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चिल्ला एलिवेटेड रोड : 15 साल बाद जगी उम्मीद, 2025 में फर्रा भरेंगे वाहन

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Hope raised after 15 years, vehicles will fill the furrow in 2025

Big News : नोएडा। एक कहावत आपने सुनी होगी, ‘नौ दिन चले अढ़ाई कोस’। यह कहावत चिल्ला रेगुलेटर से महामाया फ्लाईओवर तक प्रस्तावित चिल्ला एलिवेटेड रोड परियोजना पर बिल्कुल फिट बैठती है। इस परियोजना की कहानी बेहद दिलचस्प है। परियोजना की नींव साल 2008 में रखी गई और 11 साल बाद यानि साल 2019 में यह जमीन पर उतरी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसका शिलान्यास किया। शिलान्यास के बावजूद इसका निर्माण कार्य चार बार रोका गया। लेकिन, अब कैबिनेट ने इसे हरी झंडी दे दी है।

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साल 2008 में पड़ी थी परियोजना की नींव

दो राज्यों को जोड़ने वाली चिल्ला एलिवेटड रोड को परियोजना की नींव पड़ने के करीब 15 साल बाद केबिनेट से मंजूरी मिल गई है। ये रोड सेक्टर-14ए से एमपी-3 नोएडा को जोड़ते हुए शाहदरा ड्रेन के समानान्तर छह लेन की करीब 5.96 किमी लंबी होगी। इसके निर्माण से अक्षरधाम, मयूर विहार से नोएडा, परी चौक, कालिंदी कुंज, सरिता विहार तक आने वाले लोगों को जाम की समस्या से निजात मिल जाएगी। इसके निर्माण पर 801 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

केंद्र और प्राधिकरण देंगे आधी-आधी रकम

परियोजना का 50 प्रतिशत खर्च करीब 39,365.91 लाख (393.65 करोड़) रुपये भारत सरकार की स्कीम ‘स्पेशल असिस्टेंस टू स्टेट फॉर कैपिटल इनवेस्टमेंट 2023-24’ के तहत दिया जाएगा। शेष 50 प्रतिशत राशि नोएडा प्राधिकरण खुद वहन करेगा। चिल्ला एलिवेटड रोड के बजट अप्रूवल के लिए केबिनेट में रखा गया था। इस परियोजना के पूरी होने से करीब 10 लाख लोगों को राहत मिलेगी।

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साल 2025 तक पूरी होगी परियोजना

यह परियोजना यदि समय पर यह परियोजना पूरी हो गई होती तो आज चिल्ला बार्डर से महामाया फ्लाईओवर तक वाहन चालकों को जाम की समस्याओं से जूझना नहीं पड़ता। यही एक लिंक रोड है जो सीधे दिल्ली को एक्सप्रेस वे से जोड़ता है। इसका फिजिकल काम 13 प्रतिशत हो चुका है। इसकी नई डेडलाइन मार्च 2025 तय की गई है।

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15 साल में सिर्फ 13 फीसदी काम

चिल्ला एलिवेटेड रोड का काम चार बार बंद हो चुका है। अब तक परियोजना का 13 प्रतिशत ही काम हो सका है। वर्ष 2020 में कोरोना की आई पहली लहर के कारण करीब चार-पांच माह काम बंद रहा था। फिर उसी साल और फिर 2021 में प्रदूषण की रोकथाम के लिए नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के कारण भी करीब दो माह काम बंद पड़ा रहा। वर्ष 2020 के नवंबर में काम बंद हुआ। लगभग 11 महीने के विराम के बाद अक्टूबर 2021 में काम एक बार फिर शुरू हुआ था। अब चौथी बार काम बंद हो गया।

परियोजना पर 801 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान

इस प्रोजेक्ट का बजट 2013 में 605 करोड़ था। साल 2019 में काम शुरू किया गया। तब इस पर करीब 74 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसके बाद मामला पीडब्ल्यूडी की ओर से बजट रिलीज नहीं होने फंस गया। वहीं, ब्रिज कारपोरेशन ने प्रोजेक्ट में वैरिएशन करते हुए योजना का बजट 1076 करोड़ का प्रस्ताव प्राधिकरण के भेजा। प्राधिकरण ने इसे खारिज कर दिया। उसके बाद नए सिरे से बजट बनाया गया और आईआईटी एप्रूव के बाद ये बजट 801 करोड़ तय किया गया।

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शासनादेश से चलेगा शर्तों का पता

यूपी सरकार की ओर से इस मामले में शासनादेश जारी किया जाएगा। इसमें उन शर्तों का पता चलेगा, जिनके आधार आगे की कार्रवाई होनी है। यह भी पता चलेगा कि इस परियोजना का दोबारा टेंडर होना है या सेतु निगम से ही काम कराया जाएगा। दूसरी ओर,
प्राधिकरण के उच्चाधिकारियों का कहना है कि अगर दोबारा टेंडर जारी कराना पड़ता है तो इसका काम शुरू होने में दो से तीन माह लगेंगे। अगर टेंडर नहीं कराना पड़ता है 15-20 दिनों में शासनादेश के माध्यम से दिए गए निर्देशों पर प्राधिकरण काम शुरू करा देगा।

क्या कहती हैं सीईओ

नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने बताया कि चिल्ला एलिवेटेड रोड परियोजना के रिवाइज्ड प्लान को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। शासनादेश आते ही निर्देशों का पालन किया जाएगा। जल्द से जल्द काम शुरू कराने की कोशिश की जाएगी।

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