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नोएडा : जहां गंगा में प्रवाहित की जाती हैं रावण की अस्थियां

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Noida News (चेतना मंच)। यूं तो नोएडा में प्रमुख तौर पर पांच रामलीलाओं का मंचन हुआ। लेकिन इनमें से एक ऐसी रामलीला है जहां पर सनातन परंपरा के अनुरूप रावण के वध के बाद रावण की अस्थियोंं को विधि-विधान से गंगा नदी में प्रवाहित किया जाता है।

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जी हां! सेक्टर-12 में पिछले तकरीबन 25 वर्षों से चली आ रही बजरंग रामलीला संचालिका समिति द्वारा रामलीला मंचन में रावण वध के बाद उसकी जली हुई राख को ब्रजघाट स्थित गंगा नदी में विसर्जित किया जाता है। यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। समिति के संरक्षक शिवलाल सिंह ने बताया कि दीपावली के बाद रावण का अस्थि कलश (पुतले की राख) ब्रजघाट स्थित गंगा में पूरे विधि विधान के साथ प्रवाहित की जाएगी। इस रामलीला में चिता की तरह रावण को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया जाता है तथा चिता की राख को गंगा में प्रवाहित किया जाता है।

उनका स्पष्ट कहना है कि रावण से अधिक न तो कोई विद्वान था और न ही तपस्वी। उसके अहंकार को तोड़ने के लिए प्रभु श्रीराम ने उसका वध किया था ताकि उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सके। इसलिए हिन्दू धर्म में चिता जलाने के बाद गंगा में अस्थियां प्रवाहित करने की परंपरा है। उनकी समिति इस पंरपरा का निवर्हन करती है।

नि:शुल्क सेवाएं देते हैं कलाकार

बता दें कि नोएडा की यह पहली रामलीला है जहां किरदार किराये पर नहीं आते हैं। सभी कलाकार कई वर्षों से नि:शुल्क अपनी सेवाएं देते हैं। यह रामलीला विशुद्ध रूप से पारंपरिक व वसुवैध कुटुम्बकम के भाव को व्यवहारिक तौर पर परिलक्षित करती है।

इस रामलीला में निदेशक व प्रेस सचिव ए.के. पांडेय, मुख्य संरक्षक राधा कृष्ण गर्ग, अध्यक्ष कुलभूषण राय, महासचिव अनुराग गोविल, कोषाध्यक्ष कमलाकर त्रिपाठी, राहुल पांडे, गुरूदयाल विज, चित्रा, राजेश पांडे, हरी शंकर त्रिपाठी, शांतनु, गं्रथ गौतम, सुनील सिन्हा, रूचि मिश्रा, विनय जोशी, मीना तथा बच्चा मिश्रा का इस रामलीला में मंचन व प्रबंधन में हमेशा सराहनीय सहयोग रहता है।

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