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भक्त परंपरा लोकतंत्र के लिए खतरनाक: भाटी

नोएडा/दादरी (चेतना मंच)। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता व पथिक विचार केन्द्र के संस्थापक राजकुमार भाटी ने कहा है कि राजनीति में शुरू हुई भक्त परंपरा लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है। उनका मत है कि प्रत्येक राजनीतिक कार्यकर्ता का फर्ज है कि वे राजनीति के भक्तिकाल में पूरी तरह सावधान रहकर अन्याय का पुरजोर विरोध करें।

श्री भाटी ने यह बात एक फेसबुक लाइव के दौरान कही। उन्होंने कहा कि इन दिनों देश में राजनीति का भक्तिकाल चल रहा है। भक्त रूपी एक वर्ग ऐसा है जो चुने हुए जनप्रतिनिधियों यानि विधायकों, सांसदों या प्रधानमंत्री को जन प्रतिनिधि नहीं मानते बल्कि उनको शासक, महाराज,  मालिक अथवा अपना माई-बाप मानते हैं। उनके नेताओं की जरा सी भी आलोचना करते ही वे आग बबूला हो जाते हैं। वे कहते हैं कि उनके माई-बाप की आलोचना कैसे कर रहे हो। ये लोग लोकतांत्रिक व्यवस्था के घोर विरोधी हैं। इनका संविधान में जरा सा भी विश्वास नहीं है।

श्री भाटी ने जोर देकर कहा कि किसी भी पार्टी का कार्यकर्ता होना, पार्टी या नेता का समर्थक होना तो लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा है। आजकल राजनीति में धर्म के नाम पर नारे लगाने वाले ऐसे कुछ तत्व सक्रिय हो गए हैं जिनका लोकतंत्र में जरा भी विश्वास नहीं है। वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, डा. भीमराव अंबेडकर से लेकर तमाम नेताओं के विरूद्ध अपमानजनक टिप्पणी करते हैं। उधर गोडसे जैसे हत्यारे की जय-जयकार करते हैं। ये भक्तनुमा लोग यह नहीं जानते कि वे देश व समाज का कितना नुकसान कर रहे हैं। लोकतंत्र मजबूत होगा तो देश मजबूत होगा। इस बात को सभी जानते हैं। लोकतंत्र में आलोचना, विरोध, आंदोलन आदि सारे आवश्यक तत्व हैं। भारत का संविधान दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संविधान है। संविधान को ना मानने वाले इस देश के सबसे बड़े दुश्मन हैं।

उन्होंने अपने संबोधन में भक्त शब्द की विस्तार से व्याख्या की। साथ ही धर्मनिरपेक्षता व दूसरे शब्दों को भी विस्तार से समझाया। श्री भाटी का यह लाइव संबोधन सोशल मीडिया पर खूब चर्चा का विषय बना हुआ है।

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