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New Parliament Building : फड़ चित्रकारी बढ़ाएगी देश की नई संसद की खूबसूरती

New Parliament Building: Phad painting will enhance the beauty of the country's new parliament

New Parliament Building: Phad painting will enhance the beauty of the country's new parliament

 

New Parliament Building :

 

सैय्यद अबू साद

New Parliament Building :  देश के नए संसद भवन का सभी लोग इंतजार कर रहे हैं। इसे सजाने-संवारने का काम देशभर के बेहतरीन कारीगरों के हाथ में है। पूरे देश से चुन चुनकर सबसे बेस्ट कारीगरों को इस काम में लगाया गया है। नए संसद भवन को बनाने के लिए लकड़ी के ढांचे का उपयोग किया जा रहा है ताकि इसे एक पारंपरिक डिजाइन दिया जा सके। संसद भवन को भारत की जिन पारंपरिक चीजों से सजाया जाएगा, उसमें राजस्थान की सदियों पुरानी फड़ चित्रकारी भी शामिल है। इस शानदार रचना का श्रेय कलाकार कल्याण जोशी को जाता है, जो राजस्थान के भीलवाड़ा से 15 कलाकारों की एक टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने साढ़े तीन महीने के भीतर 75 बाई 9 फिट की कलाकृति को पूरा किया है।

New Parliament Building :

 

चित्रकार कल्याण जोशी ने बताया कि भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय के निर्देश पर उन्होंने व 15 अन्य फड़ चित्रकारों ने मिलकर इस 75 फीट लंबी पेंटिंग को बनाया है। इस फड़ को तीन भागों में बांटा गया है। एक भाग में भगवान देवनारायण को, एक में पाबूजी और एक भाग में भगवान रामदेव जी के जीवन का चित्रण है। भगवान देवनारायण की सबसे बड़ी फड़ है, जिसकी कुल लम्बाई 75 फीट और चौड़ाई 9 फीट है, जिसमें से देवनारायण की फड़ की लंबाई 40 फीट और चौड़ाई 9 फीट है। पाबू जी की फड़ 20 फीट लम्बी और 9 फीट चौड़ी और रामदेव जी की फड़ 15 फीट लंबी और 9 फीट चौड़ी है। यह चित्रकला राज्य लोक देवताओं के आख्यानों को दर्शाती है। लोकतंत्र की थीम के आधार पर स्क्रॉल पेंटिंग को ’नेचुरल पिग्मेंट डाई’ जैसे इंडिगो ब्लू, हरताल (पीला) और काजल से काले रंग का उपयोग करके बनाया गया है।

कैसे तैयार होती है फड़ पेंटिंग
इस कला के बारे में कलाकार कल्याण जोशी कहते हैं, “परंपरागत रूप से, हम देवताओं का लोक चित्रण करते हैं। इसमें पाबूजी (एक स्थानीय नायक आकृति) और देवनारायण (विष्णु का एक पुनर्जन्म) शामिल हैं, लेकिन अब हमने महाराणा प्रताप, रानी पद्मिनी या योद्धा गोरा बादल जैसे ऐतिहासिक शख्सियतों के ऊपर भी काम करना शुरू कर दिया है।’’

 


फड़ चित्रकारी में पारंपरिक रूप से हाथ से बुने हुए मोटे सूती कपड़े पर काम किया जाता है। इसमें धागे को मोटा करने के लिए रात भर भिगोया जाता है, चावल या गेहूं के आटे के स्टार्च के साथ कड़ा किया जाता है, फैलाया जाता है, धूप में सुखाया जाता है और अंत में चांद के पत्थर से रगड़ा जाता है। सतह को चिकना करके फिर इसे चमकाया जाता है। फड़ पेंटिंग बनाने की पूरी प्रक्रिया प्राकृतिक रेशों और पत्थरों, फूलों, पौधों और जड़ी-बूटियों से प्राप्त प्राकृतिक पेंट के उपयोग से पूरी तरह से प्राकृतिक होती है। इसके लिए रंग कलाकार खुद बनाते हैं और कपड़े पर लगाने से पहले गोंद और पानी के साथ मिलाते हैं।

लोगों को जागरूक करती है फड़ कलाकृति
विशेष रूप से, फड़ पेंटिंग एक रोल की तरह सामने आती है, यही कारण है कि, पेंटिंग्स को फड़ कहा जाता है, जिसका स्थानीय बोली में अर्थ फोल्ड होता है। इसको लेकर 54 साल के कल्याण जोशी कहते हैं, “इस कलाकृति को आम आदमी भी इसकी सुंदरता की सराहना करने के लिए समझ सकता है। ये कलाकृति न केवल एक सुंदर दृश्य का प्रतिनिधित्व करती है, बल्कि स्वदेशी देवताओं और राज्य की संस्कृति के बारे में जागरूकता पैदा करने में भी मदद करती है।”

भीलवाड़ा जिले की तत्कालीन शाहपुरा रियासत से निकली फड़ कला के बारे में जोशी बताते हैं कि इसमें उकेरे चित्रों को कहानी के माध्यम से गाकर सुनाया जाता है। यह प्रमुख रूप से लोक देवता देवनारायण और पाबूजी महाराज के जीवन पर बनाई जाती है। पाबूजी महाराज जोधपुर रियासत के लोक देवता हैं। फड़ चित्रकला 750 साल पुरानी मानी जाती है। विशेष रूप से, दो सदियों से भीलवाड़ा और शाहपुरा के जोशी परिवारों को फड़ पेंटिंग के पारंपरिक कलाकारों के रूप में मान्यता दी गई है। ऐसा कहा जाता है कि लोक गाथागीतकार एक गांव से दूसरे गांव की यात्रा करते हैं और इन चित्रों का उपयोग मोबाइल मंदिरों के रूप में करते हैं।

कौन हैं कलाकार कल्याण जोशी
कल्याण, जो पहले इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के साथ काम कर चुके हैं, उनको नए संसद भवन के लिए पेंटिंग बनाने के लिए नियुक्त किया गया है। वे स्कूल ऑफ आर्ट चलाते हैं, जहां 4,000 से अधिक विद्यार्थियों में से लगभग 200-400 पेशेवर रूप से फड़ पेंटिंग करते हैं। 1969 में जन्मे कल्याण जोशी 13वीं सदी के शुरुआती दौर के फड़ चित्रकारों के वंश से आते हैं। कल्याण जोशी ने अपने पिता लाल जोशी के साथ 8 साल की उम्र से ही पेंटिंग शुरू कर दी थी। उन्होंने भारत और विदेशों में कई प्रदर्शनियों में भाग लिया है। इतना ही नहीं उन्होंने 2006 और 2010 में राष्ट्रीय पुरस्कार जीता है। कल्याण जोशी को नई कहानियों, समकालीन शैली की पेंटिंग और लाइन ड्राइंग के साथ कई प्रयोग करने के लिए भी जाना जाता है। वह अंकन आर्टिस्ट ग्रुप के संस्थापक हैं। इसके अलावा 54 वर्षीय कलाकार चित्रकला की इस शैली को जीवित रखने की आशा के साथ भारत भर के स्कूलों में नियमित रूप से कार्यशालाओं का आयोजन करते रहते हैं।

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