Extortion in GB Road Delhi: शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री काल में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के वक्त दिल्ली में विकास की जो आंधी चली उसने दिल्ली की तस्वीर और तकदीर दोनों ही बदल दी। सबकुछ बदल गया, लेकिन इस चकाचौंध के पीछे एक चीज नहीं बदली, जो सदियों से दिल्ली का नासूर बना हुआ है। ये है दिल्ली का रेड लाईट एरिया जीबी रोड (GB Road Delhi)। जीबी रोड यानी गारस्टिन बास्टिन रोड, राजधानी दिल्ली में सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया, जहां दिन में ऑटो मोबाइल पार्ट्स और हार्डवेयर की दुकानें खुलती हैं। और सूरज ढलने के साथ ही सजने लगते हैं, सेक्स ट्रेड के कोठे। इसका नाम सन् 1965 में बदलकर स्वामी श्रद्धानंद मार्ग कर दिया गया। इस इलाके का भी अपना इतिहास है। बताया जाता है कि यहां मुगलकाल में कुल 5 रेडलाइट एरिया यानी कोठे हुआ करते थे, लेकिन अंग्रेजों के समय पांचों क्षेत्रों को एकसाथ कर दिया गया और उसी समय इसका नाम जीबी रोड पड़ा। अंग्रेजों के जमाने में यहां मुजरे का चलन था। बाद में यहां की तवायफों को लाइसेंस दे दिया गया। ऩई दिल्ली रेलवे स्टेशन से महज 100 मीटर की दूरी पर यह एरिया है।
GB Road Delhi में लाई जाती हैं देश-विदेश की लड़कियां
जानकारों के मुताबिक देह व्यापार का यहां सबसे बड़ा कारोबार होता हैै। यहां देश के कोने-कोने से लड़कियां लाई जाती हैं। नेपाल और बांग्लादेश से भी बड़ी संख्या में लड़कियों की तस्करी करके यहां के कोठों पर लाया जाता है। ज्यादातर को इस धंधे में जबरन डाला जाता है। यहां महिलाओं की कितनी तस्करी होती है, इसका कोई आंकड़ा नहीं है। यकीनन यह आंकड़ा बहुत ज्यादा है। कभी शादी के चक्कर में, तो कभी अच्छी जॉब, बढ़िया भविष्य, तो कभी लालकिला दिखाने के वादे पर ये लड़कियां यहां लाई जाती हैं। लड़कियों को फंसाने के लिए गांव-देहात की सबसे जवान लड़की को फोकस में लिया जाता है। वर्तमान में एक ही कमरे में कई केबिन बनें हैं, जहां एक साथ कई ग्राहकों को सेवा दी जाती है।
यहां आने से डरने लगे हैं लोग
कहने को तो जीबी रोड में देह व्यापार का बड़ा कारोबार होता है, लेकिन यह सच है कि अब लोग जीबी रोड के कोठों पर आने से डरने लगे हैं, इसका कारण है कोठों पर होने वाली लूटपाट व छीना झपटी। आखिर कोठों में रहने वाली सेक्स वर्कर क्यों लूटपाट जैसे कदम उठा रही हैं। यहां के एक कोठे पर काम करने वाली एक सेक्स वर्कर के मुताबिक, हर कोठे पर लूटपाट नहीं होती। मगर कुछ कोठे ऐसे हैं, जहां आए दिन वारदात होती हैं। यह ठीक वैसा ही जैसे एक मछली सारे तलाब को गंदा कर देती है। उन्हीं कुछ कोठों की वजह से तमाम कोठे बदनाम हो चुके हैं। हालांकि लूटपाट होने के पीछे भी एक ठोस वजह बताई। उसका कहना है, कोठों का धंधा धीरे-धीरे चौपट होता जा रहा है। पहले के मुकाबले काम आधा भी नहीं रहा है। पुलिस को भी यहां से अब लूटपाट और एक्सटॉर्शन की कॉल्स मिल रही हैं। पुलिस के सूत्र भी इस बात की पुष्टि करते हैं। उनके मुताबिक पुलिस इन कॉल्स को गंभीरता से लेते हुए सख्त से सख्त ऐक्शन ले रही है। अगर मामला लूट का होता है, तो उसमें लूट का केस दर्ज किया जाता है। वहीं अगर मामला एक्सटॉर्शन का होता है, तो उसके सेक्शन के हिसाब से ही केस दर्ज करने के निर्देश दिए हुए हैं, ताकि आरोपियों को आसानी से बेल न मिले। साथ ही दूसरे लोगों के मन में भी डर पैदा हो।
ऐसे होता है एक्सटॉर्शन
पुलिस सूत्रों के अनुसार, सेक्स वर्कर्स एक्सटॉर्शन का शिकार हो रही हैं। कोठे पर काम कर चुके पुराने लोग कोठों पर आकर सेक्स वर्कर्स से जबरन वसूली करते हैं। वह वर्कर्स से कहते हैं कि अगर उन्हें पैसे नहीं दिए, तो वह पुलिस को कॉल कर सूचना देंगे कि तुमने जबरन उनसे लूटपाट की। पुलिस से बचने के लिए वह आरोपियों को रुपये देती हैं। पुलिस सूत्र ने बताया कि अब जो भी कस्टमर इन कोठों पर एक बार चले जाते हैं, तो वहां काम करने वाली सेक्स वर्कर्स या दलाल चाहते हैं कि जो भी आया है, वो उन्हें रुपये देकर जाए। अब चाहे वह खुशी-खुशी पैसे देकर किसी सेक्स वर्कर के साथ सेक्स करने रूम में चला जाए या फिर वे लोग उससे जबरन ही रुपये छीन लें। जिसके कोठे पर जबरन रुपये ले लिए जाते हैं, वो ही नीचे आकर लूट की कॉल कर देता है। इसके बाद पुलिस एक्शन लेती है।
इसलिए भी होती लूटपाट
जीबी रोड पर काम करने वाले एक ब्रोकर के मुताबिक, यहां अक्सर ऐसा भी होता है कि कुछ लड़के सिर्फ टाइम पास करने आते हैं। वह अलग-अलग कोठों पर जाकर लड़कियों को गलत तरीके से छूते हैं, साथ सोने की कीमत पूछते हैं फिर वहां से चले जाते हैं। जीबी रोड में कई बार ऐसे लड़कों को सबक सिखाने के लिए भी सख्ती से पेश आना पड़ता है, ऐसे में उनसे कुछ रुपये जबरन ले लिए जाते हैं। डराया भी जाता है, जिससे वह दोबारा ऐसा करने से पहले कई बार सोचें। बताते चलें कि जीबी रोड दिल्ली पर मौजूदा समय में 21 बिल्डिंग के अंदर करीब 75 कोठे चल रहे हैं। जीबी रोड पर लूट का खेल नीचे सड़क पर घूम रहे दलाल शुरू करते हैं। वह लोगों को अजीब-अजीब ऑफर देकर कोठों पर ले जाते हैं और उनके साथ वारदात करवा देते हैं। लूट आदि का शिकार होने वाले ज्यादातर दिल्ली से बाहर के लोग होते हैं।
इसलिए भी बदल रहा GB Road Delhi
दरअसल अब जीबी रोड के कोठों पर मानव तस्करी के मामले न के बराबर रह गए हैं। यानी किसी बच्ची या लड़की को वहां लाकर जबरन देह व्यापार करवाने के मामले न के बराबर रह गए हैं। मतलब कि वहां की सभी सेक्स वर्कर्स अपनी मर्जी से इस धंधे में हैं। सालों से काम कर रहे दलाल के मुताबिक, पहले जबरन या बहला फुसलाकर लड़कियों को जिस्मफरोशी के दलदल में धकेला जाता था। मगर अब लड़कियां अपनी जरूरतों को पूरा करने या परिवार की जिम्मेदारी संभालने के लिए अपनी मर्जी से इस धंधे को अपना रही हैं। एक तरह से वे फ्रीलांसर के रूप में काम कर रही हैं। इसके लिए आज के इस आधुनिक युग में कई वेबसाइट्स से लेकर मोबाइल ऐप भी उपलब्ध हो चुके हैं। अब कोई नई लड़की यहां के कोठों पर आकर काम नहीं करना चाहती। सेक्स वर्कर शबाना (बदला हुआ नाम) जोर देकर कहती हैं कि आप दिल्ली का कोई ऐसा इलाका बता दो, जहां जिस्मफरोशी का धंधा नहीं हो रहा है। दिल्ली की रिहायशी कॉलोनी के घरों व फ्लैटों में बेशुमार सेक्स रैकेट चल रहे हैं। मसाज पार्लर की आड़ में स्पेशल सर्विस के नाम पर जिस्मफरोशी करवाई जा रही है। होटल-बार आदि का भी यही हाल हो गया है। ये सब तो छोड़िए, दिल्ली की सड़कों पर भी जिस्म की मंडी लगती हैं। ऐसे में कोई यहां की बदनाम गलियों में क्यों आएगा।
कड़वा सच ये भी है कि यहां जितनी सेक्स वर्कर हैं, उनमें ज्यादातर बढ़ी उम्र की महिलाएं हैं। वह इस उम्र में कोई और काम नहीं कर सकती हैं, कोई उन्हें अपनाता भी नहीं है। इसलिए उनके पास यहां रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सेक्स वर्कर पर अब तो बच्चों की भी जिम्मेदारी है। ऐसे में अगर काम नहीं होगा, तो वह लूटपाट करने के लिए मजबूर हो जाएंगी!