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Delhi High Court : बयान लीक मामले में तन्हा की याचिका पर सुनवाई से अलग हुए न्यायाधीश शर्मा

Delhi High Court: Judge Sharma abstains from hearing on Tanha's petition in the statement leak case

Delhi High Court: Judge Sharma abstains from hearing on Tanha's petition in the statement leak case

 

Delhi High Court : नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अमित शर्मा ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के आरोपी आसिफ इकबाल तन्हा की याचिका पर सुनवाई से बुधवार को खुद को अलग कर लिया। यह याचिका 2020 में हुई सांप्रदायिक हिंसा के पीछे बड़ी साजिश के लिए तन्हा के इकबालिया बयान के कथित लीक से संबंधित है।

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मामले को दूसरी पीठ के सामने सूचीबद्ध करने का आदेश

न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश के आदेश से इस मामले को 24 अप्रैल को दूसरी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करें। इससे पहले न्यायमूर्ति अनूप भंभानी ने पिछले हफ्ते तन्हा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था, जिसके बाद न्यायमूर्ति शर्मा के समक्ष सुनवाई के लिए यह मामला आया था। कार्यवाही के दौरान, न्यायमूर्ति शर्मा ने पूछा कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा जिस प्राथमिकी की जांच की गई है, क्या यह मामला उससे निकला है?

इकबालिया बयान को कुछ मीडिया संगठनों ने सार्वजनिक कर दिया था

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील सौजन्य शंकरन ने कहा कि वर्तमान मामला दिल्ली दंगों की प्राथमिकी से नहीं निकला है, लेकिन तन्हा उस प्राथमिकी में आरोपी हैं और आरोपपत्र दायर करने और उस पर संज्ञान लेने से पहले ही उनके कथित इकबालिया बयान को कुछ मीडिया संगठनों द्वारा सार्वजनिक कर दिया था। विशेष अभियोजक अमित प्रसाद ने अदालत को सूचित किया कि मामले में अब आरोपपत्र दायर कर दिया गया है और इस मामले की जांच विशेष प्रकोष्ठ ने की थी। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील रजत नायर ने कहा कि बयान लीक करने के आरोपों की जांच की गई है। रिपोर्ट को अदालत में प्रस्तुत कर दिया गया है। इसके बाद अदालत ने कहा कि मामले को अन्य न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।

न्यायमूर्ति भंभानी ने 12 मार्च को खुद को सुनवाई से अलग किया

न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने 12 मार्च को तन्हा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग करते हुए कहा था कि अदालत की कार्रवाई का न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता पर कभी भी हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। पूर्व में न्यायमूर्ति भंभानी ने न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) के साथ ‘पहले के अपने जुड़ाव’ के कारण मामले में संगठन की हस्तक्षेप अर्जी की सुनवाई पर अपनी आपत्ति प्रकट की थी। उन्होंने कहा कि अदालत के विचार को व्यवस्था की विश्वसनीयता को बनाए रखने के पक्ष में झुकना चाहिए, जो न केवल तथ्य में निष्पक्षता से प्राप्त होता है, बल्कि धारणा में निष्पक्षता से भी आता है। न्यायाधीश ने कहा कि न्याय प्रणाली की समग्र विश्वसनीयता के व्यापक हित में, इस अदालत ने मामले से अलग होने का फैसला किया है।

साल 2020 में हुई थी तन्हा की गिरफ्तारी

तन्हा ने 2020 में कुछ मीडिया संस्थानों के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इन मीडिया संस्थानों ने मामले पर निचली अदालत द्वारा संज्ञान लिए जाने से पहले सूचना प्रसारित की थी कि तन्हा ने अपराध स्वीकार कर लिया है। तन्हा को मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था। उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद जून 2021 में उसे जेल से रिहा कर दिया गया था।

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