Delhi Politics: क्या हमारा देश धीरे-धीरे पुलिस राज की ओर बढ़ रहा है। आए दिन जिस तरह पुलिस आंदोलनों और राजनीतिक कार्यक्रमों में हस्तक्षेप करती है उससे तो यही संदेह पैदा होता है। क्या यह सब शासन के इशारे पर हो रहा है? विपक्षी पार्टियां अक्सर यह आरोप लगाती रहती हैं कि भारतीय जनता पार्टी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के बल पर शासन चलाना चाहती है। यही गुजरात मॉडल है।
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ताजा घटना दिल्ली की है। कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान की बेटी अरीबा खान दिल्ली नगर निगम के वार्ड नंबर 188 से चुनाव लड़ रही है। शुक्रवार को शाहीन बाग में एक मस्जिद के सामने आसिफ़ मोहम्मद खान अपनी बेटी के लिए प्रचार कर रहे थे। वे माइक से विरोधी प्रत्याशी के खिलाफ कुछ बोल रहे थे। लोगों ने बताया कि वहां मौजूद दिल्ली पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर ने उन्हें टोका और बीच में ही उनका भाषण रूकवा दिया। इस बात को लेकर पूर्व विधायक और सब-इंस्पेक्टर के बीच कहासुनी हो गई।
रात को दिल्ली पुलिस के करीब तीन दर्जन जवान पूर्व विधायक के घर पहुंचे और उन्हें घसीटते हुए थाने ले गए। पूर्व विधायक पर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन और सरकारी कार्य में बाधा डालने का केस दर्ज किया गया है। यह घटना कोई साधारण घटना नहीं है। आम तौर पर आचार संहिता उलंघन के मामलों में पुलिस नोटिस भेजने अथवा मुकदमे दर्ज करने की कार्रवाई करती है। मौके पर भाषण रुकवाना या इस तरह रात को घर से गिरफ्तार करके ले जाना असाधारण कार्रवाई है।
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