Thursday, 18 April 2024

Tusiyana Land scam, big breaking / exclusive तुस्याना भूमि घोटाले के मास्टर माइण्ड पुलिस पर पड़ रहे हैं भारी, गिरफ़्तारी तो दूर छू तक नहीं पा रही है UP पुलिस

Rajkumar Chaudhary Tusiyana Land scam: प्रयागराज/ग्रेटर नोएडा/नोएडा। अपराधी चाहे जितना शातिर हो वह एक ना एक दिन कानून की गिरफ्त…

Tusiyana Land scam, big breaking / exclusive तुस्याना भूमि घोटाले के मास्टर माइण्ड पुलिस पर पड़ रहे हैं भारी, गिरफ़्तारी तो दूर छू तक नहीं पा रही है UP पुलिस

Rajkumar Chaudhary

Tusiyana Land scam: प्रयागराज/ग्रेटर नोएडा/नोएडा। अपराधी चाहे जितना शातिर हो वह एक ना एक दिन कानून की गिरफ्त में जरूर आता है। अरबों रुपए का घोटाला करने वाले तुस्याना कांड (Tusiyana Land scam) के आरोपियों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन उनका भंडाफोड़ होगा और वे सलाखों के पीछे पहुंचेंगे? इस काण्ड के तीन आरोपी जेल में बन्द होकर अपने गुनाहों को भुगत रहे हैं

Tusiyana Land scam

इस मामले के मास्टर माइण्ड दो बड़े भूमाफ़िया पुलिसिया कार्रवाई और सलाखों से बचने के लिए अग्रिम जमानत के लिए हाथ पांव मार रहे हैं। इस काण्ड के मुख्य आरोपी व चर्चित भूमाफ़िया राजेंद्र प्रधान मकोड़ा ने अग्रिम जमानत के लिए प्रयागराज हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 28 नवंबर को राजेंद्र की जमानत पर बहस हुई है। अब कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 8 दिसंबर की तारीख मुकर्रर की है।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के जनपद गौतमबुद्धनगर में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण एक स्वायत्त संस्था के रूप में काम करती है। किसानों से जमीन लेकर उसका डेवलपमेंट करके औद्योगिक विकास कराना इस प्राधिकरण की बड़ी जिम्मेदारी है। औद्योगिक शहर बसाने की अपनी इस जिम्मेदारी का निर्वहन प्राधिकरण द्वारा बखूबी किया जा रहा है। पूरे देश व दुनिया के लाखों लोगों को रोजगार के अवसर यहां मिल रहे हैं।

वहीं एक दूसरी तस्वीर यह भी है कि यहां गाँव समाज की जमीन (LMC) का खेल बड़े पैमाने पर खेला गया है। जो अभी भी निरंतर जारी है। तुस्याना भूमि घोटाला ग्रेटर प्राधिकरण ही नहीं उत्तर प्रदेश की पूरी सरकारी मशीनरी पर मखमल पर टाट के पैबंद की तरह है। थोड़ी बहुत नहीं बल्कि 175 बीघे सरकारी जमीन को भू माफियाओं, सरकारी अफ़सरों व नेताओं ने हड़प कर ना केवल उसका मुआवज़ा डकार लिया, बल्कि उसकी एवज़ में 6 प्रतिशत विकसित ज़मीन बेशक़ीमती क्षेत्र में अपने तथा अपने चहेतों के नाम करा कर उस पर आलीशान मॉल बना डाले। ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के अकेले तुस्याना गाँव में ज़मीनों का जो खेल हुआ है वह ढाई अरब रुपये से भी अधिक का “खेल” है।

Tusiyana Land scam
Tusiyana Land scam

इस खेल में भू माफ़िया राजेंद्र प्रधान मकोड़ा, भाजपा के MLC नरेंद्र भाटी का भाई कैलाश भाटी व किसी ज़माने में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का बेताज बादशाह माने जाने वाला आज का चर्चित भूमाफ़िया रविन्द्र तोंगड, इन सबके आका के रूप में काम करने वाले ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के प्लानिंग विभाग में तैनात रहा कर्मचारी डब्ल्यू सुखबीर, इसी प्राधिकरण के विधि विभाग (Legal Department) का अधिकारी अतुल शुक्ला, तत्कालीन मुख्य कार्यपालिका अधिकारी (CEO) रमा रमन, पी सी गुप्ता, तत्कालीन अपर ज़िलाधिकारी (भूमि अध्याप्ति) जैसे अनेक “बडे“ नाम शामिल हैं।

तुस्याना भूमि घोटाले का मुख्य आरोपी राजेंद्र प्रधान दादरी क्षेत्र के प्रसिद्ध गांव मकोड़ा का पूर्व प्रधान है। यह गाँव उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध विधायक रहे स्व. महेंद्र सिंह भाटी का पैतृक गांव है। राजेंद्र प्रधान जेल की सलाखों से बचना चाहता है, उसे गौतमबुधनगर की पुलिस ढूंढ रही है किन्तु उसे पकड़ना तो दूर पुलिस उसका बाल तक बाँका नहीं कर पा रही है। यही हाल दूसरे भूमाफ़िया रविन्द्र तोगंड व उसके आकाओं का है। यें सभी पुलिसिया कार्रवाई से बचने के लिए उच्च न्यायालय की आड़ ले रहे हैं। 22 नवंबर को राजेंद्र प्रधान ने अपने वकीलों के जरिए अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर 28 नवंबर को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। वहीं आगे की सुनवाई के लिए अब 8 दिसंबर की तारीख मुकर्रर की गई है।

बुधवार को अपना पदभार ग्रहण करने के बाद नोएडा की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बैठक ली। इस बैठक में फरार चल रहे भू माफियाओं और गैंगस्टर की गिरफ्तारी के निर्देश दिए गए हैं। देखना दिलचस्प होगा कि क्या 8 दिसंबर की तारीख से पहले राजेंद्र प्रधान रविन्द्र तोंगड व उनके आका पूर्व आई ए एस अधिकारी सलाखों के पीछे पहुँचते हैं या फिर नोएडा, ग्रेटर नोएडा में हुए दूसरे बड़े घोटालों की तरह यह घोटाला भी “सैटिग गैंटिग“ में बदल जाता है।

मोती गोयल का भी चलता था राज

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नोएडा व गाजियाबाद इलाके हमेशा से भू माफियाओं और भ्रष्ट अधिकारियों की पहली पसंद रहे हैं। इतिहास के पन्नों को पलटे तो पता चलता है कि एक दौर यहां चर्चित भू माफिया मोती गोयल के वर्चस्व का भी था। नोएडा के होशियारपुर, बरौला, गिझोड़ तथा ग्रेटर नोएडा के कासना गाँवों के साथ ही साथ गाजियाबाद के दर्जनों ऐसे महत्वपूर्ण गांव है जहां ग्राम समाज की जमीन को षड्यंत्र के तहत कब्जा कर ख़ूब “खेला“ किया गया। हज़ारों करोड़ रूपये की ज़मीनों पर आज भी भू माफियाओं का कब्जा है। प्रतिमाह इन जमीनों से करोड़ों रुपए किराए के रूप में उगाहे जा रहे हैं।

कुछ वर्षों पूर्व राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष टी जॉर्ज जोसेफ की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित हुई थीं। उसने मोती गोयल के सिंडिकेट को नेस्तनाबूद किया गया था ।मोती गोयल जेल गया, हालांकि बरौला व कासना गांव में आज भी मोती गोयल की कब्जे वाली जमीन पर बड़े-बड़े होटल और कब्जे का धंधा बदस्तूर जारी है। इसमें कस्टोडियन यानि शत्रु संपत्ति की जमीन भी शामिल है। मोती गोयल को जमीनी विवाद में मौत के घाट उतारा जा चुका है। मोती गोयल की ही राह पर नए भूमाफिया स्थापित हो गए हैं। हाजीपुर गांव में भी ऐसा ही खेल जारी है। ग्रेटर नोएडा के भी 1 दर्जन से अधिक गांव में यह धंधा चल रहा है l जेवर भी भू माफियाओं की जद से बाहर नहीं है। एक सोशल वर्कर व आरटीई एक्टिविस्ट डा. संदीप पहल का दावा है कि अकेले ग्रेटर नोएडा शहर में एक लाख करोड़ से भी अधिक के घपले घोटाले फ़ाइलों व जाँच के जंजाल में दबे पड़े हैं।

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