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Greater Noida farmers News : 14 मार्च को प्राधिकरण का घेराव करेंगे किसान

Greater Noida farmers News: Farmers will lay siege to the authority on March 14

Greater Noida farmers News: Farmers will lay siege to the authority on March 14

 

Greater Noida farmers News : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अंतर्गत अधिग्रहण से प्रभावित किसानों की समस्याएं लंबे अरसे से लंबित चली आ रही है। ज्यादातर समस्याएं प्राधिकरण अधिकारियों की बेरुखी के कारण लंबित हैं। महापंचायत-किसान सभा के नेतृत्व में प्राधिकरण के विरुद्ध अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के मुद्दों को लेकर पिछले 1 महीने से किसान आंदोलनरत हैं। किसानों में 4 प्रतिशत आबादी प्लाट, आबादियों की लीज बैक, साढे 17 प्रतिशत प्लाट का कोटा और भी बहुत सारी समस्याओं को लेकर रोष है। लेकिन अब वह प्राधिकरण के खिलाफ अपनी चुप्पी तोड़ते हुए 14 मार्च को अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में प्रदर्शन करेंगे।

Greater Noida farmers News :

 

अधिकारियों द्वारा नहीं किए जा रहे प्रयास

किसानों ने बताया कि आबादी नियमावली में शिफ्टिंग के संबंध में पहले से प्रावधान होने के बावजूद प्राधिकरण ने जानबूझकर मामले को लंबित करने के मकसद से बेवजह शिफ्टिंग के आबादियों को रकबे को आधा करने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया। इसी तरह आबादी नियमावली के अंतर्गत पास 533 आबादी प्रकरणों में एवं 208 बादलपुर के प्रकरणों में शासन स्तर पर मंजूरी के लिए प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।

अन्याय पूर्ण कार्रवाई के कारण किसानों में रोष

इसी तरह पतवाड़ी के अधिग्रहण के रद्द होने के बाद प्राधिकरण ने किसानों से हाथ जोड़कर प्राधिकरण के अस्तित्व को बचाने की गुहार लगाई थी। किसानों ने उदारता दिखाते हुए प्राधिकरण के साथ समझौता किया। समझौते के अंतर्गत माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 10% आबादी प्लॉट और 64% मुआवजा का फैसला दिया गया। परंतु प्राधिकरण ने 10% आबादी प्लॉट देने से इनकार कर दिया। प्राधिकरण क्षेत्र के अंतर्गत 17000 प्रकरणों में लगभग 40000 किसान 10% आबादी प्लाट से वंचित हो गए हैं। प्राधिकरण की इस अन्याय पूर्ण कार्रवाई के कारण किसानों में भारी रोष है।

आंदोलन के अलावा नहीं बचा कोई चारा

इसी तरह 3 सितंबर 2010 के शासनादेश के अनुसार अधिग्रहण से प्रभावित किसानों एवं अन्य भूमिहीन परिवारों को क्षेत्र में लग रहे कारखानों में अनिवार्य रोजगार देने का प्रावधान किया गया है। जिसे प्राधिकरण द्वारा जानबूझकर लागू नहीं किया गया है। भूमि के अधिग्रहण से किसानों में बड़ी संख्या में बेरोजगारी पैदा हुई है। पिछले महीने 7 फरवरी को उक्त सभी मामलों पर प्राधिकरण के अधिकारियों से बातचीत हुई थी। जिसमें प्राधिकरण ने मामलों का परीक्षण कर आगे कार्रवाई का आश्वासन दिया था। किसान सभा के नेताओं द्वारा संपर्क करने पर प्राधिकरण के अधिकारियों ने उक्त मामलों पर बातचीत करने से इंकार कर दिया है। इस कारण मजबूरन किसानों के समक्ष आंदोलन के अलावा कोई चारा नहीं बचा है।

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“प्राधिकरण के अधिकारी अपने पद के अभिमान में चूर हैं”

किसान सभा के संयोजक वीर सिंह नागर ने कहा है क्षेत्र के किसान और अधिक अन्याय सहने के मूड में नहीं है उक्त समस्याओं के निस्तारण तक किसान आंदोलन लगातार चलाते रहेंगे। किसान सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ब्रह्मपाल सूबेदार ने प्राधिकरण के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्राधिकरण के अधिकारी अपने पद के अभिमान में चूर हैं। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं। किसानों की समस्याओं की घोर उपेक्षा करने पर आमादा है। किसान अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

यह सभी होंगे प्रदर्शन में शामिल

किसान सभा के प्रवक्ता डॉ रुपेश वर्मा ने बताया कि 14 मार्च के आंदोलन में विपक्षी पार्टियों के सभी नेता गण, जय जवान जय किसान संगठन बेरोजगार सभा सीटू महिला समिति एवं अन्य किसान संगठन शामिल होंगे।

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