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Diwali 2022 : आइये जानें, सामान्य और ग्रीन पटाखे में अंतर

Green crackers

Green crackers

 

Diwali 2022 : नई दिल्ली। दिवाली की तैयारी और रौनक के बीच घर के बच्चे पटाखों की लिस्ट तैयार करने लगे हैं। जिसका पटाखा सबसे तेज आवाज वाला होगा, गली-मोहल्ले में उस बच्चे की अलग ही धमक होती है। लेकिन, इस बार आप कोशिश करें कि घर के बच्चे या खुद भी कम आवाज वाले और ग्रीन पटाखे ही जलाएं। दरअसल, बढ़ते पॉल्यूशन ने हम सभी की जिंदगी को प्रभावित किया है। ऐसे में हमें अपनी हवा को स्वच्छ रखना है। इसके लिए जरूरी है कि इस बार ग्रीन पटाखे की ओर ही रूख करें। अगर आप ग्रीन पटाखे और सामान्य पटाखे खरीदने के बीच उलझे हुए हैं, तो आइए जानते हैं, सामान्य और ग्रीन पटाखों में अंतर।

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Diwali 2022 :

सामान्य पटाखे क्यों हैं हानिकारक

अक्सर दिवाली के बाद वातावरण में धुंध सी छा जाती है। अक्सर लोगों को लगता है कि यह ठंड की वजह से है, लेकिन ऐसा नहीं है। सामान्य पटाखों में कई तरह के ऐसे केमिकल होते हैं, जिन्हें जलाने से काफी प्रदूषण होता है। खासतौर पर दीपावली के मौके पर जब ज्यादा लोग ऐसे पटाखे जलाते हैं, तो पॉल्यूशन का लेवल और बढ़ जाता है। लोगों को हार्ट, किडनी और आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन पटाखों में सल्फर के अलावा कई तरह के बाइंडर्स, स्टेबलाइजर्स, रिड्यूसिंग एजेंट, ऑक्सिडाइजर और रंग मौजूद होते हैं। वहीं, जिनसे रंग-बिरंगी रोशनी होती है, उनमें यह एंटीमोनी सल्फाइड, बेरियम नाइट्रेट, लिथियम, एल्यूमीनियम, तांबा और स्ट्रांशियम के मिश्रण से बनते हैं। इनको जलाने पर इनमें से कई प्रकार के केमिकल हवा में मिलते हैं और हवा की क्वालिटी को काफी बिगाड़ देते हैं। सर्दी के मौसम में कोहरे की वजह से एयर क्वालिटी इंडेक्स पहले से ही खराब स्थिति में होती है, ऐसे में पटाखे जलाने से यह और खराब हो जाती है।

ग्रीन पटाखे क्यों हैं उपयोगी

नॉर्मल पटाखों में बारूद और अन्य ज्वलनशील रसायन होते हैं, जो जलाने पर फट जाते हैं और भारी मात्रा में प्रदूषण फैलाते हैं। लेकिन, त्योहार है तो लोग पटाखे फोड़ेंगे ही, तो इसके लिए ग्रीन पटाखों का ऑप्शन दिया गया है। ग्रीन पटाखों में हानिकारक केमिकल नहीं होते हैं और वायु प्रदूषण कम होता है। वे पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, यानि पारंपरिक पटाखों की तुलना में ग्रीन पटाखे कम हानिकारक होते हैं और वायु प्रदूषण को कम करते हैं। ग्रीन पटाखों में, आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले प्रदूषणकारी केमिकल जैसे एल्यूमीनियम, बेरियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन जैसे हानिकारक रसायन नहीं होते हैं। ग्रीन पटाखों में जो रसायनिक मिलाए जाते हैं, वो कम हानिकारक होते हैं। ये पटाखे साइज में भी काफी छोटे-छोटे होते हैं। इनकी आवाज भी कम होती है।

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