तिहाड़ की भीड़ से टूटेगी दीवारें, दिल्ली सरकार ने उठाया बड़ा कदम

नई सोच के साथ समाधान की दिशा में पहल
मुख्यमंत्री ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए एक नई सोच के साथ समाधान की दिशा में पहल की है। दिल्ली सरकार, गृह विभाग, डीडीए, राजस्व विभाग और भूमि व विकास कार्यालय जैसे विभागों के साथ मिलकर न सिर्फ तिहाड़ जेल की भीड़ को कम करने की योजना पर काम कर रही है, बल्कि नई जेल की संरचना और स्थान पर भी गहन मंथन कर रही है।तकनीक और पुनर्वास को भी दी जाएगी प्राथमिकता
दिल्ली सरकार द्वारा नरेला में जो हाई-सिक्योरिटी जेल बनाई जा रही है, उसका वास्तुशिल्प डिज़ाइन ऐतिहासिक अंडमान निकोबार की "सेलुलर जेल" से प्रेरित होगा। यह जेल सिर्फ सुरक्षा में उच्च स्तरीय नहीं होगी, बल्कि इसके निर्माण में तकनीक और पुनर्वास को भी प्राथमिकता दी जाएगी। योजना के अनुसार, पहले चरण में यहां 250 से 300 ऐसे कुख्यात कैदियों को स्थानांतरित किया जाएगा, जिनकी निगरानी सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण है। इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार ने पहले ही ₹100 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं और ₹40 करोड़ दिल्ली सरकार वहन करेगी। उम्मीद है कि निविदा प्रक्रिया पूरी होने के बाद आगामी 21 महीनों में नरेला जेल का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।अधिकारी लेंगे मौजूदा स्थिति का जायजा
इस योजना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अगले सप्ताह तिहाड़ का दौरा कर अधिकारी मौजूदा स्थिति का जायजा लेंगे और तब तक के लिए अस्थायी समाधान भी खोजने की कोशिश करेंगे, जिससे जब तक नरेला जेल तैयार न हो, तब तक तिहाड़ में भीड़ को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सके। यह पहल न सिर्फ कैदियों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह जेल अधिकारियों और पूरे सुधारात्मक न्याय प्रणाली को सुचारु रूप देने की आवश्यकता की तरफ भी इशारा करती है।दिल्ली में 60 लाख गाड़ियों पर संकट, पुराने वाहनों को नहीं मिलेगा ईंधन
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नई सोच के साथ समाधान की दिशा में पहल
मुख्यमंत्री ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए एक नई सोच के साथ समाधान की दिशा में पहल की है। दिल्ली सरकार, गृह विभाग, डीडीए, राजस्व विभाग और भूमि व विकास कार्यालय जैसे विभागों के साथ मिलकर न सिर्फ तिहाड़ जेल की भीड़ को कम करने की योजना पर काम कर रही है, बल्कि नई जेल की संरचना और स्थान पर भी गहन मंथन कर रही है।तकनीक और पुनर्वास को भी दी जाएगी प्राथमिकता
दिल्ली सरकार द्वारा नरेला में जो हाई-सिक्योरिटी जेल बनाई जा रही है, उसका वास्तुशिल्प डिज़ाइन ऐतिहासिक अंडमान निकोबार की "सेलुलर जेल" से प्रेरित होगा। यह जेल सिर्फ सुरक्षा में उच्च स्तरीय नहीं होगी, बल्कि इसके निर्माण में तकनीक और पुनर्वास को भी प्राथमिकता दी जाएगी। योजना के अनुसार, पहले चरण में यहां 250 से 300 ऐसे कुख्यात कैदियों को स्थानांतरित किया जाएगा, जिनकी निगरानी सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण है। इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार ने पहले ही ₹100 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं और ₹40 करोड़ दिल्ली सरकार वहन करेगी। उम्मीद है कि निविदा प्रक्रिया पूरी होने के बाद आगामी 21 महीनों में नरेला जेल का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।अधिकारी लेंगे मौजूदा स्थिति का जायजा
इस योजना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अगले सप्ताह तिहाड़ का दौरा कर अधिकारी मौजूदा स्थिति का जायजा लेंगे और तब तक के लिए अस्थायी समाधान भी खोजने की कोशिश करेंगे, जिससे जब तक नरेला जेल तैयार न हो, तब तक तिहाड़ में भीड़ को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सके। यह पहल न सिर्फ कैदियों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह जेल अधिकारियों और पूरे सुधारात्मक न्याय प्रणाली को सुचारु रूप देने की आवश्यकता की तरफ भी इशारा करती है।दिल्ली में 60 लाख गाड़ियों पर संकट, पुराने वाहनों को नहीं मिलेगा ईंधन
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