Delhi News : दिल्ली और आसपास के इलाकों में सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण एक गंभीर संकट बन जाता है जिसमें पराली जलाने की घटनाएं बड़ा योगदान देती हैं। इसी चुनौती से निपटने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने पहले से मोर्चा संभाल लिया है और हरियाणा व पंजाब सरकारों को एक अहम निर्देश जारी किया है।
ऊर्जा उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाए पराली
आयोग ने दोनों राज्यों को स्पष्ट रूप से कहा है कि वे एनसीआर से बाहर स्थित अपने जिलों में सभी ईंट-भट्टों और चीनी मिलों में धान की पराली को वैकल्पिक ईंधन के रूप में प्रयोग में लाएं। यानी पराली को खेतों में जलाने के बजाय अब उसे ऊर्जा उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाए।CAQM का यह कदम पराली जलाने की पुरानी प्रथा को खत्म करने और उसे औद्योगिक उपयोग में लाकर एक स्वच्छ और सतत ईंधन विकल्प के रूप में अपनाने की दिशा में बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।
पराली को बेचकर मिलेगा आर्थिक लाभ
आयोग ने अपने निर्देश में यह भी स्पष्ट किया है कि इस वर्ष 1 नवंबर 2025 से यह सुनिश्चित किया जाए कि ईंट-भट्टों में उपयोग हो रहे ईंधन का कम से कम 20% हिस्सा धान की पराली से बने ब्रिकेट्स या छर्रों का हो। इससे एक ओर पराली जलाने की घटनाओं में कमी आएगी, वहीं दूसरी ओर किसानों को भी पराली को बेचकर आर्थिक लाभ मिलेगा।
हवा सुधरने के साथ-साथ किसानों का भी होगा फायदा
गौरतलब है कि हर साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में हरियाणा और पंजाब में धान की फसल काटने के बाद बचे फसल अवशेषों (पराली) को जलाया जाता है, जिससे दिल्ली-NCR की हवा जहरीली हो जाती है। अब आयोग चाहता है कि यह पराली ईंधन में बदले और प्रदूषण में नहीं।इस फैसले से उम्मीद की जा रही है कि न सिर्फ दिल्ली की हवा सुधरेगी, बल्कि किसानों, उद्योगों और पर्यावरण तीनों को इसका लाभ मिलेगा।
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