New Delhi News : सुप्रसिद्ध कवि दीक्षित दनकौरी ने राजकमल प्रकाशन को भेजा नोटिस, मांगा 10 लाख रू0 का हर्जाना

New Delhi News : नई दिल्ली। आपने कुछ कारोबारियों के द्वारा तरह-तरह की ठगी (चीटिंग) के किस्से सुने व पढ़े होंगे। इसी कड़ी में ठगी (चीटिंग) का एक अनोखा मामला प्रकाश में आया है। विभिन्न प्रकार की पुस्तक प्रकाशित करने वाली इस चीटिंग से त्रस्त श्री दनकौरी ने प्रकाशक के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही करने का निश्चय किया है। इसी निश्चय के तहत सुप्रसिद्ध कवि दीक्षित दनकौरी ने अपने अधिवक्ता के द्वारा प्रकाशक को 10 लाख रूपए का कानूनी नोटिस भेजा है।
New Delhi News :
यह है पूरा मामला
सब जानते हैं कि दीक्षित दनकौरी देश के जाने-माने कवि व शायर हैं। उनकी हजारों रचनाएं विभिन्न स्तरों पर प्रकाशित हुई हैं। उनकी एक प्रसिद्ध रचना ''बाजारे-नुमाइश मेंÓÓ है। इस रचना को आप ज्यों का त्यों पढ़ सकते हैं।
बाजारे-नुमाइश में
बाजारे-नुमाइश में, मैं किरदार संभालूं,
घर बार संभालूं कि तेरा प्यार संभालूं।
इस दौरे-तरक्की में बचानी है अना भी,
रफ्तार संभालूं कि मैं दस्तार संभालूं।
तब्दील हुई जाती है, तहजीब खंडर में,
बुनियाद संभालूं कि मैं दीवार संभालूं।
कांटों से भरा ताज, ये पहना तो दिया है,
दरबार संभालूं कि मैं सरकार संभालूं।
कश्ती का भरोसा है, न मांझी पे यकीन अब,
फिर क्यों न उठूं खुद ही, मैं पतवार संभालूं।
इस रचना को राजकमल प्रकाशन प्रा0लि0 कंपनी ने कवि (रचनाकार) से सहमति लिए बिना ही अपने प्रकाशन से प्रकाशित ''काव्य सौरभ " नामक पुस्तक में प्रकाशित कर दी। यह प्रमाणित तथ्य है कि किसी रचनाकार की रचना को उसकी सहमति के बिना इस्तेमाल (प्रकाशन अथवा पाठन) करना कदाचार की श्रेणी में आता है। इस घटनाक्रम से श्री दनकौरी बेहद आहत हुए हैं। उन्होंने अपनी विद्वान अधिवक्ता (Learned Advocate) सुश्री ऋषिका चाहर के माध्यम से कानूनी नोटिस भेजा है। नोटिस में प्रकाशक से 10 लाख रूपए का हर्जाना मांगा गया है। श्री दनकौरी ने पूछने पर चेतना मंच को बताया कि उन्होंने इस मामले में कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है। उन्हें देश के कानून पर अटूट विश्वास है। उन्हें अवश्य ही न्याय मिलेगा।
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New Delhi News : नई दिल्ली। आपने कुछ कारोबारियों के द्वारा तरह-तरह की ठगी (चीटिंग) के किस्से सुने व पढ़े होंगे। इसी कड़ी में ठगी (चीटिंग) का एक अनोखा मामला प्रकाश में आया है। विभिन्न प्रकार की पुस्तक प्रकाशित करने वाली इस चीटिंग से त्रस्त श्री दनकौरी ने प्रकाशक के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही करने का निश्चय किया है। इसी निश्चय के तहत सुप्रसिद्ध कवि दीक्षित दनकौरी ने अपने अधिवक्ता के द्वारा प्रकाशक को 10 लाख रूपए का कानूनी नोटिस भेजा है।
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यह है पूरा मामला
सब जानते हैं कि दीक्षित दनकौरी देश के जाने-माने कवि व शायर हैं। उनकी हजारों रचनाएं विभिन्न स्तरों पर प्रकाशित हुई हैं। उनकी एक प्रसिद्ध रचना ''बाजारे-नुमाइश मेंÓÓ है। इस रचना को आप ज्यों का त्यों पढ़ सकते हैं।
बाजारे-नुमाइश में
बाजारे-नुमाइश में, मैं किरदार संभालूं,
घर बार संभालूं कि तेरा प्यार संभालूं।
इस दौरे-तरक्की में बचानी है अना भी,
रफ्तार संभालूं कि मैं दस्तार संभालूं।
तब्दील हुई जाती है, तहजीब खंडर में,
बुनियाद संभालूं कि मैं दीवार संभालूं।
कांटों से भरा ताज, ये पहना तो दिया है,
दरबार संभालूं कि मैं सरकार संभालूं।
कश्ती का भरोसा है, न मांझी पे यकीन अब,
फिर क्यों न उठूं खुद ही, मैं पतवार संभालूं।
इस रचना को राजकमल प्रकाशन प्रा0लि0 कंपनी ने कवि (रचनाकार) से सहमति लिए बिना ही अपने प्रकाशन से प्रकाशित ''काव्य सौरभ " नामक पुस्तक में प्रकाशित कर दी। यह प्रमाणित तथ्य है कि किसी रचनाकार की रचना को उसकी सहमति के बिना इस्तेमाल (प्रकाशन अथवा पाठन) करना कदाचार की श्रेणी में आता है। इस घटनाक्रम से श्री दनकौरी बेहद आहत हुए हैं। उन्होंने अपनी विद्वान अधिवक्ता (Learned Advocate) सुश्री ऋषिका चाहर के माध्यम से कानूनी नोटिस भेजा है। नोटिस में प्रकाशक से 10 लाख रूपए का हर्जाना मांगा गया है। श्री दनकौरी ने पूछने पर चेतना मंच को बताया कि उन्होंने इस मामले में कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है। उन्हें देश के कानून पर अटूट विश्वास है। उन्हें अवश्य ही न्याय मिलेगा।
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