नोएडा।” रोम जल रहा था, तो नीरो सुख से बांसुरी बजा रहा था”। यह कहावत इन दिनों नोएडा (Noida) के किसान आंदोलन (Noida Farmers Protest) के मामले में सटीक बैठ रही है। अन्नदाता व धरती पुत्र जैसे विशेषणों से नवाजे जाने वाले किसान अपनी जायज मांग को लेकर पिछले सवा तीन महीने से आंदोलन (Farmers Protest) कर रहे हैं। यही नहीं किसान पिछले एक हफ्ते से आमरण अनशन (Farmers Hunger Strike) पर बैठे हुए हैं तथा उनकी हालत मरणासन्न तक पहुंच गयी है। लेकिन शासन, प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा।
किसानों (Noida Farmers) का आरोप है कि एक ओर देश के अन्नदाता (Noida Farmers Protest) अपने हक के लिए मौत से जूझ रहे हैं। वहीं प्राधिकरण तथा प्रशासन के अफसर अठखेलियां खेल रहे हैं। जनप्रतिनिधियों के पास किसानों का हाल जानने की फुर्सत नहीं है। भाजपा नेता जनविश्वास यात्रा, संकल्प यात्रा तथा अपनी कथित उपलब्धियों का ढोल पीटने में मस्त हैं। रात-दिन केवल वोट जुटाने वाले कार्यक्रमों का दिखावा किया जा रहा है। नेताओं व अफसरों की स्थिति रोम के उस शासक “नीरो “जैसी हो गयी है। जो अपने देश के जलने की खबर सुनकर भी चैन से बैठा हुआ बांसरी बजा रहा था। किसानों का साफ कहना है कि नोएडा प्रशासन (Noida Administration) हो या उत्तर प्रदेश की सरकार हो, अथवा जनप्रतिनिधि, किसी को भी किसानों की चिंता नहीं है।
सर्वविदित है कि भारतीय किसान परिषद (Indian Council of Farmers) के अध्यक्ष सुखबीर खलीफा हजाऱों किसानों के साथ अपने हक के लिए पिछले तीन माह से लगातार आंदोलन (Farmers Protest) कर रहे हैं। उनके साथ क्षेत्र के 81 गांवों के किसान हैं तथा सैकड़ों महिलाएं भी धरने पर बैठी हैं। किसानों ने शासन-प्रशासन के हर दरवाजे पर दस्तक देकर न्याय की गुहार लगायी पर कहीं भी उनकी बात नहीं सुनी गई। हताश व निराश किसान अब आमरण अनश्न कर रहे हैं। कई किसानों की हालत बिगड़ गई तथा वे अस्पताल में भर्ती हैं।
सुखबीर खलीफा भी मरणासन्न स्थिति में हैं तथा उनका लगातार धरनास्थल पर उपचार चल रहा है। लेकिन प्राधिकरण, प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। अब किसानों का कहना है कि अपना हक लेने के लिए अब अगर प्राणों की भी कुर्बानी देनी पड़े तो वे तैयार हैं। लेकिन आंदोलन खत्म नहीं करेंगे।