Noida News :
अंजना भागी
Noida News : 1979 में बसना शुरू हुए सेक्टर-19 में 3 ब्लॉक हैं ए, बी और सी। इस सेक्टर में कुल मिलाकर 2,382 मकान हैं। जिनमें लगभग 5200 परिवार रहते हैं। इस सेक्टर की आबादी 23000 से 24000 हजार है। यह सैक्टर दिल्ली के निकटतम है, लगभग 1 किलोमीटर लंबा तथा आधा किलोमीटर चौड़े क्षेत्रफल में बसा हुआ है। सैक्टर में 17 बड़े, मध्यम, छोटे, हर प्रकार के हरे-भरे पार्क हैं। यहां डबल स्टोरी एलआईजी, एमआइजी (हाउसिंग) अलग-अलग साइज के प्लॉट हैं। अब लगभग सभी बने हुए हैं। यहाँ तीनों ब्लॉकों की कुल मिलाकर 5 ग्रीन बेल्ट हैं। ऐ ब्लॉक की 1, बी ब्लॉक की दो, तथा सी ब्लॉक की 2।
Noida News :
सेक्टर की विशेषता
इस सेक्टर में नोएडा का मुख्य डाकखाना, सिटी मजिस्ट्रेट ऑफिस, नर्सरी से 12 तक के मशहूर विद्यालय हैं। पैदल की दूरी पर ही डी एम ऑफिस तथा सम्पूर्ण नोएडा में मशहूर सनातन धर्म मंदिर हैं। दिल्ली के बहुत नजदीक होने के कारण तथा मेट्रो व अन्य मुख्य बसों के द्वारा दिल्ली से अच्छी कनेक्टिविटी होने के कारण लोग यहां रहना पसंद करते हैं। आरडब्ल्यूए की मांग पर प्राधिकरण ने सेक्टर की पांचों ग्रीन बेल्टों को पार्कों की तरह से विकसित किया है। ग्रीन बेल्ट में बैठने के लिए बेंच हैं। कूड़ेदान लगे हैं, पैदल सैर करने वालों के लिए फुटपाथ हैं तथा एंट्री गेट भी है। आरडब्लूए की सतर्कता के कारण सेक्टर की ग्रीन बेल्ट पर आज तक किसी भी तरह की कोई भी एंक्रोचमेंट नहीं है । सेक्टर-19 नोएडा का एक व्यावसायिक केंद्र भी है यहां पर अलग-अलग प्रकारों की व्यापारिक गतिविधियां भी होती हैं। जैसे यहां पर कुछ नर्सिंग होम हैं दुकानें, शोरूम, ऑफिस और पी जी हैं।
समस्याओं की भी यहाँ कमी नहीं
यदि बात समस्याओं की हो तो समस्याओं का तो इस सेक्टर में अंबार ही लगा है। कोरोना काल में शनि बाजार ग्राउंड जो पहले यहां कि आंख की किरकिरी था। उसमें शनि बाजार लगना तो बंद हो गया है। परंतु आवारा पशु जो यहां जमावड़ा लगाते थे। वे आज भी अपनी आदत अनुसार सारी जगह घूमने के बाद यहीं विश्राम तथा गोबर करते हैं। लोग भी इन्हें खाने को यहीं दे जाते हैं। आवारा कुत्ते गाय सांड कभी भी आपस में सींग अड़ाये, लड़ते नजर आते हैं।
अध्यक्ष आरसी गुप्ता के अनुसार सेक्टर-27 में नाले का नवीनीकरण किया जा रहा है। सूचनाओं के अनुसार इसे कवर किया जा रहा है। जिसके कारण इस नाले में बहने वाला पानी सेक्टर-27 में रोक दिया गया है। लगभग आधे पर रोक है तथा कुछ पानी बहने दिया जा रहा है। यह नाला हरौला से बहते हुए सेक्टर-19 के बी तथा सी ब्लॉक से गुजरते सेक्टर-27 की ओर बहता है। सेक्टर-27 में रोक के परिणामस्वरूप बी तथा सी ब्लॉकों में पिछले कुछ महीनों से नाला ओवरफ्लो कर रहा है। जिसके कारण उसका पानी सेक्टरवासियों के घरों के आगे सडक़ों पर, पार्कों में फैल रहा है। गुप्ता जी के अनुसार पिछले 6 महीनों से सेक्टर-19 में हद से ज्यादा अस्वास्थ्यकर स्थितियां बनी हुई हैं। लगातार प्राधिकरण को सूचनाएँ भेजी जा रही हैं पर स्थिति वैसे ही बनी हुई है। इस ड्रेन नंबर दो का गंदा पानी सेक्टर की आंतरिक नालियों में बहकर सडक़ों तक फैल रहा है। पिछले एक सप्ताह से सेक्टर-19 के मकान नंबर बी-353 के सामने की स्थिति तो बहुत ही खऱाब है। बार-बार शिकायत करने के बावजूद भी नोएडा प्राधिकरण की ओर से किसी ने मामले की जांच करने की जहमत ही नहीं उठाई है। ये अब सभी के स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता जा रहा है।
महासचिव लक्ष्मी नारायण का कहना है कि यह नाला आवासीय भवनों के बीच से होकर गुजर रहा है। यद्यपि नोएडा प्राधिकरण ने इसे कवर करवा दिया था। लेकिन नाले के अंदर बनने वाली गैसों के कारण कई जगह से इसकी छत टूट कर गिर गई है। इसकी छत में बहुत बड़े-बड़े गध्ढे बन गये हैं। नाले की साइडें टूटी पड़ी हैं। चारों तरफ बदबू फैली रहती है। नाले की छत के ये बड़े-बड़े गड्ढे अंधेरा होते ही खतरे की घंटी हैं। प्लेन सरफेस होने के कारण नए आने वाले या बच्चे नाले की छत पर भागते दौड़ते हैं। ऐसे में कोई हादसा न हो जाए का भय सदा ही बना रहता है विशेषकर रात को? यद्यपि नाले किनारे लाइट लगी हैं पर उनका मुंह स्ट्रीट की ओर है। नाले के ऊपर शाम होते ही अंधेरा हो जाता है। प्राधिकरण को आरडब्लूए की ओर से कई बार शिकायतें भेजी गई हैं। लेकिन अभी तक प्राधिकरण के कान पर जूं तक नहीं रेंगी है।
महासचिव लक्ष्मी नारायण का यह भी कहना है कि पिछले 7 वर्षों से इस नाले की सही तरह से सफाई नहीं हुई है। कभी-कभी छुटपुट सफाई कर दी जाती है। जिससे की इसके बहाव में रोक न लगे। लेकिन वह तो इतने बड़े नाले के लिए कुछ भी नहीं है। आरडब्ल्यूए का प्राधिकरण से निवेदन है इस नाले की सफाई करवाई जाए। महासचिव लक्ष्मी नारायण के अनुसार सीवर मैनहोल की पिछले 5 वर्षों से सही तरह से सफाई नहीं हुई है। सीवर वाले आते हैं। फॉर्मेलिटी सी करके चले जाते हैं। कहीं सीवरों में मिटटी भरी पड़ी है। तो कहीं गाद जम रही है। आरडब्लूए सचिव लक्ष्मीनारायण का प्राधिकरण से निवेदन है की आरडब्ल्यूए की मांग पर सुपर सक्शन मशीन से यहां के सीवर मैनहोल की कम से कम बरसात से पहले सफाई करवा दी जाए तथा नालियों को जाली से कवर कर दिया जाये।
संयुक्त सचिव कृष्णा शर्मा का कहना है कि हमारे सेक्टर में बरसात में बी ब्लॉक में जलभराव से बचाव के लिए संपवेल लगा हुआ है। प्राधिकरण की आज्ञा पर इस संप वेल के द्वारा आज कल नाले का पानी सेक्टर 18 के नाले में शिकायत करने पर डाल दिया जाता है। क्या यह पानी हर रोज निकाला जाना जरूरी नहीं है क्या? जब खूब फैलने लगता है तो निकाल दिया जाता है।
अशोक कुमार शर्मा, उपाध्यक्ष का कहना है कि गंदे नाले का नवीनीकरण का काम तो थोड़ा जल्दी ही किया जाना चाहिए। कृष्णा शर्मा के अनुसार सेक्टर में हवा और बिजली का तो चोली दामन का साथ है। कभी पेड़ों की कटाई के बहाने तो कभी पेड़ तार के ऊपर गिर गया या कभी ट्रांसफार्मरों की मेंटेनेंस चल रही है के नाम पर सेक्टर 19 में घंटों बिजली गुल रहती है।
उपाध्यक्ष एन.सी. वरुण का मानना हैं कि सेक्टर-19 में लगभग 1 साल पहले सीवर लाइन डाली गई थी। पर कहीं-कहीं सीवर लाइन को फ्लैटों के साथ जोड़ा ही नहीं गया। जैसे कि बी-48, बी-128, सी-196, यहां तो हालात बहुत ही खराब हैं। घर के सीवर के साथ सीवर लाइन जोड़ी ही नहीं गई है। घर का सीपेज नीचे गड्ढे में फैल रहा है। रेजिडेंट्स बार-बार आरडब्लूए को कभी नोएडा अथॉरिटी को शिकायत करते हैं। चक्कर पे चक्कर लगा रहे हैं। प्राधिकरण से कुछ कर्मचारी आकर देख भी जाते हैं। सीवर लाइन जैसी की वैसी ही
संयुक्त सचिव विरेन्द् गुप्ता के अनुसार सेक्टर-19 के अंदर की सडक़ें डाबर तथा आरसीसी से बनी हैं। अब इन दोनों की ही हालत खराब है। सडक़ों पर गहरे गड्ढे हैं। चलो तो ऐसा लगता है जैसे कि सेक्टर-19 में नहीं बल्कि किसी गांव में घूम रहे हैं।
एम. एल. प्रताप के अनुसार गर्मियों में पानी की समस्या तो बहुत ही ज्यादा है। पानी कभी भी गंदा आने लगता है। कभी प्रेशर कम, तो कभी पानी कम समय के लिए आता है। तो कभी समय पर नहीं आता। फिर भी पहले चला जाता है। सैक्टर-19 में पानी स्ंबंधिंत परेशानी का सबसे बड़ा कारण है आधे सेक्टर के लिए पानी यूजीआर सेक्टर 27 से आता है। यदि 27 की लाइट चली जाए तो सैक्टर के आधे हिस्से से पानी गायब हो जाता है। आधे सेक्टर 19 के लिए पानी आता है सैक्टर-19 के यूजीआर से अब यदि सैक्टर-19 की लाइट चली जाए तो सैक्टर-19 वाले आधे भाग का पानी गायब हो जाता है। हरे भरे पार्क हैं फिर भी जनसंख्या के हिसाब से हरित स्थानों की कमी ही है। इससे निवासियों के लिए ताजी हवा और मनोरंजन के अवसरों की कमी है।
यातायात की समस्या
यह सैक्टर पीक आवर्स के दौरान भारी ट्रैफिक कंजेशन से जूझता है, जिससे यात्रियों को देरी होने से निराशा भी झेलनी पड़ती है। सार्वजनिक परिवहन भी सीमित हैं यद्यपि बसें और ऑटो-रिक्शा, इसका विकल्प होते हैं स्वास्थ्य सुविधाएं यानि सरकारी अस्पताल या क्लीनिक नहीं हैं।
सुरक्षा की दृष्टिï से
सेक्टर-19 बड़ा सेक्टर है। जिसमें कुछ मुख्य ऑफिस, मशहूर सनातन धर्म मंदिर, स्कूल, नर्सिंग होम शनि बाजार ग्राउंड है। इन सबको देखते हुए सेक्टर-19 को सुरक्षा की तो अत्यधिक आवश्यकता है। यहां की आरडब्ल्यूए का मानना है कि हमारे यहां पुलिस पेट्रोलिंग बिल्कुल भी नहीं है। सिर्फ पीसीआर वैन घूमती है। आरडब्लूए की मांग है गर्मियों की दोपहर में तो कम से कम पुलिस पेट्रोलिंग होनी ही चाहिए। यहां दिनदहाड़े 13-14 साल के लडक़े के सैक्टर के अंदर घुस आते हैं। जिम में बैठे रहते हैं और कभी भी कहीं किसी भी घर से साइकिल उठाकर ले जाते हैं। छोटी- मोटी उठाई गिरी तो यहां पर चलती ही रहती है।
आरडब्लूए पदाधिकारी हैं –
अध्यक्ष आर.सी. गुप्ता, महासचिव लक्ष्मी नारायण, उपाध्यक्ष-एन.सी. वरुण, उपाध्यक्ष अशोक कुमार शर्मा, बी ब्लॉक, कोषाध्यक्ष राम कुमार शर्मा, संयुक्त सचिव कृष्णा शर्मा, संयुक्त सचिव राजकुमार चौहान, एम. एल. प्रताप, कार्यकारिणी सदस्य