नोएडा । विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एजुकेशन द्वारा ‘हिन्दी भाषा- मेरी पहचान’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष अनिल जोशी, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एजुकेशन की प्रमुख डा अलका मुदगल और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ एजुकेशन की एसोसिएट प्रोफेसर डा महिमा गुप्ता द्वारा किया गया।
इस अवसर पर हिंदी यात्रा उत्सव नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें छात्रों ने हिंदी भाषा की कविता पाठ, कहानी पाठ और दोहों के माध्यम से विचारों को व्यक्त किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष अनिल जोशी ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में हिन्दी साहित्य सम्मेलन में गांधीजी ने कहा था कि राष्ट्रभाषा केवल हिंदी हो सकती है जिससे प्रेरणा लेकर इस संस्थान की स्थापना हुई। आजादी के पूर्व हिन्दी का कार्य स्वंतत्रता आंदोलन की गतिविधि समझा जाता था। श्री जोशी ने कहा कि भाषा केवल संवाद की अभिव्यक्ती नहीं होती बल्कि संस्कृति रहन सहन, खान पान और पूरी जीवन शैली होती है। आज समाज में अवसाद बढ़ रहा है और परिवार टूट रहे है इसका कारण अपनी संस्कृती और भाषा से दूर होना है। जब हम अपनी भाषा को छोड़ते है तो अपनी संस्कृती को छोड़ते हैं। भाषा का बदलाव केवल बोलचाल और लिखने में नही आता बल्कि हमारे जीवन के हर पहलु में आता है। प्रधानमंत्री की अपनी भाषा में शिक्षा ग्रहण करने की पहल के उपरंात आज लगभग 14 विश्वविद्यालयों में भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की शिक्षा दी जा रही है।
एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने कहा कि हिन्दी हमारी पहचान है और संस्कार है। अन्य भाषा मे ंना ही अपनत्व आता है ना ही बोली की मिठास महसूस होती है।