National Secretary's day- जानें राष्ट्रीय सचिव दिवस का इतिहास, और क्यों है ये दिन खास

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calendar01 Dec 2025 02:24 AM
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National secretary's day- हर साल देशभर में 21 अप्रैल को राष्ट्रीय प्रशासनिक पेशेवर दिवस (National secretary's day) मनाया जाता है। इन दिन पेशेवर सचिवों का सम्मान किया जाता है। इस दिन का काफी महत्व है क्योंकि इन दिन सचिवों के पेशे के सम्मान किया जाता है और उनका समर्थन करके, उनके कार्य को प्रोत्साहित किया जाता है। तो आज इस मौके पर आइये जानते हैं इस महत्वपूर्ण दिन का इतिहास क्या है।

National secretary's day :राष्ट्रीय सचिव दिवस का इतिहास-

राष्ट्रीय पेशेवर सचिव सप्ताह (National Professional Secretaries Week) के दौरान 1942 में राष्ट्रीय सचिव संघ की स्थापना की गई थी। फिर 1952 में यंग एंड रुबिकम के हैरी एफ. क्लेमफस के काम की वजह से राष्ट्रीय सचिव दिवस पहली बार मनाया गया था। क्लेमफस ही थे जिन्होंने किसी भी बिजनेस या कंपनी के लिए सचिव की अहमियत को पहचाना था। क्लेमफस ने इस दिन को इसलिए मनाया था ताकि वो ज्यादा से ज्यादा लोगों को सचिव के पद की ओर आकर्षित कर सकें और उन्हें सचिव बनने के लिए प्रोत्साहित कर सकें। इसी के साथ ही हम आपको बता दें कि अलग- अलग देशों में इसे अलग- अलग दिन मनाया जाता है जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, हांगकांग और मलेशिया में, यह प्रतिवर्ष अप्रैल के अंतिम पूर्ण सप्ताह के बुधवार को, ऑस्ट्रेलिया में मई के पहले शुक्रवार को, ब्राजील में 9 सितंबर को और न्यूजीलैंड में अप्रैल के अंतिम हफ्ते में मनाया जाता है।

National secretary's day: सचिव दिवस को कैसे मनाएं-

इस दिन सचिव के काम को समझें और इन पदों पर सम्मानित लोगों को फूल, गिफ्ट्स आदि देकर सम्मानित करें।

National Civil Services Day- ब्रिटिश शासन में हुई शुरुआत, आज है देश की सबसे बड़ी परीक्षा

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calendar01 Dec 2025 11:56 AM
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National Civil Services Day- हर साल 21 अप्रैल को देश में सिविल सर्विसेज डे के रूप में मनाया जाता है। सिविल सर्विसेज का जो एग्जाम होता है, वो देश के सबसे मुश्किल एग्जाम्स में से एक होता है। हर साल इस एग्जाम में लाखों अभ्यर्थी बैठते हैं लेकिन कुछ चुनिंदा ही अभ्यर्थी होते हैं जिसका इसमें सेलेक्शन होता है। खैर, क्या आप लोग जानते हैं कि सिविल सर्विसेज की शुरुआत कब हुई थी?

लंदन में आयोजित किया गया पहला सिविल सर्विसेज एग्जाम-

जब अंग्रेजों का भारत पर कब्जा था, आज से करीब 170- 75 साल पहले, तब जितने भी ऊंचे पद होते थे उन पर तो सिर्फ गोरों का राज़ होता था। भारतीयों को ऐसे में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। इसीलिए भारतीयों ने इसका विरोध करना शुरू किया दिया। इसके बाद अंग्रेजों ने भारतीयों को सिविल सर्विसेज एग्जाम देने की अनुमति दे दी, मगर अंग्रेज थे बड़े चालाक। उन्होंने अनुमति भले ही दे दी थी लेकिन भारतीयों को एग्जाम में शामिल होने से रोकने के लिए उन्होंने पेपर को इंग्लिश में तैयार किया। ऐसे में भारतीय इस एग्जाम को क्रैक करने में सफल हो ही नहीं पा रहे थे। उस समय इस एग्जाम का आयोजन लंदन में किया गया था। इसके बाद अगले 50 सालों तक भारतीयों ने विरोध जारी रखा और मांग रखी कि इस एग्जाम का आयोजन भारत में किया जाए। उनकी ये मांग 1922 में जाकर पूरी हुई। 1922 में पहली बार भारत में सिविल सर्विसेज एग्जाम का आयोजन किया गया था और भारत के इलाहाबाद शहर में इस एग्जाम को आयोजित किया गया। इसके बाद 1935 में संघीय लोक सेवा आयोग को गठित किया गया, जिसे आज संघ लोक सेवा आयोग के नाम से जाना जाता है। इसके गठन के बाद इस एग्जाम को दिल्ली में आयोजित किया जाने लगा।

सिविल सर्विसेज एग्जाम के अंग्रेज हैं जनक-

भारत में इसकी शुरुआत अंग्रेजों के द्वारा ही की गई थी। लार्ड कॉर्नवालिस को ही भारत में सिविल सर्विसेज एग्जाम का जनक माना जाता है। कॉर्नवालिस एक ब्रिटिश सैनिक और राजनेता थे। इन्होंने 1786 में भारत के गवर्नर जनरल के रूप में कार्यभार संभाला था। 1947 के बाद से इसे इंडियन सिविल सर्विसेज के नाम से जाना जाने लगा, इसके पहले इसे इम्पीरियल सिविल सर्विस (ICS) के नाम से जाना जाता था। भारत के पहले सिविल सर्विसेज ऑफिसर रवींद्रनाथ टैगोर के भाई, सत्येंद्रनाथ टैगोर थे।

पहले की गाइडलाइंस थीं काफी अलग-

आज की गाइडलाइंस और उस समय की एग्जाम की गाइडलाइंस में काफी अंतर है। उस समय अभ्यर्थी का भारत में 7 साल पहले से रहना अनिवार्य था। साथ ही अभ्यर्थी को जिस जिले में काम करना होता था, उसे उस जिले की भाषा में एग्जाम देना होता था। अगर बात करें आयु की तो इस एग्जाम में बैठने के लिए अभ्यर्थी की आयु 18 से 23 वर्ष के बीच होनी जरूरी थी। इसमें एक एग्जाम घुड़सवारी का भी होता था, जिसे अनिवार्य रूप से हर एक अभ्यर्थी को देना होता था। सिविल सर्विसेज एग्जाम को देने के लिए अभ्यर्थियों को लंदन जाना होता था।

National Civil Services Day :सिविल सर्विसेज डे के लिए 21 अप्रैल के दिन ही क्यों चुना गया-

जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि देशभर में 21 अप्रैल को सिविल सर्विसेज डे (National Civil Services Day) मनाया जाता है। इसके लिए 21 अप्रैल का ही दिन इसलिए चुना गया था क्योंकि वर्ष 1947 में दिल्ली के मेटकाफ हाउस में एक कार्यक्रम के दौरान सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इसी दिन सिविल सर्विसेज ऑफिसर्स को सम्बोधित किया था। बस इसीलिए हर साल 21 अप्रैल का दिन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

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Gujarat Riots : नरोदा गाम हत्याकांड में पूर्व मंत्री माया कोडनानी, बजरंगी समेत सब बरी

Maya ji
Former minister Maya Kodnani, Bajrangi acquitted in Naroda Gam massacre
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calendar30 Nov 2025 02:13 AM
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अहमदाबाद। आखिर, 20 साल के लंबे इंतजार के बाद गुजरात दंगों पर फैसला आ गया। अदालत ने वारदात के सभी आरोपियों को बरी कर दिया। साल 2002 के गोधरा हत्याकांड के बाद गुजरात में फैले दंगों के दौरान नरोदा गाम मामले में अहमदाबाद की विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए इस मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। गोधरा में हुए आगजनी के बाद 28 फरवरी 2002 में नरोदा गाम में भारी हिंसा हुई थी, जिसमें 11 लोग मारे गए थे

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गौरतलब है कि इस मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के बाबू बजरंगी सहित 86 आरोपितों पर अल्पसंख्यक समुदाय के 11 सदस्यों के हत्या में शामिल होने का आरोप लगा था। इस मामले में 86 आरोपी थे, जिसमें से ट्रायल के दौरान 18 की मौत हो चुकी है। SIT मामलों के विशेष जज एसके बक्शी की कोर्ट आज इस मामले में अहम फैसला सुनाते हुए माया कोडनानी, बाबू बजरंगी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

क्या है पूरा मामला

घटना साल 2002 के 27 फरवरी की है, उस दिन साबरमती एक्सप्रेस अयोध्या से गुजरात पहुंची थी. गुजरात में एंट्री लेने के कुछ देर बाद वडोदरा के पास गोधरा में इस ट्रेन को घेरकर इसके S-6 डिब्बे में आग लगा दी गई. यह डिब्बा कारसेवकों से भरा हुआ था जो अयोध्या से लौट रहे थे. आग लगने से 59 लोग मारे गए।

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इस आगजनी के एक दिन बाद गुजरात में सांप्रदायिक तनाव फैल गया। गोधरा कांड के अगले दिन यानी कि 28 फरवरी को गोधरा में कर्फ्यू लगा दिया गया। सभी स्कूल, दुकानें और बाजार बंद कर दिए गए। भीड़ में शामिल लोगों ने हर किसी पर पथराव करना शुरू कर दिया। धीरे धीरे माहौल और खराब होता गया और पथराव के बाद आगजनी, तोड़फोड़ शुरू हो गई। इस दौरान 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।

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गोधरा में हुए सांप्रदायिक तनाव के बाद नरोदा पाटिया गांव में भी दंगे शुरू हो गए। इन दोनों इलाकों में इस सांप्रदायिक हिंसा के दौरान लगभग 97 लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंसा के बाद पूरे राज्य में जगह-जगह पर दंगे हुए थे। भारत के तत्कालीन गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल ने 11 मई 2005 को गुजरात दंगों में मारे गए लोगों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर राज्यसभा में लिखित बताया था कि गुजरात में हुए दंगे में 790 मुसलमान और 254 हिंदू यानी कुल 1,044 लोग मारे गए थे। वहीं 223 लोग ऐसे थे, जो उस वक्त तक लापता बताए गए थे, जिन्हें बाद में मरा हुआ मान लिया गया था। इन 223 लापता लोगों को शामिल करने के बाद भारत सरकार की ओर से दिए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक गुजरात दंगों में कुल 1267 लोग मारे गए थे। हालांकि स्थानीय लोगों और कुछ ग़ैर-सरकारी संगठन की माने तो दंगों में दो हज़ार से भी ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी। इन 20 सालों में गुजरात दंगों से जुड़े कुल 9 केस दर्ज किए गए थे। इनमें 8 का ट्रायल पूरा हो चुका है। इनमें गोधरा कांड, बेस्ट बेकरी, सरदारपुरा मामला, नरोदा पाटिया, गुलबर्ग सोसाइटी, ओडे विलेज, दीपडा दरवाजा और बिलकिस बानो का केस शामिल हैं।

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माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया गया

नरोदा गाम मामले में 2009 में अदालती कार्यवाही शुरू हुई थी, जिसमें में 327 लोगों के बयान दर्ज किए गए थे। साल 2012 में SIT मामलों की विशेष अदालत ने माया कोडमानी और बाबू बजरंगी को हत्या और षडयंत्र रचने का दोषी पाया था। पूर्व बीजेपी विधायक माया कोडनानी पर आरोप था कि उन्होंने गोधरा कांड से गुस्साए हजारों लोगों की भीड़ को भड़काया था, जिसके बाद नरोदा गाम में मुसलमानों की हत्या हुई। इस हिंसा में 11 लोगों की जानें गई थीं। 82 लोगों को आरोपी बनाया गया था। जबकि माया कोडनानी का कहना है कि दंगे की सुबह गुजरात विधानसभा में थी। माया का कहना है कि इस जिस दिन दंगा हुआ, उसी दिन दोपहर में वे गोधरा ट्रेन हत्याकांड में मारे गए कार सेवकों के शवों को देखने के लिए सिविल अस्पताल पहुंची थीं। जबकि चश्मदीद गवाहों ने कोर्ट में कहा है कि माया कोडनानी दंगों के समय नरोदा में मौजूद थीं और उन्हीं ने भीड़ को उकसाया था। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।