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Delhi Pollution : बद से बदतर हुआ दिल्ली का AQI, अब होगी कृत्रिम बारिश।

Delhi Pollution

दिल्ली की आबोहवा (Delhi Pollution ) दिन प्रतिदिन ख़राब स्थिति में पहुँचती जा रही है और इसका असर लोगों की आँखों में जलन, साँस लेने में तकलीफ जैसी भयानक समस्याओं के रूप में देखा जा रहा है। आपको बता दें कि इस समय दिल्ली एवं उसके आसपास के इलाकों (Delhi NCR) में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पास पहुँच चुका है।

 

दिवाली के बाद भी नहीं दिखा कोई खास असर

बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए प्रशासन ने पूरी दिल्ली में दिवाली के दौरान पटाखों को बैन करने का निर्णय लिया था। हालांकि इसका कोई ख़ास असर लोगों में देखने को नहीं मिला। यह एक बड़ा कारण है कि दिवाली के बाद भी दिल्ली की हवा (Delhi Pollution ) में कोई सुधार होता हुआ नहीं दिख रहा है।

 

अब दिल्ली में होगी कृत्रिम वर्षा

तेज़ी से खराब हो रही वायु गुणवत्ता को कंट्रोल करने के लिए प्रशासन अब दिल्ली में कृत्रिम वर्षा कराने की योजना बना रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) एवं दिल्ली के उपराज्यपाल दोनों को ही कानपुर की आईआईटी टीम के द्वारा प्रस्ताव भेजा जा चुका है। इसके साथ ही साथ कृत्रिम वर्षा के लिए गृह मंत्रालय एवं उड्डयन मंत्रालय से भी मंजूरी की आवश्यकता होगी। प्रशासन का कहना है कि. अगर अगले दो तीन दिनों में यही स्थिति बनी रहती है तो कृत्रिम वर्षा की मंजूरी दे दी जायेगी।

 

कैसे होती है कृत्रिम वर्षा और कितना आएगा खर्च?

वर्ष 2023 से पूर्व, दिल्ली में 2018 में भी कृत्रिम वर्षा कराने की स्थिति उत्पन्न हुई थी हालांकि बादलों के छंट जाने से यह सम्भव नहीं हों सका था। कानपुर IIT की टीम ने बताया कि कृत्रिम वर्षा कराने के लिए हम पहले से ही मौजूद बादलों पर सिल्वर आयोडाइड, नमक और सूखे बर्फ को छिड़कते हैं जिससे बादल आपस में टकरा कर बरसते हैं। लेकिन इस स्थिति के लिए वातावरण में बादलों का मौजूद होना और कुछ देर तक बने रहना जरुरी होता है।

 

Delhi Pollution

 

कृत्रिम वर्षा के लिए टीम दिल्ली एवं आसपास के इलाकों में बादलों की स्थिति पर पूरी नज़र बनाये हुए है। इसके लिए करीब 50 लाख रुपये का खर्च आता है जिसमें विमान का खर्च और बादलों पर छिड़के जाने वाले रसायन का खर्च प्रमुख रूप से शामिल है।

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