नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों का चुनाव करने के लिए पुनर्मतदान कराने के मेयर शैली ओबरॉय के फैसले को रद्द कर दिया। उन्हें 24 फरवरी को हुए मतदान के नतीजे तत्काल घोषित करने का निर्देश दिया।
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भाजपा पार्षदों ने मेयर के फैसले को दी थी चुनौती
न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने कहा कि महापौर, जो निर्वाचन अधिकारी भी हैं, ने अपनी शक्तियों से इतर कार्रवाई की और उनका निर्णय कानूनी रूप से अस्वीकार्य था। न्यायाधीश ने कहा कि महापौर द्वारा छानबीन के चरण और कोटे के निर्धारण के बाद मतपत्र को खारिज करने का कृत्य कानूनन गलत है। अदालत का यह आदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पार्षदों कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय की याचिका पर आया है, जिसमें एमसीडी स्थायी समिति की छह सीटों पर दोबारा मतदान कराने के महापौर के फैसले को चुनौती दी गई थी।
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चुनाव अधिकारी तत्काल घोषित करें परिणाम
अदालत ने आदेश में कहा कि रिट याचिका स्वीकार की जाती है। आक्षेपित आदेश को दरकिनार किया जाता है। निर्वाचन अधिकारी को तत्काल परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया जाता है। उच्च न्यायालय ने 25 फरवरी को पुनर्मतदान पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि महापौर, जो आम आदमी पार्टी (आप) से संबंधित हैं और निर्वाचन अधिकारी थीं, ने गलत तरीके से एक मत को अमान्य करार दिया और राजनीतिक रूप से अप्रिय परिणाम मिलने पर चुनाव प्रक्रिया को बाधित किया।
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24 फरवरी को महापौर ने की पुनर्मतदान की घोषणा
महापौर ने 24 फरवरी को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के छह सदस्यों के चुनाव के लिए 27 फरवरी को सुबह 11 बजे नए सिरे से मतदान कराने की घोषणा की थी। इस दौरान, निगम के सदन में भाजपा और ‘आप’ पार्षदों के बीच झड़प भी हुई थी।
ओबरॉय ने अदालत से कहा था कि सदन में हंगामे के बाद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पुनर्मतदान आवश्यक था।
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