआरटीएस ट्रेन का नाम रैपिडएक्स से बदलकर नमो भारत रैपिड रेल किया गया था। यह ट्रेन मेरठ से दिल्ली के बीच चलने वाली है।

उद्घाटन से पहले बदला ट्रेन का नाम

आपको बता दें कि केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय ने वंदे भारत मेट्रो ट्रेन का नाम बदलने को मंजूरी दी हैं। पीएम मोदी सोमवार को अहमदाबाद और भुज के बीच चलने वाली देश की पहली वंदे भारत मेट्रो ट्रेन को हरी झंडी दिखने वाले है, ऐसे में ट्रेन का नाम बदलकर सबको हैरान कर दिया है। अब वंदे भारत मेट्रो ट्रेन नमो भारत रैपिड रेल के नाम से जाजी जाएगी। अपने जन्मदिन के मौके पर पीएम मोदी इस ट्रेन का हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। इस मौके पर वह कई वंदे भारत ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखाएंगे। खासतौर पर नमो भारत रैपिड रेल ट्रेन को गुजरात वासियों के लिए बड़ी सौगात है।

वंदे भारत ट्रेनों की तर्ज बनी है यह ट्रेन

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नमो भारत रैपिड रेल को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की तर्ज पर बनाया गया है। हालांकि यह ट्रेने देश के कई हिस्सों में छोटी दूरी के लिए चलेंगी। फिलहाल इस तरह की प्रस्तावित ट्रेनों में से पहली ट्रेन का शुभारंभ गुजरात में अहमदाबाद से भुज के बीच होने वाला है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक छोटी दूरी की इन ट्रेनों का संचालन ईएमयू की तरह से ही होगा। इन दोनों तरह की ट्रेनों में अंतर यह होगा नमो भारत रैपिड रेल में अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी और इनकी स्पीड काफी तेज होगी। Vande Metro

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