नई दिल्ली। दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार यह आरोप लगाते हुए शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय पहुंची कि केंद्र उसके सेवा विभाग के सचिव के तबादले को लागू नहीं कर रहा है।
New Delhi News
अगले सप्ताह होगी सुनवाई
एक दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए कहा था कि लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि जैसे विषयों को छोड़कर अन्य सेवाओं के संबंध में दिल्ली सरकार के पास विधायी तथा शासकीय नियंत्रण है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह अगले सप्ताह मामले की सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन करेंगे।
Noida News: मेट्रोमोनियल साइट पर फंसाया प्रेम जाल में, गेस्ट हाउस बुलाकर की दरिंदगी
यह हो सकता है अवमानना का मामला
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने प्रधान न्यायाधीश और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने कल ही फैसला सुनाया है और यह अवमानना का मामला हो सकता है। सिंघवी ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत इस अदालत के आदेश की अवमानना हो सकती है और एक पीठ को इस पर तत्काल सुनवाई करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वे कह रहे हैं कि हम किसी का तबादला नहीं करेंगे। कल सुनाये गए फैसले के मद्देनजर मैं अवमानना याचिका दायर कर सकता हूं, लेकिन इसमें समय लगेगा। इसलिए कृपया मामले को सूचीबद्ध करें।
New Delhi News
फैसले के कुछ घंटे बाद किया सेवा विभाग के सचिव का तबादला
आप सरकार को उच्चतम न्यायालय की ओर से स्थानांतरण-पदस्थापना पर नियंत्रण प्रदान करने के कुछ घंटे बाद ही दिल्ली सरकार के सेवा विभाग के सचिव आशीष मोरे को उनके पद से हटा दिया गया। दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एके सिंह, मोरे का स्थान लेंगे। सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1995 बैच एजीएमयूटी कैडर के अधिकारी हैं।
Job Update: रेलवे में नौकरी पाने का सुनहरा मौका, ITI पास कर सकते है आवेदन
नौकरशाहों पर निर्वाचित सरकार का नियंत्रण होना चाहिए
उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने कहा कि नौकरशाहों पर एक निर्वाचित सरकार का नियंत्रण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली का विशेष प्रकार का दर्जा है और उन्होंने न्यायाधीश अशोक भूषण के 2019 के उस फैसले से सहमति नहीं जतायी कि सेवाओं पर दिल्ली सरकार का कोई नियंत्रण/अधिकार नहीं है। शीर्ष न्यायालय ने केंद्र तथा दिल्ली सरकार के बीच सेवाओं पर प्रशासनिक नियंत्रण के विवादित मुद्दे पर अपने फैसले में कहा कि केंद्र की शक्ति का कोई और विस्तार संवैधानिक योजना के प्रतिकूल होगा। दिल्ली अन्य राज्यों की तरह ही है और उसकी भी एक चुनी हुई सरकार की व्यवस्था है।
देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें।
देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।